यूपी में पांच चरणों में चुनाव हो चुके हैं. बस कुछ दिन और चुनावी रण खत्म हो जाएगा और यूपी को अपना अगला मुख्यमंत्री मिल जाएगा. यूपी की डोर भाजपा, सपा कांग्रेस बसपा में से किसके हाथ लगती है? इस सवाल का जवाब तो वक्त देगा लेकिन जो यूपी का वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य है लड़ाई सपा बनाम भाजपा ही है और मुख्यमंत्री भी इन्हीं दोनों दलों में से किसी एक का होगा. योगी आदित्यनाथ जहां विकास के, लॉ एंड ऑर्डर के, सुशासन के मुद्दे पर चुनाव लड़ रहे हैं तो वहीं अखिलेश ने बेरोजगारी को, भर्ती को, पेंशन और किसानों को मुद्दा बनाया है. भले ही चुनाव से पहले तक अखिलेश सुप्त पड़े हों लेकिन जैसी तेजी उन्होंने चुनाव अरंभ होते होते दिखाई माना यही जा रहा है 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में सपा इतिहास लिख सकती है? तो क्या ऐसा होगा? या फिर ये कि क्या ऐसा हो सकता है? जवाब हमें तब मिलता है जब हम अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव की बातें सुनते हैं और उनके उस बयान का अवलोकन करते हैं जिसमें उन्होंने सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ के कपड़ों पर हमला कर करोड़ों हिंदुओं की भावनाओं को आहत किया है. डिंपल के बयान पर योगी आदित्यनाथ ने भले ही मुंह तोड़ जवाब दे दिया हो लेकिन ये कहना भी गलत नहीं है कि इस चुनावी रण में योगी आदित्यनाथ के कपड़ों के रंग पर टिप्पणी कर डिंपल यादव ने अखिलेश यादव की अब तक सारी मेहनत पर मट्ठा डाल दिया है.
बात बीते दिनों की है. समाजवादी पार्टी की पूर्व सांसद डिंपल यादव ने सीएम योगी पर पर हमला बोलते हुए कहा था कि लोहे में जब जंग लगता है, उसका रंग कैसा होता है? इंजन तो लोहे का होता है, लेकिन लोहे पर जो रंग लगता है उसी रंग का कपड़ा हमारे मुख्यमंत्री पहनते हैं.
यूपी में पांच चरणों में चुनाव हो चुके हैं. बस कुछ दिन और चुनावी रण खत्म हो जाएगा और यूपी को अपना अगला मुख्यमंत्री मिल जाएगा. यूपी की डोर भाजपा, सपा कांग्रेस बसपा में से किसके हाथ लगती है? इस सवाल का जवाब तो वक्त देगा लेकिन जो यूपी का वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य है लड़ाई सपा बनाम भाजपा ही है और मुख्यमंत्री भी इन्हीं दोनों दलों में से किसी एक का होगा. योगी आदित्यनाथ जहां विकास के, लॉ एंड ऑर्डर के, सुशासन के मुद्दे पर चुनाव लड़ रहे हैं तो वहीं अखिलेश ने बेरोजगारी को, भर्ती को, पेंशन और किसानों को मुद्दा बनाया है. भले ही चुनाव से पहले तक अखिलेश सुप्त पड़े हों लेकिन जैसी तेजी उन्होंने चुनाव अरंभ होते होते दिखाई माना यही जा रहा है 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में सपा इतिहास लिख सकती है? तो क्या ऐसा होगा? या फिर ये कि क्या ऐसा हो सकता है? जवाब हमें तब मिलता है जब हम अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव की बातें सुनते हैं और उनके उस बयान का अवलोकन करते हैं जिसमें उन्होंने सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ के कपड़ों पर हमला कर करोड़ों हिंदुओं की भावनाओं को आहत किया है. डिंपल के बयान पर योगी आदित्यनाथ ने भले ही मुंह तोड़ जवाब दे दिया हो लेकिन ये कहना भी गलत नहीं है कि इस चुनावी रण में योगी आदित्यनाथ के कपड़ों के रंग पर टिप्पणी कर डिंपल यादव ने अखिलेश यादव की अब तक सारी मेहनत पर मट्ठा डाल दिया है.
बात बीते दिनों की है. समाजवादी पार्टी की पूर्व सांसद डिंपल यादव ने सीएम योगी पर पर हमला बोलते हुए कहा था कि लोहे में जब जंग लगता है, उसका रंग कैसा होता है? इंजन तो लोहे का होता है, लेकिन लोहे पर जो रंग लगता है उसी रंग का कपड़ा हमारे मुख्यमंत्री पहनते हैं.
कहने और बताने को तो डिंपल यादव द्वारा कही ये बात आरोप प्रत्यारोप के तरकश से निकला तीर था. लेकिन बात चूंकि कहीं न कहीं आस्था और विश्वास से जुड़ी हुई थी इसलिए भाजपा के खेमे को ये बात नश्तर की तरह चुभी. कोई और मोर्चा ले उससे पहले ही सूबे के वर्तमान मुखिया योगी आदित्यनाथ फ्रंटफुट पर आए हैं और बैटिंग की है.
दरअसल एक इंटरव्यू में भी पत्रकार ने डिंपल की इसी बात को आधार देकर योगी आदित्यनाथ से सवाल किया. पत्रकार ने पूछा कि डिंपल यादव ने कहा कि लोहे पर जब जंग लग जाता है तो उसका रंग ठीक वैसे ही होता है जिस रंग के आप कपड़े पहनते हैं.
पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए सीएम योगी ने कहा कि 'भगवा, भारत की सनातन धर्म की परम्परा और ऊर्जा का प्रतीक है. भारत की अध्यात्मिक चेतना का प्रतीक है. अगर उन्हें इसके बारे में जानकारी होती तो संभवतः भारत की संत परम्परा के प्रति सम्मान का भाव होता.'
योगी आदित्यनाथ इतने पर ही रुक जाते तो भी ठीक था. डिंपल के साथ साथ अखिलेश और समाजवादी पार्टी पर बड़ा हमला करते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा कि,'मौलवियों के दरबार में नाक रगड़ने वाले लोग इसकी कीमत नहीं समझ पाएंगे. इस पर संस्कार और संगत का असर पड़ता है.'
अखिलेश को आड़े हाथों लेते हुए योगी ने ये तक कह डाला कि जब दो फेज के चुनाव हो चुके तो एक सलाहकार ने उन्हें बताया कि बस 10 सीटें आ रही हैं तो उन्होंने कहा कि एक जीरो और बढ़ा दो. सलाहकार ने पूछा कि जीरो आगे बढ़ाऊं या पीछे? वहीं योगी आदित्यनाथ ने इस बात पर भी बल दिया कि 2019 की तर्ज पर सपा एक बार फिर बुरी तरह हार रही है और कई सीटों पर तो जमानत भी जब्त होने वाली है.
बकौल योगी सपा की जमानत जब्त होती है या फीर वो इतिहास रचने में कामयाब होती है? इसका फ़ैसला जनता और वक्त करेगा लेकिन कपड़ों के मद्देनजर जैसी डिंपल यादव की बातें हैं वो कहीं न कहीं हिंदू धर्म और एक योगी को टारगेट कर रही हैं.
डिंपल अगर भूल गईं हैं तो उनको याद दिलाना जरूरी हो जाता है कि खेल जब धर्म के अंतर्गत हो तो उन्हें इस बात को गांठ बांध लेना चाहिए कि योगी आदित्यनाथ इस खेल के एक माहिर खिलाड़ी हैं और उन्हें हिसाब लेना बखूबी आता है. ध्यान रहे कपड़ों के तहत कही गयी डिंपल यादव की बात अभी इतनी जल्दी खत्म नहीं होगी.
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