पाकिस्तान के बारे में जितना झूठ पाकिस्तानियों द्वारा बोला जाता है वो चौंका देता है. एक तरफ तो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री Imran khan और आधिकारिक सेना प्रवक्ता Maj Gen Asif Ghafoor ये कहते नहीं थकते कि पाकिस्तान ने आतंकवाद को लेकर बहुत बड़े-बड़े काम किए हैं और दूसरी तरफ आलम ये है कि अब पाकिस्तान Financial Action Task Force (FATF) द्वारा ब्लैकलिस्ट में आ सकता है. पाकिस्तान पहले ही इसकी ग्रे लिस्ट में था. Joint Group of Asia Pacific Group (APG) ने पाकिस्तान को ये बता दिया है कि लश्कर, जैश जैसे कई आतंकी संगठनों के खिलाफ उसके द्वारा लिया गया एक्शन प्लान नाकाफी है. दरअसल, पाकिस्तान ने ऐसे संगठनों के खिलाफ 27 एक्शन प्लान बताए थे और उनमें से 18 को सिरे से नकार दिया गया है. पाकिस्तान को आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्यवाई करने का वक्त दिया गया था. पर पाकिस्तान इसमें भी फेल हो गया. अगर उसने कोई ठोस कदम नहीं उठाया तो वो FATF द्वारा ब्लैकलिस्ट कर दिया जाएगा.
पाकिस्तान जिस तरह के हालात में है उसे बेहद कड़े कदम उठाने की जरूरत है. हालांकि, ये अभी FAFT का आखिरी फैसला नहीं है. ये मोहलत निकलने के बाद पाकिस्तान को कड़ी वॉर्निंग दी जाएगी और उसके बाद अक्टूबर में FAFT अपनी आखिरी रिपोर्ट पेश करेगी.
Pakistan के लिए करो या मरो वाली स्थिति-
दरअसल, पाकिस्तान के सामने ज्यादा विकल्प नहीं बचे हैं. उसे अपने यहां मौजूद Da’esh, Al Qaeda, Jamaat-ud Dawa, Falah-i-Insaniyat Foundation, Lashkar-e-Tayyaba, Jaish-e-Muhammad, Haqqani Network जैसे संगठनों और उनसे जुड़े सभी लोगों के खिलाफ कार्यवाई करनी ही होगी. इसी के साथ, Taliban के खिलाफ भी एक्शन प्लान तैयार करना होगा. अगर 6 दिन में पाकिस्तान ने ऐसा नहीं किया तो उसके खिलाफ आखिरी रिपोर्ट की तैयारी शुरू हो जाएगी.
अगर पाकिस्तान FATF की लिस्ट में ब्लॉक हो जाता है तो उसे IMF के लोन से भी हाथ धोना पड़ सकता है.
दरअसल, 16 से 21 जून के बीच FATF की अगली बैठक होने वाली है और इसमें पाकिस्तान के खिलाफ ब्लैकलिस्ट का प्रस्ताव सामने लाया जा सकता है. इसी बीच पाकिस्तान को एक बार फिर अपने बचाव के लिए जवाब तैयार रखना होगा.
FATF का काम इतना अहम क्यों है?
ये संस्था असल में दुनिया भर के आतंकी संगठनों को मिलने वाली फंडिंग और मनी लॉन्डरिंग का हिसाब रखना है. ये संस्था बताती है कि कौन से देश के आतंकी संगठनों को कितना पैसा जा रहा है. ये अंतरराष्ट्रीय संस्था खास तौर पर आतंकी संगठनों को आर्थिक मदद जहां से भी मिल रही है उसे रोकने के लिए बनाई गई है. जैसा कि जगजाहिर है पाकिस्तान की तरफ से आतंकी संगठनों को पनाह दी जाती है. लंबे समय से इस बात पर बहस चल रही है, पाकिस्तान ने ये भी कहा है कि उसकी तरफ से आतंकी संगठनों पर रोक लगा दी गई है, लेकिन ऐसा साफ तौर पर नहीं हुआ है.
अब क्योंकि पाकिस्तान पहले से ही ग्रे लिस्ट में है इसलिए FATF के 36 सदस्यों में से 15 के वोट चाहिए होंगे कि पाकिस्तान इस लिस्ट से निकल सके. उसके अलावा, कम से कम 3 सदस्यों के वोट चाहिए होंगे ताकि पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट न किया जाए. पाकिस्तान ब्लैकलिस्ट होता है या नहीं इसकी आखिरी बैठक पैरिस में अक्टूबर में होने वाली FATF की बैठक में होगी. ये 18 से 23 अक्टूबर को होगी.
भारत के सामने घुटने टेक सकता है पाकिस्तान..
पाकिस्तान के पीएम इमरान खान बार-बार पीएम नरेंद्र मोदी को फोन कर रहे हैं और शांति वार्ता की बात कर रहे हैं. अमेरिका ने भी पाकिस्तान को साफ संदेश दे दिए हैं कि उसे भारत के साथ शांति बनाए रखनी होगी. पिछले महीने ये रिपोर्ट पाकिस्तान के साथ साझा की गई थी. ये APG की ग्रुप मीटिंग जो Guangzhou में हुई थी वहां पाकिस्तान ने अपना जवाब भी दिया था. पाकिस्तान ने कहा था कि भारत को वहां नहीं होना चाहिए, लेकिन फिर भी भारत के Financial Intelligence nit (FI) Director General वहां मौजूद थे.
पाकिस्तान बार-बार आतंक से अपनी नाकामी छुपाने के लिए बार-बार भारत का नाम लेता है और पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी एक बार फिर कह चुके हैं कि भारत हमेशा से पाकिस्तान को नुकसान पहुंचाना चाहता है. कुरैशी ने तो सुषमा स्वराज के OIC में जाने को लेकर भी ऐसे ही बयान दिए थे, लेकिन इसे खिसियानी बिल्ली खंबा नोचे से ज्यादा और कुछ नहीं कहा जा सकता.
कुल मिलाकर पाकिस्तान के पास और कोई विकल्प नहीं बचा है कि वो भारत से और दुश्मनी मोल ले.
क्यों FATF की लिस्ट में ब्लैकलिस्ट होने से कंगाल हो सकता है पाकिस्तान?
FATF की लिस्ट क्योंकि आतंकवाद और वित्तीय मामलों से जुड़ी हुई है इसलिए पाकिस्तान को लेकर अगर उसकी रिपोर्ट खराब होती है तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिलने वाली मदद बंद हो सकती है. इसमें कई देशों के निवेश के साथ-साथ वर्ल्ड बैंक और IMF का लोन भी शामिल है. पाकिस्तान को इस लोन की बेहद जरूरत है क्योंकि उसकी अर्थव्यवस्था ऐसे हालात पर है कि अगर उसने कुछ नहीं किया तो ये पूरा का पूरा देश दीवालिया हो जाएगा. यहां तक कि वेनेजुएला आर्थिक संकट जैसा कुछ बड़ा भी हो सकता है.
Pakistan Bureau of Statistics के मुताबिक वहां का कन्ज्यूमर प्राइज इंडेक्स 9.4 प्रतिशत हो गया है जिससे लोगों की खरीदने की क्षमता कम हो रही है. स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार देश की सेंट्रल बैंक का फॉरेन रिज़र्व घट कर सिर्फ 8.2 अरब डॉलर ही रह गया है और पाकिस्तान को कामकाज जारी रखने के लिए पैसों की ज़रूरत है. इमरान खान अलग अलग देशों में जाकर मदद मांग रहे हैं. सऊदी अरब से भी पाकिस्तान को निवेश के अच्छे अवसर मिले हैं. चीन का पैसा पहले ही पाकिस्तान में लगा हुआ है. अब ऐसे में भी पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था ऐसी हो गई है कि उसे IMF से 6 अरब डॉलर का लोन लेना पड़ा. जो अगले तीन साल में पाकिस्तान के पास आएगा.
क्योंकि FATF वित्तीय मामलों की संस्था है इसलिए अगर पाकिस्तान यहां पर ब्लैकलिस्ट हो जाता है तो हो सकता है कि उसे IMF का लोन भी न मिले. IMF ने पहले भी पाकिस्तान को चेतावनी दे रखी है कि उसे आतंकवाद और मनी लॉन्डरिंग के खिलाफ कदम उठाने चाहिए. इसका मतलब है कि अगर पाकिस्तान को IMF से लोन चाहिए तो उसे FATF से क्लियरेंस लेना जरूरी है.
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