एक तरफ भारत-इजरायल की बढ़ती दोस्ती, दुश्मन मुल्कों को चुभ रही है और दूसरी तरफ ज्यादातर भारतीय इस दोस्ती से खुश हैं. लेकिन असल में ये खुश होने का वक्त नहीं है. क्योंकि अभी हमें इजरायल की ही तरह अपने दुश्मनों को सबक सिखाने वाली नीति भी सीखनी बाकी है. जैसे को तैसा वाली नीति अपनाकर भारत को भी अपने दुश्मन मुल्कों से निपटना सीखना होगा. लेकिन ये काम एक दिन या एक महीने में नहीं होगा.
इजरायल का ये रुतबा यूं ही नहीं बना है. इजरायल खुद पहले हमला नहीं करता, लेकिन कोई उसको छेड़े तो वो उसे छोड़ता भी नहीं है. इजरायल शायद दुनिया में एक इकलौता ऐसा देश है, जो अपने चारों तरफ से दुश्मनों से घिरा हुआ है. लेकिन इतने दुश्मनों से घिरे होने के बावजूद कोई भी दुश्मन इजरायल को टेढ़ी नज़र से देखे, तो उसकी आंखें निकाल लेने की ताकत भी इजरायल के पास है.
इजरायल की आबादी भले ही सिर्फ 80 लाख के करीब है. लेकिन करोड़ों की आबादी वाले कई अरबी मुल्क इजरायल से खौफ़ खाते हैं. इजरायल की स्पेशल एजेंसी मोसाद का तो खौफ़ ऐसा है कि उसके डर से किसी भी आतंकी संगठन का मुखिया या उसके दुश्मन इज़राइल की तरफ आंख उठाकर भी नहीं देख सकते.
आपको याद होगा म्युनिख ओलिंपिक में आतंकवादियों ने इज़राइल के खिलाड़ियों की हत्या कर दी थी. आतंकवादी खिलाड़ियों को मारने के बाद किसी मुस्लिम देश में जा छुपे थे, जिनकी गिनती दर्जनों में है. लेकिन मोसाद ने कड़ी मेहनत के बाद कई देशों की खाक छानकर आखिरकार उन आतंकवादियों को मटियामेट करके ही दम लिया.
1976 में इजरायली नागरिकों को ले जा रहे एयर फ्रांस के विमान को हाईजैक कर आतंकवादी युगांडा ले गए थे. जहां के तानाशाह ईदी अमीन ने आतंकवादियों को खुला समर्थन दिया था. विमान में कुल 248 यात्री सवार थे, जिनमें से 148...
एक तरफ भारत-इजरायल की बढ़ती दोस्ती, दुश्मन मुल्कों को चुभ रही है और दूसरी तरफ ज्यादातर भारतीय इस दोस्ती से खुश हैं. लेकिन असल में ये खुश होने का वक्त नहीं है. क्योंकि अभी हमें इजरायल की ही तरह अपने दुश्मनों को सबक सिखाने वाली नीति भी सीखनी बाकी है. जैसे को तैसा वाली नीति अपनाकर भारत को भी अपने दुश्मन मुल्कों से निपटना सीखना होगा. लेकिन ये काम एक दिन या एक महीने में नहीं होगा.
इजरायल का ये रुतबा यूं ही नहीं बना है. इजरायल खुद पहले हमला नहीं करता, लेकिन कोई उसको छेड़े तो वो उसे छोड़ता भी नहीं है. इजरायल शायद दुनिया में एक इकलौता ऐसा देश है, जो अपने चारों तरफ से दुश्मनों से घिरा हुआ है. लेकिन इतने दुश्मनों से घिरे होने के बावजूद कोई भी दुश्मन इजरायल को टेढ़ी नज़र से देखे, तो उसकी आंखें निकाल लेने की ताकत भी इजरायल के पास है.
इजरायल की आबादी भले ही सिर्फ 80 लाख के करीब है. लेकिन करोड़ों की आबादी वाले कई अरबी मुल्क इजरायल से खौफ़ खाते हैं. इजरायल की स्पेशल एजेंसी मोसाद का तो खौफ़ ऐसा है कि उसके डर से किसी भी आतंकी संगठन का मुखिया या उसके दुश्मन इज़राइल की तरफ आंख उठाकर भी नहीं देख सकते.
आपको याद होगा म्युनिख ओलिंपिक में आतंकवादियों ने इज़राइल के खिलाड़ियों की हत्या कर दी थी. आतंकवादी खिलाड़ियों को मारने के बाद किसी मुस्लिम देश में जा छुपे थे, जिनकी गिनती दर्जनों में है. लेकिन मोसाद ने कड़ी मेहनत के बाद कई देशों की खाक छानकर आखिरकार उन आतंकवादियों को मटियामेट करके ही दम लिया.
1976 में इजरायली नागरिकों को ले जा रहे एयर फ्रांस के विमान को हाईजैक कर आतंकवादी युगांडा ले गए थे. जहां के तानाशाह ईदी अमीन ने आतंकवादियों को खुला समर्थन दिया था. विमान में कुल 248 यात्री सवार थे, जिनमें से 148 यात्री जो इजरायल से नहीं थे, सिर्फ़ उन्हें आतंकवादियों ने रिहा कर दिया. लेकिन इजरायली यात्रियों के बदले वो अपने तकरीबन 50 आतंकियों की रिहाई की मांग करने लगे. लेकिन यहीं मोसाद ने वो कर दिया, जो कोई सोच भी नहीं सकता.
मोसाद के 100 बेहतरीन कमांडो विमान से चार हजार किलोमीटर दूर इजरायल से युगांडा पहुंचे और आतंकवादियों को ठिकाने लगाकर बंधकों को आज़ाद कराया गया. आपको हैरानी होगी कि इस मिशन में मोसाद ने युगांडा में घुस कर आतंकवादियों का साथ दे रहे, युगांडा के ही कई फ़ौजियों को भी ठिकाने लगा दिया था. इस मिशन में सिर्फ एक कमांडो शहीद हुआ और 3 बंधक मारे गए. वहीं दूसरी ओर 1999 में नेपाल से हाईजैक कर कंधार ले जाए गए भारतीय विमान आईसी-814 के यात्रियों को रिहा कराने के लिए भारत सरकार ने जिस तरह आतंकवादियों के सामने घुटने टेके, उससे दुनिया में हमारी नीतियों की खूब आलोचना हुई.
ऐसे में अब वक़्त आ गया है कि कोई भी दुश्मन मुल्क हिमाकत करें तो उनको इजरायली भाषा में ऐसा जवाब दिया जाए कि अगली बार हमारी तरफ़ देखने से पहले उनकी रूह कांप उठे. वरना पाकिस्तान में बैठे दाऊद, मसूद अज़हर, सलाऊद्दीन, हाफिज़ सईद जैसे लोग हमें यूं ही मुंह चिढ़ाते रहेंगे.
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