हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) के सहारे चल रही राजनीतिक मुहिम जोर पकड़ चुकी है. महाराष्ट्र (Maharashtra) से शुरू हुई इस मुहिम का उत्तर प्रदेश में भी काफी असर हुआ है - और आलम ये है कि हनुमान चालीसा मुहिम शुरू करने वाले राज ठाकरे यूपी में योगी सरकार से तुलना करते हुए महाराष्ट्र में 'भोगी सरकार' का शासन बताने लगे हैं.
योगी आदित्यनाथ ने राजस्थान की एक चुनावी रैली में हनुमान को दलित बताया था - ये नवंबर, 2018 की बात है. तभी से हनुमान का जिक्र चुनावों के दौरान होता रहा है. दिल्ली चुनाव के दौरान जहां अरविंद केजरीवाल के टीवी पर हनुमान चालीसा पढ़ने की खूब चर्चा हुई, वहीं बिहार चुनाव के दौरान चिराग पासवान ने खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हनुमान बताते रहे.
चुनाव नतीजे आने पर साबित भी हो गया कि चिराग पासवान के हनुमान अवतार से बीजेपी को बहुत फायदा मिला. जेडीयू की हालत तो पहले से ही पतली हो चुकी थी, हनुमान बने चिराग पासवान ने तो जैसे जगह जगह से बोरिया बिस्तर समेट ही डाला था.
संयोग से चिराग पासवान भी दलित राजनीति करते हैं. और पिता की दलित राजनीति की विरासत को बचाये रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. हैरानी की बात ये रही कि चिराग पासवान को हनुमान बनने का कोई फायदा नहीं मिल सका, वैसे भी हनुमान फायदे के लिए तो कुछ करते नहीं. वो तो बस अपने राम को फायदा पहुंचाने की कोशिश करते हैं - और उस लिहाज से तो सफल ही रहे.
ये हनुमान ही हैं जो रामायण काल में पहली बार किसी तख्तापलट की नींव रखे थे. वो चाहते तो रावण की लंका को खुद ही नेस्तनाबूद कर सकते थे, लेकिन थोड़े बहुत तोड़ फोड़ मचाने के बाद बाकी काम अपने राम के लिए छोड़ दिया था.
और ये भी संयोग ही है कि नवनीत राणा (Navneet Rana) अमरावती की सुरक्षित सीट से सांसद हैं - हालांकि, उनके अनुसूचित जाति के होने पर...
हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) के सहारे चल रही राजनीतिक मुहिम जोर पकड़ चुकी है. महाराष्ट्र (Maharashtra) से शुरू हुई इस मुहिम का उत्तर प्रदेश में भी काफी असर हुआ है - और आलम ये है कि हनुमान चालीसा मुहिम शुरू करने वाले राज ठाकरे यूपी में योगी सरकार से तुलना करते हुए महाराष्ट्र में 'भोगी सरकार' का शासन बताने लगे हैं.
योगी आदित्यनाथ ने राजस्थान की एक चुनावी रैली में हनुमान को दलित बताया था - ये नवंबर, 2018 की बात है. तभी से हनुमान का जिक्र चुनावों के दौरान होता रहा है. दिल्ली चुनाव के दौरान जहां अरविंद केजरीवाल के टीवी पर हनुमान चालीसा पढ़ने की खूब चर्चा हुई, वहीं बिहार चुनाव के दौरान चिराग पासवान ने खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हनुमान बताते रहे.
चुनाव नतीजे आने पर साबित भी हो गया कि चिराग पासवान के हनुमान अवतार से बीजेपी को बहुत फायदा मिला. जेडीयू की हालत तो पहले से ही पतली हो चुकी थी, हनुमान बने चिराग पासवान ने तो जैसे जगह जगह से बोरिया बिस्तर समेट ही डाला था.
संयोग से चिराग पासवान भी दलित राजनीति करते हैं. और पिता की दलित राजनीति की विरासत को बचाये रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. हैरानी की बात ये रही कि चिराग पासवान को हनुमान बनने का कोई फायदा नहीं मिल सका, वैसे भी हनुमान फायदे के लिए तो कुछ करते नहीं. वो तो बस अपने राम को फायदा पहुंचाने की कोशिश करते हैं - और उस लिहाज से तो सफल ही रहे.
ये हनुमान ही हैं जो रामायण काल में पहली बार किसी तख्तापलट की नींव रखे थे. वो चाहते तो रावण की लंका को खुद ही नेस्तनाबूद कर सकते थे, लेकिन थोड़े बहुत तोड़ फोड़ मचाने के बाद बाकी काम अपने राम के लिए छोड़ दिया था.
और ये भी संयोग ही है कि नवनीत राणा (Navneet Rana) अमरावती की सुरक्षित सीट से सांसद हैं - हालांकि, उनके अनुसूचित जाति के होने पर अभी विवाद चल रहा है और मामला अदालत में है. राज ठाकरे के बाद नवनीत राणा ने भी अपने पति रवि राणा के साथ हनुमान चालीसा मुहिम को आगे बढ़ाने की कोशिश की थी, लेकिन उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना और गठबंधन सरकार से टकराने का नतीजा ये हुआ कि जेल जाना पड़ा है.
ये भी पहले से ही साफ हो चुका है कि महाराष्ट्र में भी हनुमान चालीसा मुहिम गठबंधन सरकार के तख्तापलट के मकसद से ही चलायी जा रही है. और ये भी लग रहा है कि लंका की तरह नींव भी रखी जा चुकी है - अब ये देखना है कि हनुमान चालीसा के बहाने बीजेपी का ये तख्तापलट अभियान कहां तक पहुंचता है?
चिराग की तरह मोहरा बनीं नवनीत राणा
नवनीत राणा की 8 साल की बेटी आरोही राणा ने अपने माता-पिता की जेल से रिहाई के लिए घर पर हनुमान चालीसा का पाठ किया है. आरोही राणा ने बताया, 'मेरी मम्मी और पापा को जल्द छोड़ दिया जाये इसलिए मैं प्रार्थना कर रही हूं.' आरोही ने महाराष्ट्र सरकार से भी अपील की है कि दोनों को जल्दी से रिहा कर दिया जाये.
मुमकिन है नवनीत राणा को भी महाराष्ट्र में हनुमान चालीसा मुहिम को लेकर आगे बढ़ने का चिराग पासवान की तरह ही अफसोस हो रहा हो. चिराग पासवान को तो हनुमान बनने का ये सिला मिला है कि लोक जनशक्ति पार्टी पर उनके चाचा पशुपति कुमार पारस ने कब्जा जमा लिया और केंद्र की मोदी सरकार में मंत्री बन गये हैं. बीजेपी किस बात की उम्मीद करें जबकि उनके पिता को मिला बंगला भी उनसे खाली करा लिया गया.
नवनीत राणा के लिए राहत की बात है कि कम से कम महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस उनके पक्ष में खड़े नजर आ रहे है. प्रेस कांफ्रेंस कर देंवेद्र फडणवीस ने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र में पुलिस का गलत इस्तेमाल हो रहा है. नवनीत राणा की गिरफ्तारी को भी गलत बताया है.
नवनीत राणा के खिलाफ पुलिस एक्शन का विरोध करते हुए फडणवीस कह रहे हैं, एक महिला को पस्त करने के लिए हजारों लोगों को इकट्ठा किया जाता है.... घर में पुलिस भेजकर गिरफ्तार किया जाता है... आश्चर्य की बात है कि देशद्रोह का आरोप लगाया जाता है.
देवेंद्र फडणवीस पूछ रहे हैं कि हनुमान चालीसा का पाठ करना देशद्रोह है क्या? बीजेपी नेता ने भी चेतावनी दी है कि अगर ऐसा है तो हम लोग भी हनुमान चालीसा का पाठ करेंगे - सरकार हम पर देशद्रोह का मुकदमा चलाये.
देवेंद्र फडणवीस को तो संजय राउत ही जवाब दे रहे हैं, लेकिन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने नवनीत राणा की गिरफ्तारी ये जरूर कहा था - 'अगर आप मेरे घर आना चाहते हैं तो आइये... आपका सत्कार होगा, लेकिन अगर दादागिरी के साथ आ रहे हैं तो शिवसेना के संस्थापक बाला साहेब ठाकरे ने हिंदुत्व के पाठ में हमें ये भी सिखाया है कि दादागिरी कैसे निकाली जाती है.'
लकड़ावाला से संबंध का आरोप और जांच की मांग: जेल भेज दिये जाने के बाद शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने नवनीत राणा के तार अंडरवर्ल्ड से जुड़े होने का आरोप लगाया है.
संजय राउत ने नवनीत राणा पर युसुफ लकड़ावाला से 80 लाख रुपये का लोन लेने का आरोप लगाया है. संजय राउत याद दिलाते हैं कि लकड़ावाला को ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के एक केस में गिरफ्तार किया था - और उसी दौरान आर्थर रोड जेल में उसकी मौत हो गयी. संजय राउत का दावा है कि लकड़ावाला के दाऊद इब्राहिम से संबंध थे, लिहाजा राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला होने के नाते ईडी को मामले की पूरी पड़ताल करनी चाहिये.
नवनीत राणा पहले ही फर्जी प्रमाण पत्र को लेकर फंसी हुई हैं, ऊपर से ये नया आरोप नयी मुसीबत बन कर सामने आया है. फिलहाल सुप्रीम कोर्ट से नवनीत राणा को फर्जी प्रमाण पत्र केस में बड़ी राहत मिली है - क्यों जून, 2021 के बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले से नवनीत राणा की संसद सदस्यता खतरे में पड़ गयी थी. हाई कोर्ट ने नवनीत राणा पर दो लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था.
दलित होने की दुहाई दे रहीं नवनीत राणा की शिकायतें
जेल में बंद नवनीत राणा अपनी लड़ाई हर मोर्चे पर लड़ रही हैं - और संजय राउत के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रही हैं. नवनीत राणा का आरोप है कि संजय राउत टीवी पर इंटरव्यू देकर उनको और उनके समुदाय को बदनाम कर रहे हैं.
संजय राउत ने नवनीत राणा और उनके पति रवि राणा को बंटी और बबली और सी-ग्रेड कलाकार तक बताया था - और मुंबई पुलिस कमिश्नर की तारीफ की है. दरअसल, मुंबई पुलिस कमिश्नर संजय पांडे ने नवनीत राणा के आरोपों को लेकर एक वीडियो ट्वीट किया था, जिसमें वो थाने में चाय पीते नजर आ रही हैं.
असल में नवनीत राणा ने पुलिस पर खुद के अनुसूचित जाति का होने की वजह से दुर्व्यवहार का आरोप लगाया था. नवनीत राणा का आरोप है कि थाने में उनको पीने का पानी तक नहीं दिया गया. पुलिस कमिश्नर के वीडियो पोस्ट करने के बाद उनके वकील ने सफाई दी है. नवनीत राणा के वकील का दावा है कि उनके मुवक्किल के साथ शांताक्रूज थाने में दुर्व्यवहार हुआ जबकि वीडियो खार पुलिस स्टेशन का शेयर किया गया है.
नवनीत राणा ने थाने में अपनी जाति की वजह से पुलिस के दुर्व्यवहार की शिकायत लोक सभा स्पीकर ओम बिड़ला से भी की है. साथ ही, नागपुर पुलिस के पास शिकायत दर्ज कर नवनीत राणा ने संजय राउत के खिलाफ SC/ST एक्ट में केस दर्ज करने की मांग की है. ऐसे ही नवनीत राणा ने संजय राउत के खिलाफ दिल्ली पुलिस के कमिश्नर राकेश अस्थाना को भी पत्र लिखा है.
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