गुजरात की वो 10 सीटें जिन्होंने चुनाव नतीजों में कांग्रेस और भाजपा के संग्राम का हल निकाल दिया. क्या रहा इन सीटों का हाल...
भाजपा लोकप्रियता के चरम पर है, लेकिन जैसे-तैसे मिली गुजरात की जीत में कुछ पेंच ऐसे भी हैं जो कांग्रेस के खाते में गए. जो भी ताकतें कांग्रेस इस्तेमाल कर पाई वो भाजपा के विरोध में इस्तेमाल की. गुजरात की 10 सीटें ऐसी थीं जहां भाजपा और कांग्रेस की टक्कर असल में ऐसी थीं जिन्होंने गुजरात जीतने और हारने को तय कर दिया है.
ये वो सीटें थीं जहां अलग-अलग उम्मीदवारों को, वहां दिए गए भाषण को और वहां के लोगों से किए गए वादे को लोगों ने देखा और उस हिसाब से वोट किए. ये वो सीटें थीं जिन्होंने चुनाव परिणाम को अंडरलाइन किया. मजे की बात ये है कि इसमें गुजरात के सीएम विजय रूपाणी की सीट भी शामिल है जो पश्चिमी राजकोट की सीट है. दूसरी सीट भावनगर वेस्ट की सीट थी जो भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष जीतू वघानी थे. जहां गुजरात के सीएम पहले पीछे चल रहे थे और बाद में आगे आए हैं वहीं तीन जवान लीडर्स की तिकड़ी जो हार्दिक पटेल, जिगनेश मेवानी और अल्पेश ठाकोर के रूप में सामने आई वो भाजपा को मुश्किल में डाल गई.
कांग्रेस की 80 से ऊपर जीती हुई सीटें ये साबित कर गईं कि जनाब अब गुजरात बदल रहा है. भले ही भाजपा गुजरात में छठवी बार सरकार बनाने के लिए तैयार हो, लेकिन फिर भी इस बार भाजपा को 2019 के लिए गहन चिंतन तो करना होगा.
इसी राजनीतिक लड़ाई पर गुजरात की उन 10 सीटों की बात करते हैं जिन्होंने इस चुनाव का रुख ही बदल दिया...
भाजपा लोकप्रियता के चरम पर है, लेकिन जैसे-तैसे मिली गुजरात की जीत में कुछ पेंच ऐसे भी हैं जो कांग्रेस के खाते में गए. जो भी ताकतें कांग्रेस इस्तेमाल कर पाई वो भाजपा के विरोध में इस्तेमाल की. गुजरात की 10 सीटें ऐसी थीं जहां भाजपा और कांग्रेस की टक्कर असल में ऐसी थीं जिन्होंने गुजरात जीतने और हारने को तय कर दिया है.
ये वो सीटें थीं जहां अलग-अलग उम्मीदवारों को, वहां दिए गए भाषण को और वहां के लोगों से किए गए वादे को लोगों ने देखा और उस हिसाब से वोट किए. ये वो सीटें थीं जिन्होंने चुनाव परिणाम को अंडरलाइन किया. मजे की बात ये है कि इसमें गुजरात के सीएम विजय रूपाणी की सीट भी शामिल है जो पश्चिमी राजकोट की सीट है. दूसरी सीट भावनगर वेस्ट की सीट थी जो भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष जीतू वघानी थे. जहां गुजरात के सीएम पहले पीछे चल रहे थे और बाद में आगे आए हैं वहीं तीन जवान लीडर्स की तिकड़ी जो हार्दिक पटेल, जिगनेश मेवानी और अल्पेश ठाकोर के रूप में सामने आई वो भाजपा को मुश्किल में डाल गई.
कांग्रेस की 80 से ऊपर जीती हुई सीटें ये साबित कर गईं कि जनाब अब गुजरात बदल रहा है. भले ही भाजपा गुजरात में छठवी बार सरकार बनाने के लिए तैयार हो, लेकिन फिर भी इस बार भाजपा को 2019 के लिए गहन चिंतन तो करना होगा.
इसी राजनीतिक लड़ाई पर गुजरात की उन 10 सीटों की बात करते हैं जिन्होंने इस चुनाव का रुख ही बदल दिया...
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