राजनीति में चार साल लंबा समय होता है. लेकिन इतना भी लंबा नहीं होता कि किसी भी पार्टी के चुनावी वादों को जनता भूल जाए. खासतौर पर वो वादे जिनके दम पर पार्टी ने चुनाव जीता हो. ये सच्चाई नरेंद्र मोदी सरकार पर उतनी ही लागू होती है जितना कि किसी दूसरे राजनीतिक दल पर.
2014 के चुनावों में, नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने जनता से बढ़ चढ़कर कई वादे किए. जनता ने इन वादों पर भरोसा भी कर लिया. नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी ने देश के लोगों को जो सपने दिखाए थे उनमें विकास, विदेशों से काले धन की वापसी, हर खाते में 15 लाख रुपये, अच्छे दिन और भ्रष्टाचार को खत्म करना शामिल था.
चुनाव जीतने के बाद, किसी और ने नहीं बल्कि खुद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि देश के हर नागरिक के बैंक खाते में 15 लाख रुपये का वादा सिर्फ एक चुनावी जुमला था. हालांकि अब तो ऐसा लगता है कि बीजेपी द्वारा किए गए सभी वादे सिर्फ जुमले ही थे.
आइए दिखाते हैं कि कैसे भाजपा ने अपने सभी वादों पर देश को धोखा ही दिया है:
सभी के खाते में 15 लाख रुपये आएंगे-
2015 की शुरुआत में एक टेलीविजन इंटरव्यू के दौरान अमित शाह ने कहा कि विदेशों से सारा काला धन वापस आ जाने के बाद हर भारतीय के खाते में 15 लाख रुपये देने का वादा सिर्फ एक चुनावी "जुमला" था.
2014 के आम चुनावों के प्रचार के दौरान मोदी ने कहा था कि अगर विदेशों से काला धन वापस आ जाता है तो उनकी सरकार हर खाते में 15 लाख रुपये जमा करेगी. लेकिन सत्ता में आने के एक साल बाद ही बीजेपी ने बता दिया कि अपने वादों को लेकर कभी गंभीर नहीं थे.
विकास-
मोदी सभी भारतीयों के विकास के वादे पर सत्ता...
राजनीति में चार साल लंबा समय होता है. लेकिन इतना भी लंबा नहीं होता कि किसी भी पार्टी के चुनावी वादों को जनता भूल जाए. खासतौर पर वो वादे जिनके दम पर पार्टी ने चुनाव जीता हो. ये सच्चाई नरेंद्र मोदी सरकार पर उतनी ही लागू होती है जितना कि किसी दूसरे राजनीतिक दल पर.
2014 के चुनावों में, नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने जनता से बढ़ चढ़कर कई वादे किए. जनता ने इन वादों पर भरोसा भी कर लिया. नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी ने देश के लोगों को जो सपने दिखाए थे उनमें विकास, विदेशों से काले धन की वापसी, हर खाते में 15 लाख रुपये, अच्छे दिन और भ्रष्टाचार को खत्म करना शामिल था.
चुनाव जीतने के बाद, किसी और ने नहीं बल्कि खुद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि देश के हर नागरिक के बैंक खाते में 15 लाख रुपये का वादा सिर्फ एक चुनावी जुमला था. हालांकि अब तो ऐसा लगता है कि बीजेपी द्वारा किए गए सभी वादे सिर्फ जुमले ही थे.
आइए दिखाते हैं कि कैसे भाजपा ने अपने सभी वादों पर देश को धोखा ही दिया है:
सभी के खाते में 15 लाख रुपये आएंगे-
2015 की शुरुआत में एक टेलीविजन इंटरव्यू के दौरान अमित शाह ने कहा कि विदेशों से सारा काला धन वापस आ जाने के बाद हर भारतीय के खाते में 15 लाख रुपये देने का वादा सिर्फ एक चुनावी "जुमला" था.
2014 के आम चुनावों के प्रचार के दौरान मोदी ने कहा था कि अगर विदेशों से काला धन वापस आ जाता है तो उनकी सरकार हर खाते में 15 लाख रुपये जमा करेगी. लेकिन सत्ता में आने के एक साल बाद ही बीजेपी ने बता दिया कि अपने वादों को लेकर कभी गंभीर नहीं थे.
विकास-
मोदी सभी भारतीयों के विकास के वादे पर सत्ता में आए. लगभग हर चुनाव रैली में मोदी ने विकास के मुद्दे को उठाया और लोगों को ये भरोसा दिया कि अब तस्वीर बदलने वाली है. उन्होंने लोगों से अपील की कि अगर वे विकास चाहते हैं तो भाजपा को वोट दें. अपनी विशिष्ट शैली में मोदी ने अपनी रैलियों में इकट्ठी भीड़ से पूछा: "आप विकास चाहते हैं या नहीं."
मोदी सरकार के चार साल पूरे होने के बाद भी लोग यही सोच रहे हैं कि आखिर जिस विकास का वादा किया गया था वो कहां गायब हो गया है.
अच्छे दिन आने वाले हैं-
मोदी में लोगों ने एक बेहतर कल की उम्मीद देखी थी. विकास के गुजरात मॉडल और उसे पूरे देश में फैलाने की बात बार बार पीएम मोदी ने की. ऐसा करते हुए मोदी ने लोगों को आश्वस्त किया कि अगर बीजेपी की सरकार आई तो "अच्छे दिन" आएंगे.
यहां तक की बड़ों के साथ साथ बच्चे बच्चे की जुबान पर ये गाना रहता था "मोदी जी आने वाले हैं, अच्छे दिन लाने वाले हैं."
दुर्भाग्य से यहां भी लोग ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं.
भ्रष्टाचार का अंत-
बीजेपी ने वादा किया था कि अगर पार्टी सत्ता में आई तो सभी भ्रष्ट लोगों को सलाखों के पीछे डाल दिया जाएगा. पार्टी ने वादा किया था कि विदेशी खातों में अवैध रूप से जमा धन (काला धन) को भारत वापस लाया जाएगा.
इस वादे को जनता ने हाथों हाथ लिया. हालांकि, अमित शाह ने अब ये स्वीकार कर लिया है कि काले धन की समस्या से निपटने के लिए पांच साल का समय भी पर्याप्त नहीं है.
नए जुमले का इंतजार-
2019 के आम चुनावों के लिए मंच सज गया है. ऐसे में नए नारे और जुमले गढ़ने की प्रक्रिया भी शुरु हो गई है. बीजेपी ने "सबका साथ, सबका विकास" और "साफ नियत, सही विकास" जैसै नारों का खूब उपयोग किया. रिपोर्ट बताते हैं कि अगले चुनाव के लिए नारों पर चर्चा करने के लिए मंथन सत्र चल रहे हैं. यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी अपने नए नारों के जरिए पुराने नारों में किए गए वादों को पूरा नहीं करने का कैसे बचाव करते हैं.
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