क्या एक नेता की परिभाषा यही है कि वो अलग - अलग रैलियों में भाषण दें और विपक्ष पर तीखे हमले करे? क्या व्यक्ति राजनीति में तभी सर्वाइव कर सकता है जब उसे दूसरों को टोपी पहनाना या ये कहें कि तीन का तेरह करना आता हो? क्या सिर्फ निर्णय लेना ही राजनीति है? राजनीति और नेता को लेकर इस तरह के ढेरों सवाल हैं. लेकिन जब हम इन सवालों के परिदृश्य में देश की राजनीति को, उसमें पीएम मोदी को देखते हैं तो मिलता है कि तमाम बातें एक तरफ हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक तरफ हैं. अन्य नेताओं से इतर उनमें ऐसे कई गुण मौजूद हैं. जिनसे वो अपने आलोचकों तक के दिल में जगह बना लेते हैं और फिर वो मौके आ जाते हैं जब उनके आलोचक तक उनकी शान में कसीदे पढ़ने को मजबूर जो जाते हैं. और उनकी नजरों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कद अपने आप ही बढ़ जाता है. उपरोक्त बातों को समझने या उनका अवलोकन करने के लिए कहीं दूर क्या ही जाना. मौजूदा केंद्र सरकार की नीतियों के प्रबल आलोचक देश के पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा का रुख कीजिये जिन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए ऐसा बहुत कुछ कहा है जिसे कांग्रेस आलाकमान, राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी को सुनना चाहिए. बार बार सुनना चाहिए.
पीएम मोदी के विषय में पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा ने कुछ पुरानी यादें साझा की हैं और कहा कि प्रधानमंत्री के लिए उनका सम्मान तब कई गुना बढ़ गया, जब उन्होंने लोकसभा से इस्तीफा देने की उनकी इच्छा ठुकरा दी. देवेगौड़ा ने उस घटना को याद करते हुए कहा कि उन्होंने 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी को चुनौती दी थी कि अगर भाजपा 276 सीटें जीतकर अपने दम पर सत्ता में आई तो वह लोकसभा से इस्तीफा दे...
क्या एक नेता की परिभाषा यही है कि वो अलग - अलग रैलियों में भाषण दें और विपक्ष पर तीखे हमले करे? क्या व्यक्ति राजनीति में तभी सर्वाइव कर सकता है जब उसे दूसरों को टोपी पहनाना या ये कहें कि तीन का तेरह करना आता हो? क्या सिर्फ निर्णय लेना ही राजनीति है? राजनीति और नेता को लेकर इस तरह के ढेरों सवाल हैं. लेकिन जब हम इन सवालों के परिदृश्य में देश की राजनीति को, उसमें पीएम मोदी को देखते हैं तो मिलता है कि तमाम बातें एक तरफ हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक तरफ हैं. अन्य नेताओं से इतर उनमें ऐसे कई गुण मौजूद हैं. जिनसे वो अपने आलोचकों तक के दिल में जगह बना लेते हैं और फिर वो मौके आ जाते हैं जब उनके आलोचक तक उनकी शान में कसीदे पढ़ने को मजबूर जो जाते हैं. और उनकी नजरों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कद अपने आप ही बढ़ जाता है. उपरोक्त बातों को समझने या उनका अवलोकन करने के लिए कहीं दूर क्या ही जाना. मौजूदा केंद्र सरकार की नीतियों के प्रबल आलोचक देश के पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा का रुख कीजिये जिन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए ऐसा बहुत कुछ कहा है जिसे कांग्रेस आलाकमान, राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी को सुनना चाहिए. बार बार सुनना चाहिए.
पीएम मोदी के विषय में पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा ने कुछ पुरानी यादें साझा की हैं और कहा कि प्रधानमंत्री के लिए उनका सम्मान तब कई गुना बढ़ गया, जब उन्होंने लोकसभा से इस्तीफा देने की उनकी इच्छा ठुकरा दी. देवेगौड़ा ने उस घटना को याद करते हुए कहा कि उन्होंने 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी को चुनौती दी थी कि अगर भाजपा 276 सीटें जीतकर अपने दम पर सत्ता में आई तो वह लोकसभा से इस्तीफा दे देंगे.
पीएम मोदी से जुड़ी उन पुरानी बातों को याद करते हुए देवेगौड़ा ने कहा कि ‘मैंने उनसे कहा था कि अगर आप 276 सीटें जीतते हैं तो मैं इस्तीफा दे दूंगा. आप दूसरों के साथ गठबंधन करके शासन कर सकते हैं, लेकिन आप अपने दम पर 276 सीटें जीतते हैं, तो मैं (लोकसभा से) इस्तीफा दे दूंगा.' चूंकि 2014 में भाजपा ने अपने दम पर जीत हासिल की थी इसलिए देवेगौड़ा भी अपने द्वारा किये गए वादे को पूर्ण करना चाहते थे.
देवेगौड़ा ने उस दौर की बातों का जिक्र करते हुए बताया कि जीत के बाद मोदी ने उन्हें व्यक्तिगत रूप से शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया था. देवेगौड़ा ने कहा कि समारोह समाप्त होने के बाद उन्होंने पीएम मोदी से मिलने का समय मांगा, जिसके लिए वह तैयार हो गए. उन्होंने कहा कि जब उनकी कार संसद के बरामदे में पहुंची तो प्रधानमंत्री मोदी खुद वहां उनका स्वागत करने पहुंचे.
उस समय की बात करते हुए देवेगौड़ा ने कहा कि, मुझे तब घुटने में दर्द था, जो अभी भी है. वह जिस भी तरह के व्यक्ति हों, उस दिन जब मेरी कार वहां पहुंची, मोदी खुद आए, मेरा हाथ पकड़कर मुझे अंदर ले गए. यह व्यवहार उस व्यक्ति के लिए था, जिसने उनका (मोदी) इतना विरोध किया था.'
देवेगौड़ा ने बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के सामने लोकसभा से इस्तीफा देने की इच्छा व्यक्त की.जिसपर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे कहा कि मैं चुनाव के दौरान बोली जाने वाली चीजों को इतनी गंभीरता से क्यों ले रहा हूं. साथ ही तब पीएम मोदी ने देवेगौड़ा से इस बात का भी जिक्र किया था कि जब भी स्थिति उत्पन्न होगी, तो उन्हें मेरे साथ मामलों पर चर्चा करने की आवश्यकता होगी.
देवेगौडा के मुताबिक इसके बाद उन्होंने पीएम मोदी से छह से सात बार मुलाकात की क्योंकि उनके प्रति उनका सम्मान बढ़ गया था. पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने गोधरा की घटना के बाद मोदी का विरोध किया था और उस अवधि के दौरान संसद में दिए गए उनके भाषण उनके दावे की गवाही देते हैं.आज 7 सालों बाद देवेगौड़ा का ये कहना कि मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद उनसे हुई मुलाकात ने उनकी धारणा बदल दी है, कहीं न कहीं कांग्रेस पार्टी और उसमें से भी पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को बड़े संदेश देता है.
आज भले ही देवेगौड़ा अपनी बातों से देश के प्रधानमंत्री पर मेहरबान दिखाई दे रहे हों लेकिन जब हम एक नेता के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देखते हैं तो कई बातें खुद ब खुद साफ हो जाती हैं. मोदी जहां एक तरफ हमें कठोर निर्णय लेते हुए (इसमें कश्मीर से धारा 370 और अनुच्छेद 35 ए रद्द करने को देखा जा सकता है.) दिखाई देते हैं. तो वो एक ऐसी शख्सियत भी हैं जिन्हें न केवल अपने गलत निर्णयों का एहसास होता है बल्कि वो इसके लिए सार्वजनिक माफी भी मांगते हैं. (मौजूदा वक्त में कृषि बिल के मद्देनजर पीएम का देश की जनता विशेषकर किसानों से माफी मांगना)
बहरहाल बात यहां सिर्फ देश के पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा तक सीमित नहीं है. पत्रकारों से लेकर ब्यूरोक्रेसी से जुड़े लोग और खुद उद्योगपति तक इस बात को लेकर एकमत हैं कि पीएम मोदी का यही साधारण व्यक्तित्व ही वो कारण है जो न चाहते हुए भी आलोचकों तक को उनकी तारीफ करने पर मजबूर कर देता है.
खैर, जिक्र इन बातों के बीच कांग्रेस आलाकमान, राहुल गांधी का हुआ है तो उन्हें ये समझना होगा कि जनाधार न तो डर से उत्पन्न होता है न ही तुगलकी फरमानों से इसके लिए आदमी को नरेंद्र मोदी की तरह न केवल जमीनी होना होता है बल्कि कमाना पड़ता है.
कांग्रेस पार्टी की नजरों में पीएम मोदी का क्या कद है दुनिया इसे जानती हैं लेकिन असली सच्चाई यही है कि छोटी छोटी बातों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने को साबित किया है और हाल में गुजरे पद्म अवार्ड इस बात की बानगी भर हैं. ध्यान रहे सरकार की तरफ से ऐसे तमाम लोगों को पद्म पुरस्कारों से नवाजा गया है जिनके विषय में कांग्रेस पार्टी शायद ही कभी सोच पाती.
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