जो एक ट्वीट करने से पहले कुछ नहीं सोचते, वो राजनीतिक फैसले लेने से पहले कितना सोचते होंगे? यहां बात हो रही है दिग्विजय सिंह की. हाल ही में उन्होंने पाकिस्तान के एक पुल की तस्वीर ट्विटर पर साझा की और शिवराज सिंह चौहान पर निशाना साधा. देखते ही देखते उनका यह पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. जब पड़ताल की गई तो पता चला कि वो पुल मध्य प्रदेश के भोपाल का नहीं, बल्कि पाकिस्तान के रावलपिंडी का है. सवाल ये है कि आखिर ये नेता कुछ शेयर करने से पहले उसकी सत्यता की जांच क्यों नहीं करते हैं? क्या सोशल मीडिया के जमाने में भी ये लोग महज बयानबाजी करने भर से चुनाव जीतने की सोच रहे हैं?
पड़ोस के पुल की खबर नहीं और दावा करते हैं जनता के दुख-दर्द जानने का.
ये ट्वीट किया था दिग्विजय सिंह ने
दिग्विजय सिंह ने एक पुल की तस्वीर ट्विटर पर डालते हुए लिखा कि यह पिलर भोपाल में सुभाष नगर रेल फाटक पर निर्माणाधीन रेल पुल का है. पिलर पर दरारों से उसकी गुणवत्ता पर सवाल उठते हैं. मैं उम्मीद करता हूं कि जो वाराणसी में हुआ वह यहां नहीं होगा. हालांकि, कुछ ही देर बाद ये बात सामने आ गई कि ये पुल मध्य प्रदेश का नहीं, बल्कि पाकिस्तान के रावलपिंडी का है. इसके बाद दिग्विजय सिंह ने माफी भी मांगी और कहा कि उनके किसी दोस्त ने ये उन्हें भेजा था और बिना फैक्ट्स की जांच किए उन्होंने इसे शेयर कर दिया. यानी पहले तो सीना ठोंक के दावा कर दिया, लेकिन जब सच सामने आया तो फजीहत हो गई.
दिग्विजय ने गलती मानते हुए माफी तो मांग ली, लेकिन शिवराज सिंह ने विपक्ष पर निशाना साधने का मौका नहीं छोड़ा. उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा- 'पता नहीं इनको ऐसा क्यों लगा कि मध्यप्रदेश में आज भी उनके ज़माने जैसी धांधलियां होती होंगी! यह वह हैं जो ज़मीन पर तो छोड़िए, अपने ट्विटर हैंडल पर भी पुल ठीक से नहीं बना पाए.'
दिग्विजय के लिए तो सबसे शर्म की बात ये है
दिग्विजय सिंह ने भले ही गलत ट्वीट करने को लेकर माफी मांग ली है, लेकिन उन्हें अपनी इस गलती के लिए जितनी शर्म आए, उतनी कम है. जिस सुभाष नगर के पुल की बात दिग्विजय सिंह कर रहे हैं, वह उनके भोपाल वाले घर से महज 7 किलोमीटर दूर है. भोपाल में दिग्विजय श्यामला हिल्स में रहते हैं. अगर उन्हें वाकई में शिवराज सिंह चौहान पर निशाना साधना था तो उन्हें सुभाष नगर जाना चाहिए था और सत्यता की जांच करनी चाहिए थी. अगर वह तस्वीर सच भी होती तो वहां से दिग्विजय एक पूरा वीडियो बनाकर पोस्ट कर सकते थे और साथ ही लोगों की प्रतिक्रिया भी ले सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा करने की जहमत नहीं उठाई. जहमत न उठाने का ही नतीजा है कि अब उनकी फजीहत हो रही है. अब आप ही सोचिए, जिसे अपने घर के पड़ोस में क्या हो रहा है ये ही नहीं पता, उसे जनता के दुख-दर्द के बारे में क्या पता होगा.
दिग्विजय सिंह के घर से सुभाष नगर के पुल की दूरी महज 7 किलोमीटर है.
ये पुल पहले भी ट्विटर पर घूम चुका है...
जिस पुल की बात दिग्विजय सिंह ने इस बार की है, वो पुल करीब दो साल पहले से ही इंटरनेट पर घूम रहा है. पाकिस्तानी पत्रकार अदील राजा ने भी इसकी तस्वीर 25 फरवरी 2016 को अपने ट्विटर पर शेयर की थी. My Pakistan नाम के फेसबुक पेज पर 24 फरवरी 2016 को रावलपिंडी के इस पुल में खराबी की खबर पोस्ट की गई थी. इसके कुछ समय बाद @Iamshivachari ट्विटर अकाउंट से इस पुल के हैदराबाद का होने का दावा किया गया था, जिसे बाद में तेंलगाना के मंत्री केटीआर ने गलत बताते हुए My Pakistan की खबर का लिंक शेयर किया था. अब ये तस्वीर घूमते-घूमते दिग्विजय सिंह के पास आ पहुंची है.
इस पुल की तस्वीर ने एक बात तो साफ कर दी है कि भले ही कोई आम आदमी हो या फिर एक बड़ा नेता, सभी सोशल मीडिया पर आई तस्वीरों को बिना फैक्ट चेक के ही आगे बढ़ा देते हैं. दिग्विजय से पहले जिसने इसे शेयर किया था वह तो एक आम आदमी का काम था, इसलिए कोई खास फर्क नहीं पड़ा. लेकिन दिग्विजय की इस गलती को विपक्ष हर मौके पर भुनाएगा और दिग्विजय को भी हर मौके पर सफाई देनी पड़ेगी. आखिर पड़ोस में बने पुल को लेकर सरकार पर इस तरह से सवाल उठा देना मामूली बात तो है नहीं.
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