चुनावी साल में मोदी सरकार ने हर वर्ग को खुश करने की कोशिश की है, ताकि उसका फायदा चुनावों में मिल सके. इसी क्रम में किसानों को भी एक बड़ा तोहफा देते हुए प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना के तहत छोटे किसानों को हर साल 6 हजार रुपए देने की घोषणा की है. ये पैसे किसानों के खाते में 3 किस्त में जाएंगे. इसका फायदा सिर्फ छोटे किसानों को ही मिलेगा. जिन किसानों के पास 2 हेक्टेयर यानी करीब 5 एकड़ तक जमीन है.
किसानों की दी गई इस सौगात की सरकार तो खूब तारीफ कर ही रही है, साथ ही कृषि विशेषज्ञ स्वामीनाथन अय्यर ने भी इसे एक अच्छी पहल कहा है. लेकिन किसानों को इससे कितना फायदा मिलेगा, इसका गणित भी समझना बेहद जरूरी है. बजट में मोदी सरकार ने सभी प्रमुख फसलों के लिए लागत से डेढ़ गुना अधिक समर्थन मूल्य तय करने की घोषणा की है. इसके अलावा हर साल एक किसान को 6000 रुपए अतिरिक्त सीधे उसके बैंक अकाउंट में भेेेेजे जाएंगे. इस फैसले को मोदी सरकार ने क्रांतिकारी ढंग से पेश किया है, तो विपक्षी दल इसका मजाक बना रहे हैं. अब ये रकम बहस का विषय बन गई है, जिसमें किसानों का अपना तर्क है.
यूं तो किसान इस 6000 रुपए का इस्तेमाल अलग-अलग फसल में अलग तरीके से कर सकता है. कुछ किसान साल में तीन फसलें उगा लेते हैं, लेकिन अधिकतर दो ही फसल उगाते हैं, क्योंकि तीसरी फसल में मेहनत अधिक और फायदा कम मिलता है. ऐसे में मान लेते हैं कि किसान रबी की फसल में गेंहूं उगाए और खरीफ की फसल में धान उगाए तो साल भर में मिले 6000 रुपयों को वह दोनों फसलों में 3-3 हजार कर के इस्तेमाल कर सकता है. उत्तराखंड के तराई क्षेत्र में उधमसिंह नगर के किसान बसंतराम 92 साल के हैं, और करीब 70 साल का खेती का अनुभव...
चुनावी साल में मोदी सरकार ने हर वर्ग को खुश करने की कोशिश की है, ताकि उसका फायदा चुनावों में मिल सके. इसी क्रम में किसानों को भी एक बड़ा तोहफा देते हुए प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना के तहत छोटे किसानों को हर साल 6 हजार रुपए देने की घोषणा की है. ये पैसे किसानों के खाते में 3 किस्त में जाएंगे. इसका फायदा सिर्फ छोटे किसानों को ही मिलेगा. जिन किसानों के पास 2 हेक्टेयर यानी करीब 5 एकड़ तक जमीन है.
किसानों की दी गई इस सौगात की सरकार तो खूब तारीफ कर ही रही है, साथ ही कृषि विशेषज्ञ स्वामीनाथन अय्यर ने भी इसे एक अच्छी पहल कहा है. लेकिन किसानों को इससे कितना फायदा मिलेगा, इसका गणित भी समझना बेहद जरूरी है. बजट में मोदी सरकार ने सभी प्रमुख फसलों के लिए लागत से डेढ़ गुना अधिक समर्थन मूल्य तय करने की घोषणा की है. इसके अलावा हर साल एक किसान को 6000 रुपए अतिरिक्त सीधे उसके बैंक अकाउंट में भेेेेजे जाएंगे. इस फैसले को मोदी सरकार ने क्रांतिकारी ढंग से पेश किया है, तो विपक्षी दल इसका मजाक बना रहे हैं. अब ये रकम बहस का विषय बन गई है, जिसमें किसानों का अपना तर्क है.
यूं तो किसान इस 6000 रुपए का इस्तेमाल अलग-अलग फसल में अलग तरीके से कर सकता है. कुछ किसान साल में तीन फसलें उगा लेते हैं, लेकिन अधिकतर दो ही फसल उगाते हैं, क्योंकि तीसरी फसल में मेहनत अधिक और फायदा कम मिलता है. ऐसे में मान लेते हैं कि किसान रबी की फसल में गेंहूं उगाए और खरीफ की फसल में धान उगाए तो साल भर में मिले 6000 रुपयों को वह दोनों फसलों में 3-3 हजार कर के इस्तेमाल कर सकता है. उत्तराखंड के तराई क्षेत्र में उधमसिंह नगर के किसान बसंतराम 92 साल के हैं, और करीब 70 साल का खेती का अनुभव रखते हैं. खेतीबाड़ी में अब भी सक्रिय बसंतराम 6000 रु. की मदद को पांच एकड़ खेत के मान से iChowk को कुछ यूं समझाते हैं:
एक बार जुताई-बुवाई भी नहीं हो सकती
अगर किसान के पास अपना ट्रैक्टर है तब तो 3000 रुपए में जुताई-बुवाई में लगे डीजल का खर्च निकल जाएगा, लेकिन अगर ट्रैक्टर किराए पर बुलाना पड़े तो मान के चलिए कि 10-12 हजार खर्च होंगे ही. यानी किराए का ट्रैक्टर हुआ तो किसान सम्मान योजना के तहत दो साल में मिले पैसे (12000) एक ही झटके में चले जाएंगे.
उर्वरक का खर्च भी नहीं निकलेगा
अगर गेहूं की फसल उगाई जाए इसमें बुवाई करते समय प्रति एकड़ एक कट्टा एनपीके डाला जाता है और फिर पूरी फसल के दौरान तीन बार यूरिया डालते हैं. इस तरह गेहूं उगाने में 5 कट्टे एनपीके (करीब 6000) और 15 कट्टे यूरिया (करीब 4000) उर्वरक के रूप में इस्तेमाल होते हैं. यानी कुल मिलाकर करीब 10 हजार रुपए का उर्वरक 5 एकड़ गेहूं उगाने में खर्च हो जाएगा. धान की फसल में भी उर्वरक का खर्च लगभग इतना ही आता है.
रबी की फसल के बीज भी खरीदने में कम पड़ेंगे पैसे
किसान सम्मान योजना मिले आधे पैसों यानी 3000 रुपए अगर बीज खरीदना चाहें तो रबी की फसल का बीज भी नहीं मिलेगा. गेंहू का बीज खरीदने में करीब 6-7 हजार रुपए खर्च होते हैं, जबकि धान का बीज बड़ी आसानी से खरीदा जा सकता है. धान का बीच करीब 500-600 रुपए में ही मिल जाएगा. यहां ध्यान देने वाली बात है कि धान का बीज भले ही सस्ता है, लेकिन उसकी बुवाई गेंहू से बहुत अलग होती है. पहले धान को अंकुरित किया जाता है, फिर उसकी पौध तैयार करते हैं और उसके बाद एक-एक पौधे को हाथ से रोपना पड़ता है.
एक बार कीटनाशक का छिड़काव हो सकता है
फसल कोई भी हो, उसमें कीटनाशक का छिड़काव तो करना ही पड़ता है. रबी की फसल गेंहूं में सिर्फ एक बार कीटनाशक डालते हैं, जबकि खरीफ की फसल धान में 3 बार कीटनाशक का छिड़काव किया जाता है. यहां आपको बता दें कि एक बार में 3000 रुपए का कीटनाशक लगता है, जिसके छिड़काव में करीब 1000 रुपए की दिहाड़ी मजदूर को देनी होती है. यानी एक फसल में किसान सम्मान योजना के तहत मिले 3000 रुपए से किसान एक बार कीटनाशक खरीद सकता है, हालांकि, उसके छिड़काव के लिए उसे अतिरिक्त पैसे खर्च करने होंगे.
अगर देखा जाए तो सरकार की तरफ से प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना के तहत मिलने वाले पैसों से किसान की खेती में कोई खास मदद नहीं होगी. हां अगर वह इन पैसों को फसल कटने के बाद अपने फायदे-नुकसान में जोड़कर देखेगा तो जरूर उसे लगेगा कि इस बार 6000 रुपए का अतिरिक्त फायदा हुआ है. यानी ये कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि किसानों को दिए जा रहे ये पैसे खेती में उनके लिए मददगार साबित नहीं हो सकते हैं. अब तक खेती की लागत का खर्च पूरी तरह अपनी जमा-पूंजी या कर्ज लेकर वहन करने वालेे किसान को मोदी सरकार ने शुरुआती आंशिक मदद की पेशकश तो की ही है.
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