आखिरकार दिल्ली (Delhi Election 2020) में बीजेपी ब्रांड मोदी (Brand Narendra Modi) के ही भरोसे चुनाव मैदान में उतरने जा रही है. बीजेपी कार्यकर्ताओं के सम्मेलन में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की बातों से तो अब यही लगता है. अमित शाह (Amit Shah) का भाषण सुनने के बाद दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी (Manoj Tiwari Delhi BJP President) को काफी राहत महसूस हो रही होगी.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से बहस के लिए अमित शाह की तरफ से सांसद प्रवेश वर्मा का नाम आगे बढ़ाये जाने के बाद उनके बीजेपी के मुख्यमंत्री का चेहरा बनाये जाने के कयास लगाये जा रहे थे. अब ऐसी बातों पर चर्चा का कोई मतलब नहीं लगता.
अमित शाह के भाषण के बाद ये भी लगने लगा है कि पहले महाराष्ट्र-हरियाणा और फिर झारखंड में मिली शिकस्त के बावजूद बीजेपी को सबसे ज्यादा भरोसा राष्ट्रवाद के एजेंडे में ही है - फिर भी ऐसा जरूर लगता है कि दिल्ली चुनाव में बीजेपी नेतृत्व राष्ट्रीय मुद्दों को स्थानीयता का पुट देते हुए परोसने की कोशिश करने वाला है.
दिल्ली में अबकी बार, मोदी के नेतृत्व में बीजेपी सरकार!
ब्रांड मोदी पर ही भरोसे के साथ बीजेपी एक बार फिर दिल्ली की चुनावी जंग में उतरने जा रही है. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने पार्टी की सरकार बनाने के दावे के पक्ष में आंकड़े भी पेश किये हैं.
अमित शाह के मुताबिक, 2019 में लोकसभा चुनाव हुए तो दिल्ली के 13,750 बूथों में से 12,064 बूथों पर भाजपा का झंडा लहराया. अमित शाह ने कहा, '85 फीसदी बूथों पर बीजेपी ने जीत हासिल की और 56 फीसदी वोट मिला... ऐसे ही कार्यकर्ताओं के भरोसे मैं कहता हूं कि दिल्ली में बीजेपी की सरकार बनने जा रही है.
आंकड़ों के बाद अमित शाह दिल्ली में आम आदमी पार्टी के प्रदर्शन की ओर ध्यान दिलाते हैं - 'जनता को झांसा कोई सिर्फ एक बार दे सकता है, बार-बार नहीं... एक बार केजरीवाल जी ने झांसा दिया तो उसके बाद नगर निगम चुनाव में AAP का सूपड़ा साफ हो गया...'
दिल्ली में दोबारा लोक सभा की सभी सातों...
आखिरकार दिल्ली (Delhi Election 2020) में बीजेपी ब्रांड मोदी (Brand Narendra Modi) के ही भरोसे चुनाव मैदान में उतरने जा रही है. बीजेपी कार्यकर्ताओं के सम्मेलन में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की बातों से तो अब यही लगता है. अमित शाह (Amit Shah) का भाषण सुनने के बाद दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी (Manoj Tiwari Delhi BJP President) को काफी राहत महसूस हो रही होगी.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से बहस के लिए अमित शाह की तरफ से सांसद प्रवेश वर्मा का नाम आगे बढ़ाये जाने के बाद उनके बीजेपी के मुख्यमंत्री का चेहरा बनाये जाने के कयास लगाये जा रहे थे. अब ऐसी बातों पर चर्चा का कोई मतलब नहीं लगता.
अमित शाह के भाषण के बाद ये भी लगने लगा है कि पहले महाराष्ट्र-हरियाणा और फिर झारखंड में मिली शिकस्त के बावजूद बीजेपी को सबसे ज्यादा भरोसा राष्ट्रवाद के एजेंडे में ही है - फिर भी ऐसा जरूर लगता है कि दिल्ली चुनाव में बीजेपी नेतृत्व राष्ट्रीय मुद्दों को स्थानीयता का पुट देते हुए परोसने की कोशिश करने वाला है.
दिल्ली में अबकी बार, मोदी के नेतृत्व में बीजेपी सरकार!
ब्रांड मोदी पर ही भरोसे के साथ बीजेपी एक बार फिर दिल्ली की चुनावी जंग में उतरने जा रही है. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने पार्टी की सरकार बनाने के दावे के पक्ष में आंकड़े भी पेश किये हैं.
अमित शाह के मुताबिक, 2019 में लोकसभा चुनाव हुए तो दिल्ली के 13,750 बूथों में से 12,064 बूथों पर भाजपा का झंडा लहराया. अमित शाह ने कहा, '85 फीसदी बूथों पर बीजेपी ने जीत हासिल की और 56 फीसदी वोट मिला... ऐसे ही कार्यकर्ताओं के भरोसे मैं कहता हूं कि दिल्ली में बीजेपी की सरकार बनने जा रही है.
आंकड़ों के बाद अमित शाह दिल्ली में आम आदमी पार्टी के प्रदर्शन की ओर ध्यान दिलाते हैं - 'जनता को झांसा कोई सिर्फ एक बार दे सकता है, बार-बार नहीं... एक बार केजरीवाल जी ने झांसा दिया तो उसके बाद नगर निगम चुनाव में AAP का सूपड़ा साफ हो गया...'
दिल्ली में दोबारा लोक सभा की सभी सातों सीटें जीतने के बाद अमित शाह को ये कहने का हक तो बनता ही है, वो भी तब जब आम आदमी पार्टी तीसरे पायदान पर फिसल जाती हो - और उम्मीदवारों को जमानत बचाने के भी लाले पड़ जाते हों.
तमाम बातों और मिसालों को पेश करने के बाद अमित शाह दावा करते हैं - "नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में दिल्ली में बीजेपी की सरकार बनेगी."
फिर भी राष्ट्रवाद ही रहेगा एजेंडा!
राजनीति के एक्सपर्ट और बीजेपी की पॉलिटिक्स में दिलचस्पी रखने वाले चाहे जो भी समझें, बीजेपी को नहीं लगता कि उसकी तीन राज्यों के चुनाव में खराब प्रदर्शन की वजह राष्ट्रवाद के एजेंडे के साथ मैदान में कूदना रहा. अमित शाह के भाषण को देखें तो यही लगता है कि वो राष्ट्रवाद के एजेंडे के साथ कोई समझौता नहीं करने वाले - बल्कि विरोधियों को कठघरे में खड़ा करने के लिए उसे ही हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने वाले हैं.
झारखंड की तरह दिल्ली में भी अमित शाह ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का जिक्र किया. बोले, 'कांग्रेस ने राम जन्मभूमि के मामले को बहुत वर्षों से रोककर रखा था, कोर्ट में इसका विरोध करती थी... सुप्रीम कोर्ट ने अब फैसला दिया है कि राम जन्मभूमि पर मंदिर बनना चाहिए. ये देश के करोड़ लोगों की इच्छा थी.'
राम मंदिर निर्माण की चर्चा के साथ साथ अमित शाह का सबसे ज्यादा जोर नागरिकता संशोधन कानून (CAA) पर रहा. CAA की चर्चा के साथ अमित शाह ने अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस नेताओं को एक ही फ्रेम में पेश किया - 'प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी नागरिकता कानून लेकर आये... केजरीवाल, राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा ने जनता को इस पर गुमराह किया और दंगे करवाने का काम किया... मैं दिल्ली की जनता से पूछना चाहता हूं कि क्या आप ऐसी सरकार चाहते हैं, जो दिल्ली में दंगे करवाए?'
लगे हाथ अमित शाह ने दिल्ली के सिख दंगों के बहाने भी कांग्रेस को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की, '1984 में जो सिख दंगे हुए, उसमें कई सिख भाई-बहनों का कत्लेआम कर दिया गया... कांग्रेस की सरकारें उनके घावों पर मरहम नहीं लगाती थीं... मोदी सरकार ने हर पीड़ित परिवार को 5-5 लाख रुपये का मुआवजा दिया और दोषियों को तिहाड़ जेल में भेजने का काम किया.'
दिल्ली में केजरीवाल सरकार तमाम उपलब्धियों के बीच मोहल्ला क्लिनिक का जोर शोर से प्रचार करती है. अरविंद केजरीवाल के मुताबिक दिल्ली में अब 450 मोहल्ला क्लिनिक हैं - लेकिन अमित शाह ने इस पर AAP सरकार को घेरने का रास्ता खोज लिया है.
बूथ मैनेजमेंट के जरिये बीजेपी को जगह जगह जीत दिलाने वाले अमित शाह दिल्ली में नया प्लान लेकर आये हैं - मोहल्ला मीटिंग. साफ है ये केजरीवाल सरकार को मोहल्ला स्तर पर घेरने के लिए उपाय खोजा गया है.
जब जन जागरण अभियान के लिए निकले तो उनके खिलाफ नारेबाजी भी हुई. लाजपत नगर की जिस गली में गृह मंत्री अमित शाह का CAA को लेकर जन जागरण अभियान कार्यक्रम था, उसी में एक घर की छत से NRC के विरोध में बैनर टांगा गया - और कुछ लड़कियों ने ऊपर से ही नारेबाजी भी की. नारेबाजी करने वाली लड़कियां वहां किराये पर रहती हैं, ऐसा बताया गया है.
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