इन दिनों पाकिस्तान की हालात बेहद खराब चल रही है. अवाम भूख और गरीबी से जूझ रही है. इस बीच पाक अधिकृत कश्मीर गिलगित बाल्टिस्तान से भी पाकिस्तान के खिलाफ आवाज उठने लगी है. पाक अधिकृत कश्मीर के लोगों ने पाकिस्तान सरकार पर उनके साथ भेदभाव करने के गंभीर आरोप लगाए हैं. यहां के नाराज लाग अब पीओके को भारत में मिलाने की मांग करने लगे हैं. शोषण के खिलाफ आवाज बुलंद करते हुए कश्मीरी उन्हें भारत के लद्दाख में एक बार फिर से मिलाने की बात कहनी शुरू कर दी है.
पाक अधिकृत कश्मीर गिलगित बाल्टिस्तान में इन दिनों वहां के लोग पाकिस्तान सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करते देखे जा रहे हैं. वहां के हजारों की संख्या में लोग सड़कों पर हैं और जुलूस निकाल रहे हैं. पीओके के लोगों की मांग उन्हें भारत के लद्दाख क्षेत्र में मिला देने की है. इस मांग के तेज होते ही पाकिस्तान सरकार की नींद उड़ी है. इस विरोध प्रदर्शन के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं. रैली में लोगों ने कारगिल सड़क को खोलने की मांग की. उन्होंने नारा लगाया कि ‘आर पार जोड़ दो, कारगिल को खोल दो.’
स्पष्ट है कि अब पाकिस्तान टूटने वाला है और अब वहां बगावत भी शुरू हो गयी है, जिसकी पुष्टि खुद पाकिस्तान की जनता बार-बार खुल कर मीडिया के सामने कर रही है और साथ ही साथ भारत की प्रगति के कसीदे भी पढ़ते नजर आते हैं. पाकिस्तान की मौजूदा सरकार जोकि अपनी डूबती अर्थव्यवस्था को नहीं संभाल पा रही है उसने Pok का भी बेड़ा गर्ग कर दिया है. जानकारी के अनुसार हाल ही में जब कुछ पाकिस्तानी अफसर Pok पहुंचे थे तो वहीं के लोगों ने उन्हें खदेड़ दिया.
गौरतलब है कि इन दिनों पाकिस्तान में घनघोर खाद्यान्न संकट है. पूरा देश आर्थिक तंगी से जूझ रहा है. आटा के लिए लंबी कतारें और लोगों में संघर्ष देखा जा रहा है. इसको लेकर लोगों में पाकिस्तान सरकार के खिलाफ गुस्सा बढ़ रहा है. वहीं पाक अधिकृत कश्मीर के लोग सेना के खिलाफ भी खुलकर बयान दे रहे हैं. हाल ही में तालिबान की तरफ से भी पाकिस्तान को चेताया गया है. तालिबान की तरफ से भी पाकिस्तान का चुनौती मिलने से वह परेशान दिखने लगा है. इस बीच पीओके में पाकिस्तान विरोध और भारत में शामिल किए जाने की आवास से पाकिस्तान सरकार और सेना की नींद उड़ने लगी है. लोगों की आवाज को दबाने की कोशिश होने लगी है.
गौरतलब है कि पाकिस्तान की मौजूदा हालात पर इन दिनों दुनिया भर की नजरें हैं. इसी बीच अमेरिका के डेलावेयर यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर मुक्तदर खान ने यह कह कर बवाल खड़ा कर दिया है कि भारत चाहे तो जंग का ऐलान कर पीओके और बाकी इलाकों को अपने में मिला सकता है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान इस समय एक नाजुक मोड़ पर खड़ा है. ऐसे में भारत चाहे को उस पर चढ़ाई कर सकता है.
उधर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने पहले ही कह दिया है कि हमें भारत से युद्ध नहीं करना चाहिए था. उन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि हमने भारत के साथ तीन युद्ध लड़े. लेकिन बदले में हमें परेशानी, गरीबी और बेरोजगारी मिली. हमने अपना सबक सीख लिया है. हम शांति के साथ रहना चाहते हैं. इसके साथ ही पाकिस्तान के पीएम ने भारत के साथ ईमानदारी से बातचीत करने को कहा है.
जिसपर अमेरिका के डेलावेयर यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर मुक्तदर खान ने कहा है कि पीएम शहबाज शरीफ ने भारत के साथ ईमानदारी से बातचीत कहकर यू टर्न लिया है. खान ने कहा है कि पाकिस्तान हर मामले में कमजोर पड़ चुका है. हाल ये है कि कोई भी मुल्क पाकिस्तान पर हावी हो सकता है. भारत चाहे तो वो आसानी से कब्जा कर सकता है. इसके साथ ही मुक्तदर खान ने कहा है कि पाकिस्तान को सबसे पहले भारत का शुक्रिया अदा करना चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि अभी तक पाकिस्तान के नाजुक हालात का फायदा भारत नहीं उठा पा रहा है. पाकिस्तान को यह बात हमेशा याद रखनी चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि पाकिस्तान के नेताओं को समझना होगा कि भारत के नेता अधिक सम्मानित हैं और उनके जैसे नहीं हैं.
मुक्तदर खान ने कहा कि पाकिस्तान मौजूदा समय में छह प्रकार के संकट का सामना कर रहा है. इस दौरान उन्होंने राजनीतिक संकट, आर्थिक संकट, सुरक्षा का संकट, सिस्टम का संकट, पहचान का संकट और पर्यावरण संकट का हवाला दिया. इसके साथ ही हाल ही में वहां बिजली संकट खड़ा हो गया हैं. करीब दो दिन तक बिजली गुल रही थी. इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि अगर मुझे हजारों और लाखों बार भी ये पूछा जाए कि मैं भारत में एक मुस्लिम की तरह रहना चाहूंगा या फिर पाकिस्तान में एक हिंदू की तरह रहना चाहूंगा तो मेरा हर बार जवाब होगा कि मैं हर बार भारत में मुस्लिम बनकर रहना चाहूंगा.
गौरतलब है कि कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद से ही पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (पीओके) चर्चा में रहा है. भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शौर्य दिवस के मौके पर जम्मू कश्मीर में खड़े होकर पाकिस्तान को चुनौती दी थी. उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में उसने (पाकिस्तान) जो किया है, उसकी कीमत के रूप में पीओके खोकर चुकानी पड़ेगी. साथ ही भारत के उत्तरी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कुछ समय पूर्व कहा था कि भारतीय सेना पीओके को वापस लेने जैसे आदेशों को पूरा करने के लिए तैयार है. इस प्रकार की बातों से भी पीओके में रहने वालों को भारत से उम्मीद बंधी हैं.
साथ ही प्रधानमंत्री कार्यालय में मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि अब पीओके को आजाद कराने और भारत में शामिल कराने का वक्त आ गया है. ईश्वर से प्रार्थना करें कि हम अपने जीवनकाल में यह अवसर देख पाएं. दो दिन पहले ही राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने भी ट्वीट किया था कि 1947 में पं. जवाहरलाल नेहरू द्वारा यूएन में दायर किया प्रस्ताव वापस लेकर पीओके को सेना हासिल कर सकती है. कुल मिलाकर, पीओके हर किसी की जुबान पर है, लेकिन क्या वाकई इसे पाकिस्तान के कब्जे से छुड़ाया जा सकता है?
यह जानने के लिए भास्कर ऐप प्लस ने पूर्व थल सेना प्रमुख जनरल दीपक कपूर और संविधान विशेषज्ञ विराग गुप्ता से बात की. जनरल दीपक कपूर के अनुसार, संभव सबकुछ है, लेकिन इससे पहले हमें आतंकवाद और पाकिस्तान के प्रति रवैया बदलना होगा. अभी तक हम डिफेंसिव मोड में रहे हैं, लेकिन अब हमें ऑफेंसिव-डिफेंस की नीति अपनाना होगी. यानी सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट एयर स्ट्राइक यह दिखाती है कि यदि हम पर हमला होगा तो हम न सिर्फ उसका माकूल जवाब देंगे बल्कि उसे जड़ से खत्म करेंगे. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का परमाणु हथियारों के इस्तेमाल पर आया बयान भी यह दिखाता है कि सरकार कितनी मतबूत है और दुश्मन को सही जवाब देने के लिए हम कितने सक्षम हैं.
जनरल कपूर बताते हैं कि अभी हमें आतंकियों को नियंत्रण रेखा पार करने से रोकना होगा. चूंकि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा है, इसलिए वहां के हालात सामान्य होने में समय लगेगा. पहला फोकस वहां के लोगों पर, खासकर घाटी के लोगों पर होना चाहिए. वहां के लोगों को जब यह अहसास हो जाएगा कि अनुच्छेद 370 हटना उनके लिए फायदेमंद है, भारत सरकार और सेना उनकी सुरक्षा और बेहतर भविष्य के लिए काम कर रही है, तो आगे की राह अपने आप आसान हो जाएगी.
संविधान विशेषज्ञ विराग गुप्ता के अनुसार, संविधान के मुताबिक, पीओके भारत का अभिन्न अंग है. यह पाकिस्तान का हिस्सा नहीं है. पीओके हासिल करने में न तो कोई कानूनी बाध्यता है और न संयुक्त राष्ट्र का कोई दबाव. यूएन इस मामले में कुछ नहीं कर सकता. अब बात आती है कि यह कैसे संभव है, तो बातचीत से इसका हल निकलने से रहा. दूसरा, जब जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद पाकिस्तान तिलमिला गया तो पीओके की बात करने से क्या होगा, आप सोच ही सकते हैं. इसका एक ही रास्ता है, पाकिस्तानी सेना को वहां से खदेड़ना होगा.
गौरतलब है कि कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद से ही पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (पीओके) चर्चा में रहा है. भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शौर्य दिवस के मौके पर जम्मू कश्मीर में खड़े होकर पाकिस्तान को चुनौती दी थी. उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में उसने (पाकिस्तान) जो किया है, उसकी कीमत चुकानी पड़ेगी. साथ ही भारत के उत्तरी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कुछ समय पूर्व कहा था कि भारतीय सेना पीओके को वापस लेने जैसे आदेशों को पूरा करने के लिए तैयार है. इस प्रकार की बातों से भी पीओके में रहने वालों को भारत से उम्मीद बंधी हैं.
साथ ही प्रधानमंत्री कार्यालय में मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि अब पीओके को आजाद कराने और भारत में शामिल कराने का वक्त आ गया है. ईश्वर से प्रार्थना करें कि हम अपने जीवनकाल में यह अवसर देख पाएं. दो दिन पहले ही राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने भी ट्वीट किया था कि 1947 में पं. जवाहरलाल नेहरू द्वारा यूएन में दायर किया प्रस्ताव वापस लेकर पीओके को सेना हासिल कर सकती है. कुल मिलाकर, पीओके हर किसी की जुबान पर है, लेकिन क्या वाकई इसे पाकिस्तान के कब्जे से छुड़ाया जा सकता है? यह जानने के लिए भास्कर ऐप प्लस ने पूर्व थल सेना प्रमुख जनरल दीपक कपूर और संविधान विशेषज्ञ विराग गुप्ता से बात की.
जनरल दीपक कपूर के अनुसार, संभव सबकुछ है, लेकिन इससे पहले हमें आतंकवाद और पाकिस्तान के प्रति रवैया बदलना होगा. अभी तक हम डिफेंसिव मोड में रहे हैं, लेकिन अब हमें ऑफेंसिव-डिफेंस की नीति अपनाना होगी. यानी सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट एयर स्ट्राइक यह दिखाती है कि यदि हम पर हमला होगा तो हम न सिर्फ उसका माकूल जवाब देंगे बल्कि उसे जड़ से खत्म करेंगे. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का परमाणु हथियारों के इस्तेमाल पर आया बयान भी यह दिखाता है कि सरकार कितनी मतबूत है और दुश्मन को सही जवाब देने के लिए हम कितने सक्षम हैं.
जनरल कपूर बताते हैं कि अभी हमें आतंकियों को नियंत्रण रेखा पार करने से रोकना होगा. चूंकि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा है, इसलिए वहां के हालात सामान्य होने में समय लगेगा. पहला फोकस वहां के लोगों पर, खासकर घाटी के लोगों पर होना चाहिए. वहां के लोगों को जब यह अहसास हो जाएगा कि अनुच्छेद 370 हटना उनके लिए फायदेमंद है, भारत सरकार और सेना उनकी सुरक्षा और बेहतर भविष्य के लिए काम कर रही है, तो आगे की राह अपने आप आसान हो जाएगी.
संविधान विशेषज्ञ विराग गुप्ता के अनुसार, संविधान के मुताबिक, पीओके भारत का अभिन्न अंग है. यह पाकिस्तान का हिस्सा नहीं है. पीओके हासिल करने में न तो कोई कानूनी बाध्यता है और न संयुक्त राष्ट्र का कोई दबाव. यूएन इस मामले में कुछ नहीं कर सकता. अब बात आती है कि यह कैसे संभव है, तो बातचीत से इसका हल निकलने से रहा. दूसरा, जब जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद पाकिस्तान तिलमिला गया तो पीओके की बात करने से क्या होगा, आप सोच ही सकते हैं. इसका एक ही रास्ता है, पाकिस्तानी सेना को वहां से खदेड़ना होगा. अब यह साफ़ है कि पीओके के लोगों का भारत की झुकाव कभी भी भारत को पीओके को भारत में मिलाना सरल हो जायेगा.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.