हिंदुस्तान की सियासत गर्म है. कारण हैं कश्मीर. और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप. ट्रंप ने कश्मीर समस्या को लेकर एक बड़ा बयान दिया है. ट्रंप का बयान ऐसा है जिसके बाद भारतीय संसद में आरोप प्रत्यारोप की राजनीति तेज हो गई है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कश्मीर मामले को लेकर दावा किया है कि भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी ने कश्मीर मुद्दे को सुलझाने में अमेरिका की मदद मांगी थी. ट्रंप ने ये बातें वाशिंगटन डीसी में कहीं जहां वो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से मुलकात कर रहे थे. ट्रंप के दावे को भारत ने खारिज किया है. भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्वीट करते हुए कहा है कि, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से ऐसा कोई अनुरोध नहीं किया है. कश्मीर मामले में भारत अपने रुख पर अडिग है.' वहीं कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी मामले को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोला है. राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में लिखा है कि, 'राष्ट्रपति ट्रंप का कहना है कि पीएम मोदी ने उनसे कश्मीर पर भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता करने को कहा है! अगर ये सही है, तो पीएम मोदी ने भारत के हितों और 1972 के शिमला समझौते के साथ धोखा किया है. एक कमजोर विदेश मंत्रालय का खंडन ही काफी नहीं है. पीएम को राष्ट्र को बताना चाहिए कि ट्रंप और उनके बीच बैठक में क्या हुआ था.
एक ऐसे वक़्त में जब कश्मीर को लेकर स्थिति ठीक है. सवाल उठता है कि आखिर ऐसा क्या हुआ जिसके मद्देनजर ट्रंप को कश्मीर को हथियार बनाना पड़ा और झूठ बोलना पड़ा ? कुछ और बात करने से पहले हमारे लिए उन बिन्दुओं पर चर्चा कर लेना बहुत जरूरी है जो हमें...
हिंदुस्तान की सियासत गर्म है. कारण हैं कश्मीर. और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप. ट्रंप ने कश्मीर समस्या को लेकर एक बड़ा बयान दिया है. ट्रंप का बयान ऐसा है जिसके बाद भारतीय संसद में आरोप प्रत्यारोप की राजनीति तेज हो गई है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कश्मीर मामले को लेकर दावा किया है कि भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी ने कश्मीर मुद्दे को सुलझाने में अमेरिका की मदद मांगी थी. ट्रंप ने ये बातें वाशिंगटन डीसी में कहीं जहां वो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से मुलकात कर रहे थे. ट्रंप के दावे को भारत ने खारिज किया है. भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्वीट करते हुए कहा है कि, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से ऐसा कोई अनुरोध नहीं किया है. कश्मीर मामले में भारत अपने रुख पर अडिग है.' वहीं कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी मामले को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोला है. राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में लिखा है कि, 'राष्ट्रपति ट्रंप का कहना है कि पीएम मोदी ने उनसे कश्मीर पर भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता करने को कहा है! अगर ये सही है, तो पीएम मोदी ने भारत के हितों और 1972 के शिमला समझौते के साथ धोखा किया है. एक कमजोर विदेश मंत्रालय का खंडन ही काफी नहीं है. पीएम को राष्ट्र को बताना चाहिए कि ट्रंप और उनके बीच बैठक में क्या हुआ था.
एक ऐसे वक़्त में जब कश्मीर को लेकर स्थिति ठीक है. सवाल उठता है कि आखिर ऐसा क्या हुआ जिसके मद्देनजर ट्रंप को कश्मीर को हथियार बनाना पड़ा और झूठ बोलना पड़ा ? कुछ और बात करने से पहले हमारे लिए उन बिन्दुओं पर चर्चा कर लेना बहुत जरूरी है जो हमें ये बताएंगे कि आखिर ट्रंप ने कश्मीर मामले में मध्यस्थता का बयान क्यों दिया.
1. वो ट्रंप हैं, कुछ भी कह सकते हैं
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ जो मुलाकात डोनाल्ड ट्रंप की हुई है. यदि उस मुलाकात का अवलोकन किया जाए तो मिलता है कि ट्रंप ने कश्मीर की समस्या पर मध्यस्थता की बात तो की है. मगर वो ये नहीं जानते कि आखिर ये समस्या क्या है. ट्रंप कश्मीर के लिए कितना गंभीर है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अपनी पत्रकार वार्ता में उन्होंने इस बात का जिक्र किया कि कश्मीर एक सुन्दर नाम है इसलिए इस समस्या का अंत हो जाना चाहिए.
यानी बात अपने आप साफ हो गई है कि वो ट्रंप हैं कुछ भी कर सकते हैं. कुछ भी बोल सकते हैं. ये कोई पहली बार नहीं है जब ट्रंप ने इस तरह की बातें की हैं. इससे पहले भी तमाम मौके आए हैं जब उन्होंने भूटान, नेपाल, मेक्सिको, फेक-न्यूज़ पर बयान दिया और जब उन बयानों को लेकर उन्हें घेरा गया तो उन्होंने यू-टर्न ले लिया. कोई बड़ी बात नहीं आलोचना होने के बाद ट्रंप कल कश्मीर मसले पर अपना रुख बदल लें.
2. रूस से भारत के रिश्ते ट्रंप को खटकते हैं
अमेरिका अपने को विश्वशक्ति मानता है. ऐसे में जो रिश्ते भारत के रूस के साथ स्थापित हुए हैं उसे इस बयान के पीछे की एक बड़ी वजह माना जा रहा है. ध्यान रहे कि वर्तमान में भारत और रूस कई ऐसी डील्स कर रहे हैं जो रक्षा के लिहाज से खासी अहम हैं. जिसमें खासतौर से फ्रिगेट्स, हमला करने वाली पनडुब्बियां, वायु रक्षा प्रणाली शामिल हैं.
दिलचस्प बात ये हैं कि रूस के साथ हुई इन डील्स में खुद को सुपर पावर कहने वाले अमेरिका की कोई भूमिका नहीं है. जिससे उसे कहीं न कहीं गहरा आघात हुआ है. ज्ञात हो कि मार्च, 2019 में भारत ने अकुला वर्ग की परमाणु पनडुब्बी (एसएसएन) पट्टे पर लेने के लिए रूस के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किया था.
माना जा रहा है कि यह परमाणु पनडुब्बी 2025 में भारतीय नौसेना में शामिल हो जाएगी. इससे पहले भारत ने 2012 में मॉस्को से अकुला वर्ग की परमाणु पनडुब्बी एसएसबीएन पट्टे पर ली थी. समझौते को लेकर अमेरिका खफा था और उसने इसपर गहरी चिंता व्यक्त की थी. ज्ञात ही कि वाशिंगटन ने भारत के रक्षा बाजार में महत्वपूर्ण पैठ बनाई थी और रूस की दखलंदाजी के बाद इसका सीधा नुकसान अमेरिका को हुआ है.
3. भारत के साथ टैरिफ वॉर
भारत और अमेरिका बीते कुछ समय से टैरिफ वॉर का सामना कर रहे हैं. हाल ही में अमेरिका से आयात किए जाने वाले सामानों पर भारत द्वारा सीमा शुल्क बढ़ाये जाने पर ट्रंप ने भारत के खिलाफ तल्ख टिप्पणी की थी. ट्रंप ने कहा था कि उन्हें ये टैरिफ स्वीकार्य नहीं हैं. साथ ही उन्होंने ये भी कहा था कि अमेरिका को अब इसके खिलाफ खड़ा होने की जरूरत है.
ध्यान रहे कि ट्रंप ने जापान में आयोजित जी-20 सम्मेलन से पहले भी टैरिफ वॉर को लेकर भारत के खिलाफ मोर्चा खोला था और कहा था कि भारत लगातार अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ बढ़ा रहा है. जी-20 सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात से पहले भी ट्रंप ने इसी बात को दोहराया था और कहा था कि, 'मैं भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात करने जा रहा हूं. भारत सालों तक अमेरिकी सामानों पर ज्यादा सीमा शुल्क लगाता आ रहा है, हाल ही में भारत ने इसमें और बढ़ोतरी कर दी है, ये स्वीकार्य नहीं है, इन्हें वापस लेना ही पड़ेगा.
4. अमेरिका के राष्ट्रपति को चौधराहट की खुजली होती है
हम ट्रंप के विषय पर काफी बातें कर चुके हैं और जैसे उन्होंने इस बार इमरान खान के साथ हुई बातचीत में कश्मीर मुद्दे का जिक्र किया है साफ हो गया है कि उन्हें चौधरी बनने की खुजली है. पिछले कुछ दशकों में जैसा अलग अलग चीजों को लेकर अमेरिका का रुख रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति को लगता है कि वो किसी भी मुद्दे पर टांग अड़ाकर अपनी चौधराहट का परिचय दे सकता है.
क्योंकि इस बार मुद्दा कश्मीर रहा है तो हमारे लिए भी ये कहना कहीं से गलत नहीं है कश्मीर मुद्दे पर चौधरी बन अपनी चौधराहट दिखाने वाले ट्रंप पहले कश्मीर की समस्या समझते फिर उसपर अपना फैसला सुनाते. जिस तरह इस बार उन्होंने बिना कुछ जाने समझे बयान दिया है वो उन्हें और कुछ नहीं बस दुनिया के सामने हंसी का पात्र बनाता है.
5. ट्रंप की कश्मीर को लेकर गलतफहमी
कश्मीर मामले पर बेतुका बयान देने वाले ट्रंप शायद एक बड़ी ग़लतफ़हमी का शिकार हैं. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि भारतीय प्रधानमंत्री मोदी लगातार अलग लाग मंचों से पाक प्रायोजित आतंकवाद का जिक्र कर रहे हैं और कह रहे हैं कि भारत के रिश्ते पाकिस्तान के साथ तब तक अच्छे नहीं हो सकते जब तक इसकी रोकथाम नहीं करता. जैसा ट्रंप का स्वाभाव है शयद उन्होंने इसे कश्मीर समस्या समझ लिया और ऐसा बहुत कुछ कह दिया जिसकी वजह से भारत में देश के प्रधानमंत्री के आलोचकों को उनकी आलोचना का मौका मिला गया.
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