आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर अलग-अलग राजनैतिक दल अपने गवर्नेंस मॉडल को लेकर जनता के बीच जा रहे हैं. बता दें कि इस साल के अंत में और अगले साल कई प्रदेशों में विधान सभा चुनाव होने हैं जिनमें गुजरात भी एक है जो प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का गृह प्रदेश भी है. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) लंबे समय से गुजरात विधानसभा चुनाव में और राज्य के बाहर के चुनावों में भी नरेंद्र मोदी के शासन के गुजरात मॉडल का जमकर प्रचार करती रही है तो वहीं अब आम आदमी पार्टी (आप) और तृणमूल कांग्रेस भी क्रमशः अरविंद केजरीवाल के दिल्ली मॉडल और ममता बनर्जी के पश्चिम बंगाल मॉडल को दूसरे राज्यों के चुनाव में इस्तेमाल करते देखे जा रहे है.
इस साल के अंत मेंहोने वाले हिमाचल प्रदेश और गुजरात चुनावके प्रचार अभियान में आप अरविंद केजरीवाल के दिल्ली मॉडल का बार-बार जिक्र कर रही है. इसी रणनीति से पार्टी ने हाल ही में संपन्न हुए पंजाब विधानसभा चुनाव में जीत हासिल कर सरकार बनाने में कामयाब हुई है. त्रिपुरा में भी अगले साल चुनाव् होने हैं जहां बीजेपी ने लेफ्ट और तृणमूल को हराकर 2018 में सरकार बनायी थी. तब त्रिपुरा चुनाव में कई तृणमूल नेता बीजेपी से शामिल हुए थे और तृणमूल को बुरी हर देखनी पड़ी थी अब पार्टी इन चुनावों में वापसी की पुरजोर कोशिश कर रही है.
तृणमूल के उपाध्यक्ष और ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी ये वादे कर रहे हैं कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आती है तो वो पक्ष्चिम बंगाल की तरह वहां भी अच्छी गवर्नेंस देंगे. उनका दावा है कि बंगाल मॉडल मौजूदा त्रिपुरा सरकार के शासन से बेहतर है. वैसे तृणमूल ने हाल के गोवा चुनाव में भी अपने बंगाल...
आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर अलग-अलग राजनैतिक दल अपने गवर्नेंस मॉडल को लेकर जनता के बीच जा रहे हैं. बता दें कि इस साल के अंत में और अगले साल कई प्रदेशों में विधान सभा चुनाव होने हैं जिनमें गुजरात भी एक है जो प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का गृह प्रदेश भी है. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) लंबे समय से गुजरात विधानसभा चुनाव में और राज्य के बाहर के चुनावों में भी नरेंद्र मोदी के शासन के गुजरात मॉडल का जमकर प्रचार करती रही है तो वहीं अब आम आदमी पार्टी (आप) और तृणमूल कांग्रेस भी क्रमशः अरविंद केजरीवाल के दिल्ली मॉडल और ममता बनर्जी के पश्चिम बंगाल मॉडल को दूसरे राज्यों के चुनाव में इस्तेमाल करते देखे जा रहे है.
इस साल के अंत मेंहोने वाले हिमाचल प्रदेश और गुजरात चुनावके प्रचार अभियान में आप अरविंद केजरीवाल के दिल्ली मॉडल का बार-बार जिक्र कर रही है. इसी रणनीति से पार्टी ने हाल ही में संपन्न हुए पंजाब विधानसभा चुनाव में जीत हासिल कर सरकार बनाने में कामयाब हुई है. त्रिपुरा में भी अगले साल चुनाव् होने हैं जहां बीजेपी ने लेफ्ट और तृणमूल को हराकर 2018 में सरकार बनायी थी. तब त्रिपुरा चुनाव में कई तृणमूल नेता बीजेपी से शामिल हुए थे और तृणमूल को बुरी हर देखनी पड़ी थी अब पार्टी इन चुनावों में वापसी की पुरजोर कोशिश कर रही है.
तृणमूल के उपाध्यक्ष और ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी ये वादे कर रहे हैं कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आती है तो वो पक्ष्चिम बंगाल की तरह वहां भी अच्छी गवर्नेंस देंगे. उनका दावा है कि बंगाल मॉडल मौजूदा त्रिपुरा सरकार के शासन से बेहतर है. वैसे तृणमूल ने हाल के गोवा चुनाव में भी अपने बंगाल मॉडल का जिक्र किया था लेकिन वह फ्लॉप साबित हुआ.
गुजरात में इस साल के आखिर में होने वाले चुनाव पर सभी की निगाहें हैं क्योंकि बीजेपी यहां लम्बे समय से सत्ता में है और कांग्रेस ने पिछली बार कड़ी टक्कर तो दी थी लेकिन एक बार फिर बीजेपी को सत्ता से दूर रखने में कामयाब नहीं हो पायी. ऐसे में आप के मुखिया अरविंद केजरीवाल को लगता है की प्रदेश में उनकी पार्टी ही बीजेपी को सत्ता में आने से रोक सकती है.
आप यहां विकास, शिक्षा और आम लोगों से जुड़े बुनियादी मुद्दों को चुनाव के केंद्र में लाकर बीजेपी के हिंदुत्व से जुड़े मुद्दों को टक्कर देना चाहती है. दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया प्रदेश के स्कूलों के बुरे हाल को बताते नजर आये हैं साथ ही इनकी तुलना में दिल्ली के स्कूल केजरीवाल के शासन में कितने अच्छे हैं ये भी जताते हैं.
सिसोदिया दिल्ली सरकार में शिक्षा मंत्री भी हैं और उन्होंने हाल ही में गुजरात के शिक्षा मंत्री जीतू वघानी के निर्वाचन क्षेत्र भावनगर में दो सरकारी स्कूलों का दौरा करने के बाद ये इन बातों का जिक्र किया था. उन्होंने बाद में गुजरात के मुख्यमंत्री को दिल्ली के सरकारी स्कूलों में 'आप के शासन के मॉडल' का अनुभव कराने के लिए आमंत्रित भी किया था.
हिमाचल में भी आप नेताओं के दौरों में तेजी देखी जा रही है खुद अरविंद केजरीवाल पिछले महीने दो बार वहां गए थे और दिल्ली सरकार के बेहतर शासन और सुविधाओं का जिक्र किया था. आपने दिल्ली मॉडल को हाल ही में संपन्न पंजाब, गोवा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भी दिखाया था लेकिन उसे हर जगह सफलता नहीं मिली. आप पंजाब में कांग्रेस को हराने में कामयाब रही जबकि उसे दूसरे राज्यों में बीजेपी के हाथों हार मिली.
गुजरात और हिमाचल चुनाव में आप कैसा प्रदर्शन करेगी ये तो वक़्त ही बताएगा लेकिन पार्टी को लगता है कि उसकी स्थिति उन जगहों पर बेहतर हो सकती है जहां बीजेपी के मुकाबले में सिर्फ कांग्रेस हो. वैसे दिल्ली मॉडल तो ठीक है जहां स्कूल और बिजली-पानी को लेकर केजरीवाल सरकार की तारीफ होती है लेकिन हाल के दिनों में आप को पंजाब के शासन को लेकर खूब आलोचना झेलनी पड़ रही है जहां कानून व्यवस्था और बिजली के मुद्दे पर विपक्ष लगातार हमले कर रहा है.
हाल ही में केरल सरकार ने ई-गवर्नेंस के लिए डैशबोर्ड सिस्टम का अध्ययन करने के लिए अपने मुख्य सचिव को गुजरात भेजा था. मुख्य सचिव ने गुजरात में डैशबोर्ड सिस्टम को अच्छा भी बताया. उन्होंने कहा कि सेवाओं के वितरण की निगरानी और नागरिकों की प्रतिक्रिया जानने के लिए यह एक अच्छी और व्यापक प्रणाली है.
डैशबोर्ड सिस्टम 2019 में शुरू किया गया था जब विजय रूपानी गुजरात के मुख्यमंत्री थे. बता दें कि 'गुजरात माडल' का अध्ययन करने और अच्छा बताने के लिए कांग्रेस पार्टी के राज्य विधान मंडल के विपक्षी नेता वीडी सतीसन ने केरल सरकार और सीपीएम की आलोचना की साथ ही मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन पर कटाक्ष भी किया है. तो वहीँ बीजेपी की केरल इकाई ने मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन से बहुप्रचारित "केरल मॉडल" को छोड़कर विभिन्न बीजेपी शासित राज्यों के मॉडल को अपनाने को कहा.
बीजेपी शासित मध्य प्रदेश में भी अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं वहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की लोकप्रियता बहुत है लेकिन हाल ही में खरगोन में कथित दंगाइयों के खिलाफ कार्रवाई के बाद उनकी छवि भी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जैसी बनती दिख रही है. हाल ही में ऐसी ख़बरें भी आयी हैं कि मध्यप्रदेश की तर्ज पर बिहार में भी देसी गायों को संरक्षण दिया जाएगा.
बिहार सरकार फिलहाल गायों को संरक्षण देने के मध्य प्रदेश मॉडल का अध्ययन कर रही है. माना जा रहा है कि मध्य प्रदेश से मिलता जुलता मॉडल ही बिहार में लागू किया जाएगा. वैसे भी नीतीश कुमार ने जिस 'सुशासन बाबू' की छवि बनाई थी उसमें लगातार गिरावट देखने को मिली है. विपक्ष ही नहीं कईबार तो सहयोगी बीजेपीके नेता भी उनके शासन के मॉडल परसवाल उठा रहे हैं.
देखने वाली बात यह है कि देश में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस अपने शासन वाले राजस्थान और छत्तीसगढ़ के शासन के मॉडल को किस हद तक पेश करती है. बीते विधानसभा चुनावों में पार्टी ने अहम् माने जाने वाले उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी के नेतृत्व में महिलाओं के मुद्दों पर चुनाव लड़ा था, हां इसमें छत्तीगढ़ के मुख्यमंत्री कि रैलियां भी हुई थीं. तो वहीँ पार्टी ने पंजाब चुनाव अपने नए मुख्यमंत्री के काम के बल पे लड़ा था. देखना ये होगा कि किस राजनैतिक दल का मॉडल जनता को अपनी ओर ज्यादा आकर्षित करता है.
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