बारहा किसी बड़ी जीत के बाद जब पहली बाद पार्टी प्रमुख अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ देश को सम्बोधित करने आते हैं, तो उनके शारीरिक हाव-भाव बेहद आक्रामक होते हैं. वो जीतने के बाद अपनी जीत से ज़्यादा जो पार्टी हारी होती है, उस पर निशाना साधते हैं. उनकी ख़ामियों को गिनवाते नज़र आते हैं. लेकिन इस सब क्लिशे से अलग हैट्रिक लगाते हुए तीसरी बार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आज एक अलग अन्दाज़ में दिखे. चुनाव के नतीजे आने के बाद आम आदमी पार्टी की तरफ़ से कहा गया कि केजरीवाल साढ़े-तीन बजे प्रेस-कॉनफ़्रेंस करेंगे. फिर बिना एक पल की देरी के जैसे ही साढ़े तीन बजे केजरीवाल मंच पर आ गए. पहले तो उन्होंने अपनी जीत को दिल्ली वालों की जीत कहा. उन्होंने जो सबसे पहली बात कही वो ये थी कि, 'दिल्लीवालों आपने तो ग़ज़ब दिया.' इसके आगे उन्होंने जोड़ा कि ये देश की राजनीति का एक नया दिन है. पहली बार काम के नाम पर वोट मांगे गए और काम के नाम पर ही वोट मिले, तो ये काम की जीत है. दिल्ली में पिछले पांच साल में जो पानी-बिजली-स्वास्थ्य-शिक्षा में बेहतरीन बदलाव आया है ये उसकी जीत है. दिल्ली वालों ने अपने बेटे में भरोसा दिखाया ये उस भरोसे की जीत है.
दिल्ली में फिर एक बार काम के नाम पर अरविंद केजरीवाल ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की है
इसके बाद उन्होंने अपने पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं का शुक्रिया अदा किया. उन्होंने अपने इस छोटे से सम्बोधन में किसी भी पार्टी के ख़िलाफ़ कुछ भी नहीं कहा. उन्होंने उस ‘आतंकवादी’ वाली बात का भी ज़िक्र नहीं किया जो टैग उन्हें हाल के दिनों में भाजपा की तरफ़ से मिला था. उन्होंने अपना सम्बोधन समाप्त करते हुए भारत माता की जय, वन्दे मातरम् और हनुमान जी को भी धन्यवाद कहा.
जब सबको ये लगा कि अब उनका भाषण समाप्त हो चुका है तो उन्होंने सबसे प्यारी बात कही. केजरीवाल ने कहा कि, 'आज मेरी पत्नी का जन्मदिन भी है!'
और ये था भारत की राजनीति का एक नया और ख़ूबसूरत पहलू. फिर मुस्कुरा कर पत्नी की तरफ़ देखा और हल्का सा उनकी तरफ़ झुक कर चुपचाप कुछ पल के लिए खड़े रहे. उस पल वो पूरी जीत का मंच अपनी पत्नी को समर्पित करते नज़र आए.
मेरे ख़्याल से अरविंद केजरीवाल शायद देश के ऐसे पहले नेता हैं जिन्होंने इतने बड़े मंच से यूं खुलकर अपनी पत्नी के लिए कोई बात कही हो. उनके साथ के लिए सबके सामने उन्हें धन्यवाद कहा हो. नहीं तो राजनेता अपनी जीत का श्रेय देने में घर की स्त्रियों को भुल जाते हैं. कुछ नेता ऐसे भी हैं जो ऐसे क्षणों में मां को याद कर लेते हैं मगर उनकी पत्नी कहीं पीछे रह जाती है.
केजरीवाल को आम आदमी का राजनेता उनका ये सरल स्वभाव भी बनाता है. उनमें लोगों को कोई तोप सिंह नहीं बल्कि अपने जैसा एक नॉर्मल सा शख़्स दिखता है. जो उनके जैसा ही साधारण स्वेटर-मफ़लर पहन कर उनके बीच आता है. वो भी बदलते मौसम में बीमार होता है. सर्दी-जुकाम से परेशान होकर खांसता है. कभी घमंड से अपने प्रतिद्वंदियों को भी नहीं ललकारता.
सम्मान से बात करता हुआ एक सभ्य सा बंदा दिखता है. इसलिए पब्लिक उन्हें ख़ुद से जोड़ कर देख पाती है. फिर आज पत्नी के लिए यूं अपने जज़्बात को ज़ाहिर कर उन्होंने आम लोगों के बीच अपनी पारिवारिक छवि को और भी मज़बूत कर लिया है. उम्मीद है दिल्ली आने वाले पांच सालों में ख़ूब तरक़्क़ी करेगी. जनता ने जो यक़ीन दिखाया है केजरीवाल उस यक़ीन को निभाएंगे.
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