हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव (Maharashtra-Haryana Assembly Election 2019) के नतीजों का दिन आ चुका है. मतगणना लगातार जारी है और इसके रुझान भाजपा के लिए किसी झटके से कम नहीं हैं. हरियाणा में तो कांटे की टक्कर दिख रही है और ये भी लग रहा है कि वहां त्रिशंकु विधानसभा की नौबत आ जाएगी. महाराष्ट्र में भी भाजपा अपने दम पर बहुमत लाने की हालत में नहीं दिख रही, जिसका वो सपना देख रही थी. इन विधानसभा चुनावों में एक सबसे खास बात ये रही कि वोटिंग बहुत ही कम हुई, जिसका सारा नुकसान भाजपा को होता दिख रहा है. माना जा रहा है कि बहुत से लोग मौजूदा विकल्पों से खुश नहीं हैं, इसलिए वह वोट डालने के लिए निकले ही नहीं. भाजपा ने कम से कम कांग्रेस की तुलना में तो खूब कोशिशें की थीं, लेकिन उनकी नतीजे भाजपा को खुश नहीं कर रहे हैं. हालांकि, चुनावों से पहले तक भाजपा निश्चिंत दिख रही थी, लेकिन अब नरेंद्र मोदी और अमित शाह के माथे में शिकन दिखना लाजमी है.
हरियाणा में कांटे की टक्कर के मायने
एक ओर भाजपा है, जिसने हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए अपनी ताकत झोंक दी. 7 रैलियां पीएम मोदी ने कीं और 7 अमित शाह ने कीं. राजनाथ सिंह ने भी कुछ रैलियां कीं. वहीं दूसरी ओर कांग्रेस है, जिसके लिए राहुल गांधी ने दो रैलियां कीं और सोनिया गांधी ने तो एक भी रैली नहीं की. यहां तक कि भूपेंद्र सिंह हुडा को भी मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने में देरी की. चुनावों से करीब 15 दिन पहले ही भूपेंद्र सिंह हुडा को कांग्रेस सामने लाई. ये बात हुडा भी मानते हैं कि पार्टी ने उन पर भरोसा दिखाने में देरी की. इन सब के बावजूद कांग्रेस ने भाजपा को कड़ी टक्कर दे दी है. यानी एक बात तो तय है कि लोग खट्टर से खुश नहीं हैं. जो वोट भाजपा को मिले हैं वो भी मोदी और शाह की बदौलत मिले हैं.
हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव (Maharashtra-Haryana Assembly Election 2019) के नतीजों का दिन आ चुका है. मतगणना लगातार जारी है और इसके रुझान भाजपा के लिए किसी झटके से कम नहीं हैं. हरियाणा में तो कांटे की टक्कर दिख रही है और ये भी लग रहा है कि वहां त्रिशंकु विधानसभा की नौबत आ जाएगी. महाराष्ट्र में भी भाजपा अपने दम पर बहुमत लाने की हालत में नहीं दिख रही, जिसका वो सपना देख रही थी. इन विधानसभा चुनावों में एक सबसे खास बात ये रही कि वोटिंग बहुत ही कम हुई, जिसका सारा नुकसान भाजपा को होता दिख रहा है. माना जा रहा है कि बहुत से लोग मौजूदा विकल्पों से खुश नहीं हैं, इसलिए वह वोट डालने के लिए निकले ही नहीं. भाजपा ने कम से कम कांग्रेस की तुलना में तो खूब कोशिशें की थीं, लेकिन उनकी नतीजे भाजपा को खुश नहीं कर रहे हैं. हालांकि, चुनावों से पहले तक भाजपा निश्चिंत दिख रही थी, लेकिन अब नरेंद्र मोदी और अमित शाह के माथे में शिकन दिखना लाजमी है.
हरियाणा में कांटे की टक्कर के मायने
एक ओर भाजपा है, जिसने हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए अपनी ताकत झोंक दी. 7 रैलियां पीएम मोदी ने कीं और 7 अमित शाह ने कीं. राजनाथ सिंह ने भी कुछ रैलियां कीं. वहीं दूसरी ओर कांग्रेस है, जिसके लिए राहुल गांधी ने दो रैलियां कीं और सोनिया गांधी ने तो एक भी रैली नहीं की. यहां तक कि भूपेंद्र सिंह हुडा को भी मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने में देरी की. चुनावों से करीब 15 दिन पहले ही भूपेंद्र सिंह हुडा को कांग्रेस सामने लाई. ये बात हुडा भी मानते हैं कि पार्टी ने उन पर भरोसा दिखाने में देरी की. इन सब के बावजूद कांग्रेस ने भाजपा को कड़ी टक्कर दे दी है. यानी एक बात तो तय है कि लोग खट्टर से खुश नहीं हैं. जो वोट भाजपा को मिले हैं वो भी मोदी और शाह की बदौलत मिले हैं.
महाराष्ट्र में भी भाजपा का सपना 'टूटा'
हरियाणा में तो भाजपा की सरकार ही बनना मुश्किल लग रहा है, लेकिन महाराष्ट्र में भी भाजपा का सपना टूटता सा दिख रहा है. भाजपा ने भले ही शिवसेना के साथ गठबंधन किया था, लेकिन उन्हें उम्मीद थी कि वह बहुमत से जीतेगी. वैसे भी, शिवसेना आए दिन कुछ ना कुछ ऐसा करती ही है कि भाजपा को दिक्कत होती है. ऐसे में अगर भाजपा बहुमत से जीतती तो शिवसेना पर भी दबाव बनाए रख सकती थी, लेकिन भाजपा को बहुमत मिलता नहीं दिख रहा है. यानी शिवसेना के बिना महाराष्ट्र में उनकी सरकार बनना मुमकिन नहीं हैं.
12.25 बजे तक के आंकड़े देख लीजिए
अगर बात हरियाणा की करें तो 12.25 बजे तक के रुझानों में भाजपा को 41, कांग्रेस को 30, जेजेपी को 10 और अन्य को 9 सीटें मिलती दिख रही हैं. यानी न तो भाजपा अपने दम पर चुनाव जीत सकती है, ना ही कांग्रेस. जेजेपी और अन्य हरियाणा के चुनाव में निर्णायक भूमिका में होंगे. भाजपा ने तो जेजेपी से बात करनी भी शुरू कर दी है. वहीं दूसरी ओर महाराष्ट्र चुनाव में 12.25 बजे तक के रुझानों के अनुसार भाजपा-शिवसेना के गठबंधन को 160 (भाजपा को 103 और शिवसेना को 66), कांग्रेस-एनसीपी के गठबंधन को 94 और अन्य को 34 सीटें मिलती दिख रही हैं.
दो राज्यों के चुनाव हुए, जिनमें जीत सुनिश्चित करने के लिए भाजपा ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया, लेकिन दोनों ही राज्यों से भाजपा को झटका लगा है. जीत-हार तो लगी रहती है, लेकिन इस बार लोगों का वोटिंग पैटर्न भाजपा को अंदर तक झकझोरने के लिए काफी है. वजह ये कि उनकी तरफ से खूब मेहनत हुई, जबकि कांग्रेस ने तो ना के बराबर कोशिशें कीं. इतना कुछ होने के बावजूद लोग इतनी बड़ी संख्या में अगर कांग्रेस को वोट दे रहे हैं तो कुछ तो दिक्कत जरूर है.
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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में दाव पर परिवारवाद
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