दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Assembly Election 2020) के बाद आए एग्जिट पोल (Delhi Exit poll) ने साफ कर दिया है कि दिल्ली में इस बार भी केजरीवाल ही जीतेंगे. इसी जीत के साथ दिल्ली चुनाव में उनकी हैट्रिक लगने जा रही है. अब इंतजार सिर्फ 11 फरवरी के नतीजों (Delhi Assembly Election Results) का है, जिसमें ये साफ होगा कि एग्जिट पोल कितने सही साबित होते हैं और कितने गलत. लेकिन नतीजे जो भी आएं, ये बात लगभग तय ही समझिए कि अरविंद केजरीवाल जीत रहे हैं. देखा जाए तो कम शिक्षित (Education) और झुग्गी या छोटे घरों में रहने वालों की पहली पसंद अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) रहे, जबकि वोटरों की शिक्षा और घर का आकार जैसे बढ़़ता गया, आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच गैप कम होता गया. कोठी में रहने वालों में मोदी और केजरीवाल की लोकप्रियता लगभग बराबर ही रही. अब ये तो सभी जानते हैं कि गरीबों और कम शिक्षित लोगों की तादात दिल्ली में काफी अधिक है, इसलिए आम आदमी पार्टी को इस बार के चुनाव में फायदा हो गया.
जितने ज्यादा शिक्षित, भाजपा को उतने वोट
एक्सिस माई इंडिया-इंडिया टुडे के एग्जिट पोल (India Today-Axis My India poll) के अनुसार आम आदमी पार्टी को उस सेक्शन से अधिक वोट मिले हैं, जो अशिक्षित या कम शिक्षित हैं. वहीं दूसरी ओर भाजपा के मामले में इसका बिल्कुल उल्टा है. अशिक्षित या कम शिक्षित वर्ग से भाजपा को कम वोट मिले हैं, जबकि अधिक शिक्षित वर्ग की तरफ से भाजपा को अधिक वोट मिले हैं. अशिक्षित वर्ग के 66 फीसदी लोगों ने आम आदमी पार्टी को वोट दिया, जबकि 24 फीसदी लोगों ने भाजपा को वोट दिया. वहीं दूसरी ओर प्रोफेशनल डिग्री वाले 37 फीसदी लोगों ने आम आदमी पार्टी को वोट दिया, जबकि 50 फीसदी लोगों ने भाजपा को वोट दिया.
दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Assembly Election 2020) के बाद आए एग्जिट पोल (Delhi Exit poll) ने साफ कर दिया है कि दिल्ली में इस बार भी केजरीवाल ही जीतेंगे. इसी जीत के साथ दिल्ली चुनाव में उनकी हैट्रिक लगने जा रही है. अब इंतजार सिर्फ 11 फरवरी के नतीजों (Delhi Assembly Election Results) का है, जिसमें ये साफ होगा कि एग्जिट पोल कितने सही साबित होते हैं और कितने गलत. लेकिन नतीजे जो भी आएं, ये बात लगभग तय ही समझिए कि अरविंद केजरीवाल जीत रहे हैं. देखा जाए तो कम शिक्षित (Education) और झुग्गी या छोटे घरों में रहने वालों की पहली पसंद अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) रहे, जबकि वोटरों की शिक्षा और घर का आकार जैसे बढ़़ता गया, आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच गैप कम होता गया. कोठी में रहने वालों में मोदी और केजरीवाल की लोकप्रियता लगभग बराबर ही रही. अब ये तो सभी जानते हैं कि गरीबों और कम शिक्षित लोगों की तादात दिल्ली में काफी अधिक है, इसलिए आम आदमी पार्टी को इस बार के चुनाव में फायदा हो गया.
जितने ज्यादा शिक्षित, भाजपा को उतने वोट
एक्सिस माई इंडिया-इंडिया टुडे के एग्जिट पोल (India Today-Axis My India poll) के अनुसार आम आदमी पार्टी को उस सेक्शन से अधिक वोट मिले हैं, जो अशिक्षित या कम शिक्षित हैं. वहीं दूसरी ओर भाजपा के मामले में इसका बिल्कुल उल्टा है. अशिक्षित या कम शिक्षित वर्ग से भाजपा को कम वोट मिले हैं, जबकि अधिक शिक्षित वर्ग की तरफ से भाजपा को अधिक वोट मिले हैं. अशिक्षित वर्ग के 66 फीसदी लोगों ने आम आदमी पार्टी को वोट दिया, जबकि 24 फीसदी लोगों ने भाजपा को वोट दिया. वहीं दूसरी ओर प्रोफेशनल डिग्री वाले 37 फीसदी लोगों ने आम आदमी पार्टी को वोट दिया, जबकि 50 फीसदी लोगों ने भाजपा को वोट दिया.
जैसे-जैसेे घर बड़ा हुआ, भाजपा के वोटर बढ़े
जब घर के हिसाब से यानी किसी की आर्थिक हालत के हिसाब से वोटिंग पैटर्न को देखें तो पता चलता है कि स्लम में रहने वाले 65 फीसदी लोगों ने आम आदमी पार्टी को वोट दिया, जबकि सिर्फ 25 फीसदी ने भाजपा को वोट दिया. वहीं दूसरी ओर कोठियों में रहने वाले 48 फीसदी लोगों ने आम आदमी पार्टी को वोट दिया, जबकि 45 फीसदी ने भाजपा को वोट दिया. यानी जैसे-जैसे लोगों की जेब में पैसे आते गए, घर बड़े होते गए, वैसे-वैसे अरविंद केजरीवाल की तरफ से वोट भाजपा की ओर शिफ्ट होता गया.
इस पैटर्न के मायने समझिए
अशिक्षा का सीधा कनेक्शन गरीबी से है. पैसों की कमी की वजह से कई बार लोगों के बच्चे नहीं पढ़ पाते. बहुत से लोगों के बच्चे थोड़ा बहुत पढ़ने के बाद ही कुछ काम या मजदूरी करने लगते हैं, ताकि अपने घरवालों का हाथ बंटा सकें. वहीं घर छोटा या बड़ा होने की वजह भी गरीबी ही है. कहते हैं जब इंसान का पेट भरा होता है, तभी वह देश के बारे में सोचता है. अगर किसी का पेट ही भरा नहीं है तो वह राष्ट्रीय सुरक्षा के बारे में क्या खास सोचेगा. उसे क्या मतलब कि अयोध्या में राम मंदिर बना या नहीं, वह तो बस ये देखेगा कि उसके घर का राशन मुफ्त मिला या नहीं मिला. बिजली-पानी मुफ्त मिला या नहीं. फिर भले ही मोदी सरकार जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने को ऐतिहासिक भूल सुधार कहे और नागरिकता संशोधन कानून लाकर पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धर्मिक प्रताड़ना झेल रहे हिंदुओं का भला सोचे, लेकिन गरीब सिर्फ अपना पेट भरने की सोचता है. अरविंद केजरीवाल ने तुरंत पेट भरने वाले उपायों पर फोकस किया, जिसके चलते उन्हें स्लम और कॉलोनियों से अधिक वोट मिले. अशिक्षित या कम शिक्षित लोगों से भी अधिक वोट मिले. वहीं दूसरी ओर भाजपा ने विधानसभा चुनाव में भी राष्ट्रहित, देश की सुरक्षा और नागरिकता कानून जैसे मुद्दों पर फोकस किया, जिसकी वजह से भाजपा को कम लोगों ने वोट किया. वैसे भी दिल्ली में मुफ्त बिजली-पानी का फायदा अमीरों को नहीं होता है, क्योंकि वह तय सीमा से अधिक बिजली-पानी खर्च करते हैं.
बता दें कि एग्जिट पोल के अनुसार इस बार अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को दिल्ली विधानसभा चुनाव में करीब 52-68 सीटें मिल रही हैं. भाजपा (BJP) को इस चुनाव में लगभग 2-11 सीटें मिल सकती हैं. सबसे बुरा हाल कांग्रेस का है, जिसे बमुश्किल 1 सीट मिलती दिख रही है. दिल्ली में इस बार 61 फीसदी मतदान हुआ है, जो पिछली बार से कम है, क्योंकि पिछली बार यहां 67 फीसदी मतदान हुआ था. इस बार 56 फीसदी लोगों ने आम आदमी पार्टी (AAP) को पसंद किया, 35 फीसदी लोगों ने भाजपा को अपना वोट दिया और कांग्रेस को सिर्फ 5 फीसदी लोगों ने वोट किया.
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