पश्चिम बंगाल की राजनीति में त्योहारों की सीजन से पहले एक नई बहस ने जन्म ले लिया है. एक ओर सत्ताधारी टीएमसी है और दूसरी ओर तेजी से अपना दबदबा बढ़ा रही भाजपा है. दोनों ही बंगाल के कल्चर और दुर्गा पूजा की बात करते हुए खुद को वहां के लोगों का सच्चा हितैशी बताने में लगे हुए हैं. आपको बता दें कि दुर्गा पूजा बंगाल का सबसे बड़ा त्योहार होता है, जो 4 अक्टूबर से शुरू होगा, जिस पर फिलहाल दोनों ही पार्टियां अपना कंट्रोल करने की कोशिश कर रही हैं.
पूरे पश्चिम बंगाल में करीब 28000 कम्युनिटी दुर्गा पूजा होती हैं. वैसे तो कांग्रेस नेताओं का पूजा और धार्मिक त्योहारों में शामिल होना एक पुरानी परंपरा रही है, लेकिन टीएमसी ने इस भक्ति को एक अलग ही लेवल दे दिया है. उनकी सरकार तो पूजा-पाठ के लिए लोगों को पैसों की मदद और सब्सिडी तक देने लगी है. 30 अगस्त को ही ममता बनर्जी ने घोषणा की कि पिछले साल दुर्गा पूजा के लिए जो ग्रांट 10 हजार रुपए थी, उसे इस बार बढ़ाकर 25 हजार कर दिया गया है. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि अगर कोई पूजा एसोसिएशन महिलाओं द्वारा चलाया जा रहा है, तो उसे 5000 रुपए की अतिरिक्त सहायता दी जाएगी. साथ ही, पूजा कमेटियों को बिजली बिल में 25 फीसदी छूट भी देने की घोषणा की गई है.
भले ही पूजा क्लब इस वित्तीय सहायता से खुश हैं, लेकिन भाजपा कुछ नाराज सी नजर आ रही है. पार्टी जनरल सेक्रेटरी सयानतन बसु ने कहा- 'ममता बनर्जी पूजा कमेटियों को लालच दे रही हैं. आने वाले चुनावों में उन्हें इन सब से कोई फायदा नहीं होगा. बाजपा सभी को न्याय दिलाने और किसी का भी तुष्टीकरण नहीं करने में भरोसा रखती है.'
ममता बनर्जी ने तो पूजा एसोसिएशन्स को ये भी निर्देश दिए हैं कि वह टैक्स...
पश्चिम बंगाल की राजनीति में त्योहारों की सीजन से पहले एक नई बहस ने जन्म ले लिया है. एक ओर सत्ताधारी टीएमसी है और दूसरी ओर तेजी से अपना दबदबा बढ़ा रही भाजपा है. दोनों ही बंगाल के कल्चर और दुर्गा पूजा की बात करते हुए खुद को वहां के लोगों का सच्चा हितैशी बताने में लगे हुए हैं. आपको बता दें कि दुर्गा पूजा बंगाल का सबसे बड़ा त्योहार होता है, जो 4 अक्टूबर से शुरू होगा, जिस पर फिलहाल दोनों ही पार्टियां अपना कंट्रोल करने की कोशिश कर रही हैं.
पूरे पश्चिम बंगाल में करीब 28000 कम्युनिटी दुर्गा पूजा होती हैं. वैसे तो कांग्रेस नेताओं का पूजा और धार्मिक त्योहारों में शामिल होना एक पुरानी परंपरा रही है, लेकिन टीएमसी ने इस भक्ति को एक अलग ही लेवल दे दिया है. उनकी सरकार तो पूजा-पाठ के लिए लोगों को पैसों की मदद और सब्सिडी तक देने लगी है. 30 अगस्त को ही ममता बनर्जी ने घोषणा की कि पिछले साल दुर्गा पूजा के लिए जो ग्रांट 10 हजार रुपए थी, उसे इस बार बढ़ाकर 25 हजार कर दिया गया है. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि अगर कोई पूजा एसोसिएशन महिलाओं द्वारा चलाया जा रहा है, तो उसे 5000 रुपए की अतिरिक्त सहायता दी जाएगी. साथ ही, पूजा कमेटियों को बिजली बिल में 25 फीसदी छूट भी देने की घोषणा की गई है.
भले ही पूजा क्लब इस वित्तीय सहायता से खुश हैं, लेकिन भाजपा कुछ नाराज सी नजर आ रही है. पार्टी जनरल सेक्रेटरी सयानतन बसु ने कहा- 'ममता बनर्जी पूजा कमेटियों को लालच दे रही हैं. आने वाले चुनावों में उन्हें इन सब से कोई फायदा नहीं होगा. बाजपा सभी को न्याय दिलाने और किसी का भी तुष्टीकरण नहीं करने में भरोसा रखती है.'
ममता बनर्जी ने तो पूजा एसोसिएशन्स को ये भी निर्देश दिए हैं कि वह टैक्स ना दें और यह आरोप भी लगाया है कि भाजपा अपनी राजनीतिक दुश्मनी निकालने के लिए एजेंसियों का इस्तेमाल रही है. ये वो आरोप है जो उन्होंने इस साल कई बार लगाया है. अपनी रैलियों और बयानों के जरिए वह कहती दिख रही हैं कि आयकर अधिकारी पूजा कमेटियों को परेशान कर रहे हैं. दूसरे शब्दों में वह ये कह रही हैं कि बंगाल के सबसे लोकप्रिय त्योहार को भाजपा से खतरा है.
ये लड़ाई सोशल मीडिया पर भी चल रही है, जैसे अमार गोर्बो ममता जैसा फेसबुक पेज बनाया है और #RespectDurgaPujo जैसे ट्विटर हैशटैग भी चल रहे हैं. फेसबुक पर एक कार्टून भी दिखा, जिसमें मां दुर्गा बंगाल में घुसने के लिए गेट पास के तौर पर पैन, आधार और आयकर रिटर्न मांगती हुई दिखाई गई हैं. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड 13 अगस्त को ही एक नोटिस जारी करते हुए ये साफ कर चुका है उसने कुछ पूजा एसोसिएशन्स को पिछले साल दिसंबर में नोटिस इसलिए भेजा था, क्योंकि पूजा कमेटी में काम कर रहे कुछ कॉन्ट्रैक्टर अपने टैक्स का भुगतान नहीं कर रहे हैं.
बंगाल में पूजा और राजनीति हमेशा ही मौजूद रहे हैं और अन्य पार्टियों की तरह टीएमसी भी ये सब कर रही है. जब पार्टी 2011 में सत्ता में आई तो पूजा क्लबों ने टीएमसी नेताओं को प्रभावित करने के लिए कोशिशें शुरू कर दीं. उनका मकसद सिर्फ लोकप्रियता हासिल करना और पैसे जुटाना था. जल्द ही दुर्गा पूजा टीएमसी के बड़े नेताओं से जुड़ गई और उनके नाम पर भी दुर्गा पूजा होने लगी.
भाजपा ने बंगाल में सबसे पहले टीएमसी के किले को भेदने के लिए हिंदू वोट को एकजुट करना शुरू किया. और ममता बनर्जी द्वारा कथित रूप से मुस्लिमों के तुष्टिकरण ने भाजपा का काम और आसान कर दिया. इसके बाद भाजपा ने अपने भगवानों को बंगाल में लोगों के बीच प्रोजेक्ट करना शुरू किया, जिसके लिए राम नवमी, हनुमान जयंती और जन्माष्टमी जैसे त्योहारों पर जोर दिया. लेकिन जल्द ही भाजपा को ये बात समझ आ गई कि बंगाल के लोगों के दिलों में जाने के लिए उनके आइकन्स को आगे रखना होगा, जैसे रविंद्र नाथ टैगोर, विवेकानंद, नेताजी सुभाष चंद्र बोस और देवियां. इसलिए दुर्गा पूजा को चुना गया. पार्टी को ये मौका 2017 में मिल गया, जब ममता सरकार ने दुर्गा पूजा के बाद मूर्ति विसर्जन का दिन एक दिन आगे बढ़ा दिया, ताकि मुहर्रम के साथ त्यौहार होने की वजह से कोई बवाल ना हो. इस मुद्दे को लेकर काफी बहस हुई और भाजपा ने ममता बनर्जी की सरकार पर हिंदुओं को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया.
हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में राज्य पश्चिम बंगाल की 18 सीटों पर भाजपा ने कब्जा किया, जिसे 23 फीसदी वोट मिले. इसी के साथ राज्य में पूजा क्लब के दरवाजे भाजपा के लिए भी खुल गए. जैसे ममता बनर्जी के विधानसभा क्षएत्र भवानीपुर में दुर्गा पूजा कराने वाले बड़े एसोसिएशन शंघश्री बैश पल्ली के अध्यक्ष और ममता बनर्जी के छोटे भाई कार्तिक को भाजपा के बसु से रिप्लेश कर दिया गया. हालांकि, जैसे-जैसे दिन गुजरे, भाजपा का समर्थन करने वाली ये पूजा कमेटी टूट गई. यहां तक कि मां दुर्गा की मूर्ति बनाने वाले उस आर्टिस्ट को भी बाहर का रास्ता दिखा दिया गया, जिसने मां दुर्गा को भाजपा के चुनाव चिन्ह कमल पर बैठे हुए बनाया था.
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा है- दुर्गा पूजा पर टैक्स लगाए जाने की बात कह कर ममता गंदी राजनीति कर रही हैं. हम योजना बना रहे हैं कि कुछ पूजा सेलिब्रेशन का उद्घाटन अमित शाह जी के हाथों करवाया जाए. अभी ये नहीं बताएंगे कि वह किन पूजा स्थलों का उद्घाटन करेंगे, क्योंकि ऐसा किया तो ममता बनर्जी के गुंडे वहां हमला कर सकते हैं. भाजपा ने भले ही अपने बड़े-बड़े प्लान शुरू करने का फैसला किया है, लेकिन ममता बनर्जी भी चैन से नहीं बैठने वाली हैं. पूजा क्लब को ग्रांट देने के बाद हो सकता है कि वह छुट्टियों का तोहफा भी दे डालें.
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