देश में कोरोना महामारी का संकट लगातार गहराता जा रहा है. कोविड-19 संक्रमण के मामलों में अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी और कोरोना से हो रही मौत के आंकड़ों ने सभी को चौंका दिया है. देशभर में स्वास्थ्य व्यवस्थाएं चरमरा गई हैं. लोगों को अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन और रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी से जूझना पड़ रहा है. इन सबके बीच केंद्र सरकार ने एक मई से 18 साल से ऊपर के सभी लोगों के लिए कोरोनारोधी टीकाकरण शुरू करने का फैसला लिया है. केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद 18 साल से ऊपर की उम्र के सभी लोग वैक्सीन लगवाने के पात्र हो जाएंगे. लेकिन, यह टीका इन लोगों को राज्य सरकारों से या बाजार में उपलब्ध होगा.
वैक्सीन उत्पादन कर रही कंपनियां कुल वैक्सीन का 50 फीसदी केंद्र सरकार को और बाकी का 50 फीसदी राज्य सरकारों को या बाजार में बेच सकती हैं. केंद्र सरकार ने एक तरह से इस फैसले के बाद राज्य सरकारों को बड़ी मात्रा में वैक्सीन उपलब्ध कराने से हाथ खींच लिए हैं. केंद्र सरकार 50 फीसदी टीकों में से राज्य सरकारों को उनकी जरूरत के हिसाब से टीके उपलब्ध कराएगी. वहीं, बाकी 50 फीसदी टीके खरीदने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों पर डाल दी गई है. हालांकि, केंद्र सरकार पहले की भांति तय प्रक्रिया के आधार पर राज्यों को वैक्सीन का आवंटन करती रहेगी. केंद्र सरकार के ताजा फैसले के बाद सवाल उठना लाजिमी है कि 18 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को वैक्सीन कैसे मुहैया कराई जाएगी?
वैक्सीन की उपलब्धता बड़ा संकट
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोनारोधी वैक्सीन के उत्पादन को बढ़ाने की बात कही है. लेकिन, स्थिति इसके ठीक उलट नजर आ रही है. कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बीच...
देश में कोरोना महामारी का संकट लगातार गहराता जा रहा है. कोविड-19 संक्रमण के मामलों में अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी और कोरोना से हो रही मौत के आंकड़ों ने सभी को चौंका दिया है. देशभर में स्वास्थ्य व्यवस्थाएं चरमरा गई हैं. लोगों को अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन और रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी से जूझना पड़ रहा है. इन सबके बीच केंद्र सरकार ने एक मई से 18 साल से ऊपर के सभी लोगों के लिए कोरोनारोधी टीकाकरण शुरू करने का फैसला लिया है. केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद 18 साल से ऊपर की उम्र के सभी लोग वैक्सीन लगवाने के पात्र हो जाएंगे. लेकिन, यह टीका इन लोगों को राज्य सरकारों से या बाजार में उपलब्ध होगा.
वैक्सीन उत्पादन कर रही कंपनियां कुल वैक्सीन का 50 फीसदी केंद्र सरकार को और बाकी का 50 फीसदी राज्य सरकारों को या बाजार में बेच सकती हैं. केंद्र सरकार ने एक तरह से इस फैसले के बाद राज्य सरकारों को बड़ी मात्रा में वैक्सीन उपलब्ध कराने से हाथ खींच लिए हैं. केंद्र सरकार 50 फीसदी टीकों में से राज्य सरकारों को उनकी जरूरत के हिसाब से टीके उपलब्ध कराएगी. वहीं, बाकी 50 फीसदी टीके खरीदने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों पर डाल दी गई है. हालांकि, केंद्र सरकार पहले की भांति तय प्रक्रिया के आधार पर राज्यों को वैक्सीन का आवंटन करती रहेगी. केंद्र सरकार के ताजा फैसले के बाद सवाल उठना लाजिमी है कि 18 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को वैक्सीन कैसे मुहैया कराई जाएगी?
वैक्सीन की उपलब्धता बड़ा संकट
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोनारोधी वैक्सीन के उत्पादन को बढ़ाने की बात कही है. लेकिन, स्थिति इसके ठीक उलट नजर आ रही है. कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बीच वैक्सीन के उत्पादन में बढ़ोत्तरी होने की संभावनाएं बहुत कम हैं. सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड का उत्पादन 6 से 7 करोड़ तक ही हो रहा है. अमेरिका ने सीरम इंस्टीट्यूट को वैक्सीन बनाने के लिए जरूरी कच्चे माल की सप्लाई पर बैन लगा रखा है. जिसकी वजह से कोविशील्ड के उत्पादन में बढ़ोत्तरी होने की संभावना नजर नहीं आ रही है. भारत बायोटेक की कोवैक्सीन का वर्तमान उत्पादन क्षमता के हिसाब से साल भर में 200 मिलियन डोज ही तैयार हो सकती हैं. केंद्र सरकार ने 18 साल से ऊपर के लोगों के लिए टीकाकरण का रास्ता जरूर खोल दिया है, लेकिन वैक्सीनेशन के लिए टीके कहां से उपलब्ध होंगे, इस पर केंद्र सरकार के पास कोई जवाब नहीं है.
विदेशी वैक्सीन के बाजार में आने में समय लग सकता है
केंद्र सरकार के हालिया फैसले साफ है कि वह 45 साल से ज्यादा उम्र के लोगों का टीकाकरण ही जारी रखेगी. 18 साल से ज्यादा के लोगों का टीकाकरण कराने की जिम्मेदारी पूरी तरह से राज्य सरकारों पर है. भारत में अभी फिलहाल कोवैक्सीन और कोविशील्ड के टीके ही उपलब्ध हैं. स्पूतनिक-V को केंद्र सरकार ने आपात स्थिति में इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है, लेकिन इसका उत्पादन बड़े पैमाने पर कब तक शुरू हो पाएगा, इस पर संशय बरकरार है. अन्य देशों की वैक्सीन का भी लगभग यही हाल है. विदेशों की वैक्सीन उत्पादक कंपनियां भारत के लिए अन्य देशों के अपने पहले के ऑर्डर कैंसिल नहीं करेंगी. कई विदेशी वैक्सीन का भारत में ट्रायल चल रहा है, लेकिन ट्रायल्स के नतीजे आने में कुछ महीनों का समय लग सकता है. कई वैक्सीन का ट्रायल अंतिम दौर में है. एक तरह से केंद्र सरकार ने 18 साल से ऊपर के लोगों का वैक्सीनेशन कराने और टीकों के खरीद की जिम्मेदारी राज्यसरकारों के कंधों पर डाल दी है. इस स्थिति में 18 साल के ऊपर के लोगों का वैक्सीनेशन कराने में अभी लंबा वक्त लग सकता है.
बाजार में उपलब्ध होने पर हो सकती है वैक्सीन की कालाबाजारी
कोरोनारोधी टीकों के बाजार में उपलब्ध होने से इसकी कालाबाजारी की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है. जैसे कोरोना मरीजों के लिए जीवनरक्षक का काम करने वाले रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी हो रही है, कोरोना टीकों का भी यही हाल होता दिख रहा है. लोग किसी भी हाल में कोरोना वैक्सीन लगवाने के प्रयास करेंगे और इस स्थिति में प्राइवेट अस्पतालों में वैक्सीन की दलाली होने की संभावनाएं कहीं ज्यादा हैं.
45 साल से ऊपर वालों के लिए ही अभी कम पड़ रही है वैक्सीन
स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, देश में अब तक 12.71 करोड़ से अधिक लोगों के वैक्सीन लग चुकी है. इनमें से करीब 10.96 करोड़ लोगों को वैक्सीन की पहली डोज और करीब 1.74 करोड़ लोगों को वैक्सीन की दूसरी डोज लगी है. फ्रंटलाइन वर्कर्स और 45 साल से ज्यादा उम्र के लोगों का टीकाकरण पूरा करने के लिए केंद्र सरकार को अभी 46 करोड़ वैक्सीन डोज चाहिए. इस स्थिति में 18 साल से ऊपर के लोगों को वैक्सीन कैसे मिलेगी, यह देखना रोचक होगा.
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