इस बात कोई नहीं झुठला सकता कि देश आर्थिक मंदी (Recession) से गुजर रहा है. मोदी सरकार (Modi Government) भी इस बात को स्वीकार कर चुकी है और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ (IMF) ने भी इसे माना है. IMF के अनुसार तो 2019-20 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी (GDP) की दर महज 4.8 फीसदी रहेगी. यहां तक कि आईएमएफ की चीफ इकॉनोमिस्ट गीता गोपीनाथ ने तो दुनिया में आई मंदी के लिए भी भारत को ही जिम्मेदार ठहरा दिया है. यानी न सिर्फ हमारे देश के अंदर लोग मंदी का सामना कर रहे हैं, बल्कि पूरी दुनिया ही मंदी की मार झेल रही है. लेकिन लग रहा है कि ये बात हमारे नेता और मंत्री नहीं समझ रहे. उन्हें भी आर्थिक मंदी दिख रही है, लेकिन वह बात-बात पर इसका मजाक उड़ाते नजर आते हैं. ताजा उदाहरण भाजपा सांसद वीरेंद्र सिंह (BJP MP Virendra Singh) का है. आइए जानते हैं नेताओं और मंत्रियों ने कैसे-कैसे उड़ाया है अर्थव्यवस्था का मजाक.
1- लोग कोट-जैकेट पहन रहे, मंदी कहां है !
उत्तर प्रदेश के बलिया से भाजपा सांसद वीरेंद्र सिंह ने मंदी का मजाक उड़ाते हुए कहा है- दिल्ली और दुनिया में मंदी की बातें हो रही हैं. अगर मंदी होती तो हम यहां पर धोती-कुर्ता पहने नजर आते, ना कि कोट और जैकेट. अगर मंदी होती तो हम कपड़े, पैंट और पायजामा नहीं खरीद पाते. उन्होंने तो ऑटोमोबाइल सेक्टर की मंदी को भी जस्टिफाई कर दिया और कहा कि भारी ट्रैफिक जाम दिखाता है कि ऑटोमोबाइल सेक्टर में ग्रोथ जारी है, वहीं कोई मंदी नहीं छाई है. अब क्या ही कहें वीरेंद्र सिंह के इस बयान पर. जो नेता ट्रैफिक जाम से ऑटोमोबाइल सेक्टर की ग्रोथ जस्टिफाई कर रहा है, कोट और जैकेट को मंदी ना होने का इशारा बता रहा है, उसकी अर्थव्यवस्था की समझ को परखना भी समय की बर्बादी ही है.
इस बात कोई नहीं झुठला सकता कि देश आर्थिक मंदी (Recession) से गुजर रहा है. मोदी सरकार (Modi Government) भी इस बात को स्वीकार कर चुकी है और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ (IMF) ने भी इसे माना है. IMF के अनुसार तो 2019-20 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी (GDP) की दर महज 4.8 फीसदी रहेगी. यहां तक कि आईएमएफ की चीफ इकॉनोमिस्ट गीता गोपीनाथ ने तो दुनिया में आई मंदी के लिए भी भारत को ही जिम्मेदार ठहरा दिया है. यानी न सिर्फ हमारे देश के अंदर लोग मंदी का सामना कर रहे हैं, बल्कि पूरी दुनिया ही मंदी की मार झेल रही है. लेकिन लग रहा है कि ये बात हमारे नेता और मंत्री नहीं समझ रहे. उन्हें भी आर्थिक मंदी दिख रही है, लेकिन वह बात-बात पर इसका मजाक उड़ाते नजर आते हैं. ताजा उदाहरण भाजपा सांसद वीरेंद्र सिंह (BJP MP Virendra Singh) का है. आइए जानते हैं नेताओं और मंत्रियों ने कैसे-कैसे उड़ाया है अर्थव्यवस्था का मजाक.
1- लोग कोट-जैकेट पहन रहे, मंदी कहां है !
उत्तर प्रदेश के बलिया से भाजपा सांसद वीरेंद्र सिंह ने मंदी का मजाक उड़ाते हुए कहा है- दिल्ली और दुनिया में मंदी की बातें हो रही हैं. अगर मंदी होती तो हम यहां पर धोती-कुर्ता पहने नजर आते, ना कि कोट और जैकेट. अगर मंदी होती तो हम कपड़े, पैंट और पायजामा नहीं खरीद पाते. उन्होंने तो ऑटोमोबाइल सेक्टर की मंदी को भी जस्टिफाई कर दिया और कहा कि भारी ट्रैफिक जाम दिखाता है कि ऑटोमोबाइल सेक्टर में ग्रोथ जारी है, वहीं कोई मंदी नहीं छाई है. अब क्या ही कहें वीरेंद्र सिंह के इस बयान पर. जो नेता ट्रैफिक जाम से ऑटोमोबाइल सेक्टर की ग्रोथ जस्टिफाई कर रहा है, कोट और जैकेट को मंदी ना होने का इशारा बता रहा है, उसकी अर्थव्यवस्था की समझ को परखना भी समय की बर्बादी ही है.
2- ऑटोमोबाइल पर निर्मला सीतारमण का बयान भी मत भूलिए
अभी वीरेंद्र सिंह ने जैसा बेतुका तर्क दिया है, कुछ समय पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के आंकड़े जारी करते हुए कहा था कि गाड़ियों की बिक्री में करीब 41 फीसदी की कमी आई है. उनसे जब इसकी वजह पूछी गई थी तो वह तपाक से बोलीं कि इसकी वजह मिलेनियल्स यानी 20 साल के ऊपर के लोग (जो 1980 के बाद पैदा हुए) हैं, जो गाड़ियां खरीद कर मासिक किस्त नहीं चुकाना चाहते. वह ओला-उबर से यात्रा करते हैं, मेट्रो से इधर-उधर जाना पसंद करते हैं. उनके इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर उनकी खूब फजीहत हुई थी.
3- पियूष गोयल ने तो न्यूटन का क्रेडिट आइंस्टीन को दे डाला
अभी निर्मला सीतारमण के बयान पर बहस खत्म भी नहीं हुई थी कि रेल मंत्री पियूष गोयल ने ग्रेविटी का क्रेडिट न्यूटन के बजाय आइंस्टीन को दे डाला. उन्होंने अर्थव्यवस्था पर कहा था कि आप हिसाब-किताब में मत जाइए, जो टीवी पर देखते हैं. शायद वह ये कहना चाह रहे थे कि टीवी पर सब बकवास दिखाई जाती है. वह बोले कि 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था हासिल करना चाहते हैं, तो देश को करीब 12% की दर से आगे बढ़ना होगा, जबकि आज यह 6 फीसदी की दर से बढ़ रही है. गणित में मत जाओ. उन गणितों ने कभी आइंस्टीन को गुरुत्वाकर्षण की खोज में मदद नहीं की.' मतलब जो देख रहा है वो भी गलत है और जो टीवी पर दिखाया जा रहा है वो भी गलत. यहां तक कि जो दुनिया देख रही है या जो आईएमएफ कह रहा है वो भी सही नहीं है, सही हैं तो बस मोदी सरकार के सांसद, जो बे सिर पैर के तर्क देकर ये कहना चाह रहे हैं कि मंदी नहीं है.
4- रविशंकर प्रसाद ने फिल्म की कमाई को बताया था अर्थव्यवस्था की ग्रोथ
रविशंकर प्रसाद से एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान देश में आर्थिक मंदी के बारे में पूछा गया था. इस पर हंसते हुए उन्होंने कहा था- 'मैं अटल बिहारी वापजेपी की सरकार में सूचना व प्रसारण मंत्री था और मुझे फिल्में देखना बहुत पसंद है. फिल्में अच्छी कमाई कर रही हैं. 2 अक्टूबर को तीन फिल्में रिलीज हुईं और फिल्म आलोचक कोमल नहता ने मुझे बताया कि तीन फिल्मों में एक ही दिन में 120 करोड़ रुपए की कमाई की. तीन फिल्मों से 120 करोड़ रुपए आना दिखाता है कि देश की अर्थव्यवस्था बिल्कुल ठीक है.' बता दें कि रविशंकर प्रसाद कोई भी बहस करते हैं तो आंकड़े जरूर गिनाते हैं, जैसा कि फिल्मों की कमाई में भी गिनाए, लेकिन अर्थव्यवस्था कितनी मजबूत है, इसके आंकड़े नहीं बताए. अब इतने वरिष्ठ मंत्री जब फिल्म की कमाई को अर्थव्यवस्था की ग्रोथ से जोड़ेंगे, तो ऐसे लोग देश का बेड़ा पार लगाएंगे, या बेड़ा गर्क करेंगे, कहा नहीं जा सकता. बता दें कि वित्त वर्ष 2019-20 की पहली छमाही में देश की आर्थिक वृद्धि फिसलकर 4.8 फीसदी रह गई है. वित्त वर्ष 2018-19 की पहली छमाही में देश का GDP Growth 6.2 फीसदी था.
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