लोकसभा चुनाव शुरू होने में बस कुछ ही दिन बाकी हैं और इन दिनों सबसे अधिक चर्चा में है कांग्रेस का घोषणा पत्र. 2004 में जीत का ताज पहनने के बाद 2009 और 2014 में कांग्रेस का घोषणापत्र एक अलग रूप में था, जो 2019 आते-आते बिल्कुल ही बदल चुका है. जो कांग्रेस घोषणा पत्र में अपनी ही पीठ थपथपाती थी और तारीफों के पुल बांधती थी, अब वह कांग्रेस वादे पूरे करने का वादा कर रही है. 2019 का मेनिफेस्टो तो कुछ ऐसा ही है, जिसे हिंदी में 'हम निभाएंगे' और अंग्रेजी में 'Congress will Deliver' का नाम दिया गया है. इससे पहले 2014 के मेनिफेस्टो का नाम था- 'Your Voice, Our Pledge' यानी 'आपकी आवाज, हमारी प्रतिज्ञा'.
पहले कांग्रेस के घोषणा पत्र में जनता को जरा सी जगह मिली होती थी, लेकिन इस बार के घोषणा पत्र में लगभग सारी जगह ही जनता को मिल गई है. यहां तक कि पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी का चुनाव चिन्ह हाथ का पंजा दुबक कर नीचे जा पहुंचा है. कोने में, छोटा सा. इतना छोटा कि दूर से दिखाई भी ना दे. खुद को जनता के सामने छोटा दिखाने की कोशिश में कांग्रेस ने खुद को कुछ ज्यादा ही छोटा बना दिया है. 2014 के घोषणा पत्र को कांग्रेस ने महज 20 मुद्दों के साथ 27 पेज में निपटा दिया था, लेकिन 2019 के 55 पेज के घोषणा पत्र में कांग्रेस ने 52 मुद्दों को उठाया है.
मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी को किया बाहर
कांग्रेस के घोषणा पत्र में राहुल गांधी और कांग्रेस के लोगो को बिल्कुल छोटा सा दिखाया है. 2014 के घोषणा पत्र में राहुल गांधी के साथ जनता के चंद लोग तो थे, लेकिन सिवाय राहुल के बाकी लोगों का चेहरा नहीं दिख रहा था. वहीं दूसरी ओर, उस घोषणा पत्र में सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह को सबसे...
लोकसभा चुनाव शुरू होने में बस कुछ ही दिन बाकी हैं और इन दिनों सबसे अधिक चर्चा में है कांग्रेस का घोषणा पत्र. 2004 में जीत का ताज पहनने के बाद 2009 और 2014 में कांग्रेस का घोषणापत्र एक अलग रूप में था, जो 2019 आते-आते बिल्कुल ही बदल चुका है. जो कांग्रेस घोषणा पत्र में अपनी ही पीठ थपथपाती थी और तारीफों के पुल बांधती थी, अब वह कांग्रेस वादे पूरे करने का वादा कर रही है. 2019 का मेनिफेस्टो तो कुछ ऐसा ही है, जिसे हिंदी में 'हम निभाएंगे' और अंग्रेजी में 'Congress will Deliver' का नाम दिया गया है. इससे पहले 2014 के मेनिफेस्टो का नाम था- 'Your Voice, Our Pledge' यानी 'आपकी आवाज, हमारी प्रतिज्ञा'.
पहले कांग्रेस के घोषणा पत्र में जनता को जरा सी जगह मिली होती थी, लेकिन इस बार के घोषणा पत्र में लगभग सारी जगह ही जनता को मिल गई है. यहां तक कि पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी का चुनाव चिन्ह हाथ का पंजा दुबक कर नीचे जा पहुंचा है. कोने में, छोटा सा. इतना छोटा कि दूर से दिखाई भी ना दे. खुद को जनता के सामने छोटा दिखाने की कोशिश में कांग्रेस ने खुद को कुछ ज्यादा ही छोटा बना दिया है. 2014 के घोषणा पत्र को कांग्रेस ने महज 20 मुद्दों के साथ 27 पेज में निपटा दिया था, लेकिन 2019 के 55 पेज के घोषणा पत्र में कांग्रेस ने 52 मुद्दों को उठाया है.
मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी को किया बाहर
कांग्रेस के घोषणा पत्र में राहुल गांधी और कांग्रेस के लोगो को बिल्कुल छोटा सा दिखाया है. 2014 के घोषणा पत्र में राहुल गांधी के साथ जनता के चंद लोग तो थे, लेकिन सिवाय राहुल के बाकी लोगों का चेहरा नहीं दिख रहा था. वहीं दूसरी ओर, उस घोषणा पत्र में सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह को सबसे ऊपर की तरफ जगह मिली थी. लेकिन 2019 के घोषणा पत्र में तो सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह को कवर से बाहर ही कर दिया गया है. वहीं दूसरी ओर, हाल ही में पार्टी में आईं राहुल गांधी की बहन और पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी को भी कोई जगह नहीं मिली है. यूं लग रहा है कि कांग्रेस और राहुल गांधी एक दूसरे के पूरक बन चुके हैं और ये चुनाव सिर्फ राहुल गांधी अपने बल बूते पर लड़ रहे हैं, वो भी कोने में छुपकर.
सोनिया गांधी का भड़का गुस्सा
कांग्रेस का घोषणा पत्र देखकर भले ही राहुल गांधी खुशी से फूले ना समा रहे हों, लेकिन सोनिया गांधी भड़क गई हैं. उन्होंने तो घोषणा पत्र कमेटी के कर्ताधर्ता राजीव गौड़ा को जमकर फटकार भी लगाई. सोनिया गांधी इस बात से गुस्से में हैं कि घोषणा पत्र के कवर पर राहुल गांधी और कांग्रेस के लोगो की तस्वीर बेहद छोटी है, जो दूर से ठीक से दिखेगी भी नहीं. पूरे समय राजीव गौड़ा की ओर से सोनिया गांधी को समझाने-बुझाने की कोशिश रही, लेकिन सोनिया गांधी उनकी बात से समहत नहीं हुईं. सोनिया का कहना था कि घोषणा पत्र के कवर पेज पर कांग्रेस का लोगो ऊपर की तरफ क्यों नहीं है, ये कांग्रेस का घोषणा पत्र है ये लोग सिर्फ देखकर कैसे समझेंगे. प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान तो उन्होंने किसी भी सवाल का जवाब तक देने से मना कर दिया, जब कि थोड़ी देर पहले ही सुरजेवाला ने पत्रकारों से कहा था कि सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह भी मौजूद हैं, उनसे भी सवाल पूछ सकते हैं.
देश में अब तक सबसे अधिक कांग्रेस की ही सरकार रही है. पिछले लोकसभा चुनावों तक को कांग्रेस के घोषणा पत्र से लेकर पार्टी के नेताओं की आंखों तक में जीत का घमंड दिखता था, लेकिन 2019 आते-आते वो गुरूर उतर गया है. तभी तो घोषणा पत्र में राहुल गांधी कोने में दुबके दिख रहे हैं, जैसे कोई डर कर कोने में जा छुपा हो. अब कांग्रेस के लोग जनता के बीच सिर झुका कर जा रहे हैं और उनकी परेशानियों को सुन रहे हैं. इतना ही नहीं, उनके किए वादों को पूरा करने का वादा भी कर रहे हैं. यानी वादा इस बात का कि हम अपना वादा निभाएंगे. अब जनता को कांग्रेस का ये रूप कितना पसंद आता है ये तो 21 मई को चुनाव नतीजे आने पर ही पता चलेगा.
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