भारत हो या विश्व का कोई और मुल्क. गुजरे दो साल जटिलताओं और चुनौतियों भरे थे. कोविड 19 ने इंसान का जीवन अस्त व्यस्त कर दिया था. दफ्तर खाली थे, घर दफ्तर बना हुआ था. ऐसा ही मिलता जुलता हाल स्कूली बच्चों और छात्रों का भी था. किताब कॉपी और पेन की जगह मोबाइल, लैपटॉप और माउस ने ले ली थी. अब दो साल बाद जनजीवन वापस पटरी पर आया ही था कि कोरोना वायरस के मद्देनजर चीन से दोबारा बुरी ख़बरों के आने का सिलसिला शुरू हो गया है. चीन ने फिर से लॉक डाउन की शुरुआत कर दी है. चीन में कोरोना एक बार फिर ऊफान पर है. हालात किस हद तक जटिल हैं इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि चीन की सरकार ने कई शहरों में लॉकडाउन जैसी पाबंदियां लगानी शुरू कर दी है. सबसे ज्यादा प्रभावित शेन्जेन शहर है जहां लॉकडाउन लगाने की नौबत आ गयी है और यहां के 1.7 करोड़ लोग अपने घरों में कैद होने को मजबूर हो गए हैं.
शंघाई में जहां एक तरफ स्कूल-पार्क जैसे स्थान बंद हैं तो वहीं तमाम तरह की रोक बीजिंग में भी लगी हुई है. सरकार लगातार यही ऐलान कर रही है कि लोग घरों में रहें और जब तक बहुत जरूरी न हो बाहर न निकलें. संभावित कोरोनावायरस के प्रकोप की आशंकाओं के बीच चीन का बीमारी की रोकथाम के लिए कदम उठाना इस बात के साफ़ संकेत दे रहा है कि खतरा अभी टला नहीं है.
ध्यान रहे चीन का शुमार विश्व के उन चुनिंदा मुल्कों में है जहां 2019 में वुहान में न केवल कोरोना वायरस की शुरुआत हुई. बल्कि जहां से ये वायरस दुनिया भर में फैला. महामारी शुरू होने के बाद 1,15,466 मामले सामने आए और करीब 4,636 मौतें हुई हैं. वर्ल्डोमीटर के मुताबिक, चीन में बीते दिन 24 घंटे में 1436 मामले सामने...
भारत हो या विश्व का कोई और मुल्क. गुजरे दो साल जटिलताओं और चुनौतियों भरे थे. कोविड 19 ने इंसान का जीवन अस्त व्यस्त कर दिया था. दफ्तर खाली थे, घर दफ्तर बना हुआ था. ऐसा ही मिलता जुलता हाल स्कूली बच्चों और छात्रों का भी था. किताब कॉपी और पेन की जगह मोबाइल, लैपटॉप और माउस ने ले ली थी. अब दो साल बाद जनजीवन वापस पटरी पर आया ही था कि कोरोना वायरस के मद्देनजर चीन से दोबारा बुरी ख़बरों के आने का सिलसिला शुरू हो गया है. चीन ने फिर से लॉक डाउन की शुरुआत कर दी है. चीन में कोरोना एक बार फिर ऊफान पर है. हालात किस हद तक जटिल हैं इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि चीन की सरकार ने कई शहरों में लॉकडाउन जैसी पाबंदियां लगानी शुरू कर दी है. सबसे ज्यादा प्रभावित शेन्जेन शहर है जहां लॉकडाउन लगाने की नौबत आ गयी है और यहां के 1.7 करोड़ लोग अपने घरों में कैद होने को मजबूर हो गए हैं.
शंघाई में जहां एक तरफ स्कूल-पार्क जैसे स्थान बंद हैं तो वहीं तमाम तरह की रोक बीजिंग में भी लगी हुई है. सरकार लगातार यही ऐलान कर रही है कि लोग घरों में रहें और जब तक बहुत जरूरी न हो बाहर न निकलें. संभावित कोरोनावायरस के प्रकोप की आशंकाओं के बीच चीन का बीमारी की रोकथाम के लिए कदम उठाना इस बात के साफ़ संकेत दे रहा है कि खतरा अभी टला नहीं है.
ध्यान रहे चीन का शुमार विश्व के उन चुनिंदा मुल्कों में है जहां 2019 में वुहान में न केवल कोरोना वायरस की शुरुआत हुई. बल्कि जहां से ये वायरस दुनिया भर में फैला. महामारी शुरू होने के बाद 1,15,466 मामले सामने आए और करीब 4,636 मौतें हुई हैं. वर्ल्डोमीटर के मुताबिक, चीन में बीते दिन 24 घंटे में 1436 मामले सामने आए.
कुछ देशों की तुलना में इसकी संख्या कम है, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि अगर एक मामला भी पाया जाता है तो वो संस्थानों को बंद करने में गुरेज नहीं करेंगे.
जिक्र कोरोना वायरस का हुआ है तो बता दें कि चीन में जहां लॉक डाउन है वहीं बीमारी पर हांगकांग के विचार चीन की नीति के ठीक उलट हैं. हांगकांग के नेता कैरी लैम ने कहा कि सख्त सामाजिक दूरी या फिर सख्त लॉक डाउन की फ़िलहाल कोई योजना नहीं है.
चीन में वापस क्यों लगाया जा रहा है लॉकडाउन?
चीन में लॉक डाउन का अहम कारण कोरोना वायरस के प्रति उसकी 'जीरो टॉलरेंस' रणनीति है, जिसका उद्देश्य हर मामले को ढूंढना और अलग करना है. इस दृष्टिकोण को पहली बार सरकार द्वारा महामारी की शुरुआत में पेश किया गया था, जिसने बड़े पैमाने पर लॉकडाउन, बड़े पैमाने पर परीक्षण और यात्रा प्रतिबंधों को शामिल किया गया.
तत्काल लॉकडाउन और जीरो-टॉलरेंट नीतियों के हिस्से के रूप में, इन क्षेत्रों के निवासियों को चीनी सरकार द्वारा दी जाने वाली सामाजिक सेवाओं पर निर्भर रहना पड़ता है जिसमें राशन, चिकित्सा और खाद्य वितरण भी शामिल है.
लॉकडाउन में इस बात को सुनिश्चित किया जाता है कि सीमाओं को पूरी तरह से सील किया जाए और वो लोग जो वायरस की चपेट में आए हैं या फिर वो जो पॉजिटिव पाए गए हैं, उन्हें पूर्ण रूप से आइसोलेट किया जाए.
चीन में कौन से क्षेत्र लॉकडाउन में हैं?
बताते चलें कि चीन में नए कोविड प्रतिबंध पहली बार बीते शुक्रवार को लगाए गए थे, जब 9 मिलियन की आबादी वाले औद्योगिक शहर चांगचुन में पूर्ण लॉक डाउन लगाया गया था. बताया जा रहा है कि कोरोना के तहत चीन में सरकार बहुत सख्त है और जहां भी उसे संदेह हो रहा है या फिर अगर कहीं मामले बढ़ रहे हैं तो उस स्थान पर सरकार द्वारा फ़ौरन ही लॉक डाउन लगा दिया जा रहा है.
शंघाई शहर जहां बीते दिन 22 नए मामले सामने आने के बाद सनसनी फैल गयी थी, सरकार ने घोषणा की कि स्कूल ऑनलाइन शिक्षण पर वापस आ जाएं. शेन्ज़ेन, जहां पहले से ही लॉकडाउन है वहां 60 नए मामले सामने आने के बाद सरकार के हाथ सभी को तीन दौर के परीक्षण से गुजरना होगा.
शेन्ज़ेन चीन की कुछ सबसे प्रमुख कंपनियों का केंद्र है, जिनमें Huawei Technologies, इलेक्ट्रिक कार ब्रांड बीवाईडी ऑटो, पिंग एन इंश्योरेंस और WeChat मैसेज सर्विस शामिल हैं. हांगकांग में, एक स्वास्थ्य अधिकारी ने जनता को यह नहीं मानने की चेतावनी दी कि घातक कोरोनावायरस को कण्ट्रोल कर लिया गया है.
बता दें कि सरकार ने अभी हाल ही में 190 नयी मौतों की सूचना दी थी और कहा था कि मरने वालों में ज्यादातर बुजुर्ग हैं. एसोसिएटेड प्रेस के अनुसार, बीजिंग के दक्षिण में कंगझोउ के निवासियों को वहां नौ मामले सामने आने के बाद घर में रहने के लिए कहा गया था.
कोरोना के तहत चीन के हालात बेहद जटिल हैं. कह तो यहां तक जा रहा है कि यदि प्रतिबंध हटे या ढील दी गयी तो स्थिति बेहद चिंताजनक होगी. रॉयटर्स के अनुसार, ग्वांगडोंग, जो हांगकांग की सीमा में है, ओमिक्रॉन जैसे दूसरे अत्यधिक संक्रामक वेरिएंट के लिए अग्रिम पंक्ति में है.
चाइना सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीसीडीसी) द्वारा प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया है कि "गैर-फार्मास्युटिकल हस्तक्षेप" (एनपीआई) जैसे कि मास्क मैंडेट, सोशल डिस्टेंसिंग और लॉकडाउन के निरंतर कार्यान्वयन से संक्रमण को एक प्रबंधनीय स्तर पर रखा जाएगा.
अब जबकि कोरोना के प्रति चीन की गंभीरता हमें दिख गयी है कहना गलत नहीं है कि वो तमाम लोग जो आज भी कोरोना वायरस या उसके संक्रमण को हलके में ले रहे हैं उन्हें गंभीर हो जाना चाहिए. बीमारी अभी टली नहीं है. आज भी स्थिति उतनी ही भयावह है जितनी पहले थी.
बात अगर भारत जैसे देश के परिदृश्य में हो. तो भले ही यहां हाल फिलहाल में स्थिति नियंत्रित है लेकिन जैसी लापरवाही हमारी है वो दिन दूर नहीं जब भारत कुछ ऐसे ही मंजर देखे जैसे हमने तब देखे थे जब कोरोना की दूसरी लहर ने हमारे दरवाजों पर दस्तक दी थी. ध्यान रहे जागरूक खुद लोगों को होना है. वो जागरूकता ही है जिससे अपनी और दूसरों की जान बचाई जा सकती है.
ये भी पढ़ें -
Mandira Bedi की आपबीती: साड़ी में बर्दाश्त न हुई, बाल कटवाए तो ऑफर हुए घटिया रोल
स्वामी प्रसाद मौर्य को सोशल मीडिया ने बना दिया 'यूक्रेन का राष्ट्रपति'!
5 राज्यों की शर्मनाक हार पर राहुल का शर्मसार होना, गलती मानना समस्या का समाधान नहीं है!
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.