भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व कप्तान बाइचुंग भूटिया ने ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस (एआईटीएमसी) से अपना नाता तोड़ लिया है. उन्होंने अपने फैसले को ट्विटर के माध्यम से साझा किया है. बाईचुंग ने अपने ट्वीट में लिखा कि "आज से मैं ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस पार्टी की सदस्यता और सभी आधिकारिक और राजनैतिक पदों से इस्तीफा दे रहा हूं. मैं देश में फिलहाल किसी पार्टी का ना तो सदस्य हूं और ना ही किसी पार्टी से जुड़ा हूं".
उनके इस फैसले के बाद अभी तक तृणमूल कांग्रेस की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है. ऐसा माना जा रहा है कि ऐसे वक़्त में जब ममता केंद्र सरकार के खिलाफ विपक्ष को मजबूत करना चाहती हैं वैसे में खुद उनकी पार्टी से ही बाइचुंग जैसे चेहरे का साथ छोड़ना निराशाजनक है.
बाइचुंग ने इस फैसले के पीछे की वजह का जिक्र नहीं किया है और इसके बाद वो किसी पार्टी में जायेंगे की नहीं उसके बारे में भी फ़िलहाल नहीं बताया है. लेकिन ऐसा माना जा रहा था कि वो इस तरह का फैसला ले सकते हैं क्योंकि गोरखालैंड पर उनके और उनकी पार्टी के स्टैंड में अंतर है जो पिछले साल के अलग गोरखालैंड की मांग को लेकर हुए विवाद के वक़्त सामने आया था. कयास ये भी लगाया जा रहा है कि वो आगे चलकर बीजेपी ज्वाइन कर सकते हैं. बता दें कि बाइचुंग का गृहराज्य सिक्किम है और अभी हाल ही में ममता ने सिक्किम पर गोरखालैंड में उपद्रव को बल देने का आरोप लगाया था. बीजेपी सिक्किम में अपनी पकड़ और मजबूत करना चाहेगी. वैसे ये मात्र कयास ही हो सकते हैं.
बाइचुंग के फैसले के तुरंत बाद केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरन रिजिजू ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया कि "दिग्गज फुटबॉल खिलाड़ी और पूर्व...
भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व कप्तान बाइचुंग भूटिया ने ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस (एआईटीएमसी) से अपना नाता तोड़ लिया है. उन्होंने अपने फैसले को ट्विटर के माध्यम से साझा किया है. बाईचुंग ने अपने ट्वीट में लिखा कि "आज से मैं ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस पार्टी की सदस्यता और सभी आधिकारिक और राजनैतिक पदों से इस्तीफा दे रहा हूं. मैं देश में फिलहाल किसी पार्टी का ना तो सदस्य हूं और ना ही किसी पार्टी से जुड़ा हूं".
उनके इस फैसले के बाद अभी तक तृणमूल कांग्रेस की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है. ऐसा माना जा रहा है कि ऐसे वक़्त में जब ममता केंद्र सरकार के खिलाफ विपक्ष को मजबूत करना चाहती हैं वैसे में खुद उनकी पार्टी से ही बाइचुंग जैसे चेहरे का साथ छोड़ना निराशाजनक है.
बाइचुंग ने इस फैसले के पीछे की वजह का जिक्र नहीं किया है और इसके बाद वो किसी पार्टी में जायेंगे की नहीं उसके बारे में भी फ़िलहाल नहीं बताया है. लेकिन ऐसा माना जा रहा था कि वो इस तरह का फैसला ले सकते हैं क्योंकि गोरखालैंड पर उनके और उनकी पार्टी के स्टैंड में अंतर है जो पिछले साल के अलग गोरखालैंड की मांग को लेकर हुए विवाद के वक़्त सामने आया था. कयास ये भी लगाया जा रहा है कि वो आगे चलकर बीजेपी ज्वाइन कर सकते हैं. बता दें कि बाइचुंग का गृहराज्य सिक्किम है और अभी हाल ही में ममता ने सिक्किम पर गोरखालैंड में उपद्रव को बल देने का आरोप लगाया था. बीजेपी सिक्किम में अपनी पकड़ और मजबूत करना चाहेगी. वैसे ये मात्र कयास ही हो सकते हैं.
बाइचुंग के फैसले के तुरंत बाद केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरन रिजिजू ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया कि "दिग्गज फुटबॉल खिलाड़ी और पूर्व भारतीय कप्तान का टीएमसी से इस्तीफा देना एक्सपेक्टेड था. उन्होंने मुझे बताया था कि वो ममता बनर्जी का बहुत सम्मान करते हैं लेकिन परिस्थिति से सामना नहीं कर पा रहे थे. वो फुटबॉल और सिक्किम के लिए बहुत कुछ करना चाहते हैं. बाइचुंग को भविष्य में उनके प्रयासों के लिए शुभकामनायें".
बाइचुंग ने साल 2011 में फुटबॉल से सन्यास ले लिया था और 2 साल बाद 2013 में टीएमसी पार्टी में शामिल हो गए थे. उन्होंने 2014 में टीएमसी के टिकट पर दार्जीलिंग लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिल पायी थी. बीजेपी के एसएस अहलुवालिया ने यहाँ से चुनाव जीता था. इसके बाद उन्होंने 2016 में राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में भी अपनी किस्मत आजमाई थी लेकिन खेल के मैदान में गोल दागने वाले बाइचुंग इस बार भी चूक गए. राज्य में ममता की लहर के बावजूद उन्हें सिलिगुड़ी सीट से हार का सामना करना पड़ा. इस सीट से सीपीएम के उम्मीदवार ने जीत दर्ज की थी.
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