अनुच्छेद 370 और 35ए हटाए जाने के बाद कश्मीर को लेकर चर्चा तेज है. पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान, चीन के संपर्क में है और मांग कर रहा है कि चीन इसमें पाकिस्तान का पक्ष ले और भारत से बात करे. इस स्थिति में अगर चीन का रुख करें तो मिलता है कि चीन में खुद सियासी घमासान मचा हुआ है और हांगकांग को लेकर स्थिति तनावपूर्ण है. 1997 में ब्रिटेन से हासिल करने के बाद से ही हांगकांग चीन के गले की हड्डी बना हुआ है. बीते कुछ महीनों से हांगकांग में निरंतर प्रदर्शन हो रहे हैं और जैसे जैसे समय का चक्र घूम रहा है स्थिति गंभीर होती जा रही है. बताया जा रहा है कि प्रदर्शनकारियों की एक बड़ी संख्या ने एयरपोर्ट जाम कर दिया है, जिस कारण तमाम राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय फ्लाइट्स प्रभावित हुई और उन्हें रद्द किया गया. चीन के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों के चलते, सरकार को न सिर्फ बड़े नुक्सान का सामना करना पड़ा है. बल्कि इससे देश दुनिया के तमाम यात्रियों को भी भारी दिक्कत उठानी पड़ रही है.
कह सकते हैं कि जो स्थिति इस समय भारत में कश्मीर की है वैसा ही कुछ हमें हांगकांग में भी देखने को मिल रहा है. चीन के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों का तर्क है कि पुलिस हिंसक तरीके अपना कर उनके विरोध को कमजोर करने की कोशिश कर रही है.
क्यों हो रहा है विरोध
हांगकांग में विरोध प्रदर्शन प्रत्यर्पण कानून के खिलाफ शुरू हुआ जिसमें लोगों पर मुकदमा चलाने के लिए उन्हें चीन की मुख्य भूमि पर प्रत्यर्पित करने की बात थी. इसके बाद जब मुद्दे ने रफ़्तार पकड़ी...
अनुच्छेद 370 और 35ए हटाए जाने के बाद कश्मीर को लेकर चर्चा तेज है. पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान, चीन के संपर्क में है और मांग कर रहा है कि चीन इसमें पाकिस्तान का पक्ष ले और भारत से बात करे. इस स्थिति में अगर चीन का रुख करें तो मिलता है कि चीन में खुद सियासी घमासान मचा हुआ है और हांगकांग को लेकर स्थिति तनावपूर्ण है. 1997 में ब्रिटेन से हासिल करने के बाद से ही हांगकांग चीन के गले की हड्डी बना हुआ है. बीते कुछ महीनों से हांगकांग में निरंतर प्रदर्शन हो रहे हैं और जैसे जैसे समय का चक्र घूम रहा है स्थिति गंभीर होती जा रही है. बताया जा रहा है कि प्रदर्शनकारियों की एक बड़ी संख्या ने एयरपोर्ट जाम कर दिया है, जिस कारण तमाम राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय फ्लाइट्स प्रभावित हुई और उन्हें रद्द किया गया. चीन के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों के चलते, सरकार को न सिर्फ बड़े नुक्सान का सामना करना पड़ा है. बल्कि इससे देश दुनिया के तमाम यात्रियों को भी भारी दिक्कत उठानी पड़ रही है.
कह सकते हैं कि जो स्थिति इस समय भारत में कश्मीर की है वैसा ही कुछ हमें हांगकांग में भी देखने को मिल रहा है. चीन के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों का तर्क है कि पुलिस हिंसक तरीके अपना कर उनके विरोध को कमजोर करने की कोशिश कर रही है.
क्यों हो रहा है विरोध
हांगकांग में विरोध प्रदर्शन प्रत्यर्पण कानून के खिलाफ शुरू हुआ जिसमें लोगों पर मुकदमा चलाने के लिए उन्हें चीन की मुख्य भूमि पर प्रत्यर्पित करने की बात थी. इसके बाद जब मुद्दे ने रफ़्तार पकड़ी बात हांग कांग की स्वायत्तता पर आ गई और सारा मुद्दा हांगकांग के लिए ज्यादा स्वायत्तता की मांग बनकर रह गया. फ़िलहाल जैसे हालात हैं साफ पता चल रहा है कि प्रदर्शनकारियों और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी में समझौता नमुमकिन है.
चीन ने कहा कि अपने विनाश की मांग कर रही है हांगकांग की जनता
हांगकांग में जिस तरह प्रदर्शन के नाम पर सारे काम काज ठप हैं और जनता सड़कों पर है उसे देखकर चीन बहुत क्रोध में है और धमकी देते हुए कहा है कि ऐसा करते हुए हांगकांग की जनता अपने विनाश को खुद आमंत्रित करके अपना नुकसान कर रही है. ध्यान रहे कि प्रदर्शनकारियों ने चीन की नीतियों को लेकर वीडियो शेयर किया था जिसमें शहर की सीमा पर चीनी मिलिट्री के वाहनों का प्रवेश दर्शाया जा रहा था.
प्रदर्शन से हांग कांग को बड़ा नुकसान
जैसा कि हम बता चुके हैं कि इस प्रदर्शन से पूरा हांग कांग अस्त व्यस्त है और अब जबकि प्रदर्शनकारियों ने एअरपोर्ट पर कब्ज़ा कर ही लिया है तो ये बताना बेहद जरूरी है कि इस नुकसान से हांग कंग को ज्यादा नुकसान इसलिए भी हो रहा है क्योंकि एयर कार्गो के मामले में हांग कांग नंबर 1 पर है. वहीं बात अगर यात्रियों की संख्या की हो तो यहां से प्रतिदिन 6.5 करोड़ यात्री आवागमन करते हैं. स्थिति जब ऐसी हो तो सिर्फ अपने एअरपोर्ट के चलते हांगकांग को कितना नुकसान हो रहा होगा इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है.
प्रदर्शन को दी चीन ने आतंकवाद की संज्ञा.
इस प्रदर्शन से जुड़ी ख़बरों पर यदि यकीन किया जाए तो मिल रहा है कि बीजिंग और उसके अधिकारी लगातार इस विरोध प्रदर्शन और इन प्रदर्शनों के दौरान जैसी झड़प जनता की पुलिस के साथ हुई उसकी कड़े शब्दों में निंदा की है. उन्होंने हिंसक प्रदर्शनकारियों की पुलिस पर पेट्रोल बम से हमला करने के लिए कड़ी आलोचना की और प्रदर्शनकारियों द्वारा ऐसा किये जाने को 'आतंकवाद' से जोड़कर देखा है.
वहीं बात अगर चीन की सरकारी मीडिया के सन्दर्भ में की जाए तो उन्होंने चीन की सरकार की नीति का विरोध कर रहे लोगों को गुंडा बताया है. सरकारी मीडिया बार बार इसी बात को दोहरा रहा है कि सरकार को आतंकवाद से निपटने में कोई नरमी नहीं दिखानी चाहिए. बताया जा रहा है कि चीनी सेना और बख्तरबंद गाड़ियां दक्षिणी शहर शेनजेन में जमा होती दिख रही हैं.इस शहर की सीमा हांगकांग से लगती है. चीन ने प्रदर्शन कर रहे लोगों को चेतावनी देते हुए कहा है कि किसी प्रकार का तुष्टिकरण नहीं किया जाएगा साथ ही सरकार ने पुलिस और सुरक्षाबलों को भी आदेश दिए हैं कि वो जल्द से जल्द हालात पर काबू पाए और स्थिति को नियंत्रित करे.
अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र तक हैं चिंतित
मामला कितना गंभीर हो चला है इसे हम अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र की नीतियों से भी समझ सकते हैं. संयक्त राष्ट्र के एक अधिकार प्रमुख ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ पुलिस के बल प्रयोग करने पर मंगलवार को चिंता जताई है. उन्होंने इसकी निष्पक्ष जांच कराने को भी कहा है. वहीं बात अगर अमेरिका की हो तो अमेरिका ने सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील की है ताकि हिंसा से बचा जा सके.
चीन के दामन पर खुद दाग हैं किस मुंह से मदद मांग रहा है पाकिस्तान
कश्मीर के लिए लगातार पाकिस्तान, चीन की तरफ देख रहा है. ऐसे में जब हांग कांग में खुद चीन द्वारा किये जा रहे अन्यायों के खिलाफ प्रदर्शन चल रहा हो बड़ा सवाल ये भी है कि वो आखिर किस मुंह से पाकिस्तान की मदद के लिए सामने आएगा.
बहरहाल, जिस तरह का प्रदर्शन है और जैसे हालात हैं. साफ है कि कश्मीर और हांग कांग की स्थिति कहीं न कहीं बिल्कुल एक जैसी है. ऐसे में वो चीन जो हांग कांग के इन प्रदर्शनकारियों के चलते तमाम तरह की आलोचनाओं का शिकार हो रहा है, सवाल ये है कि वो पाकिस्तान की मदद करेगा भी तो करेगा कैसे? यदि वो कश्मीरियों के हित की बात कहता है तो तमाम देश ऐसे होंगे जो ये कहेंगे कि पहले वो हांगकांग को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट करे और जवाब दे कि वहां के हालात कब काबू में आएंगे.
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