मौजूदा वक़्त में अर्थव्यवस्था को लेकर तमाम सवालों से घिरी केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के लिए आने वाला वक़्त और भी मुश्किलों भरा साबित हो सकता है. मसलन नोटबंदी और जीएसटी के कारण पहले ही अर्थव्यवस्था पटरी से उतर चुकी है. और अब बाढ़ के कारण खरीफ फसलों की पैदावार में कमी. सरकार की ओर से जारी पूर्वानुमान के अनुसार खरीफ खाद्यान के उत्पादन में 2.78 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है. जिससे कुल उत्पादन घटकर 134.67 मिलियन टन के स्तर पर पहुंच जायेगी. इस वर्ष दाल और तिलहन की पैदावार में कमी होगी. साथ ही साथ धान की पैदावार भी पिछले वर्ष की तुलना में कम होगी. देश के कुछ हिस्सों में आयी बाढ़ और कुछ इलाकों में बारिश की कमी की वजह से ऐसा अंदेशा लगाया जा रहा है. वैसे कृषि मंत्रालय आने वाले समय में इसमें कुछ बदलाव कर सकता है क्योंकि यह महज पहला अनुमान है.
वहीं दूसरी ओर किसानों की बात करें तों उनकी मुश्किलें भी बढ़ती जा रही हैं, तभी तो आज लगभग हर राज्य के किसानों में आत्महत्या की घटनाएं बढ़ती जा रही है. जिनमें मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और आंध्र...
मौजूदा वक़्त में अर्थव्यवस्था को लेकर तमाम सवालों से घिरी केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के लिए आने वाला वक़्त और भी मुश्किलों भरा साबित हो सकता है. मसलन नोटबंदी और जीएसटी के कारण पहले ही अर्थव्यवस्था पटरी से उतर चुकी है. और अब बाढ़ के कारण खरीफ फसलों की पैदावार में कमी. सरकार की ओर से जारी पूर्वानुमान के अनुसार खरीफ खाद्यान के उत्पादन में 2.78 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है. जिससे कुल उत्पादन घटकर 134.67 मिलियन टन के स्तर पर पहुंच जायेगी. इस वर्ष दाल और तिलहन की पैदावार में कमी होगी. साथ ही साथ धान की पैदावार भी पिछले वर्ष की तुलना में कम होगी. देश के कुछ हिस्सों में आयी बाढ़ और कुछ इलाकों में बारिश की कमी की वजह से ऐसा अंदेशा लगाया जा रहा है. वैसे कृषि मंत्रालय आने वाले समय में इसमें कुछ बदलाव कर सकता है क्योंकि यह महज पहला अनुमान है.
वहीं दूसरी ओर किसानों की बात करें तों उनकी मुश्किलें भी बढ़ती जा रही हैं, तभी तो आज लगभग हर राज्य के किसानों में आत्महत्या की घटनाएं बढ़ती जा रही है. जिनमें मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश आगे दिखते हैं. अभी हाल ही में पंजाब से भी किसानों की आत्महत्या की ख़बरों ने तेजी पकड़ी है. और वहां के किसान सरकार के खिलाफ धरने पर बैठे हैं. कुछ ऐसी ही ख़बरें कुछ समय पहले तक राजस्थान और मध्य प्रदेश से भी आयीं थी. तमिलनाडु के किसानों ने तो वकायदा दिल्ली में आकर धरना प्रदर्शन भी किया था. किसानों की आत्महत्या की मुख्य वजह है उनकी आमदनी का कम होना, साथ ही उनका मौसम पर निर्भर होना. ऐसे में जब वो सरकार से कर्ज लेते हैं, तो उसे चूकाना उनपर तब भारी पड़ता है, जब पैदावार उम्मीद के मुताबिक ना हो. कई बार पैदावार होती तो है. लेकिन फसल का सही मूल्य ना मिलना भी किसानों के लिए परेशानी का सबब होता है.
मौजूदा मोदी सरकार ने किसानों के हित और उनकी आय को दोगुना करने के लिए कई योजनाएं चलाई हैं. जिनमें प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, परंपरागत कृषि विकास योजना, सॉइल हेल्थ कार्ड स्कीम और इलेक्ट्रॉनिक नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट (ई-नेम) शामिल हैं. वैसे सरकार के इन प्रयासों के बावजूद अभी भी किसानों की आय में बढ़ोत्तरी नहीं हो पायी है. जिसकी वजह सरकार द्वारा उठाये जा रहे क़दमों का सही क्रियान्वयन न होना माना जा सकता है. सरकार की मानें तो वो वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुना कर देगी. लेकिन वर्तमान के हालात देखकर ऐसा संभव नहीं लगता. हां, सरकार को किसानों के फायदे के लिए कोल्ड स्टोरेज और ट्रांसपोर्टेशन जैसी जरूरतों पर ध्यान देना चाहिए साथ ही उनकी कर्ज की समस्या का भी हल ढूंढना होगा. क्योंकि हमने देखा है कि कैसे कुछ राज्यों में कर्जमाफ़ी के बाद भी किसान नाराज है. जिसकी कई जायज वजह भी है. कह सकते हैं कि अगर पैदावार में कमी होती है तो न सिर्फ सरकार बल्कि किसानों पर भी इसका सीधा असर होगा.
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