सड़कों पर दो दिनों में करीब 4 लाख लोग पीले रंग के जैकेट पहने हुए उतर आए. इसकी वजह है डीजल-पेट्रोल पर लगाया गया टैक्स, जिसकी वजह से डीजल-पेट्रोल की कीमतों में बढ़ोत्तरी हो गई है. यहां बात हो रही है फ्रांस की राजधानी पेरिस की. पिछले दो शनिवार को फ्रांस की सड़कें पीली हो गईं. अब जरा कल्पना कीजिए भारत की. जब यहां डीजल-पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई जा रही थी तो हम क्या कर रहे थे. नेता आरोप-प्रत्यारोप आरोप लगाकर अपनी राजनीति चमकाने में लगे हुए थे और जनता फेसबुक, ट्विटर पर अपनी भड़ास निकाल कर खुश थी. लेकिन फ्रांस की राजधानी पेरिस में तो लाखों की संख्या में लोग सड़कों पर उतर आए. मामला इतना बढ़ गया कि पुलिस को पानी की बौछार करनी पड़ी और आंसू गैस के गोले तक छोड़ने पड़े. खैर, जिस तरह से सभी लोग पीले रंग की एक खास जैकेट पहन कर प्रदर्शन करते नजर आए, वैसा भारत में देखने को नहीं मिलता है. ना ही इतने बड़े स्तर पर लोग अपनी मांग सरकार के सामने रखने के लिए सड़कों पर उतरते दिखते हैं.
क्यों हो रहा है प्रदर्शन?
पूरे फ्रांस में हो रहे प्रदर्शनों की वजह मुख्य रूप से डीजल पर बढ़ाया गया टैक्स है. दरअसल, फ्रांस में चलने वाली अधिकतर कारें डीजल से चलती हैं. साल भर में डीजल की कीमतों में करीब 23 फीसदी की बढ़ोत्तरी हो चुकी है, जिसकी वजह से दाम साल 2000 के बाद अपने उच्चतम स्तर पर जा पहुंचे हैं. कुछ समय पहले कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोत्तरी हुई थी और फिर वह कम भी हो गई, लेकिन फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने डीजल पर 7.6 फीसदी प्रति लीटर और पेट्रोल पर 3.9 फीसदी प्रति लीटर का हाइड्रोकार्बन टैक्स लगा दिया. सरकार का तर्क है कि उन्होंने इलेक्ट्रिक कारों और स्वच्छ ईंधन अभियान के तहत...
सड़कों पर दो दिनों में करीब 4 लाख लोग पीले रंग के जैकेट पहने हुए उतर आए. इसकी वजह है डीजल-पेट्रोल पर लगाया गया टैक्स, जिसकी वजह से डीजल-पेट्रोल की कीमतों में बढ़ोत्तरी हो गई है. यहां बात हो रही है फ्रांस की राजधानी पेरिस की. पिछले दो शनिवार को फ्रांस की सड़कें पीली हो गईं. अब जरा कल्पना कीजिए भारत की. जब यहां डीजल-पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई जा रही थी तो हम क्या कर रहे थे. नेता आरोप-प्रत्यारोप आरोप लगाकर अपनी राजनीति चमकाने में लगे हुए थे और जनता फेसबुक, ट्विटर पर अपनी भड़ास निकाल कर खुश थी. लेकिन फ्रांस की राजधानी पेरिस में तो लाखों की संख्या में लोग सड़कों पर उतर आए. मामला इतना बढ़ गया कि पुलिस को पानी की बौछार करनी पड़ी और आंसू गैस के गोले तक छोड़ने पड़े. खैर, जिस तरह से सभी लोग पीले रंग की एक खास जैकेट पहन कर प्रदर्शन करते नजर आए, वैसा भारत में देखने को नहीं मिलता है. ना ही इतने बड़े स्तर पर लोग अपनी मांग सरकार के सामने रखने के लिए सड़कों पर उतरते दिखते हैं.
क्यों हो रहा है प्रदर्शन?
पूरे फ्रांस में हो रहे प्रदर्शनों की वजह मुख्य रूप से डीजल पर बढ़ाया गया टैक्स है. दरअसल, फ्रांस में चलने वाली अधिकतर कारें डीजल से चलती हैं. साल भर में डीजल की कीमतों में करीब 23 फीसदी की बढ़ोत्तरी हो चुकी है, जिसकी वजह से दाम साल 2000 के बाद अपने उच्चतम स्तर पर जा पहुंचे हैं. कुछ समय पहले कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोत्तरी हुई थी और फिर वह कम भी हो गई, लेकिन फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने डीजल पर 7.6 फीसदी प्रति लीटर और पेट्रोल पर 3.9 फीसदी प्रति लीटर का हाइड्रोकार्बन टैक्स लगा दिया. सरकार का तर्क है कि उन्होंने इलेक्ट्रिक कारों और स्वच्छ ईंधन अभियान के तहत ये कदम उठाया है. इतना ही नहीं, 1 जनवरी 2019 से भी डीजल की कीमतों पर 6.5 सेंट और पेट्रोल पर 2.9 सेंट की बढ़ोत्तरी करने का फैसला किया गया था. इन्हीं सारी बातों ने लोगों को गुस्सा दिला दिया और वह सड़कों पर उतर आए. भारत में तो सरकार एक्साइज ड्यूटी बढ़ा देती है, लेकिन लोग कुछ दिन हो-हल्ला कर के चुप हो जाते हैं. अधिक से अधिक सोशल मीडिया पर सरकार की आलोचना होती है... बस. खैर, फ्रांस में होने वाले प्रदर्शन की वजह सिर्फ डीजल पर लगाया गया टैक्स नहीं है, बल्कि सारे टैक्स हैं. हालांकि, ये प्रदर्शन रोज नहीं हो रहे हैं, बल्कि सिर्फ सप्ताह के अंत में हो रहे हैं. अगर जल्द ही प्रदर्शनकारियों की मांगों पर ध्यान नहीं दिया तो हो सकता है अगले शनिवार को भी फ्रांस की सड़कें पीली हो जाएं.
पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई भिड़ंत
ये मामला शनिवार का है. पेरिस के शांज एलीजे इलाके में कुछ संवेदनशील जगहों पर पुलिस ने बैरिकेट लगाए थे. कुछ प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेट को तोड़ कर अंदर घुसने की कोशिश की, जिसके बाद वहां हालात बिगड़ गए. कुछ प्रदर्शनकारियों ने तो कई गाड़ियों तक को आग के हवाले कर दिया. मामले से निपटने के लिए पहले से ही वहां पर करीब 3000 पुलिसकर्मी तैनात थे, जिन्होंने स्थिति को संभालने के लिए पानी की बौछार और आंसू गैस के गोलों की मदद से प्रदर्शनकारियों को पीछे धकेलने की कोशिश की. दरअसल, इसी इलाके में प्रधानमंत्री कार्यालय समेत कई मुख्य इमारते हैं, जिनकी सुरक्षा करना जरूरी है. सरकारी आंकड़ों अनुसार करीब 1.06 लाख प्रदर्शकारियों ने इस शनिवार को विरोध किया, जिनमें से 8000 तो सिर्फ फ्रांस में थे और 5000 शांज एलीजे इलाके में प्रदर्शन कर रहे थे.
पिछले शनिवार को हुए प्रदर्शन में करीब 2.80 लाख लोगों ने हिस्सा लिया था और लगभग 2000 जगहों पर यह प्रदर्शन हुए थे. इनमें लगभग 600 लोग घायल हो गए और 2 लोगों की मौत हो गई थी. यूं तो अधिकतर जगहों पर हुए प्रदर्शन शांतिपूर्ण थे, लेकिन करीब 50 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया था. इस शनिवार हुए प्रदर्शनों में पुलिस ने करीब 130 लोगों को गिरफ्तार किया, जिनमें से 69 लोग तो सिर्फ पेरिस में गिरफ्तार किए गए. इन प्रदर्शनों में करीब 24 लोग घायल हुए हैं.
येलो वेस्ट (yellow vest) वाले प्रदर्शनकारी
प्रदर्शनकारियों ने एक पीले रंग की हाफ जैकेट पहनी थी, जिसकी वजह से इस अभियान को येलो वेस्ट कहा जा रहा है. यह इस अभियान का दूसरा चरण है. इससे पहले पिछले शनिवार को भी पूरे फ्रांस में कई जगह प्रदर्शन हुए थे. सभी ने पीली जैकेट पहनी हुई थी, ताकि उन्हें दूर से देखा जा सके. आपको बता दें कि ये वही जैकेट है जो सभी ड्राइवर्स को अपनी गाड़ी में रखना जरूरी है. अगर कभी गाड़ी खराब होती है और सड़क पर खड़े रहना पड़ता है तो इस जैकेट की वजह से काफी दूर से भी शख्स को देखा जा सकता है. प्रदर्शनकारियों ने भी वही जैकेट पहनी है. इस तरह से एक ड्रेस कोड के साथ भारत में प्रदर्शन नहीं होते हैं. हां हाथों पर या माथे पर काली पट्टी जरूर बांध ली जाती है.
यूं तो यह प्रदर्शन डीजल-पेट्रोल पर लगे हाइड्रोकार्बन टैक्स की वजह से हो रहे हैं, लेकिन ये कहना गलत होगा कि यह अकेला मुद्दा है, जिसने लाखों लोगों को सड़कों पर ला दिया. लोगों का कहना है कि सिर्फ डीजल-पेट्रोल नहीं, बल्कि हर तरह के टैक्स में बढ़ोत्तरी से वह नाराज हैं. उनकी सैलरी कम है और उन्हें टैक्स अधिक देना पड़ रहा है, जिसकी वजह से गरीबी बढ़ रही है. नाराज भीड़ में अधिकतर लोग ऐसे हैं, जो तरह-तरह के टैक्स से परेशान हैं, जिनकी वजह से उनकी अधिकतर कमाई सरकार के खजाने में चली जाती है. लाखों की जो भीड़ सड़कों पर उतर आई है, वह एक दिन का गुस्सा नहीं है, बल्कि काफी दिनों से लोगों के मन में था, जो अब फूट पड़ा है.
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