लोकसभा चुनाव 2019 कई मायनों में भारत के लिए ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए अनूठा अनुभव है. सबसे पहले तो इसलिए क्योंकि नए वोटरों के कारण इस बार 90 करोड़ लोग मतदान कर सकते हैं और ऐसा पहले कभी नहीं हुआ कि इतनी बड़ी संख्या में लोगों ने मिलकर सरकार चुनी हो. दूसरी बात ये कि पूरी दुनिया में इतने बड़े स्तर पर कभी चुनाव हुआ ही नहीं है. पर एक और बात है जिसके कारण इस बार के चुनाव बहुत अहम हैं वो है इन चुनावों में इस्तेमाल होने वाले ड्रग्स, शराब और कैश जिसने इस पूरे लोकतांत्रिक चुनाव को बदनाम करने का ही काम किया है.
एक तरफ भारत इस चुनाव को लेकर उत्साहित है वहीं दूसरी तरफ कई राज्यों में वोटरों को लुभाने के लिए ऐसे प्रलोभन दिए जा रहे हैं जो लोकतंत्र के खिलाफ हैं.
क्यों ये चिंता का विषय है? (2014 के आंकड़ों का विश्लेषण)
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार 2,99,94,30,804 (लगभग 300 करोड़) का कैश 2014 चुनावों के दौरान पकड़ा गया था और इसके साथ ही 1,61,84,508 लीटर शराब और लगभग 17,070 किलो ड्रग्स बरामद हुआ था जो देश के विभिन्न हिस्सों से हुआ था.
इन आंकड़ों को और अच्छे से समझने के लिए कुछ उदाहरण लिए जा सकते हैं-
1. 2014 चुनावों में जितना रुपया जब्त किया गया था वो शिर्डी साईं बाबा मंदिर के 2011 के दान का 75 प्रतिशत था.
2. जितना ड्रग्स जब्त किया गया था तो तीन वयस्क एशियाई हाथी और एक बच्चे हाथी के वजन के बराबर था (एक वयस्क हाथी का वजन 5000 किलो होता है.)
3. जितनी शराब 2014 में जब्त की गई थी वो लगभग साढ़े 6 ओलंपिक साइज के स्विमिंग पूल भरने के बराबर थी.
अब पांच साल बीत गए हैं और स्थिति सुधरने की जगह बिगड़ी ही है. राजनीतिक पार्टियों ने अपने तरीके भले ही बदल लिए हों, लेकिन हालात वैसे ही हैं. कैश, शराब, ड्रग्स और ऐसे ही अन्य प्रलोभन देकर वोटरों को लुभाया जा रहा है.
इस साल के चुनावों में अभी तक का जब्त किया हुआ सामान 2014 के सरकारी खर्च के मुकाबले 80% है, और ये तब है जब चुनाव खत्म होने में एक...
लोकसभा चुनाव 2019 कई मायनों में भारत के लिए ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए अनूठा अनुभव है. सबसे पहले तो इसलिए क्योंकि नए वोटरों के कारण इस बार 90 करोड़ लोग मतदान कर सकते हैं और ऐसा पहले कभी नहीं हुआ कि इतनी बड़ी संख्या में लोगों ने मिलकर सरकार चुनी हो. दूसरी बात ये कि पूरी दुनिया में इतने बड़े स्तर पर कभी चुनाव हुआ ही नहीं है. पर एक और बात है जिसके कारण इस बार के चुनाव बहुत अहम हैं वो है इन चुनावों में इस्तेमाल होने वाले ड्रग्स, शराब और कैश जिसने इस पूरे लोकतांत्रिक चुनाव को बदनाम करने का ही काम किया है.
एक तरफ भारत इस चुनाव को लेकर उत्साहित है वहीं दूसरी तरफ कई राज्यों में वोटरों को लुभाने के लिए ऐसे प्रलोभन दिए जा रहे हैं जो लोकतंत्र के खिलाफ हैं.
क्यों ये चिंता का विषय है? (2014 के आंकड़ों का विश्लेषण)
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार 2,99,94,30,804 (लगभग 300 करोड़) का कैश 2014 चुनावों के दौरान पकड़ा गया था और इसके साथ ही 1,61,84,508 लीटर शराब और लगभग 17,070 किलो ड्रग्स बरामद हुआ था जो देश के विभिन्न हिस्सों से हुआ था.
इन आंकड़ों को और अच्छे से समझने के लिए कुछ उदाहरण लिए जा सकते हैं-
1. 2014 चुनावों में जितना रुपया जब्त किया गया था वो शिर्डी साईं बाबा मंदिर के 2011 के दान का 75 प्रतिशत था.
2. जितना ड्रग्स जब्त किया गया था तो तीन वयस्क एशियाई हाथी और एक बच्चे हाथी के वजन के बराबर था (एक वयस्क हाथी का वजन 5000 किलो होता है.)
3. जितनी शराब 2014 में जब्त की गई थी वो लगभग साढ़े 6 ओलंपिक साइज के स्विमिंग पूल भरने के बराबर थी.
अब पांच साल बीत गए हैं और स्थिति सुधरने की जगह बिगड़ी ही है. राजनीतिक पार्टियों ने अपने तरीके भले ही बदल लिए हों, लेकिन हालात वैसे ही हैं. कैश, शराब, ड्रग्स और ऐसे ही अन्य प्रलोभन देकर वोटरों को लुभाया जा रहा है.
इस साल के चुनावों में अभी तक का जब्त किया हुआ सामान 2014 के सरकारी खर्च के मुकाबले 80% है, और ये तब है जब चुनाव खत्म होने में एक महीना बाकी है. पिछले 26 दिनों में (26 मार्च से 20 अप्रैल तक) अनुमानित 715.64 करोड़ रुपए कैश मिला है. ये 2014 में मिले कैश का 138.59 प्रतिशत है क्योंकि उस साल 299.943 करोड़ रुपए कैश मिला था.
अगर इस साल जब्त की गई शराब का आंकड़ा अगर देखा जाए तो हम पाएंगे कि 2014 के मुकाबले जल्द ही ये आंकड़ा ज्यादा हो जाएगा. अगर ड्रग्स और नार्कोटिक्स की बात करें तो 26 दिनों में 58,641 किलो ड्रग्स पकड़ा गया है और ये पहले से ही 2014 के मुकाबले 243.53 प्रतिशत ज्यादा है.
ये ट्रेंड बताता है कि लोकसभा चुनाव में अभी एक महीना बचा है और ऐसे में ये और भी चिंता का विषय हो जाता है कि आगे बात बढ़ सकती है.
हम क्या कर सकते हैं?
हम इसलिए 26 मार्च से डेटा बता रहे हैं क्योंकि उस दिन से ही चुनाव आयोग ने इस जब्त किए गए सामान के आंकड़े देना शुरू किया था. ये आंकड़े बताते हैं कि किस तरह से नेताओं ने गैरकानूनी तरीके से कैश, ड्रग्स, शराब आदि को वोटरों को लुभाने के लिए इस्तेमाल किया. इसमें सोना, चांदी और अन्य तरह के प्रलोभन भी शामिल हैं. ये सभी हरकतें लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत गैरकानूनी हैं.
सभी आंकड़ों को साधारण भाषा में समझते हैं:
चुनाव आयोग के मुताबिक 20 अप्रैल 2019 तक कैश और सामान (ड्रग्स, शराब, सोना, चांदी आदि) की कुल कीमत 3001 करोड़ लगभग है. इसका मतलब हर दिन 100 करोड़ के लगभग खर्च गैरकानूनी तरह से वोटरों को लुभाने के लिए किया जा रहा है.
इसमें सबसे ज्यादा हिस्सा ड्रग्स और ऐसे ही नशीले पदार्थों का है (1164.149 करोड़ रुपए) और उसके आगे सोना, चांदी (लगभग 935.134 करोड़), कैश (715.64 करोड़) और फिर शराब (230.94 करोड़) और उसके आगे अन्य तरह के प्रलोभन (45.82 कोरड़) दिए जा रहे हैं.
साधारण उदाहरण बताएं तो-
1. जितने ड्रग्स और नशीले पदार्थ जब्त किए गए हैं वो लगभग 11 एशियाई हाथियों और एक हाथी के बच्चे के बराबर हैं.
2. जितनी शराब जब्त की गई है वो लगभग साढ़े चार ओलंपिक साइज के स्विमिंग पूर भर देगी.
3. जितना कैश पकड़ा गया है वो 2011 में शिर्डी साईं बाबा मंदिर में दान की हुई रकम से ज्यादा है.
एक और उदाहरण जो इसे समझने में और आसान बना देगा वो ये कि 2014 चुनावों में कुल जितना पैसा भारत सरकार द्वारा चुनाव करवाने में खर्च किया गया था उसका 80% इस बार के चुनावों में पहले ही गैरकानूनी तरीके से जब्त किया जा चुका है. 2014 लोकसभा चुनाव करवाने के लिए सरकार ने 3,870.34 करोड़ रुपए खर्च किए थे.
राष्ट्रीय तस्वीर क्या कह रही है?
इन आंकड़ों की बात की जाए तो हम पाएंगे कि जितना भी कुल सामान जब्त किया गया है उसका 75 प्रतिशत सिर्फ देश के पांच राज्यों से ही किया जा रहा है. 20 अप्रैल 2019 को तमिलनाडु से जब्त किए गए सामान की कुल रकम 933.93 करोड़ हो गई थी और इसके बाद गुजरात की जहां से 544.31 करोड़ रुपए का सामान और कैश जब्त किया जा चुका था. दिल्ली से 395.65 करोड़, आंद्रप्रदेश से 216.53 करोड़ और पंजाब से 218.79 करोड़ रुपए का सामान जब्त किया जा चुका है.
आंकड़े बताते हैं कि राजनीतिक पार्टियां अलग-अलग राज्यों में कैश, शराब, ड्रग्स, सोना/चांदी और अन्य प्रलोभन के तरीकों में बदलाव करती हैं. जैसे गुजरात, पंजाब और दिल्ली में ड्रग्स ज्यादा जब्त किया गया. तमिलनाडु में सोना, चांदी और अन्य कीमती सामान इस्तेमाल हुआ, आंद्रप्रदेश में कैश ज्यादा जब्त किया गया.
ड्रग्स: दिल्ली, गुजरात और पंजाब का हाल-
26 मार्च से 20 अप्रैल के बीच कैश और अन्य सामान जो गुजरात से जब्त किया गया है उसमें से 94 प्रतिशत (लगभग 524.34 करोड़) के ड्रग्स और नशीले पदार्थ ही हैं. दिल्ली NCR में जब्त किए गए सामान का 85 प्रतिशत (लगभग 352.69 करोड़) ड्रग्स ने लिया है और इसमें से सबसे ज्यादा ड्रग्स 10 अप्रैल यानी लोकसभा चुनावों के एक दिन पहले जब्त किया गया था.
इसमें पंजाब में ड्रग्स 167.43 करोड़ का जब्त किया गया है. सोचने वाली बात ये है कि जहां ज्यादा मात्रा में ड्रग्स इन राज्यों से मिला है वहीं ये राज्य लीडर नहीं हैं बल्कि यहां बस कैश और अन्य सामान से ज्यादा ड्रग्स मिला है. महाराष्ट्र में 14,748 किलो ड्रग्स मिला है , मध्य प्रदेश में 13,008 किलो और उत्तर प्रदेश में 18,979 किलो ड्रग्स मिला है.
अब ये गुजरात से बिलकुल उल्टा है क्योंकि वहां जितना ड्रग्स मिला है उसका वजन 130.5 किलो है. पर फिर भी कीमत गुजरात, पंजाब और दिल्ली वाले ड्रग्स की ही ज्यादा है जो ये बताती है कि इन राज्यों में हाई क्वालिटी के नशीले पदार्थों का इस्तेमाल किया गया था.
सोना: तमिलनाडु में चमक बरकरार है-
जहां दिल्ली, गुजरात, पंजाब में नेता हाई क्वालिटी ड्रग्स की बात कर रहे हैं वहीं दक्षिण भारत में खेल ही उल्टा है. यहां नेता मान रहे हैं कि लोगों के लालच का फायदा उठाया जाए और इसलिए सोना, चांदी बहुतायत में इस्तेमाल किया जा रहा है. तभी तो तमिलनाडु में जितना भी सामान जब्त किया गया है उसका 76 प्रतिशत सोना और चांदी ही है. इसके बाद सोना/चांदी में दूसरा स्थान उत्तर प्रदेश का है जहां से 71.57 करोड़ के कीमती धातु जब्त किए गए हैं.
(ये स्टोरी सबसे पहले Indiatoday.in में पब्लिश हुई थी.)
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