योगी आदित्यनाथ बार बार साफ कर चुके हैं कि एनकाउंटर बंद नहीं होंगे. नोएडा के फर्जी एनकाउंटर की असली कहानी सामने आने के बाद विपक्ष ने घेरा तो भी मुख्यमंत्री की ओर से टका सा जवाब ही मिला.
एनकाउंटर को लेकर सवालों के कठघरे में घिरी यूपी पुलिस ने एक ट्वीट किया है जिसमें अखबारों में छपी कुछ कथित अपराधियों की तस्वीरें है. ट्वीट के जरिये यूपी पुलिस बताना चाहती है कि एनकाउंटर के खौफ से अपराधी किस कदर परेशान हैं.
अपराधियों में मन में पुलिस का खौफ होना कोई एहसान जताने वाली बात नहीं है. ये पुलिस की पहली ड्यूटी है. ठीक वैसे ही जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं अफसरों का समय पर दफ्तर पहुंचना कोई खबर है क्या? लेकिन एनकाउंटर के जरिये खौफ कायम करने का तरीका किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जा सकता.
ये लगता तो पब्लिसिटी स्टंट ही है!
यूपी पुलिस ने ताजा ताजा एक ताजा ट्वीट किया है जिसमें बड़े गर्व से एक फिल्मी डायलॉग से प्रेरित लाइन लिखी है - 'पुलिस से नहीं, क्राइम से डर लगता है साहेब!'
पुलिस एनकाउंटर का कितना खौफ?
एकबारगी ये लगता तो पब्लिसिटी स्टंट ही है. फिर भी बगैर सच्चाई जाने सीधे सीधे पब्लिसिटी स्टंट मान लेना, वैसा ही होगा जैसे पुलिस के एनकाउंटर के दावे होते हैं. इस ट्वीट में चार घटनाओं का जिक्र है. हापुड़ और मुजफ्फरनगर में अपराधियों का डर कर सरेंडर करना और शामली में माफीनामे के साथ दो कथित अपराधियों का मार्च. कथित अपराधियों के हाथ में जो प्लेकार्ड है उस पर लिखा है - "मैं भविष्य में किसी भी अपराध में शामिल नहीं रहूंगा. कठिन परिश्रम करके रुपये कमाऊंगा. हमें माफ कर दें."
खबरों के मुताबिक ये पेशेवर अपराधी हैं - और यूपी पुलिस के एनकाउंटर के खौफ से ऐसा करने को बाध्य हुए हैं. इन्हें डर है कि पुलिस इनका एनकाउंटर कर देगी इसलिए ये पुलिस कप्तान को भी लिख कर दे चुके हैं कि आगे से वो कोई अपराध नहीं करेंगे.
अब ये बात किसके गले उतरेगी कि पुलिस जिस अपराधी को एनकाउंटर के लिए खोज रही हो, वो हाथ में माफीनामा लिए सड़क पर मार्च करता रहे और पुलिस इस इंतजार में बैठी रहेगी कि अगले दिन अखबारों में खबर छप कर आएगी तो ट्वीट करेंगे.
अव्वल तो चोरी छिपे कोई आरोपी कोर्ट में सरेंडर की कोशिश करता है तब पुलिस उसे अदालत के एंट्री गेट पर ही दबोच लेती है. ये क्या ये तो सरेआम सड़क पर माफी के लिए मार्च निकाल रहे हैं और पुलिस दूर से नजारे देख रही है. पुलिस के साथ ऐसी त्रासदी हरदम ही जुड़ी रहती है कि वो खुद अपनी ही थ्योरी और कहानी में कठघरे में खड़ी नजर आने लगती है.
मुठभेड़ चालू रहेंगे
गोरखपुर में एक समारोह में पहुंचे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पुलिस की पीठ थपथपाते हुए कहा कि घबराने की जरूरत नहीं वो अपना अभियान चालू रखें. योगी ने कहा, "सुरक्षा की गारंटी हर व्यक्ति को मिलनी चाहिए लेकिन जो लोग समाज का माहौल बिगाड़ना चाहते हैं, जिन लोगों को बंदूक की नोक पर विश्वास है, उन्हें बंदूक की भाषा में ही जवाब भी दिया जाना चाहिए. ये मैं प्रशासन से कहूंगा कि इसमें घबराने की आवश्यकता नहीं है."
उत्तर प्रदेश पुलिस की प्रेस रिलीज के मुताबिक, 20 मार्च 2017 और 31 जनवरी 2018 के बीच सूबे में 1142 पुलिस एनकाउंटर हुए. सबसे ज्यादा मुठभेड़ मेरठ जोन में दर्ज किये गये - 449. मेरठ के बाद आगरा में 210 और बरेली में 196 एनकाउंटर हुए. सबसे कम मुठभेड़ की घटनाएं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इलाके गोरखपुर से बतायी गयी हैं.
सदन के भीतर भी पुलिस एनकाउंटर पर सवाल उठने पर योगी का कहना रहा, "ये सबको पता है कि अपराधियों को संरक्षण कौन देता था. प्रदेश में पुलिस के साथ अपराधियों की मुठभेड़ की 1,200 घटनाओं में 40 दुर्दांत अपराधी मारे जा चुके हैं. आगे भी यह सिलसिला नहीं थमेगा."
तो क्या पुलिस माफ कर देगी?
जिन खबरों की क्लिप लेकर यूपी पुलिस ने ट्वीट किया है क्या पुलिस उन्हें माफ कर देगी? खबरों में बताया गया है कि वे पेशेवर अपराधी हैं. अगर पेशेवर अपराधी हैं तो इनके साथ सरकार क्या सलूक करेगी? अगर इनके खिलाफ मुकदमे हैं तो क्या कोर्ट में उन्हें वापस लेने के दरख्वास्त दिये जाएंगे? अगर ये मुमकिन है? अगर वाकई ऐसा होने लगे तो यूपी पुलिस दुनिया भर के लिए मॉडल पुलिस बन सकती है. दूसरे मुल्कों की पुलिस के कामकाज की जहां मिसाल दी जाती है, वहीं यूपी पुलिस का मजाक उड़ाया जाता है. अगर यूपी पुलिस की सख्ती से अपराधी सुधरने लगें, फिर तो कहना ही क्या!
शिकार पर निकली यूपी पुलिस...
वास्तव में ऐसा हो जाये फिर राम राज कहने में भला कितनों को गुरेज होगा? पुलिस पर वैसे भी पहले से ही काम का बहुत ज्यादा दबाव है. अगर अपराधी पुलिस के खौफ से सुधरने लगें तो अपनेआप यूपी पुलिस रमन मैगसेसे जैसे अवॉर्ड और उसके मुखिया योगी आदित्यनाथ नोबल शांति पुरस्कार के हकदार होंगे.
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