2014 आम चुनाव के बाद, 2019 का रथ भी राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने ही संभाला था. पार्टी के जो दरबारी नेता थे. वो इसी में खुश थे कि मोर्चे को बिल्कुल सही नेतृत्व मिल रहा है. उनका कहना था कि राहुल 2014 की गलतियों से सबक लेंगे और 19 का जो चुनाव होगा ऐतिहासिक होगा. कांग्रेस के ये दरबारी सही थे 2019 का चुनाव वाक़ई ऐतिहासिक था. देश की जनता ने भाजपा (BJP) और पीएम मोदी (Narendra Modi) पर भरोसा किया और जो जनादेश आया उसने पॉलिटिकल पंडितों और क्रिटिक्स दोनों को हैरत में डाल दिया. आज़ादी के बाद ये पहली बार था कि देश की सबसे बड़ी पार्टी के रूप में अपनी पहचान रखने वाली कांग्रेस इतने कम अंकों में सिमट गई. हार की जिम्मेदारी राहुल गांधी ने ली और पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दे दिया और सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) दोबारा पार्टी की अध्यक्ष बनीं. इस बीच पार्टी ने कई महत्वपूर्ण फैसले किये और इन्हीं फैसलों में एक फैसला था प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) को सामने लाना और उन्हें फ्रंट फुट पर खिलाना. प्रियंका का देश की सक्रिय राजनीति में आगमन कहने को तो एक पॉलिटिकल एक्सपेरिमेंट था. लेकिन इस प्रयोग ने जैसे पार्टी को फायदा पहुंचाया उसकी कल्पना राहुल गांधी- सोनिया गांधी से लेकर दरबारी नेताओं तक शायद ही कभी किसी ने की हो.
2022 में उत्तर प्रदेश में चुनाव है. जैसे आए रोज़ प्रियंका योगी आदित्यनाथ को टक्कर दे रही हैं, कोई बड़ी बात नहीं है कि प्रियंका को भविष्य में हम उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में देख लें. राहुल गांधी की अपेक्षा प्रियंका ज्यादा प्रभावी ढंग से राजनीति कर रही हैं. चूंकि वो राजनीति के प्रति खासी गंभीर हैं, इसलिए ये कांग्रेस पार्टी के लिए सोने पर सुहागे जैसा है. बात...
2014 आम चुनाव के बाद, 2019 का रथ भी राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने ही संभाला था. पार्टी के जो दरबारी नेता थे. वो इसी में खुश थे कि मोर्चे को बिल्कुल सही नेतृत्व मिल रहा है. उनका कहना था कि राहुल 2014 की गलतियों से सबक लेंगे और 19 का जो चुनाव होगा ऐतिहासिक होगा. कांग्रेस के ये दरबारी सही थे 2019 का चुनाव वाक़ई ऐतिहासिक था. देश की जनता ने भाजपा (BJP) और पीएम मोदी (Narendra Modi) पर भरोसा किया और जो जनादेश आया उसने पॉलिटिकल पंडितों और क्रिटिक्स दोनों को हैरत में डाल दिया. आज़ादी के बाद ये पहली बार था कि देश की सबसे बड़ी पार्टी के रूप में अपनी पहचान रखने वाली कांग्रेस इतने कम अंकों में सिमट गई. हार की जिम्मेदारी राहुल गांधी ने ली और पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दे दिया और सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) दोबारा पार्टी की अध्यक्ष बनीं. इस बीच पार्टी ने कई महत्वपूर्ण फैसले किये और इन्हीं फैसलों में एक फैसला था प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) को सामने लाना और उन्हें फ्रंट फुट पर खिलाना. प्रियंका का देश की सक्रिय राजनीति में आगमन कहने को तो एक पॉलिटिकल एक्सपेरिमेंट था. लेकिन इस प्रयोग ने जैसे पार्टी को फायदा पहुंचाया उसकी कल्पना राहुल गांधी- सोनिया गांधी से लेकर दरबारी नेताओं तक शायद ही कभी किसी ने की हो.
2022 में उत्तर प्रदेश में चुनाव है. जैसे आए रोज़ प्रियंका योगी आदित्यनाथ को टक्कर दे रही हैं, कोई बड़ी बात नहीं है कि प्रियंका को भविष्य में हम उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में देख लें. राहुल गांधी की अपेक्षा प्रियंका ज्यादा प्रभावी ढंग से राजनीति कर रही हैं. चूंकि वो राजनीति के प्रति खासी गंभीर हैं, इसलिए ये कांग्रेस पार्टी के लिए सोने पर सुहागे जैसा है. बात उत्तर प्रदेश और योगी आदित्यनाथ की हुई है. तो एक ऐसे वक़्त में जब हाथरस में एक दलित लड़की मनीषा वाल्मीकि के साथ हुआ कथित गैंग रेप, बच्चे-बच्चे की जुबान पर हो और बतौर जनता हमारी नजरों के सामने हो, जिस तरह प्रियंका गांधी योगी आदित्यनाथ और यूपी पुलिस से मोर्चा ले रही हैं तस्दीक हो जाती हैं कि इन मुश्किल हालात में प्रियंका कांग्रेस पार्टी के लिए हनुमान साबित हुई हैं. जिसकी लाई हुई संजीवनी बूटी से पार्टी को जीवनदान मिला है.
हाथरस मामले में मृत दलित युवती मनीषा वाल्मीकी के परिजनों से हाल चाल लेने उनके गांव पहुंची प्रियंका गांधी की एक तस्वीर इंटरनेट पर खूब सुर्खियां बटोर रही है. आलोचना से इतर, एक मजबूत विपक्ष कैसा होना चाहिए इस तस्वीर ने हमें बता दिया है. ध्यान रहे कि हाथरस मामले के मद्देनजर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और यूपी पुलिस की खूब किरकिरी हुई है. तिल का ताड़ न होकर मामले की निष्पक्ष जांच हो, इसलिए प्रशासन ने मृत दलित लड़की के गांव में धारा 144 लगाई थी.
सरकार और सूबे के मुखिया को घेरने के उद्देश्य से प्रियंका गांधी वाड्रा दल बल के साथ मौके पर पहुंची. जहां उनकी और पार्टी के अन्य लोगों की पुलिस के साथ तीखी झड़प हुई और नौबत बल प्रयोग तक आ गयी. तस्वीर में साफ दिख रहा है कि जहां एक तरफ प्रियंका कांग्रेस समर्थकों को पुलिस की लाठियों से बचाने के लिए सामने रहीं. तो वहीं पुलिस उनके साथ भी फिजिकल हुई. तस्वीर में साफ दिख रहा है कि पुलिस वालों ने प्रियंका को कंधे से दबोच रखा है.
एक ऐसे वक्त में जब कांग्रेस पार्टी को अराजकता, परिवारवाद और भ्रष्टाचार का हवाला देकर देश की जनता ने गर्त के अंधेरों में डाल दिया हो, प्रियंका गांधी की ये तस्वीर इसलिए भी नजीर बन गयी है क्योंकि जिन चीजों के लिए राहुल गांधी को फ्रंट फुट पर रहना चाहिए। उनका सामना अब प्रियंका को करना पड़ रहा है.
वर्तमान में आई तस्वीरों को देखकर हम इस बात का अंदाजा भी आसानी से लगा सकते हैं कि भविष्य में प्रियंका का कद क्या होगा. राहुल गंधी के इतर आज जिस सहजता से प्रियंका गांधी वाड्रा छोटी से छोटी बातों को एक गंभीर मुद्दे की तरह पेश कर रही हैं ये यूपी के मुख्यमंत्री को लंबे समय तक दर्द देगा.
गौरतलब है कि यूपी की सियासत देश के अन्य हिस्सों से काफी अलग है. कभी सपा तो कभी बसपा फिर सपा यहां जलवा क्षेत्रीय दलों को रहा. 2017 में उत्तर प्रदेश में बड़ा उलटफेर उस वक़्त देखने को मिला जब सपा कांग्रेस गठबंधन को नकारते हुए भाजपा को सत्ता मिली और योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री चयनित हुए. योगी के सत्ता में आने ने विपक्ष विशेषतः कांग्रेस को विचलित किया और तब से हम कांग्रेस और कांग्रेस में भी हम प्रियंका गांधी वाड्रा को सत्ता परिवर्तन का बिगुल फूंकते देख रहे हैं.
हमें इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि 24 के आम चुनाव एकतरफा होते हैं या फिर उसमें कांग्रेस वर्सेज बीजेपी देखने को मिलेगा लेकिन जब हम 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव को देखते हैं तो साफ हो जाता है कि 22 के यूपी विधानसभा चुनाव में सपा, बसपा, आरएलडी, निर्दलीय एक तरफ होंगे और कांटे की टक्कर भाजपा बनाम कांग्रेस होगी और भाजपा के लिए इस चुनौती को स्वीकार करना आसान तो हरगिज़ न होगा.
बहरहाल बात मजबूत विपक्ष के रूप में प्रियंका गांधी की हुई है. तो इस तस्वीर को देखकर यही कहा जा सकता है कि यूपी से राजस्थान तक विपक्ष इसी भूमिका में दिखना चाहिए. प्रियंका की इस तस्वीर ने सोशल मीडिया को हिलाकर रख दिया है. प्रतिक्रियाएं आ रहीं है और उन प्रतिक्रियाओं में जैसा रुख पब्लिक का है साफ हो गया है कि हाथरस ही वो मंज़िल थी जिसकी प्रियंका और उनकी रणनीति को तलाश थी.
हाथरस पहुंचने में प्रियंका को भले ही देर हुई हो लेकिन वो बिल्कुल दुरुस्त पहुंची हैं और उन्होंने फ़िज़ा बदल दी है.
वो कंग्रेस जो तिल-तिल मर रही थी प्रियंका पर पड़ी लाठी ने उसे जीवनदान दिया है. तस्वीरें लोगों के जहन में दर्ज हो गई है. इतिहास इसे याद रखेगा, बाकी कुल बातों का सार यही है जो राहुल गांधी 2014 से 2019 तक दरबारियों की फौज होने के बावजूद न कर पाए. प्रियंका ने चंद दिनों में ही कर दिया है. और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर देश के प्रधानमंत्री मोदी तक जिस जिस ने प्रियंका को लाठी खाते देखा है, अवश्य ही वो असहज हुआ है.
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