गुजरात विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होने में बहुत ज्यादा समय नहीं बचा है. यही वजह है कि भाजपा नेता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर आम आदमी पार्टी के सर्वेसर्वा अरविंद केजरीवाल इन दिनों गुजरात में काफी समय बिता रहे हैं. आसान शब्दों में कहें, तो भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गुजरात विधानसभा का चुनावी द्वंद अभूतपूर्व होने वाला है. इन सबके बीच आए एक चुनावी सर्वे में दावा किया गया है कि गुजरात में फिर से भाजपा की सरकार वापस आने वाली है. और, कांग्रेस को नुकसान होता नजर आ रहा है. वहीं, गुजरात में पहला विधानसभा चुनाव लड़ने जा रही आम आदमी पार्टी 'फुस्स' पटाखा साबित होती दिख रही है. लेकिन, इस सर्वे में आम आदमी पार्टी को 17 फीसदी वोट शेयर दिया गया है. जिसे देखकर लग रहा है कि गुजरात चुनाव में AAP खुद को 'भस्मासुर' न बना ले. आइए जानते हैं कैसे...
गुजरात में तीन दशकों से ज्यादा समय से भाजपा की सरकार है. और, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गृह राज्य भी है. यहां से भाजपा को हटाने या साफ करने की कोशिशें तो कांग्रेस भी लंबे समय से कर रही है. लेकिन, अभी तक उसे सफलता नहीं मिल सकी. लेकिन, पंजाब में सरकार बनाने के बाद आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल का आत्मविश्वास सातवें आसमान पर है. और, उन्हें लगता है कि आम आदमी पार्टी गुजरात में भी कोई करामात कर ले जाएगी. और, गुजरात चुनाव से पहले सी वोटर और एबीपी न्यूज का सर्वे इसकी तस्दीक भी करता है. वो अलग बात है कि विधानसभा सीटों को जीतने के मामले में आम आदमी पार्टी कमजोर साबित होगी. लेकिन, उसके 17 फीसदी वोट घसीट ले जाने से सीधा नुकसान कांग्रेस का होने वाला है.
गुजरात विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होने में बहुत ज्यादा समय नहीं बचा है. यही वजह है कि भाजपा नेता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर आम आदमी पार्टी के सर्वेसर्वा अरविंद केजरीवाल इन दिनों गुजरात में काफी समय बिता रहे हैं. आसान शब्दों में कहें, तो भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गुजरात विधानसभा का चुनावी द्वंद अभूतपूर्व होने वाला है. इन सबके बीच आए एक चुनावी सर्वे में दावा किया गया है कि गुजरात में फिर से भाजपा की सरकार वापस आने वाली है. और, कांग्रेस को नुकसान होता नजर आ रहा है. वहीं, गुजरात में पहला विधानसभा चुनाव लड़ने जा रही आम आदमी पार्टी 'फुस्स' पटाखा साबित होती दिख रही है. लेकिन, इस सर्वे में आम आदमी पार्टी को 17 फीसदी वोट शेयर दिया गया है. जिसे देखकर लग रहा है कि गुजरात चुनाव में AAP खुद को 'भस्मासुर' न बना ले. आइए जानते हैं कैसे...
गुजरात में तीन दशकों से ज्यादा समय से भाजपा की सरकार है. और, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गृह राज्य भी है. यहां से भाजपा को हटाने या साफ करने की कोशिशें तो कांग्रेस भी लंबे समय से कर रही है. लेकिन, अभी तक उसे सफलता नहीं मिल सकी. लेकिन, पंजाब में सरकार बनाने के बाद आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल का आत्मविश्वास सातवें आसमान पर है. और, उन्हें लगता है कि आम आदमी पार्टी गुजरात में भी कोई करामात कर ले जाएगी. और, गुजरात चुनाव से पहले सी वोटर और एबीपी न्यूज का सर्वे इसकी तस्दीक भी करता है. वो अलग बात है कि विधानसभा सीटों को जीतने के मामले में आम आदमी पार्टी कमजोर साबित होगी. लेकिन, उसके 17 फीसदी वोट घसीट ले जाने से सीधा नुकसान कांग्रेस का होने वाला है.
इस सर्वे के अनुसार, 182 विधानसभा सीटों में से बीजेपी के खाते में 135 से 143 सीटें मिलती दिख रही हैं. वहीं, कांग्रेस एक बड़े नुकसान के साथ 36-44 सीटों पर सिमटती नजर आ रही है. इस सर्वे में आम आदमी पार्टी को शून्य से दो सीटें ही मिलती नजर आ रही हैं. जो अन्य के खाते में जाने वाली तीन सीटों से भी कम है. आसान शब्दों में कहें, तो इस बार आम आदमी पार्टी की वजह से गुजरात विधानसभा चुनाव के त्रिकोणीय होने से कांग्रेस को नुकसान होना तय है. लेकिन, यही बात अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के लिए भविष्य में चिंता का विषय साबित हो सकती है. दरअसल, अगर आम आदमी पार्टी की वजह से कांग्रेस को नुकसान होता है. तो, भाजपा विरोधी एक बड़े वर्ग में ये संदेश जाएगा कि अरविंद केजरीवाल ने जान-बूझकर भाजपा को फायदा पहुंचाने के लिए गुजरात विधानसभा चुनाव में ताल ठोकी थी.
अगर ऐसा हो जाता है, तो अरविंद केजरीवाल के लिए 2024 से पहले अन्य राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी के लिए वोट जुटाना मुश्किल हो जाएगा. क्योंकि, भाजपा विरोधी वोटों में बंटवारा कराने का आरोप सीधे केजरीवाल की आम आदमी पार्टी पर ही लगेगा. और, वो इस आरोप से पीछा नहीं छुटा पाएंगे. संभव है कि 2024 से पहले बनने वाले विपक्ष के महागठबंधन से भी केजरीवाल एंड पार्टी को साइडलाइन कर दिया जाए. क्योंकि, दिल्ली में लगातार विधानसभा चुनाव जीतने वाली आम आदमी पार्टी राज्य की एक भी लोकसभा सीट पर जीत दर्ज नहीं कर पाई है. गुजरात विधानसभा चुनाव की वजह से केजरीवाल को दिल्ली में अपने वोटबैंक का नुकसान हो सकता है. तो, कहना गलत नहीं होगा कि गुजरात चुनाव में AAP खुद को 'भस्मासुर' न बना ले.
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