हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (Hydroxychloroquine) टैबलेट के मामले में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump obeliged for HCQ) की 24 घंटे में ही बोली बिलकुल बदल गयी - और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने भी बड़ी संजीदगी से कह दिया है कि ये सब तो हम करते ही रहते हैं. लेकिन जो बात शशि थरूर ने कही है, डोनाल्ड ट्रंप ने तो सोचा भी न होगा. वैसे भी अंग्रेज हों या अमेरिकी शशि थरूर जानते हैं उनसे कैसे पेश आना है - बरसों लगान वसूलने के एवज में अंग्रेजों से लंदन जाकर हर्जाना मांग चुके शशि थरूर (Shashi Tharoor) ने अमेरिकी राष्ट्रपति के सामने तो उससे भी बड़ी डिमांड रख दी है - और ये ऐसी डिमांड है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चाह कर भी नहीं मुकर सकते.
एक हाथ से लो, दूसरे हाथ से दो
कोरोना महामारी से जूझ रही दुनिया में भारत ने एक बार फिर वही किया है जैसा व्यवहार बाकी दिनों में रहता है - क्योंकि ये युद्ध नहीं बुद्ध का देश है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ये जानते थे और ज्यादा दिन नहीं हुए नयी दिल्ली होकर गये हुए - फिर भी अमेरिकी राष्ट्रपति ने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा को लेकर जो बयान दिया था वो हजम नहीं हो पा रहा था. ऐसा भी नहीं कि डोनाल्ड ट्रंप ने जो कहा था वो कोई मजाकिया लहजा था. भारत दौरे के ऐन पहले भी दोनों मुल्कों के कारोबारी रिश्तों को लेकर उनके ऐसे ही बयान आते रहे - एक हाथ से लो, दूसरे हाथ से दो.
दरअसल, कोरोना वायरस से जूझ रहे अमेरिका को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन टैबलेट की जरूरत थी. हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का इस्तेमाल मलेरिया के उपचार के लिए होता है - और भारत ही दुनिया में इस दवा का सबसे बड़ा निर्माता और निर्यातक है. भारत अपनी जरूरतों के चलते दूसरी जरूरी चीजों की तरह हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के निर्यात पर भी रोक लगा रखी थी. डोनाल्ड ट्रंप को ये बात बेहद नागवार गुजर रही थी.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से इस दवा को लेकर मदद मांगी थी और इसी बीच एक दिन उनसे इस बारे में सवाल पूछ लिया गया....
हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (Hydroxychloroquine) टैबलेट के मामले में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump obeliged for HCQ) की 24 घंटे में ही बोली बिलकुल बदल गयी - और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने भी बड़ी संजीदगी से कह दिया है कि ये सब तो हम करते ही रहते हैं. लेकिन जो बात शशि थरूर ने कही है, डोनाल्ड ट्रंप ने तो सोचा भी न होगा. वैसे भी अंग्रेज हों या अमेरिकी शशि थरूर जानते हैं उनसे कैसे पेश आना है - बरसों लगान वसूलने के एवज में अंग्रेजों से लंदन जाकर हर्जाना मांग चुके शशि थरूर (Shashi Tharoor) ने अमेरिकी राष्ट्रपति के सामने तो उससे भी बड़ी डिमांड रख दी है - और ये ऐसी डिमांड है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चाह कर भी नहीं मुकर सकते.
एक हाथ से लो, दूसरे हाथ से दो
कोरोना महामारी से जूझ रही दुनिया में भारत ने एक बार फिर वही किया है जैसा व्यवहार बाकी दिनों में रहता है - क्योंकि ये युद्ध नहीं बुद्ध का देश है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ये जानते थे और ज्यादा दिन नहीं हुए नयी दिल्ली होकर गये हुए - फिर भी अमेरिकी राष्ट्रपति ने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा को लेकर जो बयान दिया था वो हजम नहीं हो पा रहा था. ऐसा भी नहीं कि डोनाल्ड ट्रंप ने जो कहा था वो कोई मजाकिया लहजा था. भारत दौरे के ऐन पहले भी दोनों मुल्कों के कारोबारी रिश्तों को लेकर उनके ऐसे ही बयान आते रहे - एक हाथ से लो, दूसरे हाथ से दो.
दरअसल, कोरोना वायरस से जूझ रहे अमेरिका को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन टैबलेट की जरूरत थी. हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का इस्तेमाल मलेरिया के उपचार के लिए होता है - और भारत ही दुनिया में इस दवा का सबसे बड़ा निर्माता और निर्यातक है. भारत अपनी जरूरतों के चलते दूसरी जरूरी चीजों की तरह हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के निर्यात पर भी रोक लगा रखी थी. डोनाल्ड ट्रंप को ये बात बेहद नागवार गुजर रही थी.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से इस दवा को लेकर मदद मांगी थी और इसी बीच एक दिन उनसे इस बारे में सवाल पूछ लिया गया. फिर क्या था, सवाल सुनते ही डोनाल्ड ट्रंप उखड़ गये. बोलें - अगर भारत हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की सप्लाई नहीं करता है, तो वो जवाबी कार्रवाई कर सकते हैं.
ट्रंप के बयान पर राहुल गांधी ने भी कड़ा रिएक्शन दिया. राहुल गांधी ने ट्विटर पर लिखा, 'दोस्ती में जवाबी कार्रवाई नहीं होती. भारत को जरूरत के समय में सभी देशों मदद करनी चाहिए - लेकिन जीवनरक्षक दवाएं पहले भारतीय नागरिकों के लिए उचित मात्रा में उपलब्ध होनी चाहिये.'
आखिरकार संकट के दौर से गुजर रहे अमेरिका को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के निर्यात को भारत सरकार की मंजूरी मिल गई है - ये जानते ही डोनाल्ड ट्रंप खुशी के मारे उछल पड़े हैं. अपनी खुशी डोनाल्ड ट्रंप ने ट्विटर पर शेयर भी की - और कहा कि भारत की इस मदद को भुलाया नहीं जा सकता. ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी को टैग करते हुए शुक्रिया कहा.
प्रधानमंत्री मोदी ने भी ट्रंप को दोस्ताना अंदाज में जवाब दिया - 'मैं आपसे पूरी तरह से सहमत हूं डोनाल्ड ट्रंप. ऐसा वक्त ही दोस्तों को करीब लाता है. भारत और अमेरिका की दोस्ती पहले के मुकाबले काफी मजबूत है. भारत कोविड-19 के खिलाफ मानवता की लड़ाई में मदद करने के लिए हर संभव प्रयास करेगा - हम इसे साथ जीतेंगे.'
अमेरिकी राष्ट्रपति के शुकराने के ट्वीट के दो घंटे बाद ही शशि थरूर ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के दोस्ती वाले ट्वीट को रीट्वीट करने के साथ ही डोनाल्ड ट्रंप के साथ टैग करते हुए ट्विटर पर लिखा, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, भारत ने बगैर किसी हिचकिचाहट के अमेरिका को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन निर्यात की मंजूरी दे दी है - लेकिन अगर अमेरिका में कोरोना वाली वैक्सीन बनती है तो क्या भारत को पहली वरियता में रखते हुए देना चाहेंगे?’
शशि थरूर ने बिलकुल डोनाल्ड ट्रंप वाले अंदाज में ही अमेरिकी राष्ट्रपति को सवालों के घेरे में ले लिया है और जता भी दिया है - एक हाथ से लो, दूसरे हाथ से दो.
शशि थरूर ऐसे मौके चूकते नहीं हैं. ऐसे ही लंदन में ऑक्सफोर्ड यूनियन सोसाइटी में अपने भाषण में ब्रिटिश हुकूमत की धज्जियां कह डाला था कि भारत को मुआवजा मिलना चाहिये. थरूर ने सवाल उठाया था - जब ब्रिटिश भारत आये, तब दुनिया की इकोनॉमी में भारत का हिस्सा 23 फीसदी था - और जब छोड़ कर गये तो ये आंकड़ा महज 4 फीसदी रह गया - ऐसा क्यों?'
फिर सवाल का खुद ही जवाब भी दिया, 'ब्रिटेन ने अपने फायदे के लिए भारत पर शासन किया था - और 200 साल तक भारत में ब्रिटेन ने सिर्फ लूटपाट मचाई.'
थरूर के भाषण के वक्त अंग्रेजों ने भी खूब तालियां बजायी और यूट्यूब पर ये वायरल हुआ - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी थरूर के इस अंदाज-ए-बयां की खूब तारीफ की थी. उसी थरूर से अब ट्रंप का पाला पड़ गया. लगता तो नहीं की आगे से थरूर भारत से फिर कभी ऐसे पंगा लेने की सोचेंगे भी.
वैक्सीन पर काम जारी है
रूस के स्टेट रिसर्च सेंटर ऑफ वायरोलॉजी एंड बायोटेक्नोलॉजी वेक्टर के प्रमुख रिनत मक्स्यूतोव के मुताबिक परीक्षण के लिए 300 आवेदन मिल चुके हैं लेकिन पहले से तैयार 180 वालंटियर पर ही अभी टेस्ट किया जाएगा. अभी तक वैक्सीन का परीक्षण चूहों, खरगोश और दूसरे जीव-जंतुओं पर किया जा रहा है और 30 अप्रैल तक अगर नतीजे सकारात्मक रहे तो मानव परीक्षण भी तय है.
इस बीच, भारत में बचपन में दी जाने वाली वैक्सीन BCG - Bacille Calmette-Guerin ने भी वैज्ञानिकों में उम्मीद की किरण जगा रही है. ये वैक्सीन टीबी यानी ट्यूबरकुलोसिस से बचाव के लिए बच्चों को दिया जाता है. एक रिपोर्ट में पाया गया है कि जिन लोगों को ये वैक्सीन दी गयी है, बाकियों के मुकाबले उनकी मृत्यु दर काफी कम है.
वैज्ञानिक अब बीसीजी का टेस्ट ये देखने के लिए कर रहे हैं कि कोरोना जैसे वायरस संक्रमण के असर को कम करने के लिए इस वैक्सीन का प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी कोई रोल हो सकता है क्या?
ब्रिटेन में हुए एक सर्वे के मुताबिक दुनिया के 39 देशों में कोरोना की वैक्सीन खोजने को लेकर करीब 300 रिसर्च हो रहे हैं. इसमें चीन में 60 शोध हो रहे हैं जबकि अमेरिका 49. हालांकि, रूस के एक रिसर्च सेंटर ने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को बताया है कि वो इंसानों पर कोरोना वायरस के परीक्षण के लिए काफी हद तक तैयार है. देखना है वैक्सीन बनाने में अमेरिका बाजी मार लेता है या चीन - अगर अमेरिका ने पहले बना ली तो देखना होगा डोनाल्ड ट्रंप भारत की मदद के बदले शशि थरूर का जवाब देते हैं या नहीं?
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