कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहा किसानों का आंदोलन अब एक नए तेवर में है. 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के बाद एक बार के लिए लगा कि किसान संगठन बैकफुट पर आ गए हैं, लेकिन किसान नेता राकेश सिंह टिकैत की वजह से आंदोलन एक नए रंग में आ गया. अब सभी किसान संगठनों ने मिलकर पूरे भारत में 6 फरवरी शनिवार को चक्का जाम का ऐलान किया है. संयुक्त किसान मोर्चा ने बताया कि शनिवार दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक ये चक्काजाम होगा। हालांकि, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और दिल्ली में चक्का जाम नहीं करने की बात कही जा रही है. यहां केवल सरकार को ज्ञापन सौंपा जाएगा.
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता के राकेश टिकैत ने बताया कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में चक्का जाम नहीं किया जाएगा. इन दोनों राज्यों में जिला मुख्यालय पर किसान कृषि कानूनों के विरोध में केवल ज्ञापन दिए जाएंगे. दोनों राज्यों के लोगों को स्टैंडबाय में रखा गया है. उन्हें कभी भी दिल्ली बुलाया जा सकता है, इसलिए यूपी-उत्तराखंड के लोग अपने ट्रैक्टरों में तेल-पानी डालकर तैयार रहें. दिल्ली के सवाल पर टिकैत ने कहा कि वहां तो पहले से चक्का जाम है, इसलिए दिल्ली को इस जाम में शामिल नहीं किया गया है. हम सरकार से बात करना चाहते हैं, सरकार कहां पर है, वो हमें नहीं मिल रही.
देशव्यापी चक्का जाम क्यों?
1 फरवरी को केंद्रीय वित्तमंत्री ने बजट पेश किया, उसके बाद ही संयुक्त किसान मोर्चा ने चक्का जाम की घोषणा की थी. बजट के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने दावा किया था कि कृषि 'सुधारों' पर संदेह अब साफ हो जाना चाहिए. किसान नेताओं को इसे सकारात्मक लेते हुए प्रोत्साहित करना चाहिए. हालांकि, विरोध करने वाले किसान नेताओं का...
कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहा किसानों का आंदोलन अब एक नए तेवर में है. 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के बाद एक बार के लिए लगा कि किसान संगठन बैकफुट पर आ गए हैं, लेकिन किसान नेता राकेश सिंह टिकैत की वजह से आंदोलन एक नए रंग में आ गया. अब सभी किसान संगठनों ने मिलकर पूरे भारत में 6 फरवरी शनिवार को चक्का जाम का ऐलान किया है. संयुक्त किसान मोर्चा ने बताया कि शनिवार दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक ये चक्काजाम होगा। हालांकि, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और दिल्ली में चक्का जाम नहीं करने की बात कही जा रही है. यहां केवल सरकार को ज्ञापन सौंपा जाएगा.
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता के राकेश टिकैत ने बताया कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में चक्का जाम नहीं किया जाएगा. इन दोनों राज्यों में जिला मुख्यालय पर किसान कृषि कानूनों के विरोध में केवल ज्ञापन दिए जाएंगे. दोनों राज्यों के लोगों को स्टैंडबाय में रखा गया है. उन्हें कभी भी दिल्ली बुलाया जा सकता है, इसलिए यूपी-उत्तराखंड के लोग अपने ट्रैक्टरों में तेल-पानी डालकर तैयार रहें. दिल्ली के सवाल पर टिकैत ने कहा कि वहां तो पहले से चक्का जाम है, इसलिए दिल्ली को इस जाम में शामिल नहीं किया गया है. हम सरकार से बात करना चाहते हैं, सरकार कहां पर है, वो हमें नहीं मिल रही.
देशव्यापी चक्का जाम क्यों?
1 फरवरी को केंद्रीय वित्तमंत्री ने बजट पेश किया, उसके बाद ही संयुक्त किसान मोर्चा ने चक्का जाम की घोषणा की थी. बजट के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने दावा किया था कि कृषि 'सुधारों' पर संदेह अब साफ हो जाना चाहिए. किसान नेताओं को इसे सकारात्मक लेते हुए प्रोत्साहित करना चाहिए. हालांकि, विरोध करने वाले किसान नेताओं का कहना है कि सरकार ने बजट में कृषि और संबद्ध क्षेत्रों का बजट पहले से भी कम कर दिया है. इस साल कृषि बजट महज 1.48 लाख करोड़ रुपये रखा गया है, जबकि पिछले वित्तीय वर्ष में 1.54 लाख करोड़ रुपये बजट का प्रावधान था. किसान नेता दर्शन पाल ने बताया कि देशव्यापी चक्का जाम तीनों कृषि कानूनों के विरोध में है. इसके साथ ही सरकार के दमनकारी कदमों जैसे इंटरनेट बंदी, नेताओं की गिरफ्तारियां, पत्रकारों का दमन और कृषि बजट आबंटन में कमी जैसे मुद्दे भी शामिल हैं.
जाम के दौरान क्या होगा?
शनिवार दोपहर 12 से शाम 3 बजे तक नेशनल हाईवे और प्रमुख सड़कों को जाम कर दिया जाएगा. इसके बाद शाम को किसान संगठन रैली करेंगे. इसमें सरकार की नीतियों और किसान कानूनों के बारे में लोगों को बताया जाएगा. चक्का जाम के दौरान प्रदर्शन में शामिल कुछ गाड़ियों के जरिए खाने-पीने का सामान भी बांटा जाएगा. किसान नेता राकेश टिकैत के मुताबिक, यूपी, उत्तराखंड और दिल्ली में जाम नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा, 'दिल्ली में हम चक्का जाम नहीं कर रहे, वहां तो राजा ने खुद ही किले-बंदी कर ली है. हमारे जाम करने की जरूरत नहीं है. बाकी जगहों पर शांतिपूर्वक जाम और प्रदर्शन किया जाएगा.'
ऐसी है सरकार की तैयारी
गृह मंत्रालय ने सिंघू, गाजीपुर और टिकरी बॉर्डर पर किसान विरोध स्थलों पर इंटरनेट सेवाओं के निलंबन को मंगलवार रात तक बढ़ा दिया है. किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान बड़े पैमाने पर हिंसा की सूचना मिलने पर 26 जनवरी को दिल्ली के कुछ हिस्सों में इंटरनेट सेवाएं अस्थायी रूप से निलंबित कर दी गई थीं. किसानों के चक्काजाम के मद्देनजर दिल्ली-NCR में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बलों (CRPF) की 31 कंपनियों की तैनाती 2 हफ्ते के लिए और बढ़ा दी गई है. दिल्ली में तैनात CRPF की सभी यूनिट्स से कहा गया है कि वे अपनी बसों पर लोहे का जाल लगा लें. हरियाणा के डीजीपी मनोज यादव ने बताया कि SP जिलों में किसानों से बात कर रहे हैं, ताकि कहीं कोई दिक्कत नहीं हो. पुलिस की ओर से ट्रैफिक एडवाइजरी भी जारी की जाएगी. कुछ जगहों पर कल की आवाजाही के लिए पास भी जारी किए गए हैं.
दिल्ली पुलिस, मेट्रो अलर्ट
दिल्ली पुलिस ने दिल्ली मेट्रो रेल निगम से कहा है कि शनिवार को नई दिल्ली समेत और अन्य स्टेशनों को बंद करने के लिए तैयार रहें. 26 जनवरी को हुई हिंसा के बाद कई दिनों तक दिल्ली में मेट्रो स्टेशन के गेट बंद रहे थे. यदि जरूरत पड़ी तो दिल्ली पुलिस डीएमआरसी से मेट्रो के कई स्टेशनों को बंद करने के लिए कह सकती है. सिंघु, टीकरी और गाजीपुर बॉर्डर के करीब पड़ने वाले स्टेशन को अलर्ट पर रखा गया है. दिल्ली पुलिस ने निर्णय किया है कि यदि किसान प्रदर्शनकारी जबरन यातायात को रोकते हैं तो उनसे सख्ती से निपटा जाएगा. सीआइएसएफ और आरएएफ के जवान भी उनकी मदद करेंगे.
सोशल मीडिया पर है नजर
दिल्ली पुलिस के पीआरओ चिन्मय बिस्वाल ने कहा कि 26 जनवरी को हुई हिंसा के मद्देनजर दिल्ली पुलिस द्वारा सीमाओं पर पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था की गई है, ताकि उपद्रवियों को राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश न करने दिया जाए. उन्होंने कहा, 'हम सोशल मीडिया पर पोस्ट की निगरानी कर रहे हैं, ताकि पुलिस के खिलाफ अफवाहें न फैलाई जा सकें. प्रदर्शनकारी दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं. हम अन्य राज्यों के पुलिस बल के भी संपर्क में हैं.' एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि 'चक्का जाम' के दौरान किसी भी तरह की कानून-व्यवस्था की स्थिति और सामान्य जीवन में व्यवधान को रोकने के लिए, दिल्ली पुलिस के बाहरी-उत्तर जिले में पर्याप्त बल तैनात किए जा रहे हैं. इसके लिए पैरामिलिट्री फोर्स की भी मदद ली जा रही है. पुलिस पूरी तरह से मुस्तैद है.
घर से निकल सकते हैं या नहीं?
किसान आंदोलन और चक्का जाम के मद्देनजर शनिवार को घर से बाहर निकलना सही रहेगा या नहीं? यह सवाल हर किसी के मन में चल रहा है. देखिए, यदि आप दिल्ली, उत्तर प्रदेश या उत्तराखंड के रहने वाले हैं, तो अपने राज्य के अंदर ट्रेवल कर सकते हैं. हां, यदि आपको अपने राज्य से बाहर जाना है, तो सावधान रहना चाहिए. किसान संगठन भले ही यह कहें कि चक्का जाम शांतिपूर्ण होगा, लेकिन 26 जनवरी की स्थिति देखते हुए सतर्क रहने की जरूरत है. आंदोलन किसी भी वक्त विकराल रूप ले सकता है. हालांकि, किसान नेता इस बार पहले बहुत ज्यादा चौकस हैं. पूरी तैयारी की बात कर रहे हैं.
बीकेएस ने किया बॉयकाट
बताया जा रहा है कि किसान आंदोलन में शामिल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ा किसान संगठन भारतीय किसान संघ (BKS) चक्का जाम में शामिल नहीं होगा. संगठन का आरोप है कि किसान आंदोलन अब राजनीतिक प्रोपेगैंडा बन चुका है. इसलिए वे इसमें शामिल नहीं हो रहे हैं. बीकेएस के महासचिव बद्री नारायण चौधरी ने कहा, 'अब, दिल्ली की सभी सीमाओं पर कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहा किसान आंदोलन राजनीतिक होता दिख रहा है. यह स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है कि आंदोलन के बहाने राजनीतिक प्रचार किया जा रहा है. इसलिए हम 6 फरवरी को चक्का जाम से खुद को अलग कर रहे हैं.'
72 दिन से जारी है आंदोलन
बताते चलें कि कि केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली से लगे गाजीपुर, टीकरी और सिंघु बॉर्डरों पर किसानों का आंदोलन 72वें दिन भी जारी है. इन कानूनों को रद्द कराने पर अड़े किसान संगठन इस मुद्दे पर सरकार के साथ आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर चुके हैं. गणतंत्र दिवस पर हुई ट्रैक्टर परेड में हिंसा के बाद आंदोलन कर रहे किसानों की संख्या में पिछले दिनों कमी आई थी, लेकिन भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत के भावुक होने के बाद एक बार फिर से आंदोलन को बड़ी संख्या में किसानों का समर्थन मिलने लगा है.
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