हम भारतीयों के लिए 34 साल की एक महिला का प्रधानमंत्री बनना हैरान कर सकता है. लेकिन फिनलैंड में ये मुमकिन था. 34 साल की सना मारिन (Sanna Marin) फिनलैंड (Finland Prime Minister) की प्रधानमंत्री बन गई हैं. सना मारिन फिनलैंड की सबसे बड़ी Social Democratic Party से हैं और पार्टी ने उन्हें इस पद के लिए चुना है.
प्रधानमंत्री पद के लिए वो सिर्फ फिनलैंड की नहीं बल्कि दुनिया की सबसे कम उम्र की प्रधानमंत्री बन गई हैं. ऐसा इतिहास में पहली बार हुआ है कि इतनी कम उम्र की महिला को ये पद दिया गया है. सना मारिन फिनलैंड की तीसरी महिला प्रधानमंत्री हैं और महिला नेतृत्व से भरी कैबिनेट का प्रतिनिधित्व कर रही हैं. उनकी कैबिनेट के 18 मंत्रियों में से 12 महिलाएं हैं. लेकिन सना के साथ केवल उनकी उमर नहीं है जो हैरान कर रही है, बल्कि सना के जीवन की ऐसी बहुत सी बातें हैं जो हम भारतीयों को हैरान करती हैं.
सना मारिन का राजनीतिक सफर
19 साल की उम्र में सना ग्रैजुएट हो गई थीं. 21 साल की उम्र में जब लड़कियां पाउट बनाकर सेल्फी ले रही होती हैं तब सना मारिन राजनीति में जाने का मन बना चुकी थीं और Social Democratic Youth की सदस्य बन गई थीं. 23 साल की उम्र में पहली बार इलेक्शन लड़ा, वो बात और है कि वो हार गई थीं. लेकिन 2012 के चुनावों में टैम्पेयर टाउन काउंसिल की सदस्य बनी थीं. 2015 में वो पहली बार फिनलैंड की संसद में पहुंचीं. जून 2019 में उन्हें परिवहन और संचार मंत्री बनाया गया. और अब देश की प्रधानमंत्री बन गई हैं.
परिवार और परवरिश हैरान करती है
हो सकता है कि भारत के कुछ लोग इसपर अजीब तरह से रिएक्ट करें लेकिन फिनलैंड की सबसे मजबूत महिला के...
हम भारतीयों के लिए 34 साल की एक महिला का प्रधानमंत्री बनना हैरान कर सकता है. लेकिन फिनलैंड में ये मुमकिन था. 34 साल की सना मारिन (Sanna Marin) फिनलैंड (Finland Prime Minister) की प्रधानमंत्री बन गई हैं. सना मारिन फिनलैंड की सबसे बड़ी Social Democratic Party से हैं और पार्टी ने उन्हें इस पद के लिए चुना है.
प्रधानमंत्री पद के लिए वो सिर्फ फिनलैंड की नहीं बल्कि दुनिया की सबसे कम उम्र की प्रधानमंत्री बन गई हैं. ऐसा इतिहास में पहली बार हुआ है कि इतनी कम उम्र की महिला को ये पद दिया गया है. सना मारिन फिनलैंड की तीसरी महिला प्रधानमंत्री हैं और महिला नेतृत्व से भरी कैबिनेट का प्रतिनिधित्व कर रही हैं. उनकी कैबिनेट के 18 मंत्रियों में से 12 महिलाएं हैं. लेकिन सना के साथ केवल उनकी उमर नहीं है जो हैरान कर रही है, बल्कि सना के जीवन की ऐसी बहुत सी बातें हैं जो हम भारतीयों को हैरान करती हैं.
सना मारिन का राजनीतिक सफर
19 साल की उम्र में सना ग्रैजुएट हो गई थीं. 21 साल की उम्र में जब लड़कियां पाउट बनाकर सेल्फी ले रही होती हैं तब सना मारिन राजनीति में जाने का मन बना चुकी थीं और Social Democratic Youth की सदस्य बन गई थीं. 23 साल की उम्र में पहली बार इलेक्शन लड़ा, वो बात और है कि वो हार गई थीं. लेकिन 2012 के चुनावों में टैम्पेयर टाउन काउंसिल की सदस्य बनी थीं. 2015 में वो पहली बार फिनलैंड की संसद में पहुंचीं. जून 2019 में उन्हें परिवहन और संचार मंत्री बनाया गया. और अब देश की प्रधानमंत्री बन गई हैं.
परिवार और परवरिश हैरान करती है
हो सकता है कि भारत के कुछ लोग इसपर अजीब तरह से रिएक्ट करें लेकिन फिनलैंड की सबसे मजबूत महिला के पेरेंट्स समलैंगिक हैं. मारिन की मां ने एक महिला से शादी की. समलैंगिक शादी जिसे हमेशा से ही एक टैबू माना जाता है. कि एक बच्चे की परवरिश किस तरह होगी, बच्चे पर समलैंगिक रिश्तों का क्या असर पड़ेगा जैसी बातें कही जाती हैं. लेकिन सना मारिन ने प्रधानमंत्री बनकर लोगों को इन सभी बातों को जवाब दिया है. सना अपने व्यक्तित्व का श्रेय अपने पैरंट्स को ही देती हैं.
सना मारिन का कहना है कि- मेरे लिए कम उम्र या औरत होना कोई मायने नहीं रखता. मैंने कभी अपनी उम्र या जेंडर के बारे में सोचा नहीं. मैं सिर्फ उन चीजों के बारे में सोचती हूं जिनसे मुझे राजनीति में आने की प्ररेणा मिली. मैं उन लोगों के भरोसे के बारे में सोचती हूं जिन्होंने चुनावी राजनीति में मेरी क्षमता पर विश्वास किया.'
राजनीति से पहले बेकरी में करती थीं काम
Sanna Marin अपनी किशोरावस्था में बेकरी में काम किया करती थीं. उनके परिवार में वो पहली व्यक्ति थीं जो यूनिवर्सिटी पढ़ने गई थीं. उनकी मां ने उनके सभी फैसलों में उनका साथ दिया.
शादी नहीं की लेकिन एक बच्चे की मां हैं
ये बात भी हर किसी को अजीब लगेगी. लेकिन ये सच है कि सना मारिन की एक 22 महीने की बेटी है. वो पिछले काफी समय से अपने पार्टनर Markus Räikkönen के साथ रिलेशनशिप में हैं.
इंस्टाग्राम जैनेरेशन के लिए इस्पिरेशन हैं
हमारे यहां राजनीति में कदम रखने के बाद सबसे पहले महिला का पहनावा बदलता है. सना मारिन आज की जेनेरेशन की महिला हैं और उनकी जीवन भी सोशल मीडिया पर ही रहा. उन्होंने राजनीति के लिए न खुद को बदला और न ही अपने लाइफस्टाइल को. वो मां होने के नाते breastfeeding की तस्वीरें शेयर करती हैं तो अपने ग्लैमरस nightouts की भी.
हफ्ते में सिर्फ 24 घंटे काम करने में यकीन रखती हैं
समानता में विश्वास रखने वाली Sanna Marin का मानना है कि किसी भी इंसान को एक हफ्ते में सिर्फ 24 घंटे काम करना चाहिए और ज़्यादा से ज़्यादा समय अपने परिवार को देना चाहिए. अगस्त के महीने में उन्होंने यह प्रस्ताव भी रखा था लेकिन इसे किसी ने नहीं माना था. हमारे देश में जहां ऐसे प्रधानमंत्री आइडियल हैं जो परिवार से अलग होकर बिना छुट्टी किए निरंतर काम करते रहते हैं, वहां हफ्ते में सिर्फ 24 घंटे काम करने में यकीन रखने वाली प्रधानमंत्री थोड़ी अजीब लग सकती है.
देखा जाए तो Sanna Marin का जीवन और उनके जीवन से जुड़े ये सारे पहलू ऐसे हैं जो हमारे देश में तो स्वीकार्य नहीं होते. यानी ये समझिए कि सना जैसी कोई महिला अगर हमारे देश में होती तो प्रधानमंत्री पद क्या, राजनीति तक में नहीं होती. क्योंकि हमारे देश की राजनीति के मुद्दे ही जाति और धर्म पर अटके हैं. यहां एक नेता की काबिलियत उसके खानदान से होती है, उसके धर्म से होती है. उसके संस्कारों से होती है, कपड़ों से होती है. खुले विचारों और समय के साथ चलने वालों को तो कोई सीरियस पॉलीटीशियन समझता ही नहीं है.
हैरानी हो रही है न सना मारिन पर कि वो समलैंगिक रिश्तों की पैरवी करती हैं, समलैंगिक परिवार से आती हैं, शादी के बिना ही मां बन जाती हैं, सोशल मीडिया पर एक्टिव रहती हैं, भला कैसे एक देश उनपर इतना भरोसा कर सकता है. लेकिन देखिए, कर रहा है और सिर्फ सना पर ही नहीं कैबिनेट की 12 अन्य महिला मंत्रियों पर भी. आप अपनी ही राजनीति में खुश रहिए और सिर्फ आश्चर्य कीजिए दुनिया की इस 34 साल की महिला प्रधानमंत्री पर, जो इतनी कम उम्र में एक देश को संभालने का माद्दा रखती है.
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