पाकिस्तान का राजनीतिक नेतृत्व एक ऐसे हाथ में जा रहा है जिसने इसके पहले भी देश का नेतृत्व वैश्विक स्तर पर किया और पाकिस्तान को क्रिकेट का विश्व विजेता बनाया. 1992 के विश्व कप फाइनल में इंग्लैंड को हराने के बाद इमरान खान ने पूरी दुनिया में अपनी एक नई पहचान बनाई. ऑक्सफ़ोर्ड से पढ़ाई करने वाले इमरान ज़िन्दगी को खुलकर जीने वाले और प्रगतिशील सोच के मालिक थे. साल 1995 में इमरान खान ने जेमिमा गोल्डस्मिथ नाम की ब्रिटिश महिला से शादी की. इमरान की उम्र उस वक़्त 43 थी और जेमिमा 21 वर्ष की थीं. जेमिमा के पिता एक ब्रिटिश उद्योगपति थे और हमेशा इस रिश्ते के खिलाफ थे. जेमिमा के यहूदी होने के कारण कट्टरपंथी मुसलमानों ने ब्रिटेन से लेकर पाकिस्तान तक इस शादी के खिलाफ फतवा जारी किया. तमाम धार्मिक अवरोधों के बावजूद इमरान खान अपने इरादे पर अटल रहे और उन्होंने जेमिमा से लंदन में शादी की.
साल 1996 में इमरान ने तहरीक-ए-इन्साफ नाम से एक राजनीतिक पार्टी बनाई. इसके बाद इमरान पाकिस्तान की राजनीति में अपनी पार्टी को स्थापित करने में जूट गए. यहूदी धर्म से ताल्लुक रखने वाली इनकी विदेशी बेगम को इनके विरोधियों ने इनके खिलाफ प्रचारित करना शुरू कर दिया. कट्टरपंथी मौलवियों ने जेमिमा को इजराइल का एजेंट बताया. इमरान को अपनी पत्नी और राजनीति में किसी एक को चुनना था. देश के वजीर-ए-आजम बनने का फितूर पूर्व कप्तान के दिलो-दिमाग पर हावी था इसलिए इन्होंने अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा को पारिवारिक संबंधों से ऊपर रखा. रैलियों और पब्लिक मीटिंग में व्यस्त इमरान के पास अपनी पत्नी के लिए समय नहीं था जिसके लिए उन्होंने जमाने भर की दुश्मनियां मोल ली थी.
जेमिमा ने पाकिस्तानियों का दिल जीतने के लिए पाकिस्तानी...
पाकिस्तान का राजनीतिक नेतृत्व एक ऐसे हाथ में जा रहा है जिसने इसके पहले भी देश का नेतृत्व वैश्विक स्तर पर किया और पाकिस्तान को क्रिकेट का विश्व विजेता बनाया. 1992 के विश्व कप फाइनल में इंग्लैंड को हराने के बाद इमरान खान ने पूरी दुनिया में अपनी एक नई पहचान बनाई. ऑक्सफ़ोर्ड से पढ़ाई करने वाले इमरान ज़िन्दगी को खुलकर जीने वाले और प्रगतिशील सोच के मालिक थे. साल 1995 में इमरान खान ने जेमिमा गोल्डस्मिथ नाम की ब्रिटिश महिला से शादी की. इमरान की उम्र उस वक़्त 43 थी और जेमिमा 21 वर्ष की थीं. जेमिमा के पिता एक ब्रिटिश उद्योगपति थे और हमेशा इस रिश्ते के खिलाफ थे. जेमिमा के यहूदी होने के कारण कट्टरपंथी मुसलमानों ने ब्रिटेन से लेकर पाकिस्तान तक इस शादी के खिलाफ फतवा जारी किया. तमाम धार्मिक अवरोधों के बावजूद इमरान खान अपने इरादे पर अटल रहे और उन्होंने जेमिमा से लंदन में शादी की.
साल 1996 में इमरान ने तहरीक-ए-इन्साफ नाम से एक राजनीतिक पार्टी बनाई. इसके बाद इमरान पाकिस्तान की राजनीति में अपनी पार्टी को स्थापित करने में जूट गए. यहूदी धर्म से ताल्लुक रखने वाली इनकी विदेशी बेगम को इनके विरोधियों ने इनके खिलाफ प्रचारित करना शुरू कर दिया. कट्टरपंथी मौलवियों ने जेमिमा को इजराइल का एजेंट बताया. इमरान को अपनी पत्नी और राजनीति में किसी एक को चुनना था. देश के वजीर-ए-आजम बनने का फितूर पूर्व कप्तान के दिलो-दिमाग पर हावी था इसलिए इन्होंने अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा को पारिवारिक संबंधों से ऊपर रखा. रैलियों और पब्लिक मीटिंग में व्यस्त इमरान के पास अपनी पत्नी के लिए समय नहीं था जिसके लिए उन्होंने जमाने भर की दुश्मनियां मोल ली थी.
जेमिमा ने पाकिस्तानियों का दिल जीतने के लिए पाकिस्तानी पोशाक पहनना शुरू कर दिया और धाराप्रवाह उर्दू भी बोलना सीख गईं लेकिन उनकी यहूदी पहचान को पाकिस्तानी समाज कभी कबूल नहीं कर पाया. इस बीच इमरान से दूरियां उनकी लगातार बढ़ती रही और अंत में जेमिमा अपने दोनों बच्चों को लेकर लंदन चली गईं. कुछ साल दूर रहने के बाद साल 2004 में दोनों का तलाक हो गया. इस बीच इमरान ने खुद को पाकिस्तान की राजनीति में स्थापित कर लिया था. इमरान के विषय में सबसे दिलचस्प बात ये है कि जहां एक तरफ उन्होंने अपने को पाकिस्तान की राजनीति में मजबूत किया तो वहीं दूसरी तरफ उनके अन्दर पनप रहे कट्टरपंथ का भी विस्तार हुआ.
देश में फौजी तानाशाह मुशर्रफ की सत्ता को नजदीक से देख रहे इमरान पाकिस्तान का राजनीतिक बादशाह बनने के लिए देशभर में घूम रहे थे. इसी बीच 2008 के चुनाव में एक बार फिर नवाज शरीफ चुनकर आये और इमरान ने नई सरकार को घेरना शुरू कर दिया. जब तक पाकिस्तान में मुशर्रफ का शासन रहा इमरान ने किसी भी प्रकार की रैली और सरकार विरोधी बयान नहीं दिया. अब इतनी कुर्बानियां देने के बाद इमरान को ये एहसास हो गया था कि पाकिस्तान का वजीर-ए-आजम बनना है तो फौज और धार्मिक कठमुल्लों का साथ सबसे जरूरी है. 2011 में उनकी विशाल रैली ने नवाज सरकार को हिला के रख दिया. 2013 में अपने पैतृक क्षेत्र खैबर पख्तूनख्वां में इमरान की पार्टी ने जीत दर्ज की और अपना पहला राजनीतिक खाता खोला.
2015 में इमरान खान की जिंदगी में एक और महिला का आगमन होता है. बीबीसी की पूर्व एंकर रेहम खान से उन्होंने शादी की लेकिन ये शादी 10 महीने तक ही चल पाई. रेहम ने इमरान पर एक विशुद्ध राजनेता होने का आरोप लगाया. इमरान उनके अधिकारों को अपने घर की रसोईघर तक ही सीमित रखना चाहते थे और केवल राजनीति की बातों में दिलचस्पी रखते थे. अपने तलाक के बाद रेहम खान ने एक किताब लिखी और इमरान के ऊपर कई गंभीर आरोप लगाए जिनमे भारत में उनके 5 नाजायज बच्चे होने का भी आरोप शामिल था. खैर इमरान की एक और शादी राजनीतिक लालसा की भेंट चढ़ चुकी थी.
2015 में देश में हो रहे उपचुनाव के सिलसिले में इमरान अपने राजनीतिक भविष्य का दीदार करने के लिए आध्यात्मिक महिला बुशरा मानिका से मुलाकात करते हैं. इमरान उनकी भविष्यवाणी से भाव-विभोर हो जाते हैं और यहीं से शुरू होता है मुलाकातों का सिलसिला. लगातार मिलने के दौरान ही बुशरा एक भविष्यवाणी करती है कि अगर इमरान को पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनना है तो उनको तीसरी शादी करनी होगी. सत्ता के मारे इमरान ने अपनी आध्यात्मिक गुरु को अपनी तीसरी बेगम का दर्जा दिया और उन्हीं को हमेशा के लिए भविष्य बना लिया.
इमरान ने 1990 में दिए एक इंटरव्यू में बोला था- मेरी पत्नी वही होगी जिसका चेहरा मैंने शादी से पहले नहीं देखा हो. उन्होंने उस इंटरव्यू की बातों को ही अपना यथार्थ बनाया. खैर इमरान की तीसरी बेगम की भविष्यवाणी आज सही साबित हो गई, उन्होंने तीसरी शादी की और आज पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बनने की दहलीज पर खड़े हैं.
कंटेंट- विकास कुमार (इंटर्न- आईचौक)
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