पाकिस्तान और उसकी न्यूक्लियर मिसाइल के बारे में जब भी बातें होती हैं तो पूरी दुनिया के कान खड़े हो जाते हैं. न्यूक्लियर ताकतों वाला सबसे अस्थिर देश आखिर पाकिस्तान ही है. पर बीबीसी के एक इंटरव्यू में पाकिस्तान को लेकर एक ऐसी बात कही जो न सिर्फ चिंता का कारण बन गई है बल्कि उसका मजाक भी उड़ाया जा रहा है. बीबीसी टीवी ने हाल ही में इमरान खान का एक इंटरव्यू लिया जो सिर्फ कुछ मिनटों का ही था. हिंदुस्तान के लोकसभा इलेक्शन से पहले इमरान खान इमरान खान भारत को ये संदेश देना चाहते थे कि भारत-पाकिस्तान की दुश्मनी की समस्या सिर्फ बात-चीत से ही हल हो सकती है.
इमरान खान का ये इंटरव्यू वैसे तो कश्मीर और पाकिस्तान की ईशनिंदा समस्या के ऊपर था, लेकिन इंटरव्यू खत्म होते-होते बीबीसी के जॉन सिम्पसन ने एक ऐसी बात कह दी जो चौंका सकती है. इंटरव्यू खत्म होते ही जॉन ने कहा कि, 'मुझे बताया गया है कि पाकिस्तानी पीएम के साथ जो ब्रीफकेस चलता है उसमें न्यूक्लियर कोड्स होते हैं.'
इसके तुरंत बाद एक ब्रीफकेस दिखाया गया जिसे लेकर इमरान खान के साथ एक इंसान जा रहा था जो शायद उनका सुरक्षा गार्ड था.
इस वीडियो में जॉन की ये बात कई लोगों को चुभ गई और सोशल मीडिया पर इसका खंडन करने वालों की बाढ़ सी आ गई.
असल में जो ब्रीफकेस दिखाया गया है वो बैलिस्टिक बुलेट प्रूफ कवर है जो वीवीआईपी और प्रधानमंत्रियों को दिया जाता है. ऐसा ही ब्रीफकेस लिए पीएम मोदी के साथ भी लोग चलते हैं. ये NIJ (National Institute for Justice) स्टैंडर्ड 3 प्रोटेक्शन देता है जो बेहद सराहनीय है. साथ ही इस ब्रीफकेस में एक जगह भी होती है जहां सुरक्षा के आधार पर हथियार छुपाए जा सकते हैं.
ये सूटकेस लगभग हर देश के प्रधानमंत्री के पास है.
इस डिबेट में सूटकेस के बारे में जानकारी तो मिल गई, लेकिन अभी भी कुछ सवाल हैं जिनका जवाब नहीं मिला जैसे-
1. क्या वाकई जॉन इसी सूटकेस की बात कर रहे थे या फिर किसी और सूटकेस की जो कैमरे में दिखाया नहीं गया है?
2. क्या वाकई इमरान खान के पास न्यूक्लियर कोड इतनी आसानी से रहते हैं? अगर रहते हैं तो जॉन ने ये जानकारी सार्वजनिक करके बहुत बड़ी गलती की है क्योंकि पाकिस्तान जैसे देश में प्रधानमंत्री की सुरक्षा में सेंध लगाना मुश्किल नहीं है और न्यूक्लियर कोड्स की बात सार्वजनिक करना भी सही नहीं.
3. जॉन को ये बताने वाले कौन लोग हैं जो कहते हैं इमरान खान के साथ न्यूक्लियर कोड चलते हैं?
4. अंतत: क्या पाकिस्तानी इतने बेवकूफ हैं कि अपने प्रधानमंत्री और न्यूक्लियर कोड की जानकारी अंतरराष्ट्रीय टीवी पर देंगे?
इन सवालों का जवाब शायद ऐसे न मिले, लेकिन पाकिस्तान का एक टीवी शो शायद इसे साफ कर पाए. पाकिस्तानी व्यंग्य टीवी शो Loose Talk में एक एपिसोड एटम बम के बारे में बात की गई है और इसे इतने व्यंगात्मक तरीके से बताया है कि साफ जाहिर होता है कि पाकिस्तान में हर बात पर ये बताना जरूरी समझा जाता है कि उनके पास एटम बम है.
जी हां, खुद ही सुन लीजिए. वैसे अगर आपको याद हो तो पुलवामा आतंकी हमले के बाद से पाकिस्तानी रेल मंत्री से लेकर पाकिस्तान के तौबा-तौबा रिपोर्टर तक सभी ने ये बात कही है कि हिंदुस्तान पर एटम बम से हमला किया जाएगा. किसी ने सीधे तौर पर धमकी दी है तो किसी ने घुमाकर, लेकिन एटम बम हमारे पास भी है ये बात जरूर कह दी है. यहां तक कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान भी जब बात करते हैं तो हर इंटरव्यू में ये जरूर सामने आता है कि पाकिस्तान के पास न्यूक्लियर पावर है.
अब याद कीजिए भारत के किस नेता, अभिनेता, रिपोर्टर ने आखिरी बार पाकिस्तान को एटम बम से खत्म करने की बात कही है? पाकिस्तानी मानसिकता को इसके लिए दोषी माना जा सकता है कि वहां लोगों के दिमाग में ये बात घर कर गई है कि उनके पास एटम बम है जिन्हें सजाने के लिए नहीं रखा गया बल्कि उन्हें तो हिंदुस्तान पर हमला करने के लिए रखा गया है.
क्योंकि हिंदुस्तान को मैसेज देने के लिए इमरान खान ने तीन मिनट का छोटा सा इंटरव्यू किया था इसलिए ऐसा मुमकिन है कि न्यूक्लियर कोड वाली बात जबरन ही किसी पाकिस्तानी ने जॉन सिम्पसन को बता दी हो.
खुद पाकिस्तानी रिपोर्टर भी इस बात के लिए चिंता जता रहे हैं कि ऐसी फालतू बात आखिर प्रधानमंत्री की टीम वालों ने कही ही क्यों? अब इसे अपने मुंह मिया मिट्ठू बनना कह सकते हैं.
हर बात पर न्यूक्लियर बम की बात बीच में लाने वाले पाकिस्तान से आखिर उम्मीद भी क्या की जा सकती है? जो भी हो इस बात से पाकिस्तान की किरकिरी जरूर हो गई है. और मैं बता दूं कि किसी भी देश पर न्यूक्लियर हमला करना इतना आसान भी नहीं है कि प्रधानमंत्री अपने साथ न्यूक्लियर कोड लेकर चले जाएं और जब मन में आए हमला कर दें. उसके लिए तय प्रोटोकॉल फॉलो करना पड़ता है और बाकायदा देश की सुरक्षा टीमों से सलाह मशवहरे के बाद ऐसा होता है. न्यूक्लियर कोड डालना एक बात है और बम से हमला करना दूसरी बात है. कम से कम चार-पांच अलग-अलग प्रोटोकॉल फॉलो करने के बाद न्यूक्लियर हमला हो सकता है. ऐसे में पाकिस्तानी सोच को क्या कहा जाए जो उन्होंने अंतरराष्ट्रीय इंटरव्यू में ऐसी बात कह दी.
ये भी पढ़ें-
मोदी के मुरीद नहीं बने, इमरान खान कांग्रेस के बचाव में उतरे हैं!
इमरान खान के अचानक 'चौकीदार' बन जाने के मायने...
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.