दिल्ली चुनाव नतीजे (Delhi Election results 2020) आ गए हैं. दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से 62 पर आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) और 08 सीटों पर भाजपा (BJP) ने जीत दर्ज की है. कांग्रेस (Congress) की स्थिति गंभीर है और वो एक भी सीट हासिल करने में नाकाम रही. मतगणना के दौरान कई दिलचस्प तथ्य निकल कर सामने आए हैं जो बताते हैं कि ये आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) की नहीं बल्कि कांग्रेस (COngress) के 'त्याग' की हैट ट्रिक है. यानी कांग्रेस ने जितने वोट गंवाए हैं, वो सब पिछले तीन चुनाव से आम आदमी पार्टी के खाते में गए हैं. अब जबकि केजरीवाल (Arvind Kejriwal) जीत गए हैं तो उन्हें सबसे पहले सोनिया गांधी से मिलने उनके घर जाना चाहिए और अप्रत्यक्ष मदद के लिए उन्हें फूलों का गुलदस्ता भेंट करते हुए धन्यवाद देना चाहिए. अगर आज केजरीवाल (Arvind Kejriwal) तीसरी बार सत्ता में आए हैं तो इसकी एक बड़ी वजह कांग्रेस (Congress) की लापरवाही, ढीलापन और दिल्ली चुनाव को हलके में लेना है. सवाल होगा कैसे? तो जवाब के लिए सबसे पहले हम वोट शेयर पर नजर डाल सकते हैं. पार्टीवार मिले वोटों का अनुपात. 2020 के इस दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Assembly Ellections) में कांग्रेस का वोट शेयर (Congress vote share) 4.29% है. जबकि आपको 53.6% वोट मिले और भाजपा का वोट शेयर 38.5% रहा.
दिल्ली चुनाव नतीजे (Delhi Election results 2020) आ गए हैं. दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से 62 पर आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) और 08 सीटों पर भाजपा (BJP) ने जीत दर्ज की है. कांग्रेस (Congress) की स्थिति गंभीर है और वो एक भी सीट हासिल करने में नाकाम रही. मतगणना के दौरान कई दिलचस्प तथ्य निकल कर सामने आए हैं जो बताते हैं कि ये आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) की नहीं बल्कि कांग्रेस (COngress) के 'त्याग' की हैट ट्रिक है. यानी कांग्रेस ने जितने वोट गंवाए हैं, वो सब पिछले तीन चुनाव से आम आदमी पार्टी के खाते में गए हैं. अब जबकि केजरीवाल (Arvind Kejriwal) जीत गए हैं तो उन्हें सबसे पहले सोनिया गांधी से मिलने उनके घर जाना चाहिए और अप्रत्यक्ष मदद के लिए उन्हें फूलों का गुलदस्ता भेंट करते हुए धन्यवाद देना चाहिए. अगर आज केजरीवाल (Arvind Kejriwal) तीसरी बार सत्ता में आए हैं तो इसकी एक बड़ी वजह कांग्रेस (Congress) की लापरवाही, ढीलापन और दिल्ली चुनाव को हलके में लेना है. सवाल होगा कैसे? तो जवाब के लिए सबसे पहले हम वोट शेयर पर नजर डाल सकते हैं. पार्टीवार मिले वोटों का अनुपात. 2020 के इस दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Assembly Ellections) में कांग्रेस का वोट शेयर (Congress vote share) 4.29% है. जबकि आपको 53.6% वोट मिले और भाजपा का वोट शेयर 38.5% रहा.
वो कांग्रेस जो 2013 में 24.6 % मत हासिल करती है उसके बाद 2015 में जो 9.7% पर आकर रूकती है. उसका 2020 के विधान सभा चुनाव में 4.29% पर आना खुद-ब-खुद सारी दास्तां बयां कर देता है. साफ़ हो जाता है कि 2013 में शीला दीक्षित के बाद न तो कांग्रेस दिल्ली में किसी ठीक ठाक चेहरे को ही लाई. न ही उसने कोई ऐसी प्लानिंग की जिसके दम पर वो चुनाव जीत सके.
2020 के विधानसभा चुनाव की जिम्मेदारी मदन चोपड़ा के कंधों पर थी जो अपनी ड्यूटी निभाने में बुरी तरफ विफल रहे. वहीं अगर हम पार्टी के स्टार प्रचारकों विशेषकर राहुल गांधी और प्रियंका गांधी का रुख करें तो ये दोनों नेता भी हमें ऐन वक़्त पर प्रचार करते दिखे. इनका चुनाव प्रचार इतना धीमा था कि लग ही नहीं रहा था कि दिल्ली में कांग्रेस चुनाव लड़ने के प्रति गंभीर है.
चुनाव बीत चुका है परिणाम हमारे सामने हैं. अब जिम्मेदारी लेने का दौर है. दिल्ली में पार्टी के प्रभारी मदन चोपड़ा तो जिम्मेदारी ले ही रहे हैं साथ ही साथ हमें ऑल इंडिया कंग्रेस कमिटी की प्रवक्ता शर्मिष्ठा मुखर्जी भी जिम्मेदारी लेते हुए दिखाई दे रही हैं. हार से आहत शर्मिष्ठा ने एक ट्वीट किया है और उन कारणों पर बात की है जो इस चुनाव में पार्टी को मिली हार की एक अहम वजह बने.
शर्मिष्ठा ने लिखा है कि दिल्ली के परिणाम हमारे सामने हैं. बहुत आत्मनिरीक्षण कर लिया है अब वक़्त एक्शन का है. हार के कारण बताते हुए शर्मिष्ठा ने लिखा है कि शीर्ष पर निर्णय लेने में देरी, राज्य स्तर पर रणनीति और एकता की कमी, कार्यकर्ताओं में ऊर्जा का आभाव, जमीनी स्तर पर पार्टी का लोगों से न जुड़ना इस हार के अहम कारण हैं. इस प्रणाली का हिस्सा होने के कारण मैं भी जिम्मेदारी में अपना हिस्सा लेती हूं.
वाकई ये हैरत में डालने वाला है कि वो कांग्रेस जिसने दिल्ली में 2013 के विधानसभा चुनावों में 24.6% प्रतिशत मत हासिल किया था. अगर वो 2020 में 4.29% पर आकर रूकती है और साथ ही जब 67 सीटों पर उसकी जमानत जब्त होती है तो हमें ये भी समझना होगा कि ये सब कुछ एक दिन में नहीं हुआ है.
इस पूरी प्रक्रिया में एक लंबा वक़्त लगा है और इस दौरान कांग्रेस ने लगातार वो विश्वास खोया जो जनता के दिल में उसे लेकर था. एक ऐसे समय में जब दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस को जी जान लड़ा देनी थी, उसका आराम से बैठना. या ये कहें कि बैठे बैठे तमाशा देखना ये बता देता है कि कांग्रेस दिल्ली में बस इसलिए फाइट में थी क्योंकि उसे भाजपा को हारते हुए देखना था.
दिल्ली में कांग्रेस एक ऐसी पार्टी थी जिसने 15 सालों तक शीला दीक्षित के जरिये शासन किया है. उस पार्टी के साथ इस तरह का सलूक होना ये बता देता है कि सही मार्गदर्शन और निर्णय लेने की क्षमता ही वो कारण है जिसके चलते आज कांग्रेस को शर्मिंदगी की इस स्थिति का सामना करना पड़ा.
पूरे मामले में मजेदार ये रहा कि इस हार की जिम्मेदारी अन्य लोग तो ले ही रहे हैं. मगर राहुल गांधी या फिर प्रियंका गांधी इस पूरे मसले पर चुप हैं. इस चुप्पी ने खुद इस बात का आभास देश की जनता को कराया है कि इनके लिए चुनाव का मतलब एक दिन की राजनीति और हलके फुल्के आरोप हैं. अब जबकि दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा की जबरदस्त किरकिरी हुई है आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू होना लाजमी था.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में शुमार पी चिदंबरम ने ट्वीट किया है. जैसा चिदंबरम का ट्वीट है उससे भी इस बात का आभास हो जाता है कि कांग्रेस हवा हवाई चुनाव लड़ रही है. कह सकते हैं कि 2020 के इस विधानसभा चुनाव ने कांग्रेस को एक बड़ा संदेश दिया ही जिसके अनुसार जब तक कांग्रेस जमीन पर आकर काम नहीं करती तब तक उसके साथ ऐसा बहुत कुछ होता रहेगा.
बहरहाल जब हम 2020 के इस विधानसभा चुनाव पर नजर डाल रहे हैं तो एक दिलचस्प चीज हमें ये भी नजर आ रही है कि आप ने अपना वोटिंग प्रतिशत 1 प्रतिशत कम किया है. जो भाजपा में जाता हुआ हमें दिखाई दे रहा है. भाजपा भले ही सीटें न ला पाई हो, मगर जो उसका वोटिंग प्रतिशत है उसने ये बता दिया है कि उसका वोटर हर सूरत में उसके साथ है.
चूंकि कांग्रेस का वोटर पहले ही आप के पाले में आ चुका है तो अगर आज आम आदमी पार्टी ने जीत दर्ज भी कर ली है तो उसे इसलिए भी बहुत ज्यादा नहीं खुश होना चाहिए क्योंकि इसमें उसका अपना कोई बहुत बड़ा योगदान नहीं है आज वो वही फल खा रही है जिसके लिए पेड़ कभी कांग्रेस पार्टी ने लगाया था.
ये भी पढ़ें -
Delhi election result 2020: आखिर 'गद्दार', 'पाकिस्तान', 'आतंकवादी' ही जीते!
Delhi election results जो भी हो, 'फलौदी सटोरियों' ने तो मनोज तिवारी को लड्डू खिलाया है!
Delhi election results: अब किस बात की जिम्मेदारी ले रहे हैं मनोज तिवारी?
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.