यूपी विधानसभा चुनाव (P Election 2022) से पहले सपा और आरएलडी गठबंधन की लिस्ट में शामिल एक नाम ने सूबे की सियासत को एक अहम मोड़ दे दिया है. दरअसल, समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश की कैराना विधानसभा सीट से गैंगस्टर नाहिद हसन को फिर से का प्रत्याशी बनाए जाने का ऐलान किया था. कैराना विधायक नाहिद हसन पर हिंदुओं के पलायन का आरोप है. और, समाजवादी पार्टी का टिकट लेकर नाहिद हसन नामांकन भरने के बाद गैंगस्टर एक्ट में गिरफ्तार कर लिए गए हैं. वहीं, भाजपा ने इसे लेकर समाजवादी पार्टी पर आरोप लगाया है कि सपा में दंगाई हैं, और भाजपा को वो लोग ज्वाइन कर रहे हैं, जिन्होंने दंगाइयों को ठिकाने लगाया है. इस बयान का इशारा हाल ही में भाजपा में शामिल होने वाले पूर्व आईपीएस असीम अरुण की ओर था. आसान शब्दों में कहा जाए, तो नाहिद हसन Vs असीम अरुण की डिबेट ने 'फर्क' की राजनीति को भाजपा के पक्ष में मोड़ दिया.
नाहिद हसन ने 'फर्क' की राजनीति में लगाया नया तड़का
समाजवादी पार्टी ने नाहिद हसन को कैराना से उम्मीदवार बनाकर भाजपा की झोली में बैठे-बिठाए एक मुद्दा दे दिया है. हालांकि, नाहिद हसन को टिकट देने के मामले पर अब डैमेज कंट्रोल करने के लिए अखिलेश यादव कहते नजर आ रहे हैं कि नाहिद हसन के परिवार से जिस पर मुकदमा दर्ज नही होगा, उसे टिकट दिया जाएगा. और, समाजवादी पार्टी ने कैराना से नाहिद हसन की सगी बहन इकरा को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है. लेकिन, इस पूरी जद्दोजहद के बीच बहस अभी भी वहीं खड़ी है कि क्या समाजवादी पार्टी अराजकता फैलाने वाले लोगों के साथ है? क्योंकि, समाजवादी पार्टी ने भले ही नाहिद हसन का टिकट काटकर उनकी बहन इकरा को उम्मीदवार घोषित कर दिया हो. लेकिन, इकरा भी उसी परिवार की सदस्य हैं जिससे नाहिद हसन आते हैं. बता दें कि, 2016 में कैराना से हिंदुओं के पलायन में नाहिद हसन की भूमिका किसी से छिपी नही है. नाहिद हसन पर 17 मुकदमे दर्ज हैं और गैंगस्टर केस...
यूपी विधानसभा चुनाव (P Election 2022) से पहले सपा और आरएलडी गठबंधन की लिस्ट में शामिल एक नाम ने सूबे की सियासत को एक अहम मोड़ दे दिया है. दरअसल, समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश की कैराना विधानसभा सीट से गैंगस्टर नाहिद हसन को फिर से का प्रत्याशी बनाए जाने का ऐलान किया था. कैराना विधायक नाहिद हसन पर हिंदुओं के पलायन का आरोप है. और, समाजवादी पार्टी का टिकट लेकर नाहिद हसन नामांकन भरने के बाद गैंगस्टर एक्ट में गिरफ्तार कर लिए गए हैं. वहीं, भाजपा ने इसे लेकर समाजवादी पार्टी पर आरोप लगाया है कि सपा में दंगाई हैं, और भाजपा को वो लोग ज्वाइन कर रहे हैं, जिन्होंने दंगाइयों को ठिकाने लगाया है. इस बयान का इशारा हाल ही में भाजपा में शामिल होने वाले पूर्व आईपीएस असीम अरुण की ओर था. आसान शब्दों में कहा जाए, तो नाहिद हसन Vs असीम अरुण की डिबेट ने 'फर्क' की राजनीति को भाजपा के पक्ष में मोड़ दिया.
नाहिद हसन ने 'फर्क' की राजनीति में लगाया नया तड़का
समाजवादी पार्टी ने नाहिद हसन को कैराना से उम्मीदवार बनाकर भाजपा की झोली में बैठे-बिठाए एक मुद्दा दे दिया है. हालांकि, नाहिद हसन को टिकट देने के मामले पर अब डैमेज कंट्रोल करने के लिए अखिलेश यादव कहते नजर आ रहे हैं कि नाहिद हसन के परिवार से जिस पर मुकदमा दर्ज नही होगा, उसे टिकट दिया जाएगा. और, समाजवादी पार्टी ने कैराना से नाहिद हसन की सगी बहन इकरा को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है. लेकिन, इस पूरी जद्दोजहद के बीच बहस अभी भी वहीं खड़ी है कि क्या समाजवादी पार्टी अराजकता फैलाने वाले लोगों के साथ है? क्योंकि, समाजवादी पार्टी ने भले ही नाहिद हसन का टिकट काटकर उनकी बहन इकरा को उम्मीदवार घोषित कर दिया हो. लेकिन, इकरा भी उसी परिवार की सदस्य हैं जिससे नाहिद हसन आते हैं. बता दें कि, 2016 में कैराना से हिंदुओं के पलायन में नाहिद हसन की भूमिका किसी से छिपी नही है. नाहिद हसन पर 17 मुकदमे दर्ज हैं और गैंगस्टर केस में वह एक साल से फरार चल रहे थे. नाहिद की मां और पूर्व सांसद तबस्सुम हसन पर भी गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की गई थी.
वहीं, सोशल मीडिया पर नाहिद हसन का पुराना वीडियो फिर से वायरल हो रहा है. इस वायरल वीडियो में नाहिद हसन कैराना के मुसलमानों से जाट दुकानदारों के यहां से सामान न खरीदने की अपील करते नजर आए थे. इस वीडियो में नाहिद हसन कहते दिखाई देते हैं कि 'आप इनसे सामान मत लीजिए. क्योंकि, आप इनसे सामान लेते हैं, तो इनके घर चलते हैं. अगर इन दुकानदारों से सामान लेना बंद कर देंगे, तो उनकी आर्थिक स्थिति गड़बड़ा जाएगी.' वैसे, यह इकलौता वीडियो नही है. ऐसे और कई वीडियो हैं, जिसमें वह पुलिस-प्रशासन से उलझते हुए नजर आ चुके हैं. आसान शब्दों में कहा जाए, तो नाहिद हसन का टिकट काटना समाजवादी पार्टी के लिए मजबूरी हो गया था. क्योंकि, भाजपा ने इसे अपने चुनावी कैंपेन 'फर्क साफ है' का हिस्सा बनाते हुए सीधे अखिलेश यादव को जिन्नावादी और समाजवादी पार्टी को ऐसे गुंडों को बढ़ावा देने वाली पार्टी घोषित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है.
असीम अरुण ने भाजपा और सपा में 'फर्क' भी बता दिया
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सरकार बनने के साथ सूबे के माफियाओं और अपराधियों के खिलाफ 'जीरो टॉलरेंस' नीति अपनाने की घोषणा की थी. इस दौरान अपराधियों के खुद ही थाने जाकर सरेंडर करने की खबरों पूरे पांच सालों तक बहुत आम रही हैं. माफियाओं पर कड़ी कार्रवाई के मामले में भी योगी सरकार की ओर से पुलिस को खुली छूट मिली हुई थी. तो, कानपुर के पूर्व पुलिस कमिश्नर असीम अरुण सीएम योगी आदित्यनाथ की इस 'जीरो टॉलरेंस' नीति के पोस्टर ब्वॉय कहे जा सकते हैं. पूर्व आईपीएस असीम अरुण ने भाजपा में शामिल होने के बाद कहते भी नजर आ चुके हैं कि 'पिछली सरकारों में माफिया को छोड़ने के लिए फोन आते थे. लेकिन, योगी राज में एक भी गुंडे को छोड़ने के लिए मेरे पास फोन नहीं आया.' एक ऐसा पूर्व पुलिस अधिकारी, जिसका पूरा कार्यकाल बेदाग रहा हो. उसके इस बयान से भाजपा की 'फर्क साफ है' की राजनीति को बल ही मिलेगा. क्योंकि, इससे सीधा संकेत जाता है कि पूर्ववर्ती सपा सरकार में गुंडों और माफियाओं को बचाने के लिए फोन घुमाए जाते थे.
वैसे, समाजवादी पार्टी और आरएलडी गठबंधन के प्रत्याशियों की लिस्ट में बुलंदशहर से टिकट पाए हाजी युनुस पर 23 आपराधिक मामले दर्ज हैं. वहीं, मेरठ से समाजवादी पार्टी के विधायक रफीक अंसारी और स्याना से लड़ने वाले दिलनवाज का इतिहास भी आपराधिक रहा है. समाजवादी पार्टी के लिए ये एक बड़ी समस्या है कि उसके शासनकाल में कानून-व्यवस्था एक बड़ा मुद्दा रहा था. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो यानी NCRB के आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में पूर्ववर्ती सपा सरकार में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के नाम पर 815 सांप्रदायिक दंगों की घटनाएं दर्ज हैं. इतना ही नहीं, सपा सरकार के दौरान सूबे की जनता ने समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं की हनक को बहुत करीब से महसूस किया है. सपा सरकार के इसी गुंडाराज को भाजपा ने अपने चुनावी कैंपेन में शामिल किया है. हाल ही में सोशल मीडिया पर संभल का एक वीडियो भी वायरल हुआ था. जिसमें एक शख्स पुलिस वालों को 'सरकार' आने पर देख लेने की धमकी देता नजर आया था. जो सपा सरकार के गुंडाराज की बानगी कहा जा सकता है.
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