गुजरात प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल ने आखिर कांग्रेस से किनारा कर ही लिया. पिछले कुछ अर्से से पार्टी को लेकर शिकायती ट्वीट कर रहे हार्दिक ने एक लंबा इस्तीफा लिखा. जिसमें सारा मनमुटाव खोलकर रख दिया. इस इस्तीफे में कुछ लाइनें 'भाजपाई' भी नजर आईं.
1. कांग्रेस पार्टी देश-विरोधी:पिछले लगभग 3 वर्षों में मैंने यह पाया है कि कांग्रेस पार्टी सिर्फ विरोध की राजनीति तक सीमित रह गई है...
2. हार्दिक को पसंद है बीजेपी की बड़ी उपलब्धि:अयोध्या में प्रभु श्रीराम का मंदिर हो, CAA-NRC का मुद्दा हो, जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाना हो अथवा GST लागू करने जैसे निर्णय हों, देश लंबे समय से इनका समाधान चाहता था और कांग्रेस पार्टी सिर्फ इसमें एक बाधा बनने का काम करती रही...
3. भाजपा ज्वाइन करने वाले हिमंत बिस्वा सरमा जैसी ही शिकायत हार्दिक की भी:मैं जब भी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से मिला तो लगा कि नेतृत्व का ध्यान गुजरात के लोगों और पार्टी की समस्याओं को सुनने से ज्यादा अपने मोबाइल और बाकी चीजों पर रहा...गुजरात के बड़े नेता तो जनता के मुद्दों से दूर सिर्फ इस बात पर ध्यान देते हैं कि दिल्ली से आए हुए नेता को उनका चिकन सैंडविच समय पर मिला या नहीं...
4. भाजपा वाली लाइन पर गुजराती अस्मिता:शीर्ष नेतृत्व का बर्ताव गुजरात के प्रति ऐसा है, जैसे कि गुजरात और गुजरातियों से उन्हें नफरत हो। युवाओं के बीच मैं जब भी गया तो सभी ने एक ही बात कही कि आप ऐसी पार्टी में क्यों हो, जो हर प्रकार से गुजरातियों का सिर्फ अपमानही करती है: चाहे वह उद्योग के क्षेत्र में हो, चाहे धार्मिक क्षेत्र में...
गुजरात प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल ने आखिर कांग्रेस से किनारा कर ही लिया. पिछले कुछ अर्से से पार्टी को लेकर शिकायती ट्वीट कर रहे हार्दिक ने एक लंबा इस्तीफा लिखा. जिसमें सारा मनमुटाव खोलकर रख दिया. इस इस्तीफे में कुछ लाइनें 'भाजपाई' भी नजर आईं.
1. कांग्रेस पार्टी देश-विरोधी:पिछले लगभग 3 वर्षों में मैंने यह पाया है कि कांग्रेस पार्टी सिर्फ विरोध की राजनीति तक सीमित रह गई है...
2. हार्दिक को पसंद है बीजेपी की बड़ी उपलब्धि:अयोध्या में प्रभु श्रीराम का मंदिर हो, CAA-NRC का मुद्दा हो, जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाना हो अथवा GST लागू करने जैसे निर्णय हों, देश लंबे समय से इनका समाधान चाहता था और कांग्रेस पार्टी सिर्फ इसमें एक बाधा बनने का काम करती रही...
3. भाजपा ज्वाइन करने वाले हिमंत बिस्वा सरमा जैसी ही शिकायत हार्दिक की भी:मैं जब भी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से मिला तो लगा कि नेतृत्व का ध्यान गुजरात के लोगों और पार्टी की समस्याओं को सुनने से ज्यादा अपने मोबाइल और बाकी चीजों पर रहा...गुजरात के बड़े नेता तो जनता के मुद्दों से दूर सिर्फ इस बात पर ध्यान देते हैं कि दिल्ली से आए हुए नेता को उनका चिकन सैंडविच समय पर मिला या नहीं...
4. भाजपा वाली लाइन पर गुजराती अस्मिता:शीर्ष नेतृत्व का बर्ताव गुजरात के प्रति ऐसा है, जैसे कि गुजरात और गुजरातियों से उन्हें नफरत हो। युवाओं के बीच मैं जब भी गया तो सभी ने एक ही बात कही कि आप ऐसी पार्टी में क्यों हो, जो हर प्रकार से गुजरातियों का सिर्फ अपमानही करती है: चाहे वह उद्योग के क्षेत्र में हो, चाहे धार्मिक क्षेत्र में हो, चाहे राजनीति के क्षेत्र से हो...
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