हाल ही में पश्चिम बंगाल में हुए पंचायत चुनाव के बाद बीजेपी काफी उत्साहित है. उनका खुश होना भी लाजमी है क्योंकि पंचायत चुनाव में उसे करीब 24 प्रतिशत वोट शेयर मिला था. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह 27 और 28 जून को पश्चिम बंगाल का दौरा कर रहे हैं सिर्फ इसी मकसद से कि आने वाले लोकसभा चुनाव में क्या रणनीति अपनायी जाए, जिससे बीजेपी की सीटों में वृद्धि हो. अमित शाह ने पश्चिम बंगाल की 42 में से 22 सीटें बीजेपी की झोली में डालने का टारगेट रखा है. लेकिन राज्य इकाई की ओर से 26 सीटें जीतने का ब्लू प्रिंट तैयार किया गया है. 2014 लोक सभा चुनाव में पश्चिम बंगाल से बीजेपी दो सीटें जितने में कामयाब हो पायी थी. टीएमसी ने 34 सीटों पर जीत हासिल की थी.
अमित शाह और बीजेपी को बंगाल में जीत की उम्मीद क्यों है?
2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में अभी एक साल का वक़्त है, लेकिन अमित शाह और बीजेपी के लिए ममता का गढ़ काफी महत्व रखता है क्योंकि हाल के चुनावों का विश्लेषण करें तो ये पाएंगे कि बीजेपी लगातार राज्य में मुख्य विपक्षी पार्टी के रूप में उभर कर सामने आ रही है और उसने एक समय के शक्तिशाली दल वाम मोर्चा को भी तीसरे स्थान पर ढकेल दिया है.
त्रिपुरा विधानसभा में बीजेपी का शानदार प्रदर्शन ममता बनर्जी के लिए अलार्म से कम नहीं था. बीजेपी ने बंगाल में अपनी पैठ बढ़ाने के लिए कोई भी कार्य अधूरा नहीं छोड़ा है. धीरे-धीरे हाल के वर्षो में टीएमसी को मुख्य चुनौती अमित शाह के नेतृत्व में बीजेपी द्वारा मिली है. बीजेपी के लगातार अच्छा प्रदर्शन ने वाम दलों और कांग्रेस को किनारे कर दिया है. बीजेपी के बढ़ते हुए वर्चस्व के कारण ही ममता बनर्जी ने भी केंद्र और प्रधानमंत्री नरेंद्र...
हाल ही में पश्चिम बंगाल में हुए पंचायत चुनाव के बाद बीजेपी काफी उत्साहित है. उनका खुश होना भी लाजमी है क्योंकि पंचायत चुनाव में उसे करीब 24 प्रतिशत वोट शेयर मिला था. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह 27 और 28 जून को पश्चिम बंगाल का दौरा कर रहे हैं सिर्फ इसी मकसद से कि आने वाले लोकसभा चुनाव में क्या रणनीति अपनायी जाए, जिससे बीजेपी की सीटों में वृद्धि हो. अमित शाह ने पश्चिम बंगाल की 42 में से 22 सीटें बीजेपी की झोली में डालने का टारगेट रखा है. लेकिन राज्य इकाई की ओर से 26 सीटें जीतने का ब्लू प्रिंट तैयार किया गया है. 2014 लोक सभा चुनाव में पश्चिम बंगाल से बीजेपी दो सीटें जितने में कामयाब हो पायी थी. टीएमसी ने 34 सीटों पर जीत हासिल की थी.
अमित शाह और बीजेपी को बंगाल में जीत की उम्मीद क्यों है?
2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में अभी एक साल का वक़्त है, लेकिन अमित शाह और बीजेपी के लिए ममता का गढ़ काफी महत्व रखता है क्योंकि हाल के चुनावों का विश्लेषण करें तो ये पाएंगे कि बीजेपी लगातार राज्य में मुख्य विपक्षी पार्टी के रूप में उभर कर सामने आ रही है और उसने एक समय के शक्तिशाली दल वाम मोर्चा को भी तीसरे स्थान पर ढकेल दिया है.
त्रिपुरा विधानसभा में बीजेपी का शानदार प्रदर्शन ममता बनर्जी के लिए अलार्म से कम नहीं था. बीजेपी ने बंगाल में अपनी पैठ बढ़ाने के लिए कोई भी कार्य अधूरा नहीं छोड़ा है. धीरे-धीरे हाल के वर्षो में टीएमसी को मुख्य चुनौती अमित शाह के नेतृत्व में बीजेपी द्वारा मिली है. बीजेपी के लगातार अच्छा प्रदर्शन ने वाम दलों और कांग्रेस को किनारे कर दिया है. बीजेपी के बढ़ते हुए वर्चस्व के कारण ही ममता बनर्जी ने भी केंद्र और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ आक्रामक नीति अख्तियार कर ली है. इतना ही नहीं नरेंद्र मोदी को सत्ता में आने से रोकने के लिए उन्हें बिना मत वाले दलों के गठबंधन से भी गुरेज़ नहीं है.
पंचायत चुनाव में बीजेपी दूसरी बड़ी पार्टी बन कर उभरी है. बंगाल में भाजपा ने करीब 32000 ग्राम पंचायत सीटों में से 5700 से अधिक में जीत दर्ज की थी. आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र पुरूलिया, झारग्राम, पश्चिम मिदनापुर और बांकुरा में बीजेपी का प्रदर्शन काफी अच्छा था. उत्तर बंगाल और मुस्लिम डोमिनेटेड डिस्ट्रिक्ट मालदा जिसे कांग्रेस का गढ़ कहा जाता है वहां भी बीजेपी का प्रदर्शन अच्छा रहा. वो कांग्रेस और लेफ्ट से आगे दूसरे नंबर पर रही.
2014 लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 17.02 वोट शेयर हासिल करने में सफलता पायी थी जो 2009 की तुलना में करीब 6 .4 प्रतिशत अधिक था. 2016 के विधानसभा चुनाव में उसे 10.16 प्रतिशत वोट शेयर प्राप्त हुए थे. कुल मिला कर कहें तो बीजेपी वहां पर अपनी जड़े ज़माने में सफल हो गयी है लेकिन पेड़ का स्वरुप लेना बाकी है. अमित शाह और बीजेपी की टीम इसी फ़िराक में जुटी है कि कैसे त्रिपुरा और अन्य विजयी राज्यों जैसे प्रदर्शन को बंगाल में भी दोहराया जाए.
हाल के दिनों में जिस प्रकार से विपक्ष एकजुट हुआ है और जिस तरह से गोरखपुर, फूलपुर और कैराना जैसे उप चुनावों में बीजेपी को मुंह की खानी पड़ी है उससे बीजेपी के लिए आने वाला 2019 लोकसभा चुनाव जीतना बहुत ही कठिन प्रतीत हो रहा है. अब देखना ये है कि बीजेपी के चाणक्य, अमित शाह और नरेंद्र मोदी की रणनीति यहां क्या गुल खिलाती है.
पंचायत चुनाव में सफल होने के बाद बीजेपी की उम्मीद काफी बढ़ गयी है. अपने टारगेट को पूरा करने के लिए पार्टी का पूरा ध्यान अपने संगठन को राज्य में फैलाने और बढ़ाने में लगा हुआ है. अमित शाह ने पार्टी को ये दिशा निर्देश दिए हैं कि बूथ लेवल कैडर को और मजबूती प्रदान की जा सके ताकि वोटरों में पकड़ बढ़े]. बीजेपी ने ये दावा किया है कि राज्य के करीब 77000 बूथों में से करीब 65 प्रतिशत में उसके बूथ लेवल कार्यकर्ता तैयार हैं.
केवल राज्य के अंदर ही नहीं बल्कि बाहर से भी ममता पर दबाव बनाया जा रहा है. दिल्ली में बीजेपी के लीडर टीएमसी ऑफिस के बाहर प्रतिदिन धरना दे रहे हैं. बताया जा रहा है कि बंगाल के बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष राहुल सिन्हा, पूर्व अध्यक्ष दिलीप घोष और मुकुल रॉय इस धरने की अगुवाई कर रहे हैं.
बीजेपी ममता सरकार को राज्य में कानून और व्यवस्था के मुद्दे पर लगातार घेरने की कोशिश कर रही है. उनके अनुसार राज्य में पार्टी कार्यकर्ताओं की हत्या और गिरती कानून व्यवस्था लोगों के लिए काफी बड़ा मुद्दा है. उसके अलावा वे महिलाओं की सुरक्षा, बेरोजगारी आदि मुद्दों को भी उठा कर टीएमसी को टारगेट कर रहे हैं. ममता में मुस्लिम तुष्टीकरण का आरोप लगा कर, बीजेपी मतदाताओं को सांप्रदायिक आधार पर बाटनें का भी प्रयास कर रही है.
बीजेपी को उम्मीद है की वो दूसरे राज्य में सीटों के नुकसान को बंगाल में अपनी सीटों में बढ़ोतरी करके उसकी भरपाई कर पायेगी. बंगाल में कुल 42 लोकसभा सीट हैं और बीजेपी अगर अपने टारगेट को 2019 के चुनाव में हासिल कर लेती है तो विजय का ताज फिर उसी के हाथों में होगा.
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