तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की सीट पर उपचुनाव के 24 घंटे पहले एक वीडियो सामने आया है. इसे शशिकला के करीबी टीटीवी दिनाकरन गुट की इमोशनल चाल माना जा रहा है. पता चला है कि दिनाकरन के एक करीबी विधायक ने ही ये वीडियो लोगों के बीच लाया है जो जयललिता के अस्पताल के दिनों का बताया जा रहा है.
चुनाव आयोग ने इस वीडियो पर सख्त ऐतराज जताया है और इसे आचार संहिता के उल्लंघन के दायरे में लिये जाने के संकेत दिये हैं. गुजरात चुनाव के दौरान राहुल गांधी के इंटरव्यू दिखाने पर आयोग ने चैनल पर एफआईआर और उन्हें नोटिस जारी किया था, जिसे बाद में वापस ले लिया गया.
विवादों के चलते आरके नगर उपचुनाव एक बार पहले भी रद्द हो चुका है - और एक बार फिर वैसी ही स्थिति पैदा हुई नजर आ रही है. वोटरों को रिश्वत दिये जाने की शिकायत के बाद आयोग एक पुलिस अफसर को पहले ही हटा चुका है.
दिनाकरन मर्यादा कैसे भूल गये?
तीन महीने पहले टीटीवी दिनाकरन को जो बात जयललिता के सम्मान के खिलाफ नजर आ रही थी, उसका क्या हुआ? जिस वीडियो को लेकर तब दिनाकरन 'अम्मा' की मर्यादा की दुहाई दे रहे थे, उसे चुनाव के ऐन पहले कैसे भूल गये? दिनाकरन, शशिकला के भतीजे हैं जिन्हें उन्होंने जेल जाने से पहले कामकाज सौंपा दिया था. साथ ही, दिनाकरन आरके नगर सीट से मौजूदा उपचुनाव में उम्मीदवार भी हैं.
तब दिनाकरन का तर्क था कि जयललिता का वीडियो इसलिए नहीं दिखना चाहते क्योंकि वो नाइटी में हैं. दिनकरन की दलील थी कि 1989 में एक्सीडेंट के बाद जब तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी भी उन्हें देखने गये तो वो अच्छी तरह कपड़े पहन कर ही मिली थीं - वो हमेशा मर्यादा का ख्याल रखती थीं. दिनाकरन का कहना था कि किसी को भी जयललिता को नाइटी में देखना ठीक नहीं लगेगा.
दिनकरन के मुताबिक वो वीडियो शशिकला ने बनाया था और खुद उन्हें दिया था. दिनाकरन के मुताबिक वो वीडियो तब का है जब जयललिता को आईसीयू से अस्पताल के दूसरे कमरे में ले जाया जा रहा है.
जो वीडियो जारी हुआ है, लग वही रहा है जिसका दिनाकरन जिक्र कर रहे थे. वीडियो में जयललिता बेड पर स्ट्रॉ लगे गिलास से कुछ पीती हुई नजर आ रही हैं.
सवालों के घेरे में रहे हैं टीटीवी दिनाकरन
जयललिता का वीडियो आने के बाद चुनाव आयोग ने कार्रवाई के संकेत दिये हैं. इंडिया टुडे से बातचीत में तमिलनाडु के चुनाव आयुक्त राजेश लखोनी ने इसे आचार संहिता का उल्लंघन माना और कहा कि इस वीडियो को टेलिकास्ट नहीं किया जाना चाहिए.
इससे पहले अप्रैल में चुनाव आयोग ने शिकायत मिलने के बाद उपचुनाव रद्द कर दिया था. दिनाकरन तब भी यहां से चुनाव लड़ रहे थे. आयोग ने ये फैसला तब लिया जब आयकर अधिकारियों को तलाशी के बाद पता चला कि शशिकला ने दिनाकरन की जीत पक्की करने के लिए लोगों में 89 करोड़ रुपये बांटे थे.
एआईएडीएमके से बेदखल किये जा चुके दिनाकरन पहले भी सवालों के घेर में रहे हैं और चुनाव आयोग के अधिकारियों को रिश्वत की पेशकश में जेल भी जा चुके हैं.
इस बार भी डीएमके के कार्यकारी अध्यक्ष एमके स्टालिन ने एआईएडीएमके पर वोट के बदले रिश्वत देने को लेकर शिकायत दर्ज करायी थी. इसके बाद चुनाव आयोग ने चेन्नई नॉर्थ के संयुक्त पुलिस आयुक्त सुधाकर को हटाने का हुक्म जारी किया.
21 दिसंबर को होने वाले आरके नगर उपचुनाव में 59 उम्मीदवार मैदान में हैं लेकिन असली मुकाबला मधुसूदनन, मरूथुगनेश और दिनाकरन के बीच है. वोटों की गिनती 24 दिसंबर को होगी. वैसे ये चुनाव एक तरह से मौजूदा पलानीसामी सरकार के लिए रिपोर्ट कार्ड के तौर पर भी देखा जा रहा है.
ई मधुसूदनन को सत्ताधारी एआईएडीएमके ने टिकट दिया है जबकि मरूथुगनेश को कांग्रेस और वाम दलों सहित विपक्ष का समर्थन हासिल है. दिनाकरन निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरे हुए हैं.
मौत पर रहस्य बरकरार
ताजा वीडियो में जिस तरह जयललिता को बेड पर देखा जा रहा है, वैसी ही एक तस्वीर पहले भी आयी थी और खूब वायरल हुई. मालूम हुआ कि वो तस्वीर फर्जी रही, हालांकि, उस तस्वीर में भी काफी चीजें मिलती जुलती नजर आई थीं.
जयललिता को लेकर ये तस्वीर फर्जी निकली
कुछ दिनों पहले अपोलो अस्पताल की उपाध्यक्ष प्रीता रेड्डी ने एक इंटरव्यू में बताया दावा किया था कि जब जयललिता को अस्पताल लाया गया तब उनकी सांस नहीं चल रही थी - लेकिन इलाज के बाद उनकी तबीयत में सुधार हुआ. दरअसल, अस्पताल में जयललिता से किसी को भी मिलने की इजाजत नहीं दी गयी थी. यहां तक की बीजेपी नेता अमित शाह और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी अस्पताल में मौजूद नेताओं से मिल कर ही लौट आये थे.
जयललिता की मौत की जांच के लिए जस्टिस ए अरूमुगास्वामी आयोग का गठन किया गया है. जयललित की भतीजी दीपा ने भी अपना बयान दर्ज कराया था. आयोग के समक्ष तीन घंटे तक अपना बयान दर्ज कराने के बाद में दीपा ने जयललिता को अस्पताल में भर्ती कराये जाते वक्त के हालात को लेकर शंका जाहिर की और उन पर हमले की भी आशंका जतायी थी. दीपा ने मौत के वक्त सक्रिय सभी को जांच के दायरे में लाने की मांग की है.
तमिलनाडु की तब मुख्यमंत्री जयललिता को 22 सितंबर, 2016 को अस्पताल में भर्ती कराया गया. हफ्ते भर बाद ही उनकी सेहत को लेकर सवाल उठने लगे. हालत ये हो गयी कि मद्रास हाई कोर्ट को हिदायत देनी पड़ी कि राज्य सरकार सीएम की सेहत पर स्थिति स्पष्ट करे ताकि लोगों का संदेह दूर हो.
हाई कोर्ट के आदेश के बाद राजभवन की ओर से एक स्टेटमेंट जारी कर बताया गया कि संविधान के अनुच्छेद 166 के क्लॉज 3 के तहत मुख्यमंत्री की सलाह के बाद जयललिता के सारे विभागों की जिम्मेदारी तब के वित्त मंत्री ओ पनीरसेल्वम (फिलहाल डिप्टी सीएम) को सौंपी जा रही है. बाद शशिकला ने पनीरसेल्वम से मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा ले लिया और अपने भरोसेमंद पलानीसामी को मुख्यमंत्री बना दिया.
विपक्षी दलों डीएमके और पीएमके ने उसी वक्त एक सवाल उठाया था - 'क्या पनीरसेल्वम को अधिकृत करने के लिए गवर्नर को भेजे गये पत्र पर जयललिता ने हस्ताक्षर किये थे, या नहीं?' सवाल अब भी उतना ही प्रासंगिक है, लेकिन अब तक अनुत्तरित है.
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