बिहार में महज एक हफ्ते के अंदर 8.5 लाख टॉयलेट का निर्माण हुआ. ये कहना है पीएम मोदी का. उन्होंने ये बात 10 अप्रैल को बिहार के मोतीहारी में आयोजित स्वच्छता सम्मेलन में कही. जब से पीएम मोदी ने ये दावा किया है, उनके दावे पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. एक ओर तेजस्वी यादव ने उनके इस दावे का गणित बताते हुए कहा कि पीएम मोदी के हिसाब से एक हफ्ते तक हर घंटे 84 टॉयलेट बने. वहीं दूसरी ओर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि पीएम मोदी ऐसे जादुई आंकड़े बताकर जादूगर पीसी सरकार को टक्कर दे रहे हैं. आंकड़ों ने लोगों के हैरान जरूर कर दिया है, लेकिन अगर फैक्ट्स पर ध्यान दें तो एक अलग ही तस्वीर सामने आती है. तो चलिए जानते हैं इस सम्मेलन में पीएम मोदी द्वारा किए गए दावे का सच, लेकिन पहले देख लीजिए तेजस्वी यादव का गणित.
तेजस्वी यादव ने ट्वीट करते हुए कहा है कि पीएम मोदी ने एक सप्ताह में 8.5 लाख टॉयलेट बनाने का दावा किया है. उन्होंने अपने ट्वीट में जो गणित दिखाया है, उसमें माना गया है कि एक हफ्ते तक टॉयलेट बनाने का ये काम 24 घंटे चला होगा. ऐसे में भी हर घंटे 84.31 टॉयलेट बने होंगे. तेजस्वी यादव ने पीएम मोदी के दावे के झूठा कहते हुए ट्वीट किया है. खुद ही देख लीजिए तेजस्वी यादव का गणित.
'महज एक हफ्ते में 8.5 लाख टॉयलेट बनाए गए'
पीएम मोदी ने 10 अप्रैल को आयोजित हुए इस सम्मेलन में दावा किया कि महज एक हफ्ते के अंदर 8.5 लाख शौचालय बने. इसकी वजह से ग्रामीण स्वच्छता कवरेज के मामले में बिहार भी ने 50 फीसदी के स्तर को भी तोड़ दिया. इस दावे की हकीकत जानने के लिए जब BOOM LIVE ने स्वच्छ भारत अभियान के अधिकारियों से संपर्क किया तो एक अलग ही तस्वीर देखने को मिली. अधिकारियों से मिले आंकड़ों के अनुसार पीएम मोदी का ये दावा गलत निकला, लेकिन जब आपको इसकी हकीकत का पता चलेगा तो आप हैरान रह जाएंगे.
एक हफ्ते नहीं, एक महीने में बने ये टॉयलेट
अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार ये आंकड़े एक सप्ताह के नहीं, बल्कि एक महीने के हैं. पीएम मोदी ने तो 8.5 लाख टॉयलेट बनने का दावा किया था, लेकिन आंकड़ों के अनुसार कुल 9.6 लाख टॉयलेट बने. यानी पीएम मोदी ने जो आंकड़ा बताया, उससे भी अधिक टॉयलेट बने. अगर सिर्फ 'सत्याग्रह से स्वच्छाग्रह' कैंपेन की बात की जाए, जो 3 अप्रैल से शुरू होकर 10 अप्रैल को खत्म हुआ तो इस दौरान करीब 5.88 लाख टॉयलेट बने. इसके बाद 10 अप्रैल को पीएम मोदी ने इसे लेकर सभी स्वच्छाग्रहियों के सामने भाषण दिया और उनकी मदद के लिए धन्यवाद भी कहा. सवाल ये उठता है कि आखिर इतने कम समय में इतने अधिक टॉयलेट बने कैसे? और पीएम मोदी से आंकड़े बताने में गलती क्यों हुई?
टॉयलेट बनाने का सच, आंकड़ों की इस तस्वीर से समझिए :
ऐसे बने इतनी भारी संख्या में टॉयलेट
लोगों के मन में सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर इतने कम समय में कैसे इतने सारे टॉयलेट बने. आपको बता दें कि बिहार में टॉयलेट बनाने के लिए 20,000 स्वच्छाग्रहियों ने योगदान दिया. इनमें 10,000 स्वच्छाग्रही पूरे देश से आए थे और बिहार से भी 10,000 स्वच्छाग्रही जमा हुए थे. ये स्वच्छाग्रही 'चलो चंपारण' के आह्वान के तहत बिहार में जमा हुए थे और स्वच्छ भारत मिशन में योगदान दिया. इतनी भारी संख्या में टॉयलेट बनने का कारण यही है कि इसमें सरकार और स्वच्छाग्रहियों ने साथ मिलकर काम किया और इस नामुमकिन काम को मुमकिन बनाया.
बिहार में टॉयलेट निर्माण को लेकर पीएम मोदी ने आंकड़ों को बताने में जो गलती की उसके कई कारण हो सकते हैं. हो सकता है जब तक पीएम मोदी को ये जानकारी दी गई, तब तक 8.5 लाख टॉयलेट ही बन पाए हों. भले ही यह अभियान 3 अप्रैल से 10 अप्रैल तक चला हो, लेकिन इसकी तैयारी 13 मार्च से ही शुरू कर दी गई थी और ये सभी शौचालय पूरी तरह से बनकर इसी एक सप्ताह की अवधि में तैयार हुए हों, जिसकी वजह से पीएम ने एक सप्ताह में ये टॉयलेट बने होने की बात कही. हालांकि, पीएम मोदी द्वारा बताए गए आंकड़ों के लेकर लग रहे आरोपों के बावजूद अभी तक मोदी सरकार की तरफ से कोई सफाई या जवाब नहीं दिया गया है.
ये भी पढ़ें-
भटूरे से जले कांग्रेस वाले, अब हवा भी फूंक कर पीएंगे बीजेपी सांसद
भारत की 'रंग-आ-रंग' राजनीति में हर रंग कुछ कहता है
नरेंद्र मोदी का उपवास 2019 की चुनावी बिसात को अपनी ओर मोड़ने की कोशिश
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.