उत्तर प्रदेश में 2017 में चुनाव हुए थे. बड़ा सियासी उलटफेर हुआ. भाजपा बहुमत में आई. तमाम अटकलों को विराम देते हुए उत्तर प्रदेश जैसे विशाल सूबे की कमान योगी आदित्यनाथ को दी गई और अखिलेश यादव मुख्यमंत्री से उप मुख्यमंत्री बन गए. उत्तर प्रदेश का अगला चुनाव 2022 में है, जिसे आने में अभी 4 साल बचे हैं. ऐसे में इस सवाल का उठाना लाजमी है कि तब तक अखिलेश क्या करेंगे. इस प्रश्न का सीधा जवाब है कि अखिलेश होटल खोलेंगे. बात अगर पिता उत्तर प्रदेश के तीन बार के मुख्यमंत्री और अखिलेश के पिता मुलायम सिंह यदाव की हो तो मुलायम का भी लाइब्रेरी खोलने का प्लान है.
जी हां बिल्कुल सही सुना आपने. उत्तर प्रदेश रूपी रणभूमि के दो बड़े योद्धा अखिलेश सिंह यादव और मुलायम सिंह यादव राजनीति छोड़ वो करने जा रहे हैं जिसकी कल्पना शायद ही किसी ने की हो. जहां एक तरफ पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश पत्नी डिम्पल यदव संग हेरिटेज होटल खोलने की इच्छा रखते हैं तो वहीं दूसरी तरफ उनके पिता मुलायम सिंह यादव ने एलडीए से अपने आवास में लाइब्रेरी खोलने की अनुमति मांगी है.
ज्ञात हो कि अखिलेश यादव, उनकी पत्नी डिंपल यादव व मुलायम सिंह यादव ने लखनऊ विकास प्राधिकरण में नक़्शे को पास कराने के लिए आवेदन किया है. यदि एलडीए ये नक्शा पास कर देते हैं तो जल्द ही हमें लखनऊ स्थित 1ए विक्रमादित्य मार्ग पर अखिलेश का होटल दिखेगा तो वहीं 2 विक्रमादित्य मार्ग पर मुलायम सिंह लाइब्रेरी और वाचनालय होगा. बात अगर इस होटल के नाम की हो तो आपको बताते चलें कि उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अपने इस होटल का नाम हिबिस्कस हेरिटेज रखना चाहते हैं.
अखिलेश के होटल इंडस्ट्री में कदम रखकर बिजनेसमेन बनने के इरादे के बाद सूबे में चर्चाओं...
उत्तर प्रदेश में 2017 में चुनाव हुए थे. बड़ा सियासी उलटफेर हुआ. भाजपा बहुमत में आई. तमाम अटकलों को विराम देते हुए उत्तर प्रदेश जैसे विशाल सूबे की कमान योगी आदित्यनाथ को दी गई और अखिलेश यादव मुख्यमंत्री से उप मुख्यमंत्री बन गए. उत्तर प्रदेश का अगला चुनाव 2022 में है, जिसे आने में अभी 4 साल बचे हैं. ऐसे में इस सवाल का उठाना लाजमी है कि तब तक अखिलेश क्या करेंगे. इस प्रश्न का सीधा जवाब है कि अखिलेश होटल खोलेंगे. बात अगर पिता उत्तर प्रदेश के तीन बार के मुख्यमंत्री और अखिलेश के पिता मुलायम सिंह यदाव की हो तो मुलायम का भी लाइब्रेरी खोलने का प्लान है.
जी हां बिल्कुल सही सुना आपने. उत्तर प्रदेश रूपी रणभूमि के दो बड़े योद्धा अखिलेश सिंह यादव और मुलायम सिंह यादव राजनीति छोड़ वो करने जा रहे हैं जिसकी कल्पना शायद ही किसी ने की हो. जहां एक तरफ पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश पत्नी डिम्पल यदव संग हेरिटेज होटल खोलने की इच्छा रखते हैं तो वहीं दूसरी तरफ उनके पिता मुलायम सिंह यादव ने एलडीए से अपने आवास में लाइब्रेरी खोलने की अनुमति मांगी है.
ज्ञात हो कि अखिलेश यादव, उनकी पत्नी डिंपल यादव व मुलायम सिंह यादव ने लखनऊ विकास प्राधिकरण में नक़्शे को पास कराने के लिए आवेदन किया है. यदि एलडीए ये नक्शा पास कर देते हैं तो जल्द ही हमें लखनऊ स्थित 1ए विक्रमादित्य मार्ग पर अखिलेश का होटल दिखेगा तो वहीं 2 विक्रमादित्य मार्ग पर मुलायम सिंह लाइब्रेरी और वाचनालय होगा. बात अगर इस होटल के नाम की हो तो आपको बताते चलें कि उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अपने इस होटल का नाम हिबिस्कस हेरिटेज रखना चाहते हैं.
अखिलेश के होटल इंडस्ट्री में कदम रखकर बिजनेसमेन बनने के इरादे के बाद सूबे में चर्चाओं का बाजार गर्म तो है मगर कोई इस विषय पर कुछ बोलने को तैयार नहीं है. अखिलेश के इस प्लान पर जब मीडिया ने सपा प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने ये कहते हुए अपना पल्ला झाड़ दिया कि, "'अखिलेश यादव फ़िलहाल अपने परिवार के साथ विदेश यात्रा पर हैं और इस हेरिटेज होटल और वाचनालय के बारे में उनके पास कोई जानकारी नहीं है. वहीं अखिलेश के अच्छे दोस्तों में शुमार और सपा एमएलसी आनंद भदौरिया ने ट्वीट कर ये साफ कर दिया है कि ये एक इन्स्टिट्यूशनल लैंड है अतः इसे होटल न कहकर विशिष्ट अतिथि गृह की संज्ञा दी जाए.
गौरतलब है कि अखिलेश यादव जो होटल खोलना चाहते हैं उसके लिए उन्होंने दिल्ली की रहने वाली उज्ज्वला रामनाथ से 2005 में 23,872 वर्ग फुट जमीन खरीदी थी और इसके लिए उन्होंने उज्ज्वला को 39 लाख रुपए चुकाए थे. वहीं इस प्लॉट के बगल में एक अन्य प्लॉट है. इस प्लाट को भी यादव परिवार द्वारा 2005 में खरीदा गया था. ये प्लॉट 23,000 वर्ग फुट में है और मुलायम सिंह इस ज़मीन पर लाइब्रेरी खोलने की इच्छा रखते हैं जिसके लिए उन्होंने भी एलडीए को चिट्ठी लिखी है.
होटल और वाचनालय के निर्माण के लिए मांगी गई परमीशन के बाद एलडीए ने नगर निगम, जलकल, राज्य संपत्ति विभाग, नजूल अधिकारी एलडीए और एडीजी सुरक्षा से निर्माण की अनुमति देने और मानचित्र स्वीकृत करने के लिए एनओसी मांगी है. चूंकि मामला हाई प्रोफाइल है अतः एलडीए भी अभी इस पर चुप्पी साधे हैं और अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं.
बहरहाल अब जब अखिलेश होटल इंडस्ट्री में आ ही रहे हैं तो देखना दिलचस्प होगा कि वो इसमें कितना सफल हो पाएंगे. मगर इस पूरे मामले से इतना तो साफ है कि अखिलेश के इस फैसले ने उनके आलोचकों को टेंशन दे दी है और फिल्हाल वो इसी फ़िराक में हैं कि ऐसा क्या किया जाए जिससे इस मामले को लेकर उन्हें अखिलेश की आलोचना का मौका मिल सके.
अंत में इतना ही कि ये अखिलेश का एक सोचा समझा फैसला है जिसका हमें स्वागत करना चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि लोकतंत्र ने हमारी तरह अखिलेश को भी बिजनेस करने का हक दिया है और वो वही कर रहे हैं जिसको करते हुए हममे से बहुत लोग सफल हुए हैं.
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