पुण्यतिथि पर जहां एक तरफ पूरा देश महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दे रहा है. उन्हें याद कर रहा है. उनके बताए मार्ग पर चलने की बात कर रहा है. जो उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में हुआ वो शर्मनाक है. अलीगढ़ में हिंदू महासभा के लोगों ने न सिर्फ महात्मा गांधी का अपमान किया. बल्कि तब हुए उस हत्याकांड के सीन को रीक्रिएट करके गांधी के पुतले को गोली मारी और उसमें से खून बहता हुआ दिखाया. हिंदू महासभा के कार्यकर्ता महात्मा गांधी को महात्मा कहे जाने से कितने खफा हैं, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि, जिस समय ये सब ड्रामा चला रहा था उन्होंने ‘महात्मा नाथूराम गोडसे अमर रहें’ के नारे भी लगाए.
ज्ञात हो कि, महात्मा गांधी की 71 वीं पुण्यतिथि के मौके पर अखिल भारत हिंदू महासभा ने राष्ट्रीय सचिव पूजा शकुन पांडेय की अगुवाई में एक कार्यक्रम का आयोजन किया. कार्यक्रम की खास बात ये रही कि इसमें उस सीन को दोबारा रिपीट किया गया जिसमें नाथूराम गोडसे ने गांधी को गोली मारी थी. कार्यक्रम में गांधी की फोटो पर पूजा शकुन पांडेय ने तीन फायर किये और फोटी को खून से लथपथ दिखाया. कार्यक्रम में गोडसे का महिमामंडन हुआ और हिंदू महासभा के लोगों से उसकी तुलना भगवान कृष्ण तक से कर डाली.
ये कोई पहली बार नहीं है कि अखिल भारत हिंदू महासभा की राष्ट्रीय सचिव पूजा शकुन पांडेय चर्चा में आई हैं. पूर्व में भी इन्होंने कई बार गोडसे की प्रतिमाओं और तस्वीरों पर फूल चढ़ाने के साथ महिमामंडन किया है. महात्मा गांधी की पुण्यतिथि को शौर्य दिवस के रूप में मनाने और मिठाइयां बांटने वाली पूजा के इस कृत्य को उनका पब्लिसिटी स्टंट माना जा सकता है....
पुण्यतिथि पर जहां एक तरफ पूरा देश महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दे रहा है. उन्हें याद कर रहा है. उनके बताए मार्ग पर चलने की बात कर रहा है. जो उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में हुआ वो शर्मनाक है. अलीगढ़ में हिंदू महासभा के लोगों ने न सिर्फ महात्मा गांधी का अपमान किया. बल्कि तब हुए उस हत्याकांड के सीन को रीक्रिएट करके गांधी के पुतले को गोली मारी और उसमें से खून बहता हुआ दिखाया. हिंदू महासभा के कार्यकर्ता महात्मा गांधी को महात्मा कहे जाने से कितने खफा हैं, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि, जिस समय ये सब ड्रामा चला रहा था उन्होंने ‘महात्मा नाथूराम गोडसे अमर रहें’ के नारे भी लगाए.
ज्ञात हो कि, महात्मा गांधी की 71 वीं पुण्यतिथि के मौके पर अखिल भारत हिंदू महासभा ने राष्ट्रीय सचिव पूजा शकुन पांडेय की अगुवाई में एक कार्यक्रम का आयोजन किया. कार्यक्रम की खास बात ये रही कि इसमें उस सीन को दोबारा रिपीट किया गया जिसमें नाथूराम गोडसे ने गांधी को गोली मारी थी. कार्यक्रम में गांधी की फोटो पर पूजा शकुन पांडेय ने तीन फायर किये और फोटी को खून से लथपथ दिखाया. कार्यक्रम में गोडसे का महिमामंडन हुआ और हिंदू महासभा के लोगों से उसकी तुलना भगवान कृष्ण तक से कर डाली.
ये कोई पहली बार नहीं है कि अखिल भारत हिंदू महासभा की राष्ट्रीय सचिव पूजा शकुन पांडेय चर्चा में आई हैं. पूर्व में भी इन्होंने कई बार गोडसे की प्रतिमाओं और तस्वीरों पर फूल चढ़ाने के साथ महिमामंडन किया है. महात्मा गांधी की पुण्यतिथि को शौर्य दिवस के रूप में मनाने और मिठाइयां बांटने वाली पूजा के इस कृत्य को उनका पब्लिसिटी स्टंट माना जा सकता है. वो अपनी प्रसिद्धि के लिए कितनी आतुर हैं इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि, इन्होंने इस कार्यक्रम की कवरेज के लिए बाकायदा मीडिया को निमंत्रण भेजा था.'
वहीं बात जब संगठन की हो तो बताना जरूरी है कि, अभी गुजरे साल ही इन्होंने शरिया अदालतों की तर्ज पर उत्तर प्रदेश के ही अलीगढ़, हाथरस, मथुरा, फिरोजाबाद और शिकोहाबाद में हिंदू अदालतों की स्थापना की बात कही थी. तब हिंदू अदालतों के बारे में बताते हुए हिंदू महासभा का कहना था कि हिंदू अदालत का लाभ उन तमाम परेशान आम हिंदुओं को मिलेगा जिनकी कहीं सुनवाई नहीं हो रही है. साथ ही ये भी बताया गया था कि इस अदालत में जमीन, मकान, दुकान, विवाह, पारिवारिक विवाद आदि मामले आपसी सहमति से सुलझाए जाएंगे.
ज्ञात हो कि हिंदू महासभा ने लगातार गांधी की नीति के चलते उनका विरोध किया है. सभा का मानना है कि आज जो देश की हालत है उसका जिम्मेदार और कोई नहीं बल्कि महात्मा गांधी और उनकी उदारवादी नीतियां हैं. सभा का मत है किआज हम इसलिए परेशान हैं क्योंकि हम महात्मा गांधी के द्वारा की गई गलतियों का खामियाजा भुगत रहे हैं.
बहरहाल, वैचारिक मतभेद अपनी जगह हैं. मगर जिस तरह हिंदू महासभा ने इस घटना को अंजाम दिया, उसने ये साफ बता दिया है कि उनके दिल में गांधी के लिए नफरत किस हद तक भरी है और वो उनका अपमान करने के लिए कहां तक जा सकते हैं. इस पूरे मामले में सबसे दिलचस्प भूमिका उत्तर प्रदेश की पुलिस और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की है जो फ़िलहाल चुप हैं. न तो मामले को लेकर पुलिस ने कोई कार्रवाई की है. न ही मुख्यमंत्री ने घटना की निंदा करते हुए कोई बयान दिया है.
मामला चूंकि महात्मा गांधी जिन्हें राष्ट्रपिता कहा जाता है के अपमान से जुड़ा है. तो हमारे लिए भी देखना दिलचस्प रहेगा कि सरकार और उसके नुमाइंदे इसे कैसे लेते हैं. साथ ही ये देखना भी मजेदार होगा कि यदि इन लोगों को सजा मिलती है तो पुलिस आखिर किन किन धाराओं में इनपर अभियोग दर्ज करेगी. अंत में हम बस ये कहकर अपनी बात को विराम देंगे कि एक ऐसे समय में जब हमारे समाज में नफरत की घटनाएं तेज हुई हों. हिंदू महासभा द्वारा गांधी की तस्वीर को गोली मारना ये बता देता है कि अब हम उस मुकाम पर पहुंच गए हैं, जहां से वापस पीछे लौटना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है.
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