देश की 17 वीं लोकसभा के लिए 5 चरणों में मतदान हो चुके हैं जबकि 2 चरणों के मतदान शेष हैं. 23 मई को नतीजे आने के बाद इस बात का फैसला हो जाएगा कि भारत का प्रधानमंत्री कौन होगा. बात क्योंकि देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी से जुड़ी हैं इसलिए क्या भाजपा क्या कांग्रेस सभी प्रमुख दल चुनाव जीतने के लिए जी जान एक किये हुए हैं और अपनी तरफ से तरह-तरह के सियासी हथकंडे अपना रहे हैं. स्थिति कैसी हैं और नेता सत्ता सुख के लिए किस लेवल पर उतर आए हैं इसे समझने के लिए हम मध्यप्रदेश के खरगोन और राजस्थान का रुख कर सकते हैं.
बात की शुरुआत एमपी से. किसानों से कर्जमाफी का वादा कर 15 साल बाद सत्ता पाने में कामयाब कांग्रेस अब आगे की जीत के लिए न्याय योजना का सहारा लेती नजर आ रही है. एमपी के खरगोन में किसानों से मांग पात्र भरवाए गए हैं जिनमें गरीब परिवारों को उनके खाते में मासिक 6 हजार रुपए चुनाव के बाद डालने का लालच दिया गया है.
दिलचस्प बात ये है कि मांगपत्र पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस प्रत्याशी अरुण यादव की फोटो लगी है. बात अगर अरुण यादव की हो तो पूर्व एमपी अरुण यादव शिवराज सिंह चौहान से चुनाव हार गए थे अब उन्हें कांग्रेस ने फिर से लोकसभा चुनाव में टिकट दिया है.
भराए जा रहे मांग पत्र पर जब चर्चाओं का दौर शुरू हुआ तो स्थानीय कांग्रेसी नेता संजय पटेल को पार्टी की तरफ से पक्ष रखना पड़ा. संजय पटेल ने कहा है कि हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष गरीबों के उत्थान के लिए, गरीबों के विकास के लिए एक बहुत अच्छी योजना अपने घोषणापत्र में लेकर आए हैं जिसमें हम 72000 रुपए प्रतिवर्ष गरीबों को चिन्हित करके उन्हें देंगे. साथ ही...
देश की 17 वीं लोकसभा के लिए 5 चरणों में मतदान हो चुके हैं जबकि 2 चरणों के मतदान शेष हैं. 23 मई को नतीजे आने के बाद इस बात का फैसला हो जाएगा कि भारत का प्रधानमंत्री कौन होगा. बात क्योंकि देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी से जुड़ी हैं इसलिए क्या भाजपा क्या कांग्रेस सभी प्रमुख दल चुनाव जीतने के लिए जी जान एक किये हुए हैं और अपनी तरफ से तरह-तरह के सियासी हथकंडे अपना रहे हैं. स्थिति कैसी हैं और नेता सत्ता सुख के लिए किस लेवल पर उतर आए हैं इसे समझने के लिए हम मध्यप्रदेश के खरगोन और राजस्थान का रुख कर सकते हैं.
बात की शुरुआत एमपी से. किसानों से कर्जमाफी का वादा कर 15 साल बाद सत्ता पाने में कामयाब कांग्रेस अब आगे की जीत के लिए न्याय योजना का सहारा लेती नजर आ रही है. एमपी के खरगोन में किसानों से मांग पात्र भरवाए गए हैं जिनमें गरीब परिवारों को उनके खाते में मासिक 6 हजार रुपए चुनाव के बाद डालने का लालच दिया गया है.
दिलचस्प बात ये है कि मांगपत्र पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस प्रत्याशी अरुण यादव की फोटो लगी है. बात अगर अरुण यादव की हो तो पूर्व एमपी अरुण यादव शिवराज सिंह चौहान से चुनाव हार गए थे अब उन्हें कांग्रेस ने फिर से लोकसभा चुनाव में टिकट दिया है.
भराए जा रहे मांग पत्र पर जब चर्चाओं का दौर शुरू हुआ तो स्थानीय कांग्रेसी नेता संजय पटेल को पार्टी की तरफ से पक्ष रखना पड़ा. संजय पटेल ने कहा है कि हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष गरीबों के उत्थान के लिए, गरीबों के विकास के लिए एक बहुत अच्छी योजना अपने घोषणापत्र में लेकर आए हैं जिसमें हम 72000 रुपए प्रतिवर्ष गरीबों को चिन्हित करके उन्हें देंगे. साथ ही उन्होंने ये कहा कि हम भी अपने घोषणापत्र को आम जन तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे ताकि लोगों को ये मालूम पड़े कि कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में गरीबों के उत्थान की बात की है.
जब पटेल से कांग्रेस नेताओं द्वारा किये जा रहे इस धोखे पर सवाल हुआ तो उन्होंने बेशर्मी का परिचय देते हुए कहा कि पूरे देश का जो मतदाता है वो कांग्रेस का है. जो कांग्रेस की नीति और जो कांग्रेस के अन्दर विश्वास करता है वो कांग्रेस का कार्यकर्ता है. ऐसे में यदि कार्यकर्ता घोषणापत्र से जन जागरण कर रहा है. मतदाताओं में जागरूकता फैला रहा है तो इसमें कोई बुराई नहीं है और ये उसका कर्त्तव्य है.वो अपने कर्त्तव्य का निर्वाह कर रहा है.
वहीं भाजपा ने इस पूरे मामले पर कांग्रेस को आड़े हाथों लिया है और इसे छलावे का नाम दिया है. इलाके के भाजपा नेता परसराम चौहान ने कहा है कि कांग्रेस फिर से छलावा कर रही है. ये छलावा कुछ वैसा ही है जैसा उसने अभी बीते दिनों कर्ज माफ़ी के नाम पर किया. इसके अलावा चौहान ने ये भी कहा कि अब कांग्रेस ने न्याय के नाम पर अन्याय का प्रोपोगेंडा तैयार किया जा रहा है. कांग्रेस के पास मुद्दे नहीं है. कांग्रेस लालच देकर मतदाता को भ्रमित करने का काम कर रही है.
आपको बताते चलें कि इस मामले पर ग्रामीणों का कहना है कि कुछ लोग आए और उन्होंने उनसे खाता नंबर, आधार कि फोटो कॉपी और मोबाइल नंबर लेकर ये फॉर्म भराए. जब उनसे पूछा गया कि ये पैसा कब आएगा तो उन्होंने बस इतना कहकर बात टाल दी की चुनाव के बाद सभी के खातों में पैसा डाल दिया जाएगा. जिला प्रशासन ने भी मामले को गंभीरता से लिया है और इसकी जांच शुरू कर दी है.
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश की तरह ऐसा ही कुछ मामला राजस्थान में भी देखने को मिला है. सोशल मीडिया पर एक वीडियो बहुत तेजी के साथ वायरल हो रहा है और ये वीडियो राजस्थान के कोटा का बताया जा रहा है. क्षेत्र के मतदान से 48 घंटे पहले, कुछ राजनीतिक कार्यकर्ता कांग्रेस की न्याय योजना के फर्जी फॉर्म बांटते देखे गए, जो शहर में चर्चा का कारण बना. फॉर्म में निजी जानकारी मांगी गई थी और लोगों से 72,000 रुपए प्राप्त करने के लिए खुद को पंजीकृत करने के लिए ई-मित्र पर फॉर्म जमा करने के लिए कहा गया था.
यदि इस वीडियो का अवलोकन किया जाए तो मिलता है कि कई ग्रामीणों, जिनमें विशेषतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों की भोली-भाली महिलाएं शामिल थीं उन्हें NYAY योजना के फॉर्म दिए गए थे, इस पर कांग्रेस के चुनाव चिन्ह के साथ-साथ कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की भी फोटो छपी थी. जब ग्रामीण-जन स्थानीय सरकारी कार्यालय में अपने फॉर्म जमा करने के लिए पहुंचे, तो उन्हें पता चला कि उन्हें जो फॉर्म वितरित किए गए वो नकली थे और इनका वितरण केवल उन्हें धोखा देने के लिए किया गया था.
आखिर क्यों ये एक गंभीर मामला है
यूं तो कांग्रेस की इस साजिश में ऐसी तमाम चीजें हैं जिनपर बात हो सकती हैं मगर चूंकि इसमें आम जनता की बेहद निजी जानकारियां जैसे आधार / पास बुक की फोटो कॉपी, खाता नंबर, मोबाइल नंबर ली जा रही हैं खुद ब खुद इस बात का एहसास हो जाता है कि ये एक गंभीर बात है और इसे हल्के में बिल्कुल भी नहीं किया जा सकता. सवाल उठता है कि यदि ये जानकारियां किसी गलत हाथ में चली गई तो क्या कांग्रेस मामले को रफा दफा कर पाएगी? जवाब है नहीं.
बहरहाल, घटना देखकर यही कहा जा सकता है कि कांग्रेस ने जो कुछ भी किया वो चंद वोटों की लालच में किया. कह सकते हैं कि शायद कांग्रेस को भी इस बात का अंदाजा है कि उसके पास कोई बड़ा मुद्दा नहीं है और क्योंकि चारों तरफ उसकी न्याय स्कीम चर्चा का कारण बनी है इसलिए उसने इसे भुनाने के बारे में सोचा.
खैर, कोई छोटा मोटा दल ऐसी हरकत करता तो ये कहकर इसे खारिज किया जा सकता था कि जब दल नया हो तो उससे कुछ बेसिक गलतियां हो जाती हैं. उसने शायद ये गलती जल्दबाजी में की हो. मगर अब जबकि खुद कांग्रेस जैसा दल ऐसा कर रहा है तो साफ है कि अब वो दिन दूर नहीं जब जनता के लिए भी दलों पर भरोसा करना मुश्किल हो जाएगा. हो ये भी सकता है कि जनता दलों को ये कहते हुए खारिज कर दे कि ये सब महामिलावटी हैं और हमारे कन्धों पर बंदूक रखकर ये राजनीति के नाम पर केवल और केवल अपना स्वार्थ सिद्ध कर रहे हैं.
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