कुमारस्वामी ने विश्वासमत हासिल कर लिया है, फिर भी उन्हें एक बात का विश्वास नहीं हो रहा - 'सरकार कब तक चलेगी?' कुमारस्वामी तो यहां तक कह चुके हैं कि सिर्फ वो ही नहीं, कर्नाटक के लोगों को भी उनकी सरकार के टिकाऊ होने का यकीन नहीं है.
कर्नाटक में हफ्ते भर के भीतर होने वाले दूसरे फ्लोर टेस्ट से पहले कुमारस्वामी के सामने डबल चैलेंज आ खड़ा हुआ था. बहुमत हासिल करने से पहले कुमारस्वामी के सामने बीजेपी ने स्पीकर के लिए अपना उम्मीदवार उतार कर कुमारस्वामी सहित कांग्रेस नेताओं की भी धड़कन बढ़ा दी थी.
कुमारस्वामी कब तक?
पहले तो यही लगा कि शपथग्रहण की तरह ही येदियुरप्पा बातों के पक्के निकलेंगे, लेकिन ऐन वक्त पर यू-टर्न ले लिया. सीनियर बीजेपी नेता एस. सुरेश कुमार के मैदान से हट जाने के बाद कांग्रेस के रमेश कुमार को सर्वसम्मति से स्पीकर चुन लिया गया. ये पहली बाधा रही जो मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने आसानी से पार कर ली. इस मुद्दे पर बीएस येदियुरप्पा ने कहा, 'हमने अपने उम्मीदवार का नाम वापस ले लिया क्योंकि हम चाहते हैं कि स्पीकर पद की गरिमा बनाए रखते हुए चुनाव सर्वसम्मति से हो.'
कुमारस्वामी कर्नाटक के सीएम की कुर्सी पर बैठ जरूर गये हैं लेकिन उनकी मनःस्थिति क्या है, विश्वासमत पेश करते हुए खुद उन्होंने बयान किया, "न तो जेडीएस और न ही किसी अन्य पार्टी को बहुमत मिला. मुझे दुख हुआ कि लोगों ने मुझे नहीं चुना. मैं गठबंधन के कारण मुख्यमंत्री बना और इस स्थिति से खुश नहीं हूं."
फ्लोर टेस्ट के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा और कुमारस्वामी दोनों ही एक दूसरे के निशाने पर रहे. येदियुरप्पा ने जेडीएस नेताओं के साथ साथ कांग्रेस के सर्वसक्षम नेता डीके शिवकुमार को भी टारगेट किया,...
कुमारस्वामी ने विश्वासमत हासिल कर लिया है, फिर भी उन्हें एक बात का विश्वास नहीं हो रहा - 'सरकार कब तक चलेगी?' कुमारस्वामी तो यहां तक कह चुके हैं कि सिर्फ वो ही नहीं, कर्नाटक के लोगों को भी उनकी सरकार के टिकाऊ होने का यकीन नहीं है.
कर्नाटक में हफ्ते भर के भीतर होने वाले दूसरे फ्लोर टेस्ट से पहले कुमारस्वामी के सामने डबल चैलेंज आ खड़ा हुआ था. बहुमत हासिल करने से पहले कुमारस्वामी के सामने बीजेपी ने स्पीकर के लिए अपना उम्मीदवार उतार कर कुमारस्वामी सहित कांग्रेस नेताओं की भी धड़कन बढ़ा दी थी.
कुमारस्वामी कब तक?
पहले तो यही लगा कि शपथग्रहण की तरह ही येदियुरप्पा बातों के पक्के निकलेंगे, लेकिन ऐन वक्त पर यू-टर्न ले लिया. सीनियर बीजेपी नेता एस. सुरेश कुमार के मैदान से हट जाने के बाद कांग्रेस के रमेश कुमार को सर्वसम्मति से स्पीकर चुन लिया गया. ये पहली बाधा रही जो मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने आसानी से पार कर ली. इस मुद्दे पर बीएस येदियुरप्पा ने कहा, 'हमने अपने उम्मीदवार का नाम वापस ले लिया क्योंकि हम चाहते हैं कि स्पीकर पद की गरिमा बनाए रखते हुए चुनाव सर्वसम्मति से हो.'
कुमारस्वामी कर्नाटक के सीएम की कुर्सी पर बैठ जरूर गये हैं लेकिन उनकी मनःस्थिति क्या है, विश्वासमत पेश करते हुए खुद उन्होंने बयान किया, "न तो जेडीएस और न ही किसी अन्य पार्टी को बहुमत मिला. मुझे दुख हुआ कि लोगों ने मुझे नहीं चुना. मैं गठबंधन के कारण मुख्यमंत्री बना और इस स्थिति से खुश नहीं हूं."
फ्लोर टेस्ट के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा और कुमारस्वामी दोनों ही एक दूसरे के निशाने पर रहे. येदियुरप्पा ने जेडीएस नेताओं के साथ साथ कांग्रेस के सर्वसक्षम नेता डीके शिवकुमार को भी टारगेट किया, "आप किसी के लिए विलेन हो और किसी के लिए हीरो. आप सबके हीरो नहीं हो सकते."
क्या कांग्रेस का मूड बदल रहा है?
कुमारस्वामी ने ये तो कहा कि उन्होंने काफी सोच समझ कर ही गठबंधन की सरकार बनायी है, लेकिन आशंका भी जतायी, 'पार्टी का भविष्य भी गठबंधन पर ही टिका है.'
लगे हाथ ये भी बता दिया कि उनके पिता और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा ने साफ कर दिया था कि अगर वो बीजेपी से हाथ मिलाये तो पूरा परिवार छोड़ देता. कुमारस्वामी ने सरकार के गठन की नींव कैसे पड़ी, वो किस्सा भी सुनाया. कुमारस्वामी के अनुसार इस सिलसिले में नतीजे आने के बाद पीसीसी अध्यक्ष जी. परमेश्वर ने उनसे संपर्क किया था - और फिर धीरे धीरे सरकार बनने का रास्ता साफ होता गया. वैसे विस्तार से बताने की जरूरत भी नहीं थी. कोर्ट कचहरी से लेकर खरीद फरोख्त तक सब कुछ तो सामने आ ही चुका है.
जी. परमेश्वर को कर्नाटक का डिप्टी सीएम बनाया गया है. हो सकता है परमेश्वर के बयान के चलते ही कुमारस्वामी को सरकार के ज्यादा दिन न टिकने की आशंका सताने लगी हो. बहुमत परीक्षण से पहले ही, पत्रकारों के एक सवाल के जवाब में जी. परमेश्वर ने साफ कर दिया था कि 'जेडीएस के साथ पांच साल सरकार चलाने को लेकर कोई फैसला नहीं लिया गया है.'
कर्नाटक कांग्रेस में अतिसक्षम समझे जाने वाले डीके शिवकुमार की नाराजगी भी कुमारस्वामी के अविश्वास की वजह हो सकती है. वैसे तो डीके शिवकुमार ने नाराजगी की बातों से इंकार किया है लेकिन उनका एक बयान सारी बातों पर भारी पड़ता है. शिवकुमार ने कहा था, "क्या ये उन लोगों के लिए एक जैसा है जो एक सीट जीतते हैं या जो पूरा सूबा जीतते हैं. मैं संन्यास लेने राजनीति में नहीं आया हूं, मैं शतरंज खेलूंगा फुटबाल नहीं."
डीके शिवकुमार के मुंह से ऐसी बातें सुनने के बाद कुमारस्वामी क्या उनकी जगह कोई भी होता तो विश्वास डोल जाता. चर्चा रही कि डीके शिवकुमार खुद भी डिप्टी सीएम पद का दावेदार मान कर चल रहे थे. इस बारे में दो बातें सुनने को मिलीं. पहले मालूम हुआ कि जेडीएस नेता देवगौड़ा डीके शिवकुमार के नाम पर राजी नहीं हुए. दरअसल, देवगौड़ा और डीके शिवकुमार दोनों ही वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं और दोनों की सियासी दुश्मनी काफी पुरानी है. बताया ये भी गया कि कांग्रेस में भी डीके शिवकुमार को डिप्टी सीएम बनाने पर आलाकमान की मंजूरी इसीलिए नहीं मिली. जी. परमेश्वर को डिप्टी सीएम बनाये जाने की एक बड़ी वजह पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया द्वारा दलित मुख्यमंत्री की पेशकश भी रही. एक बात और भी चर्चा में रही - कांग्रेस लिंगायत समुदाय से भी किसी को डिप्टी सीएम बनाना चाहती रही, लेकिन उस पर आम राय नहीं बन पायी.
डीके शिवकुमार भले ही नाराज होने से इंकार करें, लेकिन जिस तरीके से उन्होंने कांग्रेस विधायकों को बीजेपी के हाथ लगने से बचाया उससे उनका हक तो बनता ही है. ये दूसरा मौका रहा क्योंकि गुजरात के राज्य सभा चुनाव के दौरान भी डीके शिवकुमार ऐसी भूमिका निभा चुके हैं. बहरहाल, अब चर्चा ये है कि डीके शिवकुमार को कुमारस्वामी सरकार में उनकी पसंद का कोई महत्वपूर्ण मंत्रालय का प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद दिया जा सकता है.
वैसे कुमारस्वामी के विश्वासमत हासिल करने से पहले ही बीजेपी नेता येदियुरप्पा बाहर चले गये, ये कहते हुए कि अगर कुमारस्वामी 24 घंटे में किसानों का कर्ज नहीं माफ करेंगे तो वो 28 मई को कर्नाटक बंद का ऐलान करेंगे. 28 मई को ही आरआर नगर में उपचुनाव होना है और 31 को वोटों की गिनती - जहां भारी तादाद में वोटर आईडी मिलने के बाद मतदान रद्द कर दिया गया था. 31 को वोटों की गिनती होगी.
कुमारस्वामी भी एक एक कदम फूंक फूंक कर चल रहे हैं और यही वजह है कि येदियुरप्पा की बातों पर भी वो पूरी तरह गौर फरमा रहे थे. ये भी कुमारस्वामी के बयान से ही मालूम होता है, "हम बीजेपी को विरोध प्रदर्शन का कोई मौका नहीं देने जा रहे."
सवाल सिर्फ ये नहीं है कि कुमारस्वामी कैसे येदियुरप्पा का सामना करेंगे या हैंडल करेंगे, बड़ी बात ये है कि वो कांग्रेस से कैसे और कब तक पार पाते हैं?
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