महाराष्ट्र (Maharashtra) में लंबी राजनीतिक उठापटक के बाद आखिरकार यहां शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस (Shiv Sena-Congress-NCP) समर्थन से सरकार बन गई है. लेकिन महाराष्ट्र में मिले झटके के बाद अचनाक मोदी-शाह (Modi-Shah) की जोड़ी और उसकी कार्यशैली सवालों के घेरे में आ गई है. क्या महाराष्ट्र से सीख लेते हुए बीजेपी (BJP) गुजरात (Gujarat) की राजनीति में बदलाव लाएगी?
सुत्रों की मानें तो गुजरात बीजेपी में आने वाले दिनों में बड़ा बदलाव हो सकता है. जिसमें बीजेपी के अध्यक्ष से लेकर संगठन के मंत्री और सरकार में मुख्यमंत्री में भी बदलाव की संभावनाओं को नकारा नहीं जा रहा है. पिछले दिनों गुजरात की 6 सीटों के उपचुनाव के नतीजों ने बीजेपी आलाकमान को गुजरात की राजनीति और गुजरात बीजेपी में चल रही अंदरुनी गुटबाजी पर सोचने पर मजबूर कर दिया है.
गुजरात में हाल ही में हुए 6 सीटों के उपचुनाव में बीजेपी की 3 सीटों पर हार हुई है, जिसमें महत्वपूर्ण हार कही जाने वाली अल्पेश ठाकोर और थराद में हुई हार हैं. यही नहीं, अहमदाबाद के शहरी इलाके की सीट अमराईवाड़ी, जो कि बीजेपी का गढ़ माना जाता है, उसी शहरी इलाके की सीट में बीजेपी को जीत लोहे के चने चबाने बराबर साबित हुई और 50 हजार की लीड 5 हजार में सिमट कर रह गयी. तो वहीं कांग्रेस की तीन सीटों पर जीत ने कांग्रेस के लिए जीत का कॉन्फिडेंस और बढ़ा दिया.
राजनीतिक जानकारों की मानें तो बीजेपी की 3 सीटों पर हुई हार की बड़ी वजह बीजेपी की अंदरुनी गुटबाजी है, जिसका सीधा मतलब होता है कि गुजरात की स्थानीय नेतागिरी पार्टी पर धीरे-धीरे अपना कन्ट्रोल गंवा रही है. यही नहीं, मुख्यमंत्री विजय रूपानी की नेतागिरी के सामने कई सवाल खडे होते...
महाराष्ट्र (Maharashtra) में लंबी राजनीतिक उठापटक के बाद आखिरकार यहां शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस (Shiv Sena-Congress-NCP) समर्थन से सरकार बन गई है. लेकिन महाराष्ट्र में मिले झटके के बाद अचनाक मोदी-शाह (Modi-Shah) की जोड़ी और उसकी कार्यशैली सवालों के घेरे में आ गई है. क्या महाराष्ट्र से सीख लेते हुए बीजेपी (BJP) गुजरात (Gujarat) की राजनीति में बदलाव लाएगी?
सुत्रों की मानें तो गुजरात बीजेपी में आने वाले दिनों में बड़ा बदलाव हो सकता है. जिसमें बीजेपी के अध्यक्ष से लेकर संगठन के मंत्री और सरकार में मुख्यमंत्री में भी बदलाव की संभावनाओं को नकारा नहीं जा रहा है. पिछले दिनों गुजरात की 6 सीटों के उपचुनाव के नतीजों ने बीजेपी आलाकमान को गुजरात की राजनीति और गुजरात बीजेपी में चल रही अंदरुनी गुटबाजी पर सोचने पर मजबूर कर दिया है.
गुजरात में हाल ही में हुए 6 सीटों के उपचुनाव में बीजेपी की 3 सीटों पर हार हुई है, जिसमें महत्वपूर्ण हार कही जाने वाली अल्पेश ठाकोर और थराद में हुई हार हैं. यही नहीं, अहमदाबाद के शहरी इलाके की सीट अमराईवाड़ी, जो कि बीजेपी का गढ़ माना जाता है, उसी शहरी इलाके की सीट में बीजेपी को जीत लोहे के चने चबाने बराबर साबित हुई और 50 हजार की लीड 5 हजार में सिमट कर रह गयी. तो वहीं कांग्रेस की तीन सीटों पर जीत ने कांग्रेस के लिए जीत का कॉन्फिडेंस और बढ़ा दिया.
राजनीतिक जानकारों की मानें तो बीजेपी की 3 सीटों पर हुई हार की बड़ी वजह बीजेपी की अंदरुनी गुटबाजी है, जिसका सीधा मतलब होता है कि गुजरात की स्थानीय नेतागिरी पार्टी पर धीरे-धीरे अपना कन्ट्रोल गंवा रही है. यही नहीं, मुख्यमंत्री विजय रूपानी की नेतागिरी के सामने कई सवाल खडे होते हैं. जानकार मानते हैं कि मुख्यमंत्री विजय रूपानी अपने सरकारी बाबुओं पर लगाम कसने में नाकामयाब रहे हैं. यही नहीं, खुद मुख्यमंत्री विजय रूपानी को पहले से ही अमित शाह के इशारों पर चलने वाले नेता के तौर पर जाना जाता है. वैसे बीजेपी पार्टी पर ना संगठन की पकड़ है और ना ही मुख्यमंत्री की. बता दें कि बीजेपी कार्यकर्ताओं के जरिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी चिट्ठी लिख गुटबाजी की जानकारी दी गई है.
वहीं माना जा रहा है कि पहले बीजेपी संगठन के अध्यक्ष समेत कई पदों का बदलाव किया जाएगा, जिसके बाद सरकार में भी बड़े बदलाव की संभावना देखी जा रही है, जिसमें माना जा रहा है कि विजय रूपानी को मुख्यमंत्री पद से भी हटाया जा सकता है. फिलहाल यही संभावना जताई जा रही है कि 15 दिसंबर तक नया संगठन और गुजरात बीजेपी अध्यक्ष का नाम की घोषित कर दिया जाएगा, जबकि 2020 तक सरकार में बदलाव किया जा सकता है.
माना जा रहा है कि बीजेपी का अगला अध्यक्ष पाटीदार ही होगा, तो वहीं लोग उत्तर गुजरात में कमजोर होती बीजेपी की पकड़ की वजह से पाटीदार और उत्तर गुजरात के नेता रजनी पटेल के नाम की चर्चा भी कर रहे हैं.
हालांकि, सौराष्ट्र में बीजेपी की कमजोर होती पकड़ की वजह से ये भी माना जा रहा है कि केन्द्रीय मंत्री मनसुख मांडविया को भी अध्यक्ष बनाया जा सकता है. तो वहीं जीतू वाधानी को दोबारा से रिपीट करने की संभावना को भी नकारा नहीं जा सकता. वहीं यूपी में अपने अच्छे प्रदर्शन की वजह से इस लिस्ट में गोवर्धन जडफिया का नाम भी शामिल है.
हालांकि, सरप्राइज़ देने में माहिर बीजेपी इस बार अध्यक्ष के तौर पर किसके नाम पर मोहर लगाएगी, ये देखना बेहद दिलचस्प होगा.
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