दिल्ली में एक बार फिर मंत्रियों के विभागों में फेरबदल किया गया है. इस बार पहले से ही कई महत्वपूर्ण विभागों का कामकाज देख रहे सत्येंद्र जैन को शहरी विकास जैसे अहम विभाग का मंत्री बनाया गया है. शहरी विकास विभाग इसलिए दिल्ली सरकार के अंदर मायने रखता है क्योंकि कई मसले जैसे अनधिकृत कॉलोनियों में विकास उन्हें नियमित करने से लेकर, MCD को समय समय पर निर्देश देने का जिम्मा भी इसी विभाग के अधिकार क्षेत्र में आता है.
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महत्वपूर्ण ये भी है कि यही वो विभाग है जिसमें केंद्र सरकार के साथ ताल मेल बिठाने की सबसे ज्यादा जरूरत होती है. ये बदलाव इसलिए भी बड़ा है क्योंकि अभी दो महीने भी नहीं हुए जब सत्येंद्र जैन को दिल्ली के हिसाब से अहम परिवहन विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी. तब परिवहन का जिम्मा गोपाल राय के पास था. जैसे ही परिवहन विभाग में प्रीमियम बसों को लेकर हंगामा हुआ तभी केजरीवाल ने गोपाल राय से विभाग लेकर जैन को थमा दिया.
अरविंद केजरीवाल और दिल्ली सरकार में उनके सहयोगी |
क्या है इस फेरबदल के मायने
यूं तो मंत्रिमंडल में मामूली फेरबदल भी बेवजह नहीं होता, उस पर भी केजरीवाल सरकार में तो फैसले कई वजहों को तोल मोल कर ही लिए जाने का इतिहास रहा है. ये बात तो गोपाल राय से परिवहन विभाग लेने के बाद ही साफ़ ही गयी थी कि दिल्ली सरकार में मनीष सिसोदिया के बाद...
दिल्ली में एक बार फिर मंत्रियों के विभागों में फेरबदल किया गया है. इस बार पहले से ही कई महत्वपूर्ण विभागों का कामकाज देख रहे सत्येंद्र जैन को शहरी विकास जैसे अहम विभाग का मंत्री बनाया गया है. शहरी विकास विभाग इसलिए दिल्ली सरकार के अंदर मायने रखता है क्योंकि कई मसले जैसे अनधिकृत कॉलोनियों में विकास उन्हें नियमित करने से लेकर, MCD को समय समय पर निर्देश देने का जिम्मा भी इसी विभाग के अधिकार क्षेत्र में आता है.
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महत्वपूर्ण ये भी है कि यही वो विभाग है जिसमें केंद्र सरकार के साथ ताल मेल बिठाने की सबसे ज्यादा जरूरत होती है. ये बदलाव इसलिए भी बड़ा है क्योंकि अभी दो महीने भी नहीं हुए जब सत्येंद्र जैन को दिल्ली के हिसाब से अहम परिवहन विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी. तब परिवहन का जिम्मा गोपाल राय के पास था. जैसे ही परिवहन विभाग में प्रीमियम बसों को लेकर हंगामा हुआ तभी केजरीवाल ने गोपाल राय से विभाग लेकर जैन को थमा दिया.
अरविंद केजरीवाल और दिल्ली सरकार में उनके सहयोगी |
क्या है इस फेरबदल के मायने
यूं तो मंत्रिमंडल में मामूली फेरबदल भी बेवजह नहीं होता, उस पर भी केजरीवाल सरकार में तो फैसले कई वजहों को तोल मोल कर ही लिए जाने का इतिहास रहा है. ये बात तो गोपाल राय से परिवहन विभाग लेने के बाद ही साफ़ ही गयी थी कि दिल्ली सरकार में मनीष सिसोदिया के बाद अगर कद किसी मंत्री का है तो वो सत्येंद्र जैन हैं. क्योंकि स्वास्थ्य, PWD, गृह, ऊर्जा जैसे हाई प्रोफाइल महकमे तो उनके पास पहले से ही थे. यानि करने को काम कम था ऐसा तो कतई नहीं है. अब पहले परिवहन और अब शहरी विकास विभाग देने का मतलब तो साफ़ है कि केजरीवाल के वो नजदीकी और भरोसेमंद बन गए हैं. या यूं कहें कि संकटमोचक तब भी अतिश्योक्ति शायद ना हो, क्योंकि शहरी विकास विभाग आने वाले समय में कई लिहाज़ से सरकार के लिए जरूरी है.
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शहरी विकास विभाग के अंदर MCD आता है, जिसके चुनाव अगले साल शुरुआत में होने हैं और नगर निगम में बीजेपी की सत्ता है. उसके अलावा दिल्ली सरकार को अनधिकृत कॉलोनियों को रेगुलर करने के लिए केंद्र को साधना जरूरी है. ये वही कॉलोनियां हैं जहाँ दिल्ली की 40 फ़ीसदी आबादी रहती है और आम आदमी पार्टी के लिए वोट बैंक मानी जाती है. इसलिए MCD चुनावों से उन्हें रिझाने की जिम्मेदारी भी अब सत्येंद्र जैन के कंधों पर आ गयी है. इस फेर बदल में अहम बात ये है कि शहरी विकास विभाग अब तक सिसोदिया संभालते थे जिन्हें केजरीवाल का दाहिना हाथ माना जाता है, तो क्या सिसोदिया सरकार में कमजोर हुए हैं और जैन मजबूत? या बात कुछ और ही है.
सिसोदिया को मिलेगा नई जिम्मेदारी! बनेंगे कार्यकारी मुख्यमंत्री?
दरअसल दिल्ली सरकार में जिम्मेदारियों का बंटवारा बड़ा रोचक है. अरविन्द केजरीवाल ने मुख्यमंत्री होने के बावजूद कोई भी विभाग शुरु से ही अपने पास नहीं रखा. ज्यादातर विभाग सिसोदिया के जिम्मे थे उनमें वित्त विभाग भी शामिल है. हालांकि केजरीवाल दफ्तर नियमित तौर पर आते थे और जो सीएम का कामकाज है उसे देखते भी रहे. इस काम में उनकी पूर्व प्रधान सचिव राजेंद्र कुमार की भूमिका अहम रही. लेकिन जैसे जैसे पंजाब, गोवा और गुजरात जैसे राज्यों में आम आदमी पार्टी पैर पसारने की तैयारी में लग रही है, वैसे वैसे केजरीवाल को दिल्ली के लिए कम वक़्त मिल रहा है.
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अब तक बतौर उप मुख्यमंत्री सिसोदिया केजरीवाल की अनुपस्थिति में उनका काम देखते रहे हैं. लेकिन अब तक भी जो फ़ाइल मुख्यमंत्री के कार्यालय से ही गुजरनी होती है उस पर केजरीवाल के दफ्तर की मुहर जरूरी होती है. लेकिन अब जबकि सियासी जिम्मेदारी केजरीवाल के कंधों पर कई गुना बढ़ गयी है तो सिसोदिया को दिल्ली सरकार की पूरी जिम्मेदारी सौंपने की तैयारी है. यानि मुख्यमंत्री भले केजरीवाल ही रहेंगे लेकिन सिसोदिया को उपमुख्यमंत्री के साथ ही कार्यकारी मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी भी देने पर विचार हो रहा है.
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