2019 के लोकसभा चुनाव से पहले पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों का आगाज़ छत्तीसगढ़ से हो चुका है. सभी पार्टियों ने चुनाव से पहले घोषणापत्र जारी करना शुरू कर दिया है. इसके द्वारा पार्टियां अपनी पार्टी की विचारधारा, नीतियों और कार्ययोजना का ब्योरा देती हैं, यानी बताती हैं कि अगर वह सत्ता में आईं, तो क्या-क्या करेंगी. साथ ही जनता भी यह उम्मीद करती है कि इनके द्वारा किये गए वादों पर वो खरे उतरेंगे और उसी के अनुसार वो मतदान करती है. इस तरह पार्टियां अपने घोषणापत्र में ऐसी घोषणाएं करती हैं जो मतदाताओं को लुभा सकें और वो चुनाव जीत सकें.
लेकिन आजकल तो घोषणापत्र का नाम ही बदल गया है. शायद इन राजनीतिक पार्टियों को अहसास हो चुका है कि इन घोषणापत्रों से जनता का विश्वास उठ रहा है. अब घोषणापत्र को संकल्प-पत्र, शपथपत्र, वचन-पत्र, अटल दृष्टि इत्यादि के नाम से जारी किया जा रहा है. और जहां तक बात रही विचारधारा की तो बस एक ही विचारधारा होती है कि चुनाव कैसे जीता जाए.
छत्तीसगढ़ में भाजपा ने 'अटल संकल्प पत्र' जारी किया
छत्तीसगढ़ विधानसभी चुनाव के लिए भाजपा ने अपना घोषणा पत्र को 'अटल संकल्प पत्र' के नाम से जारी किया. इसके अनुसार किसानों की फसल ज्यादा समर्थन मूल्य पर खरीदी और दाम बढ़ाना, 9वीं कक्षा में प्रवेश करने वाले छात्रों को मुफ्त साइकिल देना, 12वीं कक्षा के छात्रों को मुफ्त किताबें और यूनिफॉर्म देना, 2022 तक सभी को आवास देने का लक्ष्य, 60 साल से ज्यादा उम्र के मजदूरों को प्रतिमाह 1 हजार रुपये पेंशन देना, महिलाओं को अपना व्यापार शुरू करने के लिए 2 लाख रुपये तक ब्याजमुक्त ऋण देना, मेधावी छात्रों को मुफ्त स्कूटी देने का ऐलान करना इत्यादि शामिल...
2019 के लोकसभा चुनाव से पहले पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों का आगाज़ छत्तीसगढ़ से हो चुका है. सभी पार्टियों ने चुनाव से पहले घोषणापत्र जारी करना शुरू कर दिया है. इसके द्वारा पार्टियां अपनी पार्टी की विचारधारा, नीतियों और कार्ययोजना का ब्योरा देती हैं, यानी बताती हैं कि अगर वह सत्ता में आईं, तो क्या-क्या करेंगी. साथ ही जनता भी यह उम्मीद करती है कि इनके द्वारा किये गए वादों पर वो खरे उतरेंगे और उसी के अनुसार वो मतदान करती है. इस तरह पार्टियां अपने घोषणापत्र में ऐसी घोषणाएं करती हैं जो मतदाताओं को लुभा सकें और वो चुनाव जीत सकें.
लेकिन आजकल तो घोषणापत्र का नाम ही बदल गया है. शायद इन राजनीतिक पार्टियों को अहसास हो चुका है कि इन घोषणापत्रों से जनता का विश्वास उठ रहा है. अब घोषणापत्र को संकल्प-पत्र, शपथपत्र, वचन-पत्र, अटल दृष्टि इत्यादि के नाम से जारी किया जा रहा है. और जहां तक बात रही विचारधारा की तो बस एक ही विचारधारा होती है कि चुनाव कैसे जीता जाए.
छत्तीसगढ़ में भाजपा ने 'अटल संकल्प पत्र' जारी किया
छत्तीसगढ़ विधानसभी चुनाव के लिए भाजपा ने अपना घोषणा पत्र को 'अटल संकल्प पत्र' के नाम से जारी किया. इसके अनुसार किसानों की फसल ज्यादा समर्थन मूल्य पर खरीदी और दाम बढ़ाना, 9वीं कक्षा में प्रवेश करने वाले छात्रों को मुफ्त साइकिल देना, 12वीं कक्षा के छात्रों को मुफ्त किताबें और यूनिफॉर्म देना, 2022 तक सभी को आवास देने का लक्ष्य, 60 साल से ज्यादा उम्र के मजदूरों को प्रतिमाह 1 हजार रुपये पेंशन देना, महिलाओं को अपना व्यापार शुरू करने के लिए 2 लाख रुपये तक ब्याजमुक्त ऋण देना, मेधावी छात्रों को मुफ्त स्कूटी देने का ऐलान करना इत्यादि शामिल हैं.
यही नहीं भाजपा ने 'नवा छत्तीसगढ़' यानी भविष्य के छत्तीसगढ़ के संकल्प को भी अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर जारी किया जिसे 'अटल दृष्टि पत्र' कहा गया. जिसमें 2025 का छत्तीसगढ़ कैसा होगा इसकी परिकल्पना की गई है.
जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) ने जारी किया शपथ पत्र
जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे), बहुजन समाज पार्टी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार अजीत जोगी ने पार्टी का घोषणा पत्र स्टांप पेपर में शपथ पत्र के रूप में प्रस्तुत किया. इसके अनुसार अगर वो सरकार बनाती है तो राज्य के किसानों के द्वारा उत्पादन किया गया धान 2500 रुपए प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य देकर खरीदेगी तथा उन्हें पांच हार्स पावर तक की बिजली मुफ्त देगी और उनका कर्जा भी माफ करेगी.
राज्य के स्थानीय लोगों को सरकारी नौकरियों में सौ प्रतिशत आरक्षण देगी और नौकरी न दिए जाने तक सभी मैट्रिक पास बेरोजगारों को 1001 रुपए, सभी ग्रेजुएट पास बेरोजगारों को 1501 रुपए और सभी पोस्ट ग्रेजुएट पास बेरोजगारों को 2001 रुपए प्रतिमाह बेरोजगारी भत्ता देने का आदेश पारित करेगी.
मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने जारी किया ‘वचन पत्र’
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस पार्टी ने अपना घोषणापत्र ‘वचनपत्र’ के नाम से जारी किया है. कांग्रेस के मुताबिक यह ‘वचनपत्र’ है अर्थात इसमें जो भी बिंदू शामिल किए गए हैं, उन्हें पूरा किया जाएगा.
इसके तहत सभी किसानों का दो लाख रूपए तक का कर्ज माफ करने की घोषणा की गई. गरीबों के आवास मुहैया कराने की नीति पर जोर रहेगा तथा गरीबों के बिजली बिलों में राहत दी जाएगी.
लगता है इन चुनावी घोषणापत्रों का नाम बदलना इन राजनीतिक पार्टियों की मजबूरी हो गया है. पार्टियों को अहसास हो चला है कि मात्र घोषणा करने से ही उन्हें जीत हासिल नहीं हो सकती. उन्हें लगता है कि इन बदले हुए नामों के जरिए मतदाताओं को अपने पक्ष में आसानी से किया जाता है. ये पार्टियां जनता को ये भरोसा दिलाना चाहती हैं कि ये केवल इनकी घोषणा नहीं हैं बल्कि वो शपथ के साथ किये गए इन वादों पर अमल करेंगे.
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