अमेरिका के 35 बड़े शहर, जिन्हें किसी भी परिभाषा से देखें तो स्मार्ट सिटी ही कहे जाएंगे. न्यूयार्क, लॉस एंजिलेस, शिकागो, वॉशिंगटन और बॉस्टन जैसी स्मार्ट सिटीज. सभी के सभी कॉस्मोपॉलिटेन. किसी भी नागरिकता के लोग यहां आसानी से दिखते हैं. इन 35 में से 31 शहरों ने अपने लिए बतौर राष्ट्रपति डेमोक्रैटिक कैंडिडेट हिलेरी क्लिंटन को अपनी पसंद बनाया. लेकिन इस शहरों से दूर हजारों कस्बों और छोटे शहरों की पहली पसंद सिर्फ और सिर्फ डोनाल्ड ट्रंप रहे.
अमेरिकी चुनाव में शहरवार आए इस आंकड़े से एक बात साफ है कि असली अमेरिका इन कॉस्मोपॉलिटन शहरों में नहीं बसता. ये कॉस्मोपॉलिटन है तो जाहिर है दुनियाभर के लोग यहां होंगे ही. यहां उस मेल्टिंग पॉट वाला अमेरिका बसता है जिसकी गाथा बीते आधा दर्जन दशकों से हम सुनते आ रहे हैं और हमारे कान नहीं पके.
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मेक अमेरिका ग्रेट अगेन |
चुनाव की गणित के मुताबिक असली अमेरिका वही जहां का वोटर अपनी पसंद को दुनिया की सबसे ताकतवर कुर्सी पर बैठा सके. यह दुनिया का सबसे पुराना और महान लोकतंत्र है और इस तंत्र में संख्या सबसे महत्वपूर्ण है. दो साल पहले भारत ने अपने लिए जब प्रधानमंत्री का चुनाव किया तो इस तंत्र में भी संख्या का जोर दिखा और नरेन्द्र मोदी ने पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाई.
आज डोनाल्ड ट्रंप चुनाव जीत कर अमेरिका के राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं. देश की संसद पर उनकी...
अमेरिका के 35 बड़े शहर, जिन्हें किसी भी परिभाषा से देखें तो स्मार्ट सिटी ही कहे जाएंगे. न्यूयार्क, लॉस एंजिलेस, शिकागो, वॉशिंगटन और बॉस्टन जैसी स्मार्ट सिटीज. सभी के सभी कॉस्मोपॉलिटेन. किसी भी नागरिकता के लोग यहां आसानी से दिखते हैं. इन 35 में से 31 शहरों ने अपने लिए बतौर राष्ट्रपति डेमोक्रैटिक कैंडिडेट हिलेरी क्लिंटन को अपनी पसंद बनाया. लेकिन इस शहरों से दूर हजारों कस्बों और छोटे शहरों की पहली पसंद सिर्फ और सिर्फ डोनाल्ड ट्रंप रहे.
अमेरिकी चुनाव में शहरवार आए इस आंकड़े से एक बात साफ है कि असली अमेरिका इन कॉस्मोपॉलिटन शहरों में नहीं बसता. ये कॉस्मोपॉलिटन है तो जाहिर है दुनियाभर के लोग यहां होंगे ही. यहां उस मेल्टिंग पॉट वाला अमेरिका बसता है जिसकी गाथा बीते आधा दर्जन दशकों से हम सुनते आ रहे हैं और हमारे कान नहीं पके.
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मेक अमेरिका ग्रेट अगेन |
चुनाव की गणित के मुताबिक असली अमेरिका वही जहां का वोटर अपनी पसंद को दुनिया की सबसे ताकतवर कुर्सी पर बैठा सके. यह दुनिया का सबसे पुराना और महान लोकतंत्र है और इस तंत्र में संख्या सबसे महत्वपूर्ण है. दो साल पहले भारत ने अपने लिए जब प्रधानमंत्री का चुनाव किया तो इस तंत्र में भी संख्या का जोर दिखा और नरेन्द्र मोदी ने पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाई.
आज डोनाल्ड ट्रंप चुनाव जीत कर अमेरिका के राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं. देश की संसद पर उनकी जबरदस्त पकड़ बन चुकी है. ट्रंप की जीत से साफ है कि उनके साथ संख्या उस असली अमेरिका की है जो बीते कई दशकों से क्लिंटन, बुश, ओबामा, जैसे राष्ट्रपतियों की वैश्विक महत्वाकांक्षाओं का शिकार बन, वर्ल्ड सिटी, स्मार्ट सिटी, मेल्टिंग पॉट, साइबर सिटी जैसे क्षेत्रों में विकास को सीमित रहता देख रहे थे.
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हालांकि, ट्रंप इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते कि वह महज कस्बों के राष्ट्रपति हैं. कॉमन सेन्स है कि वह पूरे देश के राष्ट्रपति हैं. लेकिन इस बात से वह जरूर इत्तेफाक रखते होंगे कि उन्हें मेल्टिंग पॉट वाले कॉस्मोपॉलिटन अमेरिका ने राष्ट्रपति बनाया है या फिर छोटे-छोटे शहरों और कस्बों में बसे अमेरिका ने.
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