ओ पनीरसेल्वम को लोगों से काफी उम्मीद रही होगी. मगर लोगों ने उनसे जल्लीकट्टू का उद्घाटन कराने की बजाये बैरंग लौटा दिया. थक हार कर पनीरसेल्वम को कहना पड़ा कि लोग जब और जैसे चाहें जल्लीकट्टू का जश्न मना सकते हैं.
देर भी, अंधेर भी
लोकतंत्र में जनता ही भगवान होती है. फिर तो जनता के दरबार में भी देर और अंधेर जैसी बातें होती होंगी. कहते हैं भगवान के घर देर है लेकिन अंधेर नहीं है. पनीरसेल्वम के सामने तो देर भी है और अंधेरा भी घना नजर आ रहा है.
पनीरसेल्वम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर उन्हें जल्लीकट्टू पर ऑर्डिनेंस के लिए मनाया. जयललिता ने भी इस बारे में कोशिश की थी लेकिन मामला लटका रहा. पनीरसेल्वम ने ऑर्डिनेंस को अमलीजामा पहनाने के बाद विधानसभा में बिल लाने का भी भरोसा दिलाया है. फिर भी लोगों को यकीन क्यों नहीं हो रहा?
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चेन्नई में आये वरदा तूफान के वक्त भी पनीरसेल्वम मौके पर मौजूद रहे. जब जहां जरूरत समझ आई दौड़ पड़े. जयललिता तो चेन्नई की भीषण बाढ़ के वक्त भी सड़कों पर निकली नहीं थीं. फिर भी उनसे किसी को शिकायत नहीं रही.
तस्वीरों की रेस में कहां हैं पनीरसेल्वम... |
लगता है कुछ भी कर लें, लेकिन पनीरसेल्वम कभी जयललिता की जगह की थोड़ी सी भी भरपाई नहीं कर सकते. उधर, अंदर बैठे बैठे भी वीके शशिकला धीरे धीरे जयललिता को...
ओ पनीरसेल्वम को लोगों से काफी उम्मीद रही होगी. मगर लोगों ने उनसे जल्लीकट्टू का उद्घाटन कराने की बजाये बैरंग लौटा दिया. थक हार कर पनीरसेल्वम को कहना पड़ा कि लोग जब और जैसे चाहें जल्लीकट्टू का जश्न मना सकते हैं.
देर भी, अंधेर भी
लोकतंत्र में जनता ही भगवान होती है. फिर तो जनता के दरबार में भी देर और अंधेर जैसी बातें होती होंगी. कहते हैं भगवान के घर देर है लेकिन अंधेर नहीं है. पनीरसेल्वम के सामने तो देर भी है और अंधेरा भी घना नजर आ रहा है.
पनीरसेल्वम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर उन्हें जल्लीकट्टू पर ऑर्डिनेंस के लिए मनाया. जयललिता ने भी इस बारे में कोशिश की थी लेकिन मामला लटका रहा. पनीरसेल्वम ने ऑर्डिनेंस को अमलीजामा पहनाने के बाद विधानसभा में बिल लाने का भी भरोसा दिलाया है. फिर भी लोगों को यकीन क्यों नहीं हो रहा?
इसे भी पढ़ें : जल्लीकट्टू की जंग में सींग के सामने पनीरसेल्वम ही हैं
चेन्नई में आये वरदा तूफान के वक्त भी पनीरसेल्वम मौके पर मौजूद रहे. जब जहां जरूरत समझ आई दौड़ पड़े. जयललिता तो चेन्नई की भीषण बाढ़ के वक्त भी सड़कों पर निकली नहीं थीं. फिर भी उनसे किसी को शिकायत नहीं रही.
तस्वीरों की रेस में कहां हैं पनीरसेल्वम... |
लगता है कुछ भी कर लें, लेकिन पनीरसेल्वम कभी जयललिता की जगह की थोड़ी सी भी भरपाई नहीं कर सकते. उधर, अंदर बैठे बैठे भी वीके शशिकला धीरे धीरे जयललिता को रिप्लेस करने की दिशा में बढ़ती जा रही हैं.
तस्वीरें गवाह हैं!
जयललिता के जिन्दा रहते तो पनीरसेल्वम को मालूम रहता होगा कि तब तक तो वो मुख्यमंत्री हैं ही जब तक अम्मा जेल से छूट कर कामकाज नहीं संभाल लेतीं. मौजूदा दौर में तो पनीरसेल्वम को ये बातें ज्यादा अनिश्चित सी लगती होंगी. ये बात अलग है कि वो फिलहाल औपचारिक तौर पर पूरी तरह मुख्यमंत्री हैं जिन्हें एआईएडीएमके विधायकों का विश्वास हासिल है.
चेन्नई और दिल्ली की पॉवर गैलरी की चर्चाएं अलग ही कहानी कह रही हैं. एक वरिष्ठ पत्रकार के कॉलम से मालूम होता है कि शशिकला को पूरी उम्मीद है कि वो जल्द ही मुख्यमंत्री बन जाएंगी. कॉलम में एक तारीख का भी जिक्र है जब उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है.
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चर्चा है कि शशिकला के पति एम नटराजन दिल्ली के नेताओं, जिनमें कई वकील भी हैं, से मिल कर रास्ता बना रहे हैं कि किस तरह शशिकला को कानूनी पचड़ों से बचाया जा सकता है. शशिकला फिलहाल जयललिता की जगह एआईएडीएमके की महा सचिव बनाई गई हैं. जयललिता के बाद आय से अधिक संपत्ति वाले केस में शशिकला का नाम है.
शशिकला की राह उनके समर्थकों की लॉबी आसान बना रही है. ये वही समर्थक हैं जिनकी बदौलत शशिकला पार्टी चीफ बन चुकी हैं - अब वो अपने नये मिशन में लगे हैं.
दिलचस्प बात ये है कि एआईएडीएमके के ज्यादातर समर्थक और नेता जो पहले जेब में जयललिता की फोटो रखे होते थे वे शशिकला और जयललिता दोनों की तस्वीरें रखने लगे हैं.
तस्वीरों की इस सियासत में पनीरसेल्वम का चेहरा गायब है. यहां तक कि मंत्रालयों के दफ्तरों में भी हर तरह शशिकला की ही तस्वीर लगी है, पनीरसेल्वम वहां भी नदारद हैं.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.