6 अक्टूबर, 2018 को राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में दिन के 3 बजे से आचार संहिता लागू हो गयी है. पहले ऐसा 12.30 बजे से होने वाला था, लेकिन अपरिहार्य कारणों से चुनाव आयोग ने तीन घंटे की मोहलत ले ली. चुनाव आयोग ने ये मोहलत खुद तो ली ही थी - एक ऐसा मौका भी उपलब्ध करा दिया जो कोई और भी चाहे तो उसके काम आ सके.
गुजरात और कर्नाटक चुनाव के बाद चुनाव आयोग की ओर से सामने आया ये तीसरा लोचा है - सवाल है कि कोई आयोग की निष्पक्षता पर भरोसा करे तो कैसे?
फिर सवालों में चुनाव आयोग
27 मार्च, 2018 को जब बीजेपी के आईटी सेल के प्रभारी अमित मालवीय ने कर्नाटक चुनाव की तारीख ट्वीट किया तो चुनाव आयोग सवालों विवादों में घिर गया. भला ऐसा कैसे हो सकता है कि चुनाव आयोग से पहले कोई और चुनाव की तारीखों को सार्वजनिक कर दे?
माना जा रहा था कि गुजरात और हिमाचल प्रदेश चुनावों की तारीखों का ऐलान एक साथ होगा. तब चुनाव आयोग ने हिमाचल प्रदेश की तारीखें तो बता दीं, लेकिन बाढ़ की दुहाई देकर गुजरात के नाम पर मुंह बंद कर लिया.
एक बार फिर चुनाव आयोग की ठीक वैसी ही हरकत सामने आयी है - और ये लगातार तीसरी बार हुआ है - हैट्रिक. चुनाव आयोग पर सत्ताधारी बीजेपी को मदद पहुंचाने का इल्जाम लगाया जा रहा है.
हुआ ये कि चुनाव आयोग ने मीडिया को 12.30 बजे प्रेस कांफ्रेंस की सूचना भिजवायी. फिर कुछ ही देर बाद बताया गया कि तैयारियों के लिए थोड़ा वक्त चाहिये था, इसलिए नियत वक्त में तब्दीली कर उसे 3 बजे कर दिया गया है.
खास बात ये रही कि इसी दौरान एक बजे अजमेर में प्रधानमंत्री नरेंद मोदी की रैली होनी थी. कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने सीधा आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने प्रधानमंत्री...
6 अक्टूबर, 2018 को राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में दिन के 3 बजे से आचार संहिता लागू हो गयी है. पहले ऐसा 12.30 बजे से होने वाला था, लेकिन अपरिहार्य कारणों से चुनाव आयोग ने तीन घंटे की मोहलत ले ली. चुनाव आयोग ने ये मोहलत खुद तो ली ही थी - एक ऐसा मौका भी उपलब्ध करा दिया जो कोई और भी चाहे तो उसके काम आ सके.
गुजरात और कर्नाटक चुनाव के बाद चुनाव आयोग की ओर से सामने आया ये तीसरा लोचा है - सवाल है कि कोई आयोग की निष्पक्षता पर भरोसा करे तो कैसे?
फिर सवालों में चुनाव आयोग
27 मार्च, 2018 को जब बीजेपी के आईटी सेल के प्रभारी अमित मालवीय ने कर्नाटक चुनाव की तारीख ट्वीट किया तो चुनाव आयोग सवालों विवादों में घिर गया. भला ऐसा कैसे हो सकता है कि चुनाव आयोग से पहले कोई और चुनाव की तारीखों को सार्वजनिक कर दे?
माना जा रहा था कि गुजरात और हिमाचल प्रदेश चुनावों की तारीखों का ऐलान एक साथ होगा. तब चुनाव आयोग ने हिमाचल प्रदेश की तारीखें तो बता दीं, लेकिन बाढ़ की दुहाई देकर गुजरात के नाम पर मुंह बंद कर लिया.
एक बार फिर चुनाव आयोग की ठीक वैसी ही हरकत सामने आयी है - और ये लगातार तीसरी बार हुआ है - हैट्रिक. चुनाव आयोग पर सत्ताधारी बीजेपी को मदद पहुंचाने का इल्जाम लगाया जा रहा है.
हुआ ये कि चुनाव आयोग ने मीडिया को 12.30 बजे प्रेस कांफ्रेंस की सूचना भिजवायी. फिर कुछ ही देर बाद बताया गया कि तैयारियों के लिए थोड़ा वक्त चाहिये था, इसलिए नियत वक्त में तब्दीली कर उसे 3 बजे कर दिया गया है.
खास बात ये रही कि इसी दौरान एक बजे अजमेर में प्रधानमंत्री नरेंद मोदी की रैली होनी थी. कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने सीधा आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने प्रधानमंत्री की रैली के चलते ही प्रेस कांफ्रेंस का समय बदल दिया.
भला कुदरत पर चलती किसकी है?
राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे 4 अगस्त से गौरव यात्रा पर निकली थीं. गौरव यात्रा की शुरुआत बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने की थी, समापन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को करना था. तय कार्यक्रम के तहत प्रधानमंत्री मोदी अजमेर पहुंचे.
कांग्रेस के आरोपों के साये में देखें तो प्रधानमंत्री के कार्यक्रम के हिसाब से चुनाव आयोग तो मनमाफिक चल पड़ा, बाकी चीजें भी पक्ष में खड़ी थीं, लेकिन कुदरत पर आज तक किसका वश चला है भला?
प्रधानमंत्री मोदी जब भाषण दे रहे थे तभी अचानक वहां तेज हवाएं चलने लगीं. देखते ही देखते धूल भरी आंधी ने पूरे इलाके को धीरे धीरे अपनी आगोश में ले लिया. जब तक संभव हो सका प्रधानमंत्री मोदी ने अपना भाषण चालू रखा - हवाओं के बीच माहौल को अपने पक्ष मोड़ने की कोशिश भी पूरी की.
प्रधानमंत्री ने कहा कि कुदरत भी साथ देने लगी है. विजय की आंधी चल पड़ी है. और जब धरती माता आशीर्वाद देने आती हैं तो विजय निश्चित हो जाती है. इतना कहते कहते प्रधानमंत्री मोदी को अपना भाषण खत्म करना पड़ा.
तब तक जितना हो सकता प्रधानमंत्री ने अपनी बातें बता जरूर दी थी. निशाने पर कांग्रेस और एक परिवार की राजनीति रही. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि राजस्थान में 13 लाख परिवार ऐसे थे जो 18वीं सदी में अंधेरी नगरी में जीवन जीने को मजबूर थे. प्रधानमंत्री बोले, "हमने हर गांव और हर घर में बिजली पहुंचाने का बीड़ा उठाया, जिसे लागू करते हुए वसुंधरा राजे सरकार ने करीब 13 लाख परिवारों को बिजली पहुंचाने का काम पूरा कर दिया."
प्रधानमंत्री ने महिला मतदाताओं को भी लुभाने की कोशिश की, "हमारी सरकार में भी 30 प्रतिशत से अधिक महिलाएं काम कर रही हैं... शिक्षा और आरोग्य में तो इससे ज्यादा संख्या है... सरकार में काम करने वाली बहनों को प्रसव के समय के छुट्टी कम मिलती थी, लेकिन हमारी सरकार ने डिलीवरी की छुट्टी 26 हफ्ते कर दी... ये छुट्टी पगार के साथ होगी... ये निर्णय दुनिया के बड़े-बड़े देश भी नहीं कर पाए..."
पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव - कब और कहां?
चुनाव आयोग ने पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के लिए तीन तारीखें तय की हैं. सिर्फ छत्तीसगढ़ में दो चरणों में चुनाव होंगे जबकि बाकी चार राज्यों में एक ही दिन में वोटिंग पूरी हो जाएगी.
1. राजस्थान और तेलंगाना विधानसभा चुनाव : राजस्थान और तेलंगाना दोनों ही राज्यों में एक ही दिन 7 दिसंबर को मतदान होगा.
राजस्थान में विधानसभा की कुल 200 सीटें हैं. 2013 में 163 सीटें जीत कर बीजेपी वसुंधरा राजे सिंधिया के नेतृत्व में सरकार बनाने में कामयाब रही जबकि कांग्रेस के हिस्से 21 सीटें ही आयीं. राजस्थान में बीएसपी के खाते में भी तीन सीटें आयी थीं. बाद में हुए उपचुनावों में कांग्रेस को बड़ी कामयाबी मिली.
तेलंगाना में कुल 119 विधानसभा सीटें हैं जहां 2014 में आम चुनाव के साथ ही राज्य के विधानसभा चुनाव भी हुए थे. हाल ही में मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने समय से पहले ही विधानसभा भंग कर दी थी.
2. मध्य प्रदेश और मिजोरम विधानसभा चुनाव : मध्य प्रदेश और मिजोरम में भी एक ही चरण में वोटिंग होगी - 28 नवंबर को.
मध्य प्रदेश में विधानसभा की कुल सीटें तो 231 लेकिन 230 सीटों पर ही चुनाव होते हैं और बाकी एक सदस्य को नामित किया जाता है. 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 166, कांग्रेस को 57, बीएसपी को 4 सीटें मिली थीं. मध्य प्रदेश में बीजेपी के शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री हैं.
मिजोरम विधानसभा में कुल 40 सीटें हैं. 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 34, एमएनएफ को 5 और और एमपीसी को 1 सीट मिली थी. मिजोरम में कांग्रेस की सरकार है.
3. छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव : छत्तीगढ़ विधानसभा के लिए दो चरणों में चुनाव होंगे. छत्तीसगढ़ की 18 सीटों पर 12 नवंबर जबकि 72 सीटों पर 20 नवंबर को वोटिंग होगी.
छत्तीसगढ़ में कुल 90 विधानसभा सीटें हैं. 2013 में बीजेपी के 49 विधायक चुनाव जीतकर आये जबकि कांग्रेस को 39 सीटें मिलीं. बीएसपी को यहां सिर्फ एक सीट पर जीत मिल पायी थी.
सभी चुनावों के लिए वोटों की गिनती 11 दिसंबर को होगी और उसी दिन नतीजे भी आएंगे.
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